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Planning a one-day Udaipur trip? Here’s a list of some must visit places

Udaipur has an unparalleled splendor and remains one of the most beautiful cities in the world. It is a city famous for its bewitching architecture, scrumptious Rajasthani cuisine, and striking monuments that hold rich history behind its walls. Such is the charm of the city that a one-day visit seems incomplete just by the mention of it. There are simply so many places to explore in and around the city and each place is so alluring, it feels as if it just doesn’t want to let go of you.

Millions of tourists travel to the beautiful City of Lakes every year to find out what the fuss is all about, and much to their amazement, go back with a truckload of memories and stories worth giving an ear to! It is one of the most sought-after places for travel enthusiasts and a popular backpacking destination as well.

Planning a one-day Udaipur trip? Here's a list of some must visit places
Source – Trans India Travels

Most of the tourists visiting Udaipur throughout the year are backpackers and budget travelers who visit the city for merely a day and search for places to go to that can make their traveling videos and photo albums a lot more colorful. Well, Udaipur never disappoints, and for the same purpose, we have come up with a list of places you must visit during a day’s trip (supposedly, morning to evening). Have a look:

1. Fatehsagar Lake:

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Source – Welcome2Rajasthan

A trip to Udaipur would be a trip in vain if you do not visit the majestic lakes in the City of Lakes! You must not miss the sight of the rising Sun and the tranquility that is during morning around these lakes. The sound of the chirping birds and water hitting the shore is soothing and with a plate of ‘Poha’ and sizzling hot ‘Chai’ (tea), should you even ask for more? You can spend the morning hours here as well as at Lake Pichola overlooking the City Palace, Jag Mandir, and Lake Palace from Karni Mata as the rest of the city becomes operational mostly after Ten.

2. The City Palace Museum:

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Source – Rajasthan

And to take a deeper look into the rich history of Mewar kingdom and all of its rulers, a trip to the Palace is a must. After you have had your breakfast, you must move on to the City Palace complex. The City Palace complex is a splendid example of Rajasthani architecture and the cultural heritage of Mewar built by Maharana Udai Singh II. A visit to the museum typically takes 2-3 hours and entry to the museum is chargeable at a fee of ₹300 for adults and ₹100 for children aged 5-18. The museum opens at 0900 hours and closes at 1730 hours. Also, check out Palki Khana Restaurant inside the palace complex.

3. Sajjan Garh (Monsoon Palace):

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Source – Tripsbank

Painted with white artistic domes on top of a hill is the glorious Monsoon Palace. It is named after Maharana Sajjan Singh Ji who built the palace chiefly to visit during the Monsoon season. It provides a panoramic view of the city and surroundings which a delightful sight. A visit here takes 2-3 hours and entry to this Palace is at a nominal cost of ₹80-90 for each person whereas vehicles are charged too. The preferred timing to visit Sajjangarh is from 1000 hours to 1700 hours. You can also visit the Sajjangarh Biological Park and Zoo located at the foot of the hill.

4. Old City Tour and Shopping:

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Source – one2all.co.in

A visit to Udaipur is incomplete without some shopping from the local markets. Udaipur is famous for wooden handicrafts, traditional jewelry, brassware, pagadis (turban), mojadis (ethnic footwear), leather items, etc. Visit these local markets at Hathipole, Bapu Bazaar, and Palace road and treat yourself with some amazing collection of items from the local nearby villages. Don’t forget to treat your taste buds with some lip-smacking Rajasthani food as well. And don’t worry if you are left with some more time, try visiting Jagdish Temple, Vintage Car Museum, Bagore ki Haveli, Maharana Pratap Smarak (memorial), you will be left in awe!

5. Dinner by the Lake – ending it in style!

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Source – Travel Triangle

As the day closes to an end, there is one thing that will haunt you for the rest of your lives if not done, while in Udaipur, and that is a blissful candle-lit dinner by the lakeside overlooking the City Palace as it lights up in all its glory. There are several lake-facing restaurants by Pichola serving cuisines from all over the world with an ambiance worth every penny that you shell out. Dig in at any of these places and don’t forget to click pictures as you are definitely going to be making this trip, a trip of your lifetime!

A lot remains unexplored during this one-day trip to Udaipur. Take out some time and come back soon because one visit just ain’t enough!

Tell us how your trip to Udaipur was and share your memories with us. I will be glad to see all of them!

Have a great day.

 

 

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History and Culture

राणा सांगा :- नाम ही काफी है !!

मेवाड़ योद्धाओं की भूमि है, यहाँ कई शूरवीरों ने जन्म लिया और अपने कर्तव्य का प्रवाह किया । उन्ही उत्कृष्ट मणियों में से एक थे राणा सांगा । पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह । वैसे तो मेवाड़ के हर राणा  की तरह इनका  पूरा जीवन भी युद्ध के इर्द-गिर्द ही बीता लेकिन इनकी कहानी थोड़ी अलग है । एक हाथ , एक आँख, और एक पैर के पूर्णतः क्षतिग्रस्त होने के बावजूद इन्होंने ज़िन्दगी से हार नही मानी और कई युद्ध लड़े ।

ज़रा सोचिए कैसा दृश्य रहा होगा जब वो शूरवीर अपने  शरीर मे 80 घाव होने के  बावजूद, एक आँख, एक  हाथ और एक पैर पूर्णतः क्षतिग्रस्त होने  के  बावजूद  जब  वो लड़ने जाता था ।।

कोई योद्धा, कोई दुश्मन इन्हें मार न सका पर जब कुछ अपने ही विश्वासघात करे तो कोई क्या कर सकता है । आईये जानते है ऐसे अजयी मेवाड़ी योद्धा के बारे में, खानवा के युद्ध के बारे में एवं उनकी मृत्यु के पीछे के तथ्यों के बारे में।

rana sanga mewar warrior | udaipurblog

परिचय –

राणा रायमल के बाद सन् 1509 में राणा सांगा मेवाड़ के उत्तराधिकारी बने। इनका शासनकाल 1509- 1527 तक रहा । इन्होंने दिल्ली, गुजरात, व मालवा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की बहादुरी से ऱक्षा की। उस समय के वह सबसे शक्तिशाली राजा थे । इनके शासनकाल में मेवाड़ अपनी समृद्धि की सर्वोच्च ऊँचाई पर था। एक आदर्श राजा की तरह इन्होंने अपने राज्य की  रक्षा तथा उन्नति की।

राणा सांगा अदम्य साहसी थे । इन्होंने सुलतान मोहम्मद शासक माण्डु को युद्ध में हराने व बन्दी बनाने के बाद उन्हें उनका राज्य पुनः उदारता के साथ सौंप दिया, यह उनकी बहादुरी को दर्शाता है। बचपन से लगाकर मृत्यु तक इनका जीवन युद्धों में बीता। इतिहास में वर्णित है कि महाराणा संग्राम सिंह की तलवार का वजन 20 किलो था ।

 

सांगा के युद्धों का  रोचक इतिहास  –

*  महाराणा सांगा का राज्य दिल्ली, गुजरात, और मालवा के मुगल  सुल्तानों के राज्यो से घिरा हुआ था। दिल्ली पर सिकंदर लोदी, गुजरात में महमूद शाह बेगड़ा और मालवा में नसीरुद्दीन खिलजी सुल्तान थे। तीनो सुल्तानों की सम्मिलित शक्ति से एक स्थान पर महाराणा ने युद्ध किया फिर भी जीत महाराणा की हुई। सुल्तान इब्राहिम लोदी से बूँदी की सीमा पर खातोली के मैदान में वि.स. 1574 (ई.स. 1517) में युद्ध हुआ। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी पराजित हुआ और भाग गया। महाराणा की एक आँख तो युवाकाल में भाइयो की आपसी लड़ाई में चली गई थी और इस युद्ध में उनका दाया हाथ तलवार से कट गया तथा एक पाँव के घुटने में तीर लगने से सदा के लिये लँगड़े हो गये थे।rana sanga mewar warrior | udaipurblog

* महाराणा ने गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर को लड़ाई में ईडर, अहमदनगर एवं बिसलनगर में परास्त कर अपने अपमान का बदला लिया अपने पक्ष के सामन्त रायमल राठौड़ को ईडर की गद्दी पर पुनः बिठाया।

अहमदनगर के जागीरदार निजामुल्मुल्क ईडर से भागकर अहमदनगर के किले में जाकर रहने लगा और सुल्तान के आने की प्रतीक्षा करने लगा । महाराणा ने ईडर की गद्दी पर रायमल को बिठाकर अहमद नगर को जा घेरा। मुगलों ने किले के दरवाजे बंद कर लड़ाई शुरू कर दी। इस युद्ध में महाराणा का एक नामी सरदार डूंगरसिंह चौहान(वागड़) बुरी तरह घायल हुआ और उसके कई भाई बेटे मारे गये। डूंगरसिंह के पुत्र कान्हसिंह ने बड़ी वीरता दिखाई। किले के लोहे के किवाड़ पर लगे तीक्ष्ण भालों के कारण जब हाथी किवाड़ तोड़ने में नाकाम रहा , तब वीर कान्हसिंह ने भालों के आगे खड़े होकर महावत को कहा कि हाथी को मेरे बदन पर झोंक दे। कान्हसिंह पर हाथी ने मुहरा किया जिससे उसका शरीर भालो से छिन छिन हो गया और वह उसी क्षण मर गया, परन्तु किवाड़ भी टूट गए। इससे मेवाड़ी  सेना में जोश बढा और वे नंगी तलवारे लेकर किले में घुस गये और मुगल  सेना को काट डाला। निजामुल्मुल्क जिसको मुबारिजुल्मुल्क का ख़िताब मिला था वह भी बहुत घायल हुआ और सुल्तान की सारी सेना तितर-बितर होकर अहमदाबाद को भाग गयी।

* माण्डू के सुलतान महमूद के साथ वि.स्. 1576 में युद्ध हुआ जिसमें 50 हजार सेना के साथ महाराणा गागरोन के राजा की सहायता के लिए पहुँचे थे। इस युद्ध में सुलतान महमूद बुरी तरह घायल हुआ। उसे उठाकर महाराणा ने अपने तम्बू पहुँचवा कर उसके घावो का इलाज करवाया। फिर उसे तीन महीने तक चितौड़ में कैद रखा और बाद में फ़ौज खर्च लेकर एक हजार राजपूत के साथ माण्डू पहुँचा दिया। सुल्तान ने भी अधीनता के चिन्हस्वरूप महाराणा को रत्नजड़ित मुकुट तथा सोने की कमरपेटी भेंट स्वरूप दिए, जो सुल्तान हुशंग के समय से राज्यचिन्ह के रूप में वहाँ के सुल्तानों के काम आया करते थे। बाबर बादशाह से सामना करने से पहले भी राणा सांगा ने 18 बार बड़ी बड़ी लड़ाईयाँ दिल्ली व् मालवा के सुल्तानों के साथ लड़ी। एक बार वि.स्. 1576 में मालवे के सुल्तान महमूद द्वितीय को महाराणा सांगा ने युद्ध में पकड़ लिया, परन्तु बाद में बिना कुछ लिये उसे छोड़ दिया।

rana sanga mewar warrior | udaipurblog

मीरा बाई से सम्बंध –

महाराणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र का नाम भोजराज था, जिनका विवाह मेड़ता के राव वीरमदेव के छोटे भाई रतनसिंह की पुत्री मीराबाई के साथ हुआ था। मीराबाई मेड़ता के राव दूदा के चतुर्थ पुत्र रतनसिंह की इकलौती पुत्री थी।

बाल्यावस्था में ही उसकी माँ का देहांत हो जाने से मीराबाई को राव दूदा ने अपने पास बुला लिया और वही उसका लालन-पालन हुआ।

मीराबाई का विवाह वि.स्. 1573 (ई.स्. 1516) में महाराणा सांगा के कुँवर भोजराज के साथ होने के कुछ वर्षों बाद कुँवर युवराज भोजराज का देहांत हो गया। मीराबाई बचपन से ही भगवान की भक्ति में रूचि रखती थी। उनका पिता रत्नसिंह राणा सांगा और बाबर की लड़ाई में मारा गया। महाराणा सांगा की मृत्यु के बाद छोटा पुत्र रतनसिंह उत्तराधिकारी बना और उसकी भी वि.स्. 1588(ई.स्. 1531) में मरने के बाद विक्रमादित्य मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। मीराबाई की अपूर्व भक्ति और भजनों की ख्याति दूर दूर तक फैल गयी थी जिससे दूर दूर से साधु संत उससे मिलने आया करते थे। इसी कारण महाराणा विक्रमादित्य उससे अप्रसन्न रहा करते और तरह तरह की तकलीफे दिया करता थे। यहाँ तक की उसने मीराबाई को मरवाने के लिए विष तक देने आदि प्रयोग भी किये, परन्तु वे निष्फल ही हुए। ऐसी स्थिति देख राव विरामदेव ने मीराबाई को मेड़ता बुला लिया। जब जोधपुर के राव मालदेव ने वीरमदेव से मेड़ता छीन लिया तब मीराबाई तीर्थयात्रा पर चली गई और द्वारकापुरी में जाकर रहने लगी। जहा वि.स्. 1603(ई.स्. 1546) में उनका देहांत हुआ।

 

खानवा का युद्ध –

बाबर सम्पूर्ण भारत को रौंदना चाहता था जबकि राणा सांगा तुर्क-अफगान राज्य के खण्डहरों के अवशेष पर एक हिन्दू राज्य की स्थापना करना चाहता थे, परिणामस्वरूप दोनों सेनाओं के मध्य 17 मार्च, 1527 ई. को खानवा में युद्ध आरम्भ हुआ।

इस युद्ध में राणा सांगा का साथ महमूद लोदी दे रहे थे। युद्ध में राणा के संयुक्त मोर्चे की खबर से बाबर के सौनिकों का मनोबल गिरने लगा। बाबर अपने सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए शराब पीने और बेचने पर प्रतिबन्ध की घोषणा कर शराब के सभी पात्रों को तुड़वा कर शराब न पीने की कसम ली, उसने मुसलमानों से ‘तमगा कर’ न लेने की घोषणा की। तमगा एक प्रकार का व्यापारिक कर था जिसे राज्य द्वारा लगाया जाता था। इस तरह खानवा के युद्ध में भी पानीपत युद्ध की रणनीति का उपयोग करते हुए बाबर ने सांगा के विरुद्ध सफलता प्राप्त की। युद्ध क्षेत्र में राणा सांगा घायल हुए, पर किसी तरह अपने सहयोगियों द्वारा बचा लिए गये। कालान्तर में अपने किसी सामन्त द्वारा विष दिये जाने के कारण राणा सांगा की मृत्यु हो गई। खानवा के युद्ध को जीतने के बाद बाबर ने ‘ग़ाजी’ की उपाधि धरण की।

rana sanga mewar warrior | udaipurblog

मृत्यु

खानवा के युद्ध मे राणा सांगा के चेहरे पर एक तीर आकर लगा जिससे राणा मूर्छित हो गए ,परिस्थिति को समझते हुए उनके किसी विश्वास पात्र ने उन्हें मूर्छित अवस्था मे रण से दूर भिजवा दिया एवं खुद उनका मुकुट पहनकर युद्ध किया, युद्ध मे उसे भी वीरगति मिली एवं राणा की सेना भी युद्ध हार गई । युद्ध जीतने की बाद बाबर ने मेवाड़ी सेना के कटे सरो की मीनार बनवाई थी । जब राणा को  होश आने के बाद यह बात पता चली तो वो बहुत क्रोधित हुए उन्होंने कहा मैं हारकर चित्तोड़ वापस नही जाऊंगा उन्होंने अपनी बची-कुची सेना को एकत्रित किया और फिर से आक्रमण करने की योजना बनाने लगे इसी बीच उनके किसी विश्वास पात्र ने उनके भोजन में विष मिला दिया ,जिससे उनकी मृत्यु हो गई ।

 

अस्सी घाव लगे थे तन पे ।

फिर भी व्यथा नहीं थी मन में ।।

जय मेवाड़ !

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Places to Visit

CHUNDA PALACE | Everything You Need to Know about The Magnificent Palace in Udaipur

The beauty of the City of Lakes is not hidden from anyone. The city is lined with greenery and peaceful lakes. Udaipur has become the hub of tourism in the past decade and people from all over the world come to the city in search of beauty and tranquility. As the number of people coming to the city increased, so did the number of hotels. Right now, Udaipur boasts some of the finest and the most luxurious hotels in the entire country. One such beautiful palace turned into a hotel is the Chunda Palace.

Udaipurblog | Chunda Palace
Image Courtesy: Chunda Palace

Thakur Ghanshyam Singh Krishnawat pioneered the marble business in Rajasthan under the name Haveli Marbles starting in 1976. Later, in 1996 he started building a dwelling for himself which he turned into a palatial hotel- today widely known as the Chunda Palace. In the year 2010, Chunda Palace began its operations and if we talk about the current date, the palace has maintained its beauty and has been the epitome of Udaipur’s celebrated past.

Ghyanshyam singh ji

Thakur Ghanshyam Singh Krishnawat has two sons, Veeramdev Singh Krishnawat and Yaduraj Singh Krishnawat, who take care of Chunda Palace now.

Why the name ‘Chunda’ Palace?

Rawat Chunda was the eldest son and the obvious successor of Maharana Lakha of Mewar. Rawat Chunda, however, handed over the throne of Mewar to his younger brother Maharana Mokal but he continued to serve the house of Mewar. Rawat Chunda’s clan is also the ancestral clan of Thakur Ghanshyam Singh Krishnawat.

Veeram dev Singh Krishnawat

 

Yaduraj Singh Krishnawat

The hotel gets its name from Rawat Chunda and hence is known as Chunda Palace.

Inside the Hotel

Chunda Palace preserves a distinct identity and is one of the most revered hotels in Udaipur. The locale in which the palace is situated can be taken as an idyllic one- neighboring Oberoi’s Udai Vilas and Trident.

 Architecture and Interiors

Udaipurblog | Chunda Palace
Image Courtesy: Chunda Palace

20 years hence, the Palace still has its work ongoing- the paintings are still being done on the walls and ceilings. The palace has artwork indigenous to the Mewar region. The artistry on the ceilings is one of a kind and include gold plating with natural colors. Mewar’s Bhitti Chitra Miniature Paintings and glass inlay work can be seen vividly on all the walls and ceilings. The furniture is made of wood, silver, brass and camel bone.

Beautiful chandeliers line the ceiling and a blissful aroma is always filled in the entire Palace.

Staying at Chunda Palace

Udaipurblog | Chunda Palace
Image Courtesy: Chunda Palace

There are in total 46 rooms which are bifurcated as – 30 palace rooms and 16 suites. The largest suite has an area of 1000 square feet which demonstrate the lavishness of the regal life of nobles of Mewar.

The recreation room named Harawal has ample space to accommodate a gathering. It has a silver swing which grabs all the attention.

Udaipurblog | Chunda Palace
Image Courtesy: Chunda Palace

The Rana Chowk or the top terrace promises an enticing view of the entire city and is a perfect spot for a romantic dinner. This place is also ideal for having a wedding function.

Udaipurblog | Chunda Palace
Image Courtesy: Chunda Palace

And not forgetting the Royal Alcoves, which are seven beautifully carved and embellished alcoves near the rooftop pool called Pichola pool. One can have a sumptuous dining experience at the alcoves.

Cuisines at Chunda Palace

Udaipurblog | Chunda Palace
Image Courtesy: Chunda Palace

Chunda Palace offers a multi-cuisine menu at their Royal Cuisine Restaurant that satiates culinary cravings. They also have a live kitchen. Authentic Rajasthani cuisine is served with amicable hospitality which is wondrous.

How to reach

Chunda Palace is 27 km from the airport and 7 km from the Udaipur Railway Station.

For more information

Call: 0294 – 2430252

Email: info@chundapalace.com

Website: www.chundapalace.com

Instagram:@chunda_palace

Location:

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Festivals

All you need to know about the Summer festival in Mount Abu

Mount Abu, popularly known as the summer capital of Rajasthan is a hill station in the Aravalli ranges of the Sirohi district located in western Rajasthan. Blessed with steep rocks, picturesque backdrop, pleasant lakes, pleasant flora and fauna and favorable climate, Mount Abu is a paradise for visitors. The popular hill station attracts millions of tourists throughout the year. Although monsoon and winters are the best time to visit Mount Abu the ambiguous road to Mount Abu catches the eyes every single time when a visit is made.

One can visit mount Abu in summers too especially to witness the Summer festival organized by Rajasthan government, held every year in April month during the occasion of Buddha Poornima. The summer festival is basically celebrated to honor the local people, their rich hospitality, colorful life and their sweet gesture towards all the visitors.

source: Noble house tours

The three-day occasion commences with ballad singing which begins from RTDC Hotel Shikhar and gathers a the exotic Nakki Lake. The audience witnesses the Rajasthani and Gujarati folk dances and music.

Day two and three includes various competition like horse racing, tug of war, CRPF band show, skate race, Panihari Matka Race, Ghoomar and various other fun activities. The most exciting boat race also takes place in the exotic Nakki Jheel which always leads to a nail-biting finish.

Shaam-e-Kawaali

Evening activity includes a Shaam-E-Qawwali musical performance that is enjoyed by the tourists. Festival is closed by a series of dazzling fire workers in the sky that looks stunning.

Other major attractions of Mount Abu:

1. Dilwara temple-

Dilwara temple in Mount Abu

Famous for: Architecture, history, and pilgrimage

Visiting hours: 10 am to 5 pm.

 2. Guru Shikhar-

source: Traveltriangle.com

Famous for: photography, trekking, viewpoint.

Visiting hours: 8 am to 6:30 pm.

 

3. Nakki Lake-

Nakki Jheel Udaipur

Famous for: boat riding, Zorbing, and photography.

Visiting hours: 9:30 am to 6 pm.

 

4. Sunset point-

Sunset point in Mount Abu

Famous for: Viewpoint, photography.

Visiting hours: Sunrise to Sunset.

 

5.  Wildlife Sanctuary-

Wildlife sanctuary in Mount Abu

Famous for: Jeep Safari and Birdwatching.

Tickets: 300 INR for Jeep Safari (per person).

Visiting hours: 9 am to 5:30 pm.

 

Mount Abu is a small yet beautiful hill station and the summer festival is a must visit for everyone. It is a perfect getaway destination for every Udaipurite. So, what are you waiting for? Let the planning begin.

Have you witnessed the summer festival in Mount Abu yet? Tell us about your experience in the comment section below? We would love to hear from you.

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Places to Visit

Banjara Hills Jungle Lodge must be your next summer getaway in Udaipur!

Who doesn’t want to spend a day away from the hustle bustle of the city!? Certainly, -everyone does. The fact that everyone nowadays wants to experience the purest form of tranquility, we tend to find solace in the lap of nature. One such place to experience peace is the Banjara Hills Jungle Lodge in Udaipur. Situated outside of the city near Badi in Udaipur, this place clearly qualifies in offering us a peaceful, more calm kind of a feeling that is essential in today’s fast life.

Banjara Hills Jungle Lodge
Banjara Hills Jungle Lodge

Let us have a look at what all things do the Banjara Hills Jungle Lodge has to offer.

Why spend a day at Banjara Hills?Banjara Hills Jungle Lodge

Banjara Hills Jungle Lodge is a jungle themed resort in Badi encompassed by the lush Aravali hills. The greenery surrounding the resort makes the ambiance all the more strikingly beautiful. And why wouldn’t you be enticed to spend your day at the Banjara Hills when there is so much to indulge in. The entire place has wooden interiors that give it a rustic feel. The food served is multicuisine and offers a lip-smacking taste. There is a pool for pool parties and has attractive packages.

Amenities at the Banjara Hills Jungle Lodge UdaipurBanjara Hills Jungle Lodge

  • Big swimming pool
  • Kids pool also on demand
  • Poolside sitting area
  • Hall for DJ parties- ‘barefoot’
  • AC Indoor multi-cuisine restaurant- ‘daawat-e-khas’
  • Garden for birthday parties or wedding functions
  • Ample parking space and
  • A garden restaurant

Packages at Banjara HillsBanjara Hills Jungle Lodge

Pool party packages

1. Supreme package:

Veg Rs. 850 per person (minimum 15 people)

Non-veg Rs. 1000 per person (minimum 15 people)

2. Intermediate package:

Veg Rs. 700 per person

Non-Veg Rs. 850 per person

3. Basic package:

Pool Party Rs. 600 per person, Monday to Friday – 12 noon to 4 PM

Kitty party packages 

Rs. 400 per person (Minimum 10 Members)

Contact informationBanjara Hills Jungle Lodge

Address: Countryside Badi, Bada Hawala Road, Udaipur (Raj.)

Contact: +91- 94141 63250

Location:

 

Tell us in the comment section below if you want to spend a day at the Banjara Hills Jungle Lodge near Badi!

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History and Culture

हठी हम्मीर सिंह की कहानी

सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै इक बार, तिरिया तेल हमीर हठ, चढ़ै दूजी बार...

अर्थात सिंह एक ही बार संतान को जन्म देता है. सज्जन लोग बात को एक ही बार कहते हैं । केला एक ही बार फलता है. स्त्री को एक ही बार तेल एवं उबटन लगाया जाता है अर्थात उसका विवाह एक ही बार होता है. ऐसे ही राव हमीर का हठ है. वह जो ठानते हैं, उस पर दोबारा विचार नहीं करते।

ये वो मेवाड़ी शासक है जिन्होंने अल्लाउद्दीन खिलजी को तीन बार हराया था ,और अपनी कैद में भी रखा था । इनके नाम के आगे आज भी हठी जोड़ा जाता है , आइये जानते है इस मेवाड़ी शासक के बारे में और उसके हठ, तथा ऐतिहासिक युद्धो के बारे में ।।

परिचय

राव हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर “रणतभँवर के शासक थे। ये पृथ्वीराज चौहाण के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। ये इतिहास में ‘‘हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ १३३९ (ई.स. १२८२) में रणथम्भौर (रणतभँवर) के शासक बने तब रणथम्भौर के इतिहास का एक नया अध्याय प्रारम्भ होता है।हम्मीर देव रणथम्भौर के चौहाण वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण शासक थे। इन्होने अपने बाहुबल से विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था।

राव हमीर का जन्म सात जुलाई, 1272 को चौहानवंशी राव जैत्रसिंह के तीसरे पुत्र के रूप में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य बने रणथम्भौर दुर्ग में हुआ था। बालक हमीर इतना वीर था कि तलवार के एक ही वार से मदमस्त हाथी का सिर काट देता था. उसके मुक्के के प्रहार से बिलबिला कर ऊंट धरती पर लेट जाता था। इस वीरता से प्रभावित होकर राजा जैत्रसिंह ने अपने जीवनकाल में ही 16 दिसम्बर, 1282 को उनका राज्याभिषेक कर दिया। राव हमीर ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से चौहान वंश की रणथम्भौर तक सिमटी सीमाओं को कोटा, बूंदी, मालवा तथा ढूंढाढ तक विस्तृत किया। हमीर ने अपने जीवन में 17 युद्ध लड़े, जिसमें से 16 में उन्हें सफलता मिली। 17वां युद्ध उनके विजय अभियान का अंग नहीं था।

इतिहास में स्थान

मेवाड़ राज्य उसकी उत्तपत्ति से ही शौर्य और वीरता का प्रतीक रहा है। मेवाड़ की शौर्य धरा पर अनेक वीर हुए। इसी क्रम में मेवाड़ के राजा विक्रमसिंह के बाद उसका पुत्र रणसिंह(कर्ण सिंह) राजा हुआ। जिसके बाद दो शाखाएँ हुई एक रावल शाखा तथा दूसरी राणा शाखा । जिसमे से रावल शाखा वाले मेवाड़ के स्वामी बने और राणा शाखा वाले सिसोदे के जागीरदार रहे। राणा शाखा वाले सिसोदे ग्राम में रहने के कारण सिसोदिया कहलाये।

रावल शाखा में कर्णसिंह के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र क्षेमसिंह मेवाड़ के राजा हुआ। जिसके बाद इस वंश का रावल रतनसिंह तक मेवाड़ पर राज्य रहा। रावल वंश की समाप्ति अल्लाउद्दीन खिलजी के विस्. 1360 (ई.स. 1303) में रावल रतनसिंह सिंह से चित्तौड़ छीनने पर हुई। राणा शाखा के राहप के वंशज ओर सिसोदा के राणा हम्मीर ने चित्तौड़ के प्रथम शाके में रावल रतनसिंह के मारे जाने के कुछ वर्षों पश्चात चित्तौड़ अपना अधिकार जमाया और मेवाड़ के स्वामी हुआ। राणा हम्मीर ने मेवाड़ पर सिसोदिया की राणा शाखा का राज्य विस्. 1383 (ईस. 1326) के आसपास स्थापित कर महाराणा का पद धारण किया। इस प्रकार सिसोदे कि राणा शाखा में माहप ओर राहप से राणा अजयसिंह तक के सब वंशज सिसोदे के सामन्त रहे। चित्तौड़ का गया हुआ राज्य अजयसिंह के भतीजे (अरिसिंह का पुत्र) राणा हम्मीर ने छुड़ा लिया था और मेवाड़ पर सिसोदियों की राणा शाखा का राज्य स्थिर किया। तब से लेकर भारत के स्वतंत्रता के पश्चात मेवाड़ राज्य के भारतीय संघ में विलय होने तक मेवाड़ पर सोसोदियो की राणा शाखा का राज्य चला आता है।

हठी हम्मीर सिंह और खिलजी का युद्ध

हम्मीर के नेतृत्व में रणथम्भौर के चौहानों ने अपनी शक्ति को काफी सुदृढ़ बना लिया और राजस्थान के विस्तृत भूभाग पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के निकट चौहानों की बढ़ती हुई शक्ति को नहीं देखना चाहता था, इसलिए संघर्ष होना अवश्यंभावी था।

अलाउद्दीन की सेना ने सर्वप्रथम छाणगढ़ पर आक्रमण किया। उनका यहाँ आसानी से अधिकार हो गया। छाणगढ़ पर मुगलों ने अधिकार कर लिया है, यह समाचार सुनकर हम्मीर ने रणथम्भौर से सेना भेजी। चौहान सेना ने मुगल सैनिकों को परास्त कर दिया। मुगल सेना पराजित होकर भाग गई, चौहानों ने उनका लूटा हुआ धन व अस्त्र-शस्त्र लूट लिए। वि॰सं॰ १३५८ (ई.स. १३०१) में अलाउद्दीन खिलजी ने दुबारा चौहानों पर आक्रमण किया। छाणगढ़ में दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में हम्मीर स्वयं नहीं गया था। वीर चौहानों ने वीरतापूर्वक युद्ध किया लेकिन विशाल मुगल सेना के सामने कब तक टिकते। अन्त में सुल्तान का छाणगढ़ पर अधिकार हो गया।

तत्पश्चात् मुगल सेना रणथम्भौर की तरफ बढ़ने लगी। तुर्की सेनानायकों ने हमीर देव के पास सूचना भिजवायी, कि हमें हमारे विद्रोहियों को सौंप दो, जिनको आपने शरण दे रखी है। हमारी सेना वापिस दिल्ली लौट जाएगी। लेकिन हम्मीर अपने वचन पर दृढ़ थे। मुगल सेना का घेरा बहुत दिनों तक चलता रहा। लेकिन उनका रणथम्भौर पर अधिकार नहीं हो सका।

अलाउद्दीन ने राव हम्मीर के पास दुबारा दूत भेजा की हमें विद्रोही सैनिकों को सौंप दो, हमारी सेना वापस दिल्ली लौट जाएगी। हम्मीर हठ पूर्वक अपने वचन पर दृढ था। बहुत दिनों तक मुगल सेना का घेरा चलता रहा और चौहान सेना मुकाबला करती रही। अलाउद्दीन को रणथम्भीर पर अधिकार करना मुश्किल लग रहा था। उसने छल-कपट का सहारा लिया। हम्मीर के पास संधि का प्रस्ताव भेजा जिसको पाकर हम्मीर ने अपने आदमी सुल्तान के पास भेजे। उन आदमियों में एक सुर्जन कोठ्यारी (रसद आदि की व्यवस्था करने वाला) व कुछ सेना नायक थे। अलाउद्दीन ने उनको लोभ लालच देकर अपनी तरफ मिलाने का प्रयास किया। इनमें से गुप्त रूप से कुछ लोग सुल्तान की तरफ हो गए।

दुर्ग का धेरा बहुत दिनों से चल रहा था, जिससे दूर्ग में रसद आदि की कमी हो गई। दुर्ग वालों ने अब अन्तिम निर्णायक युद्ध का विचार किया। राजपूतों ने केशरिया वस्त्र धारण करके शाका किया। राजपूत सेना ने दुर्ग के दरवाजे खोल दिए। भीषण युद्ध करना प्रारम्भ किया। दोनों पक्षों में आमने-सामने का युद्ध था। एक ओर संख्या बल में बहुत कम राजपूत थे तो दूसरी ओर सुल्तान की कई गुणा बडी सेना, जिनके पास पर्येति युद्धादि सामग्री एवं रसद थी। अंत में राजपूतों की सेना वजयी रही।

बादशाह को रखा तीन माह जेल में

बादशाह खिलजी को राणा ने हराने के बाद तीन माह तक जेल में बंद रखा । तीन माह पश्चात उससे अजमेर रणथम्भौर, नागौर शुआ और शिवपुर को मुक्त कराके उन्हें अपने लिए प्राप्त कर और एक सौ हाथी व पचास लाख रूपये लेकर जेल से छोड़ दिया।

राणा ने अपने जीवन काल में मारवाड़ जयपुर, बूंदी, ग्वालियर, चंदेरी  रायसीन, सीकरी, कालपी तथा आबू के राजाओं को भी अपने अधीन कर पुन: एक शक्तिशाली मेवाड़ की स्थापना की।

 

जय मेवाड़ !

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Weekend getaways near Udaipur

Talking about getaways, it is quite ironic as Udaipur itself is a popular weekend getaway destination for people living in nearby cities because unlike other metropolitan cities, Udaipur is a relaxed and joyous place to be, still, sometimes the repetitive and tedious schedule gets to your nerves. Hence, it becomes necessary to take a break from the hustle and bustle of the city and make a quick escape to relax your bones. Surrounded by the magnificent Aravalli hills, there are plenty of weekend getaways from the city.
Here we present you a list of popular getaways from the city of lakes within a distance of 200 km.

1. Mount Abu-

source: The Indian Wire

The most popular travel destination for localities as well as travellers, Mount Abu is the only hill station located in the Sirohi district of the deserted state of Rajasthan. The hill station definitely deserves a visit, especially in this scorching heat season.

Distance from Udaipur: 163.3 km (2 hr 46 min)
Ideal weekend duration: 2 days
Popular Attractions: Nakki lake, sunset point, Dilwara Jain temples
Accessible by: Taxi and Bus

2. Kumbhalgarh-

Source: V resorts
Kumbhalgarh Fort

Kumbhalgarh also is known as ‘the great wall of India’ is a perfect getaway destination for people who love history and art. The gigantic fort is said to be the birthplace of Maharana Pratap and will leave you awestruck.
Distance from Udaipur: 102.5 km (2 hrs 12 min)
Ideal weekend duration: 1 day
Popular Attractions: Kumbhalgarh fort, Badal Mahal, Wildlife sanctuary.
Accessible by: Bike, Taxi and bus

3. Ranakpur-

This is probably the most popular destination; bike riders have got up their sleeves. The eye-catching view of the Jain temples made with white marble architecture is beyond description.
Distance from Udaipur: 93.5 km (1 hr 55 min)
Ideal weekend duration: less than 1 day.
Popular Attractions:  Ranakpur Jain temple, Surya Narayan temple, Muchhal Mahavir temple.
Accessible by: Bike, Taxi and Bus.

4. Chittorgarh-

Chittorgarh Fort

Erstwhile the Capital of the Mewar Queen, Padmavati, Chittorgarh stands as the reminiscent of the Royal Mewar period and depicts the valour and bravery of Rajputs. If you are a history buff, then you will have a great time here and it is actually one of the surreal places to be in Udaipur.
Distance from Udaipur: 113 km (2hr 8min)
Ideal weekend duration: less than 1 day.
Popular Attractions: Chittorgarh Fort, Rana Kumbha Palace, Padmini Palace.
Accessible by: Bike, Train, Taxi and Bus.

5. Nathdwara-

Nathdwara

Built in 12th century, in the honour of Lord Krishna, Shreenath Ji is an important pilgrimage site for Hindus. People from all over the world fly down to this pious place to seek blessings of the Lord. This is a must visit place.
Distance from Udaipur: 52 min. (45.4 km)
Ideal weekend duration: Less than a day.
Popular attractions: Shreenath Ji temple, The Dwarkadheesh temple, Charbhuja.
Accessible by: Bike, Taxi and Bus

6. Jaisamand-

Jaisamand Lake

Being a native of Udaipur, if you still desire to explore more lakes, then this place is definitely for you. The calm place is every photographer’s paradise. Interesting fact, Jaisamand lake is also the largest artificial lake in Asia.
Distance from Udaipur: 1hr 4min. (41 km)
Ideal weekend duration: less than a day.
Popular attractions: Jaisamand lake, Jaisamand sanctuary and Jaisamand lake resort.
Accessible by: Bike, Taxi and Bus.

This was a list of major and the most popular travel getaways near Udaipur. How many places have you visited? Do share it with us. We would love to hear from you.

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Stealing in the daylight! Is Udaipur really safe?

Two days back, I just came out of my office and decided to go for clicking pictures in the old city. So, after spending an hour clicking, my friends and I thought of hanging out at Gangaur Ghat. And yeah why not, most of the cafés in the town are nearby Gangaur Ghat and it is picturesque too. A lot of tourists and local people can be seen at this location. Especially in the evenings, this place becomes the hub of the activity.

Just like any other day we parked our vehicles near the small temple which is near the ghat (there is a parking space in fact!). After half an hour only, we decided to move forward to our respective homes. It was 8:30 PM.

I rode back home and parked my vehicle inside the house. Just after a fraction of seconds, I realized that the lock of the storage trunk of my vehicle was broken and someone had stolen my DSLR camera which I kept inside. WHOA!!! SERIOUSLY!!!

Yes, this did happen and I was totally in shock.

This is a serious and real incident that I experienced. Somebody in the middle of a busy street broke open the trunk of my scooty and stole my belonging. I checked every possible CCTV camera in that area and asked people who were there. But no clue!

Not just that I lost a DSLR, I also lost faith in the fact that my belongings are safe in the city.

This is where I LOST my camera!!

The reason why I am sharing my experience:

Udaipur is flooded with tourists from all over the globe. People travel miles and fly overseas to reach this city. If such kind of theft can happen with a local person, that too in a busy street then let’s not even assume what can happen with a tourist at any odd timing.

I always felt proud and praised my city for being peaceful and away from the nasty activities until that day.

Hope people understand that stealing is a crime and if they get caught they might end up in jail too.

Sad, but I am bound to question- is Udaipur really safe!?!


STAY SAFE PEOPLE!

 

P.S.

It was a brown leather sling bag with a Nikon camera and a charger 🙁

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Food

Please your mouth this summer under Rs. 50

Sun can act as a real devil in summers. Times when you’re returning from your school, college or work and sweat envelopes your entire body, all you need is something cool to relax your body and soul.

Here are the things that you can try this summer and they won’t even burn a hole in your pocket.

Buttermilk (Chaach)

Please your mouth this summer under Rs. 50
Source: Faking news

All the health conscious people out there, this is the great option that you can try to relieve your body this summer. A glass of cool mint buttermilk that will give you the energy to drag yourself for the rest of the day. And if you crave for sweet you can go for lassi as well.

Price: Rs 10/-

Place: Bandwal restaurant at Nehru Bazar road

 

Nimbu soda

Please your mouth this summer under Rs. 50
Picture by: Juhee Mehta

Apart from bringing peace to the body, Nimbu soda is the great alternative to maintain your digestion. It comes in different flavors such as orange, cola, sweet, salty, etc.

Price: Rs 15/-

Place: Shree Krishna cold center at Bapu Bazaar road opposite to Bharat optical

 

Papita shake

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Picture by: Siddharth Nagar
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Mango Shake

A glass of cool, thick papita shake topped with tutty fruity is all you need this season. Apart from being delicious, this drink is healthy too. You can also get other flavors like mango, pineapple, etc.

Price: Rs 30/-

Place: Maharana juice and Ice cream at Court Chauraha

 

Jaljeera

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Picture by: Siddharth Nagar
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Kashmeeri Jaljeera

This sour and tangy drink will play with your mouth like anything. From children to adults everyone like jaljeera. This Kashmiri jaljeera is topped with boondi and is one perfect option to relish your throat this summer.

Price: Rs 5/-

Place: Kashmeeri jaljeera at Shastri Circle

 

Badaam shake

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Source: the food kiosk

Cold milk mixed with ice-cream and lots of almonds will soothe your tongue and at the end of this shake, you will be left craving for one more.

Price: Rs 40/-

Place: Bank Tiraha at Bapu Bazaar

 

Kulfi

Please your mouth this summer under Rs. 50
Picture by: Siddharth Nagar

I don’t think there’s anything to tell about kulfi. Kulfi has been our favorite since childhood. You can choose between two types of kulfis– mawa kulfi and rabdi kulfi.

Price: Starting at Rs 10/-

Place: Jheeni ret chowk

 

Barf gola

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Source: the better India

Heaven is the word which you’ll experience when your lips which touch the icy cold gola filled with sweet and tangy flavors. You can top it with rabdi and tutti frutty by adding just ten rupees.

Price: Rs 10/-

Place: Townhall stalls

 

Ganne ka ras

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Source: Taste of city

This drink is a necessity in summers. Cold sugarcane juice mixed with mint and salt will just quench your thirst like never before.

Price: Rs 10/-

Place: Jay ras bhandar at Bohra Ganesh Chowraha

 

Falooda

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Picture by: Juhee Mehta
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Rabdi Falooda

One layer of lacche topped with a layer of rabdi and a thick slice of Kulfi, if it doesn’t tempt your stomach, I don’t know what will. This Falooda will definitely fulfill your sweet cravings.

 

Price: Rs 40/-

Place: Karmchandji faloode vala near Fusion store at Shaktinagar

Time: 5 pm to 8 pm

 

Cold coffee

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Source: trip advisor

Last but definitely not the least. This is a boon for all the coffee addicts in the city. Coffee crushed with milk, ice cream, and chocolate chips is just irresistible. You can top it up with chocolate ice cream by adding just rupees ten.

Price: Rs 50/-

Place: Sai Sagar at Fatehsagar

 

With these above, summers will not trouble you anymore. Happy summers!