उदयपुर का इतिहास बहुत ही सुनहरा रहा है ये बात तो हम सभी जानते ही है। इस सुनहरे इतिहास को बनाने वालों की लिस्ट बड़ी लंबी है। कई बार हम उसे पूरा नहीं होने देते है और उदयपुर का नाम आती ही अक्सर बात को रजवाड़ों या उनके इर्द-गिर्द ही सिमित कर देते है। उसी लिस्ट में से आज हम आपको मिलवाने जा रहे है उदयपुर में जन्में वैज्ञानिक दौलत सिंह कोठारी से।
सन् 1906, उदयपुर में जन्में दौलत सिंह कोठारी न सिर्फ विख्यात वैज्ञानिक थे इसके साथ वह एक जाने-मने शिक्षाविद भी थे। उनकी महानता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय में उनके नाम पर रिसर्च सेंटर का नाम रखा गया है। D.S. Kothari Research Centre, Miranda House, Delhi University.
दौलत सिंह कोठारी का जन्म 6 जुलाई 1906 को उदयपुर में हुआ। उनकी शुरूआती पढ़ाई उदयपुर और इंदौर के स्कूलों में हुई। बाद में मास्टर्स के लिए वे ‘इलाहबाद यूनिवर्सिटी’ चले गए। जहां इन्होने मेघनाद साहा के नेतृत्व में अपनी पढ़ाई पूरी की। इन्होने अपनी पीएचडी विश्वप्रसिद्ध ‘कैंब्रिज यूनिवर्सिटी’ से की। जहाँ उनके गुरु ‘अर्नेस्ट रदरफोर्ड’ थे। साइंस स्ट्रीम से अपनी पढाई करने वालों के लिए अर्नेस्ट रदरफोर्ड कोई अनजाना नाम नहीं है। फिर भी अगर आप उन्हें नहीं जानते है तो शायद आपने ग्याहरवी और बाहरवी अच्छे से नहीं पढ़ी है।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे भारत लौटे तो उन्होंने ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ में प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए और बाद में हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट, फिजिक्स रहे। ये बात है सन् 1931 से सन् 1961 के बीच की। इस दौरान सन् 1948 से 1961 तक वे मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में साइंटिफिक एडवाइजर भी रहे। सन् 1961 में उन्हें यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के चेयरमैन पद पर नियुक्त किया गया। जहां इनका कार्यकाल सन् 1973 तक चला। 1964-66 के दौरान एजुकेशन कमीशन के चेयरमैन पद पर रहते हुए उन्होंने कोठारी कमीशन निकाला जो कि जिसमें देश में पहली बार एजुकेशन सेक्टर के लिए मॉडर्नाइज़ेशन और स्टेंडरडाइज़ेशन जैसे शब्दों को देश की ज़रूरत बताया।
उनके उपलब्धियों और सम्मनों पर एक नज़र:
- 1963 में इंडियन साइंस कांग्रेस के गोल्डन जुबली समारोह में अध्यक्ष पद पर रहे।
- 1973 में इंडियन नेशनल साइंस अकादमी के अध्यक्ष पद पर चुने गए।
- स्टैटिस्टिकल थर्मोडायनामिक्स पर रिसर्च और वाइट ड्वार्फ स्टार्स थ्योरी से उन्हें विश्व में पहचान मिली।
- 1962 में पद्म भूषण।
- 1973 में पद्म विभूषण से सम्मानित।
- सन् 2011 में डिपार्टमेंट ऑफ़ पोस्ट्स ने उनके नाम का पोस्ट जारी किया।
- दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक बॉयज हॉस्टल का नाम उनके नाम पर है।
- मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में भी हॉस्टल और ऑडिटोरियम का नाम उन्ही के नाम पर रखा गया है।
उम्मीद है आपको ये सब पढ़कर अच्छा लगा होगा। हम आगे भी कुछ ऐसी ही शख्सियत से आपको रूबरू करवाएंगे। तब तक के लिए अलविदा।