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History and Culture

बप्पा रावल : एक अद्वितीय मेवाड़ी योद्धा

बप्पा रावल मेवाड़ी राजवंश के सबसे प्रतापी योद्धा थे । वीरता में इनकी बराबरी भारत का कोई और योद्धा कर ही नहीं सकता। यही वो शासक एवं योद्धा है जिनके बारे में राजस्थानी लोकगीतों में कहा जाता है कि –

 सर्वप्रथम बप्पा रावल ने केसरिया फहराया ।

और तुम्हारे पावन रज को अपने शीश लगाया ।।

फिर तो वे ईरान और अफगान सभी थे जिते ।

ऐसे थे झपटे यवनो पर हों मेवाड़ी चीते ।।

सिंध में अरबों का शासन स्थापित हो जाने के बाद जिस वीर ने उनको न केवल पूर्व की ओर बढ़ने से सफलतापूर्वक रोका था, बल्कि उनको कई बार करारी हार भी दी थी, उसका नाम था बप्पा रावल। बप्पा रावल गहलोत राजपूत वंश के आठवें शासक थे और उनका बचपन का नाम राजकुमार कलभोज था। वे सन् 713 में पैदा हुए थे और लगभग 97 साल की उम्र में उनका देहान्त हुआ था। उन्होंने शासक बनने के बाद अपने वंश का नाम ग्रहण नहीं किया बल्कि मेवाड़ वंश के नाम से नया राजवंश चलाया था और चित्तौड़ को अपनी राजधानी बनाया ।

इस्लाम की स्थापना के तत्काल बाद अरबी मुस्लिमों ने फारस (ईरान) को जीतने के बाद भारत पर आक्रमण करने प्रारम्भ कर दिए थे। वे बहुत वर्षों तक पराजित होकर जीते रहे, लेकिन अन्ततः राजा दाहिर के कार्यकाल में सिंध को जीतने में सफल हो गए। उनकी आंधी सिंध से आगे भी भारत को लीलना चाहती थी, किन्तु बप्पा रावल एक सुद्रढ़ दीवार की तरह उनके रास्ते में खड़े हो गए। उन्होंने अजमेर और जैसलमेर जैसे छोटे राज्यों को भी अपने साथ मिला लिया और एक बलशाली शक्ति खड़ी की। उन्होंने अरबों को कई बार हराया और उनको सिंध के पश्चिमी तट तक सीमित रहने के लिए बाध्य कर दिया, जो आजकल बलूचिस्तान के नाम से जाना जाता है।

इतना ही नहीं उन्होंने आगे बढ़कर गजनी पर भी आक्रमण किया और वहां के शासक सलीम को बुरी तरह हराया। उन्होंने गजनी में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया और तब चित्तौड़ लौटे। चित्तौड़ को अपना केन्द्र बनाकर उन्होंने आसपास के राज्यों को भी जीता और एक दृढ़ साम्राज्य का निर्माण किया। उन्होंने अपने राज्य में गांधार, खुरासान, तूरान और ईरान के हिस्सों को भी शामिल कर लिया था।

बप्पा बहुत  ही शक्तिशाली शासक थे। बप्पा का लालन-पालन ब्राह्मण परिवार के सान्निध्य में हुआ। उन्होंने अफगानिस्तान व पाकिस्तान तक अरबों को खदेड़ा था। बप्पा के सैन्य ठिकाने के कारण ही पाकिस्तान के शहर का नाम रावलपिंडी पड़ा।आठवीं सदी में मेवाड़ की स्थापना करने वाले बप्पा भारतीय सीमाओं से बाहर ही विदेशी आक्रमणों का प्रतिकार करना चाहते थे।  

हारीत ऋषि का आशीर्वाद

हारीत ऋषि का आशीर्वाद मिला बप्पा के जन्म के बारे में अद्भुत बातें प्रचलित हैं। बप्पा जिन गायों को चराते थे, उनमें से एक बहुत अधिक दूध देती थी। शाम को गाय जंगल से वापस लौटती थी तो उसके थनों में दूध नहीं रहता था। बप्पा दूध से जुड़े हुए रहस्य को जानने के लिए जंगल में उसके पीछे चल दिए। गाय निर्जन कंदरा में पहुंची और उसने हारीत ऋषि के यहां शिवलिंग अभिषेक के लिए दुग्धधार करने लगी। इसके बाद बप्पा हारीत ऋषि की सेवा में जुट गए। ऋषि के आशीर्वाद से बप्पा मेवाड़ के राजा बने |

रावल के संघर्ष की कहानी 

बप्पा रावल सिसोदिया राजवंश के संस्थापक थे जिनमें आगे चल कर महान राजा राणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप हुए। बप्पा रावल बप्पा या बापा वास्तव में व्यक्तिवाचक शब्द नहीं है, अपितु जिस तरह “बापू” शब्द महात्मा गांधी के लिए रूढ़ हो चुका है, उसी तरह आदरसूचक “बापा” शब्द भी मेवाड़ के एक नृपविशेष के लिए प्रयुक्त होता रहा है। सिसौदिया वंशी राजा कालभोज का ही दूसरा नाम बापा मानने में कुछ ऐतिहासिक असंगति नहीं होती। इसके प्रजासरंक्षण, देशरक्षण आदि कामों से प्रभावित होकर ही संभवत: जनता ने इसे बापा पदवी से विभूषित किया था। महाराणा कुंभा के समय में रचित एकलिंग महात्म्य में किसी प्राचीन ग्रंथ या प्रशस्ति के आधार पर बापा का समय संवत् 810 (सन् 753) ई. दिया है। एक दूसरे एकलिंग माहात्म्य से सिद्ध है कि यह बापा के राज्यत्याग का समय था। यदि बापा का राज्यकाल 30 साल का रखा जाए तो वह सन् 723 के लगभग गद्दी पर बैठा होगा। उससे पहले भी उसके वंश के कुछ प्रतापी राजा मेवाड़ में हो चुके थे, किंतु बापा का व्यक्तित्व उन सबसे बढ़कर था। चित्तौड़ का मजबूत दुर्ग उस समय तक मोरी वंश के राजाओं के हाथ में था। परंपरा से यह प्रसिद्ध है कि हारीत ऋषि की कृपा से बापा ने मानमोरी को मारकर इस दुर्ग को हस्तगत किया। टॉड को यहीं राजा मानका वि. सं. 770 (सन् 713 ई.) का एक शिलालेख मिला था जो सिद्ध करता है कि बापा और मानमोरी के समय में विशेष अंतर नहीं है।

Image courtesy: legends of mewar

चित्तौड़ पर अधिकार करना आसान न था। अनुमान है कि बापा की विशेष प्रसिद्धि अरबों से सफल युद्ध करने के कारण हुई। सन् 712 ई. में मुहम्मद कासिम से सिंधु को जीता। उसके बाद अरबों ने चारों ओर धावे करने शुरु किए। उन्होंने चावड़ों, मौर्यों, सैंधवों, कच्छेल्लों को हराया। मारवाड़, मालवा, मेवाड़, गुजरात आदि सब भूभागों में उनकी सेनाएँ छा गईं। इस भयंकर कालाग्नि से बचाने के लिए ईश्वर ने राजस्थान को कुछ महान व्यक्ति दिए जिनमें विशेष रूप से गुर्जर प्रतिहार सम्राट् नागभट प्रथम और बापा रावल के नाम उल्लेखनीय हैं। नागभट प्रथम ने अरबों को पश्चिमी राजस्थान और मालवे से मार भगाया। बापा ने यही कार्य मेवाड़ और उसके आसपास के प्रदेश के लिए किया। मौर्य (मोरी) शायद इसी अरब आक्रमण से जर्जर हो गए हों। बापा ने वह कार्य किया जो मोरी करने में असमर्थ थे और साथ ही चित्तौड़ पर भी अधिकार कर लिया। बापा रावल के मुस्लिम देशों पर विजय की अनेक दंतकथाएँ अरबों की पराजय की इस सच्ची घटना से उत्पन्न हुई होंगी।

बप्पा रावल ने अपने विशेष सिक्के जारी किए थे। इस सिक्के में सामने की ओर ऊपर के हिस्से में माला के नीचे श्री बोप्प लेख है। बाईं ओर त्रिशूल है और उसकी दाहिनी तरफ वेदी पर शिवलिंग बना है। इसके दाहिनी ओर नंदी शिवलिंग की ओर मुख किए बैठा है। शिवलिंग और नंदी के नीचे दंडवत् करते हुए एक पुरुष की आकृति है। पीछे की तरफ सूर्य और छत्र के चिह्न हैं। इन सबके नीचे दाहिनी ओर मुख किए एक गौ खड़ी है और उसी के पास दूध पीता हुआ बछड़ा है। ये सब चिह्न बपा रावल की शिवभक्ति और उसके जीवन की कुछ घटनाओं से संबद्ध हैं।

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People

उदयपुर के पद्म विभूषण विजेता वैज्ञानिक जिन्हें हम भुला चुके है लेकिन विश्व आज भी याद करता है।

उदयपुर का इतिहास बहुत ही सुनहरा रहा है ये बात तो हम सभी जानते ही है। इस सुनहरे इतिहास को बनाने वालों की लिस्ट बड़ी लंबी है। कई बार हम उसे पूरा नहीं होने देते है और उदयपुर का नाम आती ही अक्सर बात को रजवाड़ों या उनके इर्द-गिर्द ही सिमित कर देते है। उसी लिस्ट में से आज हम आपको मिलवाने जा रहे है उदयपुर में जन्में वैज्ञानिक दौलत सिंह कोठारी से।DR._DAULAT_SINGH_KOTHARI

सन् 1906, उदयपुर में जन्में दौलत सिंह कोठारी न सिर्फ विख्यात वैज्ञानिक थे इसके साथ वह एक जाने-मने शिक्षाविद भी थे। उनकी महानता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय में उनके नाम पर रिसर्च सेंटर का नाम रखा गया है। D.S. Kothari Research Centre, Miranda House, Delhi University.

दौलत सिंह कोठारी का जन्म 6 जुलाई 1906 को उदयपुर में हुआ। उनकी शुरूआती पढ़ाई उदयपुर और इंदौर के स्कूलों में हुई। बाद में मास्टर्स के लिए वे ‘इलाहबाद यूनिवर्सिटी’ चले गए। जहां इन्होने मेघनाद साहा के नेतृत्व में अपनी पढ़ाई पूरी की। इन्होने अपनी पीएचडी विश्वप्रसिद्ध ‘कैंब्रिज यूनिवर्सिटी’ से की। जहाँ उनके गुरु ‘अर्नेस्ट रदरफोर्ड’ थे। साइंस स्ट्रीम से अपनी पढाई करने वालों के लिए अर्नेस्ट रदरफोर्ड कोई अनजाना नाम नहीं है। फिर भी अगर आप उन्हें नहीं जानते है तो शायद आपने ग्याहरवी और बाहरवी अच्छे से नहीं पढ़ी है।

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Photo Courtesy: Patrick Maynard Stuart Blackett, Baron Blackett of Chelsea (1897-1974, British), Physicist
Daulat Singh Kothari (1906-1993, Indian), Physicist

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे भारत लौटे तो उन्होंने ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ में प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए और बाद में हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट, फिजिक्स रहे। ये बात है सन् 1931 से सन् 1961 के बीच की। इस दौरान सन् 1948 से 1961 तक वे मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में साइंटिफिक एडवाइजर भी रहे। सन् 1961 में उन्हें यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के चेयरमैन पद पर नियुक्त किया गया। जहां इनका कार्यकाल सन् 1973 तक चला। 1964-66 के दौरान एजुकेशन कमीशन के चेयरमैन पद पर रहते हुए उन्होंने कोठारी कमीशन निकाला जो कि जिसमें देश में पहली बार एजुकेशन सेक्टर के लिए मॉडर्नाइज़ेशन और स्टेंडरडाइज़ेशन जैसे शब्दों को देश की ज़रूरत बताया।

उनके उपलब्धियों और सम्मनों पर एक नज़र:

  • 1963 में इंडियन साइंस कांग्रेस के गोल्डन जुबली समारोह में अध्यक्ष पद पर रहे।
  • 1973 में इंडियन नेशनल साइंस अकादमी के अध्यक्ष पद पर चुने गए।
  • स्टैटिस्टिकल थर्मोडायनामिक्स पर रिसर्च और वाइट ड्वार्फ स्टार्स थ्योरी से उन्हें विश्व में पहचान मिली।
  • 1962 में पद्म भूषण।
  • 1973 में पद्म विभूषण से सम्मानित।
  • सन् 2011 में डिपार्टमेंट ऑफ़ पोस्ट्स ने उनके नाम का पोस्ट जारी किया।Daulat-Singh-Kothari
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक बॉयज हॉस्टल का नाम उनके नाम पर है।
  • मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में भी हॉस्टल और ऑडिटोरियम का नाम उन्ही के नाम पर रखा गया है।

उम्मीद है आपको ये सब पढ़कर अच्छा लगा होगा। हम आगे भी कुछ ऐसी ही शख्सियत से आपको रूबरू करवाएंगे। तब तक के लिए अलविदा।

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Travel

6 Long drive worthy roads in Udaipur

We all have come across those moments when we want to roam around the city but don’t want to reach anywhere. We just want to enjoy the music, winds soothing our hairs and raw nature in front of our eyes. At such times all we need is a perfect long drive with our loved ones and make it a day.

Here’s the list of roads which are perfect for the day when your mind is in the need of a long drive.

Rani Road

Whenever we think of a long drive, the first option that comes to our mind is Rani Road. Apart from the smooth road enveloping the beautiful lake, there is something in this place which wants us to stay a little more. You can see the entire Fatehsagar pal from there and the view is mind blowing especially at night. After few renovations the government made in last few years, you can also see some stone sculptures here that are perfect for pictures and selfies.

6 Long drive worthy roads in Udaipur
Picture by: udaiveer_clickography

100 ft. Road near University Road

If you are desiring for a looong long drive this is an ideal destination for you, or let’s say ideal way for you. It starts from A-one school and goes all the way to Shobhagpura circle and further meets Sukher Highway. In case you are hungry, you can find all the kind of eateries along the way. From stalls and cafes to restaurants. It is usually less crowded at night so that you can have a peaceful journey to nowhere.

6 Long drive worthy roads in Udaipur
Picture by: Juhee Mehta

Shobhagpura Bypass Road

If you are at 100 ft. road this is one more way you can go for a lovely evening. For this road, you just need to take a turn to the right from the Shobhagpura Circle and after some distance one left from towards the Ceremony Resort. This is very less crowded and doesn’t have many shops. It will meet on Sukher Highway again.

6 Long drive worthy roads in Udaipur
Picture by: Juhee Mehta

Pratap Gaurav Kendra Road

It can be reached from Vidhya Bhawan road by taking a right from Premi Paan corner. This is situated in a hilly area so you can have a wonderful view and landscapes and that too not much far from the city yet far from the chaos of the city. This road can lead you towards Badi road so in case you want to reach a destination after a long drive, you can land yourself at Badi.

6 Long drive worthy roads in Udaipur
Source: www.pratapgauravkendra.org

Jaal Boraj road to Jungle Safari road

This road is entirely surrounded by lush green trees and natural aura. The cool breeze coming from Lake Pichola via trees will give you peace from your hectic life. This road can make you reach Jungle Safari, Golden Par, and Pratap Park. You can visually see Lake Pichola at one side of the road and even touch the water after crossing few trees and grass.

6 Long drive worthy roads in Udaipur
Picture by: Juhee Mehta

Chirwa tunnel Road

This road can be a very good option when you literally want to go out of the city and enjoy a good drive on a highway. It will land you towards the Chirwa tunnel and if you’re still not satisfied and want more you can go forward for Eklingji or Nathdwara. You can have some tea or even meal on the local Dhabas in the way.

6 Long drive worthy roads in Udaipur
Picture by: cmanthan007

With these roads above, I’m sure you’ll head out this evening with absolutely no destination in mind because after all the way is more beautiful than the destination.

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Food

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

As Indians, we have a shorter resilience when it comes to saying ‘no’ to sweets. You want to celebrate? Sweets are the first thing you would want to eat. You got good marks? Sweets, again. You had a promotion? Should you even ask? Any feast is incomplete without that bowl of sweetness and the more you eat, it becomes even more difficult to stop.

Sweet is to food, what jewelry is to a lady. Wherever we go, carrying a box of sweets is a must. That sugar laden, dry fruit packed box of goodness which instantly melts in your mouth and you simply cannot resist that ‘oomph’ feeling is what we all crave for at least once during some point of the day!

Indians, oh so surely, cannot resist desi mithai (Indian sweets) and would go any distance to have their desired delicacy. Udaipur is famous for some delectable sweets doused with a lot of ghee and sugar. Here’s a list of some of the major places in the city to go to:

1. Jayesh Misthan Bhandar (JMB)

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

One of the most famous sweet shops in town located in the heart of the city with a few other branches as well. Kaju Patisa, Sangam Barfi, Kesar Ras Malai, Malai Ghewar, Rabri are some of the delicacies you must try. They even make Pyaaz ki Kachori, Mirchibada, Khandvis, etc. that are quite famous.

Location: Jayesh Misthan Bhandar – 124, Parmatma Plaza, Chetak Circle

Jagdish Misthan Bhandar – 16, Sarang Marg, Surajpole

Jai Misthan Bhnadar – Hiran Magri Sec. 3, Opp. Nehru Hostel

Contact: 0294-2429323, 2414972, 2467777

2. Shastri Sweets

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

Another popular sweet shop in town that has a drool-worthy variety of sweets. They are very famous for Dudh ke Laddu, Milk Cakes, and Cashew Sweets.

Location: Shastri Circle, Udaipur

Contact: 0294-2410601, 9983326126

3. Vasudev Dudh Bhandar

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

Apparently, this place serves the most delectable sweets made with milk and a variety of other savory items too. Their specialties include Lassi, Rabri, Shrikhand, Motichur ke Laddu, Alwar Paak, etc. They have one more branch in the city as well.

Location: Vasudev Dudh Bhandar – Inside Surajpole, Opp. Asthal Mandir

Shree Vasudev Dudh Bhandar – 5, Durga Nursery Road, near Sukhadia Samadhi

Contact: 0294-2421620, 7073591777

4. Jodhpur Misthan Bhandar (JMB)

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

Famous for its Mirchibada, Pyaaz ki Kachori and obviously, a variety of sweet delicacies like Rabri Laddu, Ghewar, Sangam Barfi is Jodhpur Misthan Bhandar. They have two shops in the city, both serving exquisite sweets.

Location: 90, Bapu Bazaar, Opp. Town Hall

20, Durga Nursery Road

Contact: 8107987755, 9887056111, 9549225552

5. Indore Namkeen and Sweets

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

Largely known for its namkeen and other salty items, they have tickled the taste buds of sugar buffs as well with a variety of items like Boondi ke Laddu, Malai Barfi, etc.

Location: Panchwati, Udaipur

Contact: 9829543179

6. Lala Misthan Bhandar (LMB)

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

One of the oldest sweet shops in town located in the old city area. Their specialties include Mango Barfi, Green Chickpea Barfi, Rabri Maalpuye, Moong Daal ka Halwa, Gulab Jamun, etc.

Location: 74, Jagdish Marg, Clock Tower

Contact: 0294-2414967

7. Shiv Misthan Bhandar

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

This sweet shop is famous for its soft and melt-in-your-mouth Rasgulla, as well as, Kesar Rajbhog, Kesar Baati, Kesar Khuramani, Indrani, Petha Lachcha, Chhena Roll, Makkhan Bada, etc.

Location: Panchwati, Udaipur

Contact: 9460713820

8. Shree Balaji Bikaner Misthan Bhandar

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

This recently opened sweet shop serves an assortment of sweets like Kaju Kesar Katli, Gulab Jamun, Jalebi, etc. along with Kachori, Samosa, Pani Puri too.

Location: 10, Paneri Upvan, Down of BSNL Tower, Bedla Road, Fatehpura

Contact: 9166733521

9. Arora Sweets

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

Another shop in the old city area serving a range of Segari items along with tasty Besan Laddu, Pedha, Barfis, etc. Have you visited yet?

Location: Jagdish Chowk, Udaipur

Contact: 9829434197

10. Jai Bharat Misthan Bhandar (JBMB)

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

This sweet shop serves amazing Dudh Jalebi at night and is quite popular for Malai Ghewar, Sattu Laddu, Kadai Dudh, Malai Barfi, etc.

Location: Shop No. 66, Opp. Control Room, Delhi Gate Circle

Contact: 9694115404, 9460804062, 9694646720

11. Shree Jodhpur Misthan Bhandar

11 Awesome Sweet Shops in Udaipur for the Sweet-tooth

A recently opened sweet shop selling an array of sweets and other namkeen products. This shop will make you want to try each and everything out.

Location: 80 Feet Road, Sajjangarh Chouraha, Malla Talai

Contact: 9602896526

How many shops have you been to yet and which sweet do you like the most?

Tell us about your recommendations and suggestions in the comments below. I would love to hear from you. 

Happy Eating!

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Things only an Udaipurite can relate to

Even after exploring all the places in the world, at the end of the day, every Udaipurite will only say ‘There’s no better place than Udaipur’. No matter how much fun we have otherwise but the feeling of home can only be felt in this city. So, there are few feelings that only an Udaipurite can connect to-

Evenings at Fatehsagar

Back in my school days, I remember, I and my friends used to bunk our coaching and used to go to Fatehsagar. There is something in this place that doesn’t tire your eyes even if you are visiting here for the millionth time. The serene feeling you get while sitting on the pal, looking at the sunset and cool breeze taking all your worries away, for a moment it feels like it’s the only thing you’re living for.

Things only an Udaipurite can relate to
Picture by: walking_captures

Streets of Old city

Old city doesn’t look old any day. It is one part of the city which always looks decorated with different colors in the shops and all the traditional clothes and jewelry on the display of the shops. While walking in the streets of Old City with all the foreign travelers accompanying you it seems like you are walking in a different part of the city.

Things only an Udaipurite can relate to
Picture by: meamtarn

Monsoon and Peepliya

Whenever sky pours Udaipur with drops of heaven the first place that comes to mind is Peepliya. While I am writing about it I can literally visualize the entire road and place surrounded by fog. One cannot see more than a meter on the road, the fog is that thick. Tiny droplets of water will neither completely wet you nor will keep you dry. It feels like you are entering a place in the sky via road.

Things only an Udaipurite can relate to
Picture by: micro.1993

School picnics at Haldighati

When I was 11, the school announced a picnic to Haldighati. The first thought that came to my mind was that does this place has Haldi (turmeric) instead of sand? Well, to my disappointment it wasn’t. But I’m sure every other child would’ve thought the same. I was in awe of Maharana Pratap when I learned the history of him back then. The name of the place still takes me to one of my favorite memories of childhood.

Things only an Udaipurite can relate to
Source: Dreamstime.com

Family outings at Ubeshwarji and Chandni Village

In the season of outings, these are the places that come to the mind of everyone’s family members. I’m sure all of you have visited this place with your entire family at least once. Sometimes we even take all the eatables there and make it a day. Jumping into the water with your siblings and coming back with empty stomachs to hot pakoras is not a distant memory, is it?

Things only an Udaipurite can relate to
Source: bcm touring

 

Things only an Udaipurite can relate to
Source: Tripoto

Weekends at Sukhadiya Circle

Boating in the pond of Sukhadiya Circle, having ‘chana jor garam’ in the garden and eating at one of the stalls outside was the plan on almost all weekends back then. Every Udaipurite has one favorite stall at Sukhadiya Circle. Although the craze for boating has reduced in Udaipur a bit, the kid in us still enjoys this place.

Things only an Udaipurite can relate to
Picture by: ravijune

While every city is beautiful, there’s no place like Udaipur. What connects you to Udaipur? Tell me in the comment section below, I’ll be glad to hear.

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Travel

7 reasons why Udaipur should be your next travel destination

Udaipur, Venice of the east is an exotic and picturesque city that witnesses thousands of tourists throughout the year. The city has a magical vibe that attracts people towards itself from all over the world. Although, the best time to visit Udaipur is Monsoon, even in the heat of blazing sun each and every day spent in the city of lakes is mystical and absolutely worth it.

Although there are a thousand reasons to visit Udaipur, still we give you 8 best reasons that why it should be your next travel destination.

Let’s get started.

The first and the most obvious-

 

1. City of lakes-

A still of Lake Pichola

City of lakes seems to be a synonym of Udaipur. The beautiful and magnificent lakes are the soul of Udaipur and act as a major tourist attraction. The scenic backdrop of shimmering lakes embodies the essence of tourists in this city. Must visit lakes are Fatehsagar lake, Lake Pichola, Badi lake and Udai Sagar lake.

These lakes are often crowded as people of all ages visit them during and morning and evening for a walk and to chill.

2. Larger than life hotels-

The Oberoi Udaivilas

Want your stay to be memorable and lavish at the same time? Well, Udaipur hotels are the perfect option for you. The hospitality and architecture of the hotels are a class apart. The palatial hotels speak of glorious past, the flickering of sunshine on the beautiful lakes makes it a paradise for every tourist.

Even the budget hotels situated in old city will give you a stunning view from your window. Some of the best hotels include Taj Lake Palace, The Oberoi Udaivilas, Jag Mandir Palace, Leela Palace, Chunda Palace, Ramada and The Lalit.

3. Sumptuous temples-

Jagdish temple

Many people are not aware of the fact that Udaipur is also famous for its temples. These temples are not merely just about worship but the architecture and history behind these temples have a story to tell. Some temples like Neemach Mata and Karni Mata give a bird’s eye view of the city. While temples like Ekling Ji and Jagdish Mandir depict the true history of Mewar rulers and the city.

For further information on temples in Udaipur, click here

4. The Land of Forts and Palaces-

City Palace, Udaipur

A journey to the land of forts and palace where everything is soaked into royal ambiance. If you are a history buff just like me then Udaipur is a definite visit for you. The Forts and Palaces depict the Vellore and raw beauty of Mewar. Prominent Forts and Palaces to visit are-

City Palace

Kumbhalgarh Fort

Monsoon Palace

Bagore Ki Haveli

5. Mouth Watering food-

Daal Bati, Traditional Rajasthani food

The city is home to restaurants that serve delicious and mouth-watering food. Udaipur has some of the best ‘dinner with a view’ restaurants which allows you to dine by the lakeside where you can enjoy the meal as well as lake view side by side.

I recommend you to try the traditional Rajasthani food at least once on your trip to Udaipur and trust me you won’t regret it.

6. A perfect destination for Shopaholics-

source: Travel Triangle

If you are in Udaipur than there is some serious shopping to be done. The local market of Udaipur is a delight and it highlights the ethnic culture of the city in its work. Although there is a big list of items to be bought popular things include Journals, handicrafts, Painting and sculptures, turbans, Traditional Rajasthani attires.

For more info. related to shopping in Udaipur click here.

7. Exploring nearby destinations-

Kumbhalgarh Fort.

Lastly, if you have some free time left than you also have an option of traveling to destinations like Kumbhalgarh, Chittorgarh, Haldi Ghati, Ranakpur and Nathadwara which are only an hour or two rides from Udaipur.

Udaipur’s royalty, rich culture, and heritage, vibrancy and hospitality will make you fall in love with this city instantly.

These were just 7 out of innumerable reasons that why Udaipur should be your next travel getaway.

We hope to see you soon in Udaipur.

Till then, Happy travelling.

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History and Culture

पन्ना धाय के बलिदान की कहानी

चित्तौड़गढ़ के इतिहास में जहाँ पद्मिनी के जौहर की अमरगाथाएं, मीरा के भक्तिपूर्ण गीत गूंजते हैं वहीं पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी भी अपना अलग स्थान रखती है।

बात तब की है‚ जब चित्तौड़गढ़ का किला आन्तरिक विरोध व षड्यंत्रों में जल रहा था। मेवाड़ का भावी राणा उदय सिंह किशोर हो रहा था। तभी उदयसिंह के पिता के चचेरे भाई बनवीर ने एक षड्यन्त्र रच कर उदयसिंह के पिता की हत्या महल में ही करवा दी तथा उदयसिंह को मारने का अवसर ढूंढने लगा। उदयसिंह की माता को संशय हुआ तथा उन्होंने उदय सिंह को अपनी खास दासी व उदय सिंह की धाय पन्ना को सौंप कर कहा कि,

“पन्ना अब यह राजमहल व चित्तौड़ का किला इस लायक नहीं रहा कि मेरे पुत्र तथा मेवाड़ के भावी राणा की रक्षा कर सके‚ तू इसे अपने साथ ले जा‚ और किसी तरह कुम्भलगढ़ भिजवा दे।”

पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना  पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ में हुआ था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘धाय माँ’ कहलाई थी। पन्ना का पुत्र चन्दन और राजकुमार उदयसिंह साथ-साथ बड़े हुए थे। उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान पाला था। पन्नाधाय ने उदयसिंह की माँ रानी कर्मावती के सामूहिक आत्म बलिदान द्वारा स्वर्गारोहण पर बालक की परवरिश करने का दायित्व संभाला था। पन्ना ने पूरी लगन से बालक की परवरिश और सुरक्षा की। पन्ना चित्तौड़ के कुम्भा महल में रहती थी।

चित्तौड़  का शासक, दासी का पुत्र बनवीर बनना चाहता था। उसने राणा के वंशजों को एक-एक कर मार डाला। बनवीर एक रात महाराजा विक्रमादित्य की हत्या करके उदयसिंह को मारने के लिए उसके महल की ओर चल पड़ा। एक विश्वस्त सेवक द्वारा पन्ना धाय को इसकी पूर्व सूचना मिल गई। पन्ना राजवंश और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थी व उदयसिंह को बचाना चाहती थी। उसने उदयसिंह को एक बांस की टोकरी में सुलाकर उसे झूठी पत्तलों से ढककर एक विश्वास पात्र सेवक के साथ महल से बाहर भेज दिया। बनवीर को धोखा देने के उद्देश्य से अपने पुत्र को उदयसिंह के पलंग पर सुला दिया। बनवीर रक्तरंजित तलवार लिए उदयसिंह के कक्ष में आया और उसके बारे में पूछा। पन्ना ने उदयसिंह के पलंग की ओर संकेत किया जिस पर उसका पुत्र सोया था। बनवीर ने पन्ना के पुत्र को उदयसिंह समझकर मार डाला। पन्ना अपनी आँखों के सामने अपने पुत्र के वध को अविचलित रूप से देखती रही। बनवीर को पता न लगे इसलिए वह आंसू भी नहीं बहा पाई। बनवीर के जाने के बाद अपने मृत पुत्र की लाश को चूमकर राजकुमार को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए निकल पड़ी। स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना धन्य हैं! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी आँखों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया।

Source: gyandarpan

पुत्र की मृत्यु के बाद पन्ना उदयसिंह को लेकर बहुत दिनों तक सप्ताह शरण के लिए भटकती रही पर दुष्ट बनबीर के खतरे के डर से कई राजकुल जिन्हें पन्ना को आश्रय देना चाहिए था, उन्होंने पन्ना को आश्रय नहीं दिया। पन्ना जगह-जगह राजद्रोहियों से बचती, कतराती तथा स्वामिभक्त प्रतीत होने वाले प्रजाजनों के सामने अपने को ज़ाहिर करती भटकती रही। कुम्भलगढ़ में उसे यह जाने बिना कि उसकी भवितव्यता क्या है शरण मिल गयी। उदयसिंह क़िलेदार का भांजा बनकर बड़ा हुआ। तेरह वर्ष की आयु में मेवाड़ी उमरावों ने उदयसिंह को अपना राजा स्वीकार कर लिया और उसका राज्याभिषेक कर दिया। उदय सिंह 1542 में मेवाड़ के वैधानिक महाराणा बन गए।

 

आईये उस महान वीरता से परिपूर्ण पन्ना की कहानी को इस कविता के माध्यम से समझते है ।।

चल पड़ा दुष्ट बनवीर क्रूर, जैसे कलयुग का कंस चला

राणा सांगा के, कुम्भा के, कुल को करने निर्वश चला

 

उस ओर महल में पन्ना के कानों में ऐसी भनक पड़ी

वह भीत मृगी सी सिहर उठी, क्या करे नहीं कुछ समझ पड़ी

 

तत्क्षण मन में संकल्प उठा, बिजली चमकी काले घन पर

स्वामी के हित में बलि दूंगी, अपने प्राणों से भी बढ़ कर

 

धन्ना नाई की कुंडी में, झटपट राणा को सुला दिया

ऊपर झूठे पत्तल रख कर, यों छिपा महल से पार किया

 

फिर अपने नन्हें­मुन्ने को, झट गुदड़ी में से उठा लिया

राजसी वसन­भूषण पहना, फौरन पलंग पर लिटा दिया

 

इतने में ही सुन पड़ी गरज, है उदय कहां, युवराज कहां

शोणित प्यासी तलवार लिये, देखा कातिल था खड़ा वहां

 

पन्ना सहमी, दिल झिझक उठा, फिर मन को कर पत्थर कठोर

सोया प्राणों­का­प्राण जहां, दिखला दी उंगली उसी ओर

 

छिन में बिजली­सी कड़क उठी, जालिम की ऊंची खड्ग उठी

मां­मां मां­मां की चीख उठी, नन्हीं सी काया तड़प उठी

 

शोणित से सनी सिसक निकली, लोहू पी नागन शांत हुई

इक नन्हा जीवन­दीप बुझा, इक गाथा करुण दुखांत हुई

 

जबसे धरती पर मां जनमी, जब से मां ने बेटे जनमे

ऐसी मिसाल कुर्बानी की, देखी न गई जन­जीवन में

 

तू पुण्यमयी, तू धर्ममयी, तू त्याग­तपस्या की देवी

धरती के सब हीरे­पन्ने, तुझ पर वारें पन्ना देवी

तू भारत की सच्ची नारी, बलिदान चढ़ाना सिखा गयी

तू स्वामिधर्म पर, देशधर्म पर, हृदय लुटाना सिखा गयी

सत्य नारायण गोयंका

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Travel

Maharana Pratap Airport | Flights to and from Udaipur

Udaipur is well connected by roads, railways, and air. Every year lacs of tourist flock to the City of Lakes and if you too are planning to spend your vacations here then this article will come handy. Udaipur has a domestic airport named after the famous Mewar ruler, Maharana Pratap and is called the Maharana Pratap Airport after him.

It is also colloquially known as Dabok Airport as it is located in the area called Dabok. The airport is spread over an area of 500 acres with the new terminal building covering 2,500 square meters. It was a military airport used for transportation of ammunition to the soldiers. The Dabok Airport is reputed for the ILS system that is used by the ATC (air traffic control).

Major Flights from Udaipur

Destination City Time Taken
New Delhi (DEL) 1h
Mumbai (BOM) 1h 20m

 

Jaipur (JPR) 1h

 

Chennai (MAA) 2h 35m


I
nformation About All the Flights

The Maharana Pratap Airport is well-connected to major cities of India including Mumbai, Delhi, Jaipur, and Kolkata, Goa, Cochin, Ahmedabad, Bengaluru, and Chennai.

You can see the arrival and departure timings HERE

Maharana Pratap Airport Terminals

  • One boarding gate on the ground level
  • Two aerobridges on the first level
  • The total area of the terminal is 12,000 square meters
  • 6 check-ins and 3 security counters.
  • The capacity of the domestic terminal is 300 each for departures and arrivals.
  • Chartered airlines provide services for the Indian Air Force and the Border Security Forces.

Services and Facilities at the Maharana Pratap Airport

  • Free trolleys
  • Childcare room
  • Wheelchairs and other medical facilities
  • ATM services and phone booths
  • Tourist information center

Distance from the City

The Maharana Pratap Airport is located at a distance of 22 km from the city center.

How to Reach the Airport

Public, as well as private taxis or cabs, can be taken to reach the airport.

Location

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History and Culture

जाने मेवाड़ी संत कवि चतुर सिंह जी बावजी के बारे में

हम सभी ने अपने-अपने शिक्षकों अथवा घर के बड़े बुजुर्गों से महाराज चतुर सिंह के बारे में तो सुना ही होगा, व उनके दोहे एवं शेर भी सुने होंगे । आईये जानते हैं उन महान मेवाड़ी कवि संत चतुर सिंह जी बावजी के बारे में ।

महाराज चतुर सिंह जी बावजी मेवाड़ के लोक संत के रूप में जाने जाते हैं, इन्हें चतर सिंह जी बावजी भी कहते हैं ।       इनका जन्म 9 फरवरी 1880 को हुआ था , अर्थात (विक्रम संवत सन 1936 माघ शुक्ला चतुर्दशी)। योगीवर्य महाराज चतुरसिंह जी मेवाड़ की भक्ति परम्परा के एक परमहंस व्यक्तित्व थे । इस संत ने लोकवाणी मेवाड़ी के माध्यम से अपने अद्भुत विचारों को साहित्य द्वारा जन-जन के लिए सुलभ बनाया। इनके लेखन की विशेषता यह थी की यह अत्यंत गूढ़ से गूढ़ बातों को आसान शब्दो में बयां कर देते थे।

Chatur Singh ji Bawji | Udaipurblog
Chatur Singh ji Bawji

बावजी का जन्म एक राजपरिवार में हुआ था, इनकी माता रानी कृष्ण कँवर एवं पिता श्री सूरत सिंह थे। इनका जन्म स्थान कर्जली उदयपुर था । इनके गुरु ठाकुर गुमान सिंह जी सारंगदेवोत थे, जो कि लक्ष्मणपुरा से थे।

चतुर सिंह जी बावजी ने लगभग 21 छोटे बड़े ग्रंथो की रचना की। जिनमे से मेवाड़ी बोली में लिखी गईं गीता पर गंगा-जलि एवं चंद्र शेखर स्त्रोत  विश्व प्रसिद्ध  हैं। –

  1. अलख पचीसी
  2. तू ही अष्टक
  3. अनुभव प्रकाश
  4. चतुर प्रकाश
  5. हनुमत्पंचक
  6. अंबिका अष्टक
  7. शेष चरित्र
  8. चतुर चिंतामणि: दोहावाली/पदावली
  9. समान बत्तीसी
  10. शिव महिम्न स्त्रोत
  11. चंद्रशेखर स्त्रोत
  12. श्री गीता जी
  13. मानव मित्र राम चरित्र
  14. परमार्थे विचार 7 भाग
  15. 15. ह्रदय रहस्य
  16. बालकारी वार
  17. बालकारी पोथी
  18. लेख संग्रह
  19. सांख्यकारिका
  20. तत्व समास
  21. योग सूत्र

 

चंद्रधारक चंद्रधारक चंद्रधारक पालजे, चंद्रधारक चंद्रधारक चंद्रधारक राखजे

रत्न पर्वत धनुष कीधो मुठ रूपागिर कर्यो,करयौ वासक नाग डोरो  बाण अग्नि विष्णु रो ।।

बालन्हान्यो त्रिपुर पल में देवता वंदन करे , चन्द्रधारक आसरे मु काल मारो कई करें ।।

 

चंद्रधारक चंद्रधारक चंद्रधारक पालजे, चंद्रधारक चंद्रधारक चंद्रधारक राखजे

      मादा हाथी री मनोहर ओढ राखी खाल ने,विष्णु ब्रम्हा चरण कमला में जणीरे  धोग दे।।

     जटा गंगा री तरंगा सु सदा भीजि रहे, चन्द्रधारक आसरे मु काल मारो कई करें ।।

 

उनकी रचनाओं में ईश्वर ज्ञान और लोक व्यवहार का सुन्दर मिश्रण है। कठिन से कठिन ज्ञान तत्व को हमारे जीवन के दैनिक व्यवारों के उदाहरणों से समझाते हुए सुन्दर लोक भाषा में इस चतुराई से ढाला है कि उनके गीत, उनमें बताई गई बात एक दम गले उतर कर हृदय में जम जाती हैं, मनुष्य का मस्तिष्क उसे पकड़ लेता है।

 

एक बात और है। बावजी चतुर सिंहजी के गीत और दोहे जीवन की हर घड़ी, विवाह-शादी, समारोह, आदि अवसरों पर गाये-सूनाये जाने योग्य है। उन्हें सुनने, सुनाने वाले के मन भी शान्ती, शुध्दता और नई रोशनी मिलती है।

 

आप सभी सज्जनों से निवेदन हैं कि इस महान् सन्त कवि बावजी चतुर सिंहजी की कविताओं को पढ़े अन्य बालक बालिकाओं और लोगों को पढ़ावे और समाज में अधिक से अधिक प्रचार कर लोगों के मन और मस्तिष्क को नया ज्ञान, पृकाश, ओर नया आनन्द दे।

प्रस्तुत है बावजी की कुछ रचनाएँ ।।

 

कोई केवे मु करु कोई केवे राम

न्यारा न्यारा कोई नि मु मारो राम ।।

 

रेंट फरे चरख्योफरे पण फरवा में फेर।

वो तो वाड हर्यो करे ,वी छूता रो ढेर ।।

 

धरम रा गेला री गम नी है, जीशूँ अतरी लड़ा लड़ी है ।।

शंकर, बद्ध, मुहम्मद, ईशा, शघलां साँची की’ है ।

अरथ सबांरो एक मिल्यो है, पण बोली बदली है।।

 

आप आपरो मत आछो पण, आछो आप नहीं है।

आप आपरा मत री निंदा, आप आप शूं व्ही है।।

 

नारी नारी ने जाणे, पर नर सू अणजाण ।

जाण व्हियां पे नी जणे, उद्या अलख पहचाण ।।

 

कृष्ण कूख तें प्रकट भे, तेज लच्छ हिमतेस।

ब्रहम्मलीन हैं चतुर गुरु, चतुर कुँवर सुरतेस॥

 

मानो के मत मानो, केणो मारो काम।

कीका डांगी रे आँगणे, रमता देखिया राम॥

पर घर पग नी मैलणो, बना मान मनवार। अंजन आवै देखनै, सिंगल रो सतकार॥

ऊँध सूधने छोड़ने, करणो काम पछाण। कर ऊँधो सूँधो घड़ो, तरती भरती दाँण॥

भावै लख भगवंत जश, भावे गाळाँ भाँड। द्वात कलम रो दोष नी, मन व्हे’ ज्यो ही मांड ।।

 

पगे पगरखी गांवरी, ऊँची धोती पैर। कांधे ज्ञान पछेवड़ो, चतुर चमक चहुँफेर॥

 

 

 जय महाराज चतुर सिंह बावजी  की ।।

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Food

14 Places To Have The Best Pani Puri in Udaipur

When we think of eating Indian street food, Pani Puri is the first thing that comes to our mind and within no time does it make our mouths salivate! Pani Puri is the signature Indian chowpaty dish and the most loved delicacy in almost every part of the country. It is known by various names like Puchka, Pani Patashe, Gol Gappe, Phulki, Patashi, etc. in different parts of the country.

Go to any place and there’s one thing you are surely gonna find; these palatable deep fried little bowls made of wheat or semolina (suji), filled with all kinds of crunchy mouth-watering fillings and tangy sauces that leave a lasting flavor on your taste-buds. Pani Puri is more like an addiction for Indians and every street food sojourn in incomplete without gulping down at least one pani puri. Well, one is obviously never enough!

The taste and flavors of Pani Puri vary from region to region and yet they never fail to hypnotize the taste-buds of each one of us. Udaipurites have a crazy inclination towards pani puri and almost every major street in the city has dozens of pani puri sellers lined-up to satisfy your desi-food cravings.

Although it seems like a Herculean task to mention each and every pani puri seller of the city, we still tried our best and made note of some of the best ones in town. Here’s a list:

1. Shreenath Chaat Center

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

One of the most famous pani puri vendors in town. They serve a lip-smacking variety of street food and you can always find a lot of people binging on pani puris here.

Location: Shakti Nagar corner, Ashok Nagar Main Road, in front of Shree Ambe Mata Mandir

Varieties served: Bhel Puri, Dahi Puri, Chole Tikiya, Pani Puri

2. Chotu Bhai Chaat Wala

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Another famous stall at the Sukhadia Circle chowpaty serving delectable varieties. One of the most popular choice for residents as well as tourists for eating pani puri.

Location: Sukhadia Circle Chowpaty

Varieties served: Bhel Puri, Dahi Puri, Chole Tikiya, Pani Puri, Chinese food items

3. Bhole Chaat and Fast Food

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Another prominent pani puri seller at Sukhadia Circle also famous for South Indian food and other varieties.

Location: Sukhadia Circle Chowpaty

Varieties served: Bhel Puri, Dahi Puri, Chole Tikiya, Pani Puri, South Indian food items

4. Shree G Gujarat Pani Puri

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

A one-of-its-kind pani puri stall serving six different types of ‘pani’ along with deliciously filled crunchy puris.

Location: Sukhadia Circle, Opp. Big Bazaar

Varieties served: Pani Puri with 6 different types of pani

5. Sawariya Chaat Center

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Location: Ashok Nagar Main Road, Outside T.R.I

Varieties served: Bhel Puri, Sev Puri, Aloo Tikki, Pani Puri

6. Purnima Chaat

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Location: Bapu Bazar Main Road, in front of Peter England Showroom

Varieties served: Chole Tikiya, Pani Puri, Dahi Puri, Chowmein, Paneer Chilly, Pav Bhaji, etc.

7. Bhawani Chaat Corner

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Bapu Bazar Main Road, Near Brand Corner

Varieties served: Bhel Puri, Sev Puri, Aloo Tikki, Pani Puri

8. Jodhpur Mishthan Bhandar

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Opp. Town Hall, Udaipur

Varieties served: Bhel Puri, Sev Puri, Chole Tikki, Pani Puri

9. Shri Santosh Chaat Corner

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: RMV road, Gulab Baagh

Varieties served: Bhel Puri, Chole Tikiya, Pani Puri

10. Ganesh Chaat Center

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Math Road, Bhopalpura

Varieties served: Dahi Puri, Aloo Tikki, Pani Puri

11. Payal Chaat Center

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Ahead of Ayad Puliya, Opp. A-One Sr. Sec. School

Varieties served: Bhel Puri, Dahi Puri, Aloo Tikki, Pani Puri, Pav Bhaji, Faluda

12. Sahu Chaat Center

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Shastri Circle, outside V-Mart

Varieties served: Bhel Puri, Sev Puri, Pani Puri

13. Radhika Chaat

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Ashwani Bazaar, in front of Hospital Gate

Varieties served: Sev Puri, Chole Tikiya, Pani Puri

14. Gokul Chaat Center

Craving Pani Puri? Here's a list of some places to go to

Location: Maldas Street, near Jain Temple

Varieties served: Dahi Puri, Aloo Tikki, Pani Puri

There are many other street-side vendors serving pani puri at every nook and corner of the city such as 100 ft. road, Durga Nursery road, etc.

How many of these have you tried yet?

Tell us about your experience in the comments below. I would love to hear from you.

Happy Eating!