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मेवाड़ राजवंश का संक्षिप्त इतिहास

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वीर प्रसूता मेवाड की धरती राजपूती प्रतिष्ठा, मर्यादा एवं गौरव का प्रतीक तथा सम्बल है। राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी अंचल का यह राज्य अधिकांशतः अरावली की अभेद्य पर्वत श्रृंखला से परिवेष्टिता है। उपत्यकाओं के परकोटे सामरिक दृष्टिकोण के अत्यन्त उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है। >मेवाड अपनी समृद्धि, परम्परा, अधभूत शौर्य एवं अनूठी कलात्मक अनुदानों के कारण संसार के परिदृश्य में देदीप्यमान है। स्वाधिनता एवं भारतीय संस्कृति की अभिरक्षा के लिए इस वंश ने जो अनुपम त्याग और अपूर्व बलिदान दिये सदा स्मरण किये जाते रहेंगे। मेवाड की वीर प्रसूता धरती में रावल बप्पा, महाराणा सांगा, महाराण प्रताप जैसे सूरवीर, यशस्वी, कर्मठ, राष्ट्रभक्त व स्वतंत्रता प्रेमी विभूतियों ने जन्म लेकर न केवल मेवाड वरन संपूर्ण भारत को गौरान्वित किया है। स्वतन्त्रता की अखल जगाने वाले प्रताप आज भी जन-जन के हृदय में बसे हुये, सभी स्वाभिमानियों के प्रेरक बने हुए है। मेवाड का गुहिल वंश संसार के प्राचीनतम राज वंशों में माना जाता है। मान्यता है कि सिसोदिया क्षत्रिय भगवान राम के कनिष्ठ पुत्र लव के वंशज हैं। श्री गौरीशंकर ओझा की पुस्तक “मेवाड़ राज्य का इतिहास” एक ऐसी पुस्तक है जिसे मेवाड़ के सभी शासकों के नाम एवं क्रम के लिए सर्वाधिक प्रमाणिक माना जाता है.

मेवाड में गहलोत राजवंश – बप्पा ने सन 734 ई० में चित्रांगद गोरी परमार से चित्तौड की सत्ता छीन कर मेवाड में गहलौत वंश के शासक का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त किया। इनका काल सन 734 ई० से 753 ई० तक था। इसके बाद के शासकों के नाम और समय काल निम्न था –
  1. रावल बप्पा ( काल भोज ) – 734 ई० मेवाड राज्य के गहलौत शासन के सूत्रधार।
  2. रावल खुमान – 753 ई०
  3. मत्तट – 773 – 793 ई०
  4. भर्तभट्त – 793 – 813 ई०
  5. रावल सिंह – 813 – 828 ई०
  6. खुमाण सिंह – 828 – 853 ई०
  7. महायक – 853 – 878 ई०
  8. खुमाण तृतीय – 878 – 903 ई०
  9. भर्तभट्ट द्वितीय – 903 – 951 ई०
  10. अल्लट – 951 – 971 ई०
  11. नरवाहन – 971 – 973 ई०
  12. शालिवाहन – 973 – 977 ई०
  13. शक्ति कुमार – 977 – 993 ई०
  14. अम्बा प्रसाद – 993 – 1007 ई०
  15. शुची वरमा – 1007- 1021 ई०
  16. नर वर्मा – 1021 – 1035 ई०
  17. कीर्ति वर्मा – 1035 – 1051 ई०
  18. योगराज – 1051 – 1068 ई०
  19. वैरठ – 1068 – 1088 ई०
  20. हंस पाल – 1088 – 1103 ई०
  21. वैरी सिंह – 1103 – 1107 ई०
  22. विजय सिंह – 1107 – 1127 ई०
  23. अरि सिंह – 1127 – 1138 ई०
  24. चौड सिंह – 1138 – 1148 ई०
  25. विक्रम सिंह – 1148 – 1158 ई०
  26. रण सिंह ( कर्ण सिंह ) – 1158 – 1168 ई०
  27. क्षेम सिंह – 1168 – 1172 ई०
  28. सामंत सिंह – 1172 – 1179 ई०

(क्षेम सिंह के दो पुत्र सामंत और कुमार सिंह। ज्येष्ठ पुत्र सामंत मेवाड की गद्दी पर सात वर्ष रहे क्योंकि जालौर के कीतू चौहान मेवाड पर अधिकार कर लिया। सामंत सिंह अहाड की पहाडियों पर चले गये। इन्होने बडौदे पर आक्रमण कर वहां का राज्य हस्तगत कर लिया। लेकिन इसी समय इनके भाई कुमार सिंह पुनः मेवाड पर अधिकार कर लिया। )

  1. कुमार सिंह – 1179 – 1191 ई०
  2. मंथन सिंह – 1191 – 1211 ई०
  3. पद्म सिंह – 1211 – 1213 ई०
  4. जैत्र सिंह – 1213 – 1261 ई०
  5. तेज सिंह -1261 – 1273 ई०
  6. समर सिंह – 1273 – 1301 ई०

(समर सिंह का एक पुत्र रतन सिंह मेवाड राज्य का उत्तराधिकारी हुआ और दूसरा पुत्र कुम्भकरण नेपाल चला गया। नेपाल के राज वंश के शासक कुम्भकरण के ही वंशज हैं। )

35. रतन सिंह ( 1301-1303 ई० ) – इनके कार्यकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौडगढ पर अधिकार कर लिया। प्रथम जौहर पदमिनी रानी ने सैकडों महिलाओं के साथ किया। गोरा – बादल का प्रतिरोध और युद्ध भी प्रसिद्ध रहा।
36. अजय सिंह ( 1303 – 1326 ई० ) – हमीर राज्य के उत्तराधिकारी थे किन्तु अवयस्क थे। इसलिए अजय सिंह गद्दी पर बैठे।
37. महाराणा हमीर सिंह ( 1326 – 1364 ई० ) – हमीर ने अपनी शौर्य, पराक्रम एवं कूटनीति से मेवाड राज्य को तुगलक से छीन कर उसकी खोई प्रतिष्ठा पुनः स्थापित की और अपना नाम अमर किया महाराणा की उपाधि धारण की । इसी समय से ही मेवाड नरेश महाराणा उपाधि धारण करते आ रहे हैं।
38. महाराणा क्षेत्र सिंह ( 1364 – 1382 ई० )
39. महाराणा लाखासिंह ( 1382 – 1421 ई० ) – योग्य शासक तथा राज्य के विस्तार करने में अहम योगदान। इनके पक्ष में ज्येष्ठ पुत्र चुडा ने विवाह न करने की भीष्म प्रतिज्ञा की और पिता से हुई संतान मोकल को राज्य का उत्तराधिकारी मानकर जीवन भर उसकी रक्षा की।
40. महाराणा मोकल ( 1421 – 1433 ई० )
41. महाराणा कुम्भा ( 1433 – 1469 ई० ) – इन्होने न केवल अपने राज्य का विस्तार किया बल्कि योग्य प्रशासक, सहिष्णु, किलों और मन्दिरों के निर्माण के रुप में ही जाने जाते हैं। कुम्भलगढ़ इन्ही की देन है. इनके पुत्र उदा ने इनकी हत्या करके मेवाड के गद्दी पर अधिकार जमा लिया।
42. महाराणा उदा ( उदय सिंह ) ( 1468 – 1473 ई० ) – महाराणा कुम्भा के द्वितीय पुत्र रायमल, जो ईडर में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे, आक्रमण करके उदय सिंह को पराजित कर सिंहासन की प्रतिष्ठा बचा ली। अन्यथा उदा पांच वर्षों तक मेवाड का विनाश करता रहा।
43. महाराणा रायमल ( 1473 – 1509 ई० ) – सबसे पहले महाराणा रायमल के मांडू के सुल्तान गयासुद्दीन को पराजित किया और पानगढ, चित्तौड्गढ और कुम्भलगढ किलों पर पुनः अधिकार कर लिया पूरे मेवाड को पुनर्स्थापित कर लिया। इसे इतना शक्तिशाली बना दिया कि कुछ समय के लिये बाह्य आक्रमण के लिये सुरक्षित हो गया। लेकिन इनके पुत्र संग्राम सिंह, पृथ्वीराज और जयमल में उत्तराधिकारी हेतु कलह हुआ और अंततः दो पुत्र मारे गये। अन्त में संग्राम सिंह गद्दी पर गये।
44. महाराणा सांगा ( संग्राम सिंह ) ( 1509 – 1527 ई० ) – महाराणा सांगा उन मेवाडी महाराणाओं में एक था जिसका नाम मेवाड के ही वही, भारत के इतिहास में गौरव के साथ लिया जाता है। महाराणा सांगा एक साम्राज्यवादी व महत्वाकांक्षी शासक थे, जो संपूर्ण भारत पर अपना अधिकार करना चाहते थे। इनके समय में मेवाड की सीमा का दूर – दूर तक विस्तार हुआ। महाराणा हिन्दु रक्षक, भारतीय संस्कृति के रखवाले, अद्वितीय योद्धा, कर्मठ, राजनीतीज्ञ, कुश्ल शासक, शरणागत रक्षक, मातृभूमि के प्रति समर्पित, शूरवीर, दूरदर्शी थे। इनका इतिहास स्वर्णिम है। जिसके कारण आज मेवाड के उच्चतम शिरोमणि शासकों में इन्हे जाना जाता है।
45. महाराणा रतन सिंह ( 1528 – 1531 ई० )
46. महाराणा विक्रमादित्य ( 1531 – 1534ई० ) – यह अयोग्य सिद्ध हुआ और गुजरात के बहादुर शाह ने दो बार आक्रमण कर मेवाड को नुकसान पहुंचाया इस दौरान 1300 महारानियों के साथ कर्मावती सती हो गई। विक्रमादित्य की हत्या दासीपुत्र बनवीर ने करके 1534 – 1537 तक मेवाड पर शासन किया। लेकिन इसे मान्यता नहीं मिली। इसी समय सिसोदिया वंश के उदय सिंह को पन्नाधाय ने अपने पुत्र की जान देकर भी बचा लिया और मेवाड के इतिहास में प्रसिद्ध हो गई।
47. महाराणा उदय सिंह ( 1537 – 1572 ई० ) – मेवाड़ की राजधानी चित्तोड़गढ़ से उदयपुर लेकर आये. गिर्वा की पहाड़ियों के बीच उदयपुर शहर इन्ही की देन है. इन्होने अपने जीते जी गद्दी ज्येष्ठपुत्र  जगमाल को दे दी, किन्तु उसे सरदारों ने नहीं माना, फलस्वरूप छोटे बेटे प्रताप को गद्दी मिली.

48. महाराणा प्रताप ( 1572 -1597 ई० ) – इनका जन्म 9 मई 1540 ई० मे हुआ था। राज्य की बागडोर संभालते समय उनके पास न राजधानी थी न राजा का वैभव, बस था तो स्वाभिमान, गौरव, साहस और पुरुषार्थ। उन्होने तय किया कि सोने चांदी की थाली में नहीं खाऐंगे, कोमल शैया पर नही सोयेंगे, अर्थात हर तरह विलासिता का त्याग करेंगें। धीरे – धीरे प्रताप ने अपनी स्थिति सुधारना प्रारम्भ किया। इस दौरान मान सिंह अकबर का संधि प्रस्ताव लेकर आये जिसमें उन्हे प्रताप के द्वारा अपमानित होना पडा।
परिणाम यह हुआ कि 21 जून 1576 ई० को हल्दीघाटी नामक स्थान पर अकबर और प्रताप का भीषण युद्ध हुआ। जिसमें 14 हजार राजपूत मारे गये। परिणाम यह हुआ कि वर्षों प्रताप जंगल की खाक छानते रहे, जहां घास की रोटी खाई और निरन्तर अकबर सैनिको का आक्रमण झेला, लेकिन हार नहीं मानी। ऐसे समय भीलों ने इनकी बहुत सहायता की।अन्त में भामा शाह ने अपने जीवन में अर्जित पूरी सम्पत्ति प्रताप को देदी। जिसकी सहायता से प्रताप चित्तौडगढ को छोडकर अपने सारे किले 1588 ई० में मुगलों से छिन लिया। 19 जनवरी 1597 में चावंड में प्रताप का निधन हो गया।

49. महाराणा अमर सिंह -(1597 – 1620 ई० ) – प्रारम्भ में मुगल सेना के आक्रमण न होने से अमर सिंह ने राज्य में सुव्यवस्था बनाया। जहांगीर के द्वारा करवाये गयें कई आक्रमण विफ़ल हुए। अंत में खुर्रम ने मेवाड पर अधिकार कर लिया। हारकर बाद में इन्होनें अपमानजनक संधि की जो उनके चरित्र पर बहुत बडा दाग है। वे मेवाड के अंतिम स्वतन्त्र शासक है।
50. महाराणा कर्ण सिद्ध ( 1620 – 1628 ई० ) –
इन्होनें मुगल शासकों से संबंध बनाये रखा और आन्तरिक व्यवस्था सुधारने तथा निर्माण पर ध्यान दिया।
51.महाराणा जगत सिंह ( 1628 – 1652 ई० )
52. महाराणा राजसिंह ( 1652 – 1680 ई० ) – यह मेवाड के उत्थान का काल था। इन्होने औरंगजेब से कई बार लोहा लेकर युद्ध में मात दी। इनका शौर्य पराक्रम और स्वाभिमान महाराणा प्रताप जैसे था। इनकों राजस्थान के राजपूतों का एक गठबंधन, राजनितिक एवं सामाजिक स्तर पर बनाने में सफ़लता अर्जित हुई। जिससे मुगल संगठित लोहा लिया जा सके। महाराणा के प्रयास से अंबेर, मारवाड और मेवाड में गठबंधन बन गया। वे मानते हैं कि बिना सामाजिक गठबंधन के राजनीतिक गठबंधन अपूर्ण और अधूरा रहेगा। अतः इन्होने मारवाह और आमेर से खानपान एवं वैवाहिक संबंध जोडने का निर्णय ले लिया। राजसमन्द झील एवं राजनगर इन्होने ही बसाया.
53. महाराणा जय सिंह ( 1680 – 1698 ई० ) – जयसमंद झील का निर्माण करवाया.
54. महाराणा अमर सिंह द्वितीय ( 1698 – 1710 ई० ) – इसके समय मेवाड की प्रतिष्ठा बढी और उन्होनें कृषि पर ध्यान देकर किसानों को सम्पन्न बना दिया।
55. महाराणा संग्राम सिंह ( 1710 – 1734 ई० ) –
महाराणा संग्राम सिंह दृढ और अडिग, न्यायप्रिय, निष्पक्ष, सिद्धांतप्रिय, अनुशासित, आदर्शवादी थे। इन्होने 18 बार युद्ध किया तथा मेवाड राज्य की प्रतिष्ठा और सीमाओं को न केवल सुरक्षित रखा वरन उनमें वृध्दि भी की।
56. 
महाराणा जगत सिंह द्वितीय ( 1734 – 1751 ई० ) – ये एक अदूरदर्शी और विलासी शासक थे। इन्होने जलमहल बनवाया। शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) को अपना “पगड़ी बदल” भाई बनाया और उन्हें अपने यहाँ पनाह दी.
57.
महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय ( 1751 – 1754 ई० )
58. महाराणा राजसिंह द्वितीय ( 1754 – 1761 ई० )
59. महाराणा अरिसिंह द्वितीय ( 1761 – 1773 ई० )
60.
महाराणा हमीर सिंह द्वितीय ( 1773 – 1778 ई० ) – इनके कार्यकाल में सिंधिया और होल्कर ने मेवाड राज्य को लूटपाट करके तहस – नहस कर दिया।
61. महाराणा भीमसिंह ( 1778 – 1828 ई० ) –
इनके कार्यकाल में भी मेवाड आपसी गृहकलह से दुर्बल होता चला गया।  13 जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कम्पनी और मेवाड राज्य में समझौता हो गया। अर्थात मेवाड राज्य ईस्ट इंडिया के साथ चला गया।मेवाड के पूर्वजों की पीढी में बप्पारावल, कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप जैसे तेजस्वी, वीर पुरुषों का प्रशासन मेवाड राज्य को मिल चुका था। प्रताप के बाद अधिकांश पीढियों में वह क्षमता नहीं थी जिसकी अपेक्षा मेवाड को थी। महाराजा भीमसिंह योग्य व्यक्ति थे\ निर्णय भी अच्छा लेते थे परन्तु उनके क्रियान्वयन पर ध्यान नही देते थे। इनमें व्यवहारिकता का आभाव था।ब्रिटिश एजेन्ट के मार्गदर्शन, निर्देशन एवं सघन पर्यवेक्षण से मेवाड राज्य प्रगति पथ पर अग्रसर होता चला गया।
62.
महाराणा जवान सिंह ( 1828 – 1838 ई० ) – निःसन्तान। सरदार सिंह को गोद लिया ।
63. महाराणा सरदार सिंह ( 1838 – 1842 ई० ) – निःसन्तान। भाई स्वरुप सिंह को गद्दी दी.
64. 
महाराणा स्वरुप सिंह ( 1842 – 1861 ई० ) – इनके समय 1857 की क्रान्ति हुई। इन्होने विद्रोह कुचलने में अंग्रेजों की मदद की।
65. महाराणा शंभू सिंह ( 1861 – 1874 ई० ) – 
1868 में घोर अकाल पडा। अंग्रेजों का हस्तक्षेप बढा।
66 .
महाराणा सज्जन सिंह ( 1874 – 1884 ई० ) – बागोर के महाराज शक्ति सिंह के कुंवर सज्जन सिंह को महाराणा का उत्तराधिकार मिला।  इन्होनें राज्य की दशा सुधारनें में उल्लेखनीय योगदान दिया।
67. महाराणा फ़तह सिंह ( 1883 – 1930 ई० ) – सज्जन सिंह के निधन पर शिवरति शाखा के गजसिंह के अनुज एवं दत्तक पुत्र फ़तेहसिंह को महाराणा बनाया गया। फ़तहसिंह कुटनीतिज्ञ, साहसी स्वाभिमानी और दूरदर्शी थे। संत प्रवृति के व्यक्तित्व थे. इनके कार्यकाल में ही किंग जार्ज पंचम ने दिल्ली को देश की राजधानी घोषित करके दिल्ली दरबार लगाया. महाराणा दरबार में नहीं गए . 
68. महाराणा भूपाल सिंह (1930 – 1955 ई० ) –
इनके समय  में भारत को स्वतन्त्रता मिली और भारत या पाक मिलने की स्वतंत्रता। भोपाल के नवाब और जोधपुर के महाराज हनुवंत सिंह पाक में मिलना चाहते थे और मेवाड को भी उसमें मिलाना चाहते थे। इस पर उन्होनें कहा कि मेवाड भारत के साथ था और अब भी वहीं रहेगा। यह कह कर वे इतिहास में अमर हो गये। स्वतंत्र भारत के वृहद राजस्थान संघ के भूपाल सिंह प्रमुख बनाये गये।
69. महाराणा भगवत सिंह ( 1955 – 1984 ई० )
70. श्रीजी अरविन्दसिंह एवं महाराणा महेन्द्र सिंह (1984 ई० से निरंतर..)


इस तरह 556 ई० में जिस गुहिल वंश की स्थापना हुई बाद में वही सिसोदिया वंश के नाम से जाना गया । जिसमें कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होने इस वंश की मानमर्यादा, इज्जत और सम्मान को न केवल बढाया बल्कि इतिहास के गौरवशाली अध्याय में अपना नाम जोडा । यह वंश कई उतार-चढाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव और श्रेष्ठ परम्परा के लिये जाना पहचाना जाता है। धन्य है वह मेवाड और धन्य सिसोदिया वंश जिसमें ऐसे ऐसे अद्वीतिय देशभक्त दिये।

(साभार – मेवाड़ राजवंश का इतिहास – गौरीशंकर ओझा)

Post Contribution by : Arya Manu

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The 50th Maharana Kumbha Sangeet Samaroh

50th Mahrana Kumbha Sangeet Samarooh

The Maharana Kumbha Sangeet Kala Trust established way back in 1962 with the motive to promote Indian classical music and dance among the people. Since the foundation it regularly organizes an event every year called The Maharana Kumbha Sangeet Samaroh which is eagerly awaited by Udaipies and attracted the lovers of classical music and dances round the globe. After the inception the organization never turned back and now this is the time to celebrate the Golden Jubilee of the unending passion of music and everlasting expression of dance.

“In order to make this event more glorious and magnificent the scheduled program has been extended to 5 days this year and approximately 30 to 35 artists are participating form different parts of India” as shared by Dr. Yashwant Kothari, Honorary Secretary, Maharana Kumbha Sangeet Parishad. Program Convener P.P. Chattaraj and Vice President Prem Bhandari discussed the detailed schedule of the program as mentioned below.

 

11th January

Maharana Kumbha 11th

                    Shri Aman Ali Khan                            Ustad Amjad Ali Khan                          Shri Ayaan Ali Khan

 – Trio Sarod Recital –

12th January

                                        Pt. Vishwa  Mohan Bhatt                                                     Pt. Ajoy Chakraboty

                                            Mohan Veena Recital                                                              Vocal Recital

 

13th January

 

Dr. Sonal Mansingh

Odissi Dance

14th Januray

Dr. Kumud Diwan                                                              Ustad Shahid Parvez

Vocal Recital                                                                           Sitar Recital

15th January

 Maharana Kumbha Sangeet Samaroh

Pt. Birju Maharaj

                                                                                    Kathak Dance

All these program will started at 7:00Pm at Sukhdia Rangmanch. There will be an exhibition too presenting the 50 years journey of Kumbha Parishad.

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Panache’12 : Annual Tech Fest of Singhania University, Udaipur

The packed house at Sir Padampat Singhania University, Udaipur will soon be reverberated with roars, whistles and thunderous ovations as the curtains will rise for Panache ’12, SPSU’s annual fest, to celebrate student Innovation, Creativity and Leadership. Panache’12 is scheduled for January 11th – 14th, 2012 in Udaipur.

The theme for Panache 2012 is ‘Iconoclastic Sixties’an era that saw the uproar of counterculture movement in the USA.It was this time when fields of music, dance and other forms of arts went through radical changes all over the world and gave us timeless luminaries like Pink Floyd, Elvis Presley. Panache’12 celebrates the contribution of such personalities through their lineup of events. There is something for everyone – a fun fair, music competition, dance, debate, speech, painting competition, conferences, workshops, rock concert and the chance to be part of history in the making – a Limca Record attempt.

Panache’ 12 Specials Include :

  • Blood Donation Camp:

Panache 2012 kicks off with the noblest of causes. Team Panache 2012 in association with R N T Medical Hospital, is organizing a Blood Donation Camp on January 10th, 2012.

  • World Record Attempt:

Ever thought of seeing your name in the Limca Book of Records? Panache’ 12  give you this grand stage to join it in creating history.  Panache’ 12 will attempt to set a Limca Record for the largest gathering of people wearing two different types of shoes at the same time.

  • Exhibition by Kamal Sharma:

A versatile artist beyond the confines of any particular style or school of Painting.Born in Udaipur, Kamal Sharma is a Post Graduate in Drawing & Painting from MLSU  Udaipur. He has participated in several National & International exhibitions.

Noteworthy among them are:

    • 28th National Art Exhibition (Lalit Kala Akademy) 1987
    • 4th International Design Competition organised by Japan Design Foundation,Osaka,1989
    • West Zone Cultural Center,1991
    • 4th All India Poster Competition organised by SYPM, New Delhi, 1992.

Mr. Sharma has received several prestigious awards for his contribution to fine arts. Significant among them are:

  • University Color in Fine Arts,1987
  • Gold Medal by the University of Bombay,1987
  • Maharana Mewar Foundation Award,1998 & 1993
  • 1st Prize in All India Poster Competition organised by the Ministry of Environment & Forests,1993
  • 1st Prize in All India Environment Painting Competition organised by Rajasthan Lalit Kala Akademy,1995
  • 1st Prize in National Competition organised by NCERT, New Delhi,1995
  • Merit Certificate in International Poster Contest – 96 organised by NCERT-UNFPA.

 

  • Rock Concert :

The major attraction this year would be a Rock Concert by the  Parikrama Band.

The Schedule is as per follows :

Day 1:
Inauguration of the Fest by Hon’ble Governor of Gujarat. Conference on VLSI and Embedded Systems.Followed by a Debate Competition, Inauguration of the Fest Fun Fair,Painting Exhibition by Artist Kamal Sharma; Slate, the Creative Writing Competition and Gangs of Ghetto, a Street Dance Competition.

Day 2:
Conference on Cloud Computing and Mobile Technology followed by Management Conclave; Workshop on Designer Tools; Sir Padampat Singhania University Speech Competition; Prop Opp, a mock Parliamentary Debate Competition; Infostorm, a Quiz Competition; Rock Concert by Evergreen band and Woodstock, War of Bands.

Day 3:
Workshop on Computer Networking; Limca World Record attempt; Rock Concert by Parikrama band; Ban the Bomb, a Dance for a cause.

Day 4:
Dr. Girija Vyas, Member of Parliament is expected to be the Chief Guest, while Gajendra Singh Shaktawat, MLA is expected to grace the occasion as the Guest of Honor.

Panache ’12 is expected to be four day adventurous journey of exploring oneself and view the technological advancements around the globe.

(Schedule Courtesy: UdaipurTimes.com)

For Further Details Kindly Visit : http://panache.spsu.ac.in or contact: panache@spsu.ac.in

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Taj Lake Palace awarded the No. 1 Hotel in Asia & Pacific

Lake Palace Udaipur

Few days ago in an Annual meet of LHW(Leading Hotels of World) organized in Mumbai. Udaipur’s Taj Lake Palace was awarded the No. 1 Hotel in Asia and Pacific for its Quality and Commitment.

In the presence of Members of all the Leading Hotel Groups Taj Lake Palace, Udaipur was chosen for this award on behalf of its excellent accommodation, facilities and services. 🙂

Hotel Lake Palace is situated amidst the Lake Pichola and is the center of attraction for all the Tourists coming to Udaipur. This is now operated by Taj Group of Hotels.

Taj Lake Palace

Photo Credits and Article Source: UdaipurPost.com

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5 things I hate about The Celebration Mall, Udaipur

The Celebration Mall Logo
This Logo is a Property of The Celebration Mall and is taken from their website tcmudaipur.com

 

The Celebration Mall, Bhuwana : A joint development of CapitaMalls Asia & AIPL (Advance India Project Limited) is the first and only Heritage Mall of Udaipur offering wide ranging services of a Mall. But there are certain things we hate about it and it will be really appreciable if they can work on this.. !! And make this Mall – A happening place to Be 🙂

Proper Drinking Facility:

While checking out the complaint/suggestion book of the celebration mall I found that the most hated problem is of “Drinking Water Facility”. This problem is prolonging and no one is taking care of it. Can’t the mall Authorities add Proper Drinking facilities in the Mall to facilitate people???

No Personal Celebration in Celebration Mall:

For this point I would refer to one of the incidents me and my friends faced.. ! It was one of my friends birthday and we all planned to have birthday celebration in our ‘Celebration’ Mall. We were ready with the birthday cake but there was no place to cut the cake; Finally we found our space on the 3rd Floor in front of the local shoppee zone. We found a table to place the birthday cake and when we were about to cut the cake the security guards caught us all and stopped us to ‘Celebrate’.  So My question is why can’t a Mall named ‘THE CELEBRATION MALL’ have some space(apt suggestion for this will be to get a FOOD COURT soon!) to really ‘celebrate’ Waiting to hear the answer from them.. 😉

Not enough place to sit:

How do you feel when after buying a McDonald’s Meal on Sunday you don’t find enough space to sit comfortably and have your meal. I hope that sentence was enough to describe my feelings. This BIG Mall with 90,000 sq. ft Area don’t even have enough space to make proper seating for people who come there. 🙂 Anyways.. I hope they improve this too 😀

No Locker Rooms:

Again would add my personal incident in this heading.. 😛 Being a responsible citizen I always care to wear Helmet as my Local Traffic Police suggests. One fine day me along with my friends planned to go for movie; Maybe it was my first time to enter into celebration mall with a Helmet. 😛 When we went to PVR we found that no valuables were allowed inside. There was no place to keep our helmet or bags in the complete mall. As my tickets were already booked so I had to keep my Helmet outside in open space(maybe some construction site inside!!). After enjoying the movie with fear of losing my Helmet when we came out I found that I have really lost my HELMET worth : 1200Rs.  I don’t know whom should I blame is it the Mall Authority or PVR. I had my point so stated it here 😛

Official Website ain’t updated about Events:

Every now and than there are various events that keep happening in The Celebration Mall (Maybe In order to prove itself that it really celebrates :/ ) but their Official Website: tcmudaipur.com is never updated about these events and schedules or even photos of these events.. 🙁 Its our generous suggestion to keep us all updated about your mall happenings through your site because we have more reasons to love it than to rather have 5 things to hate about it 🙂

There are still many points people hate such like not being allowed to clicks pictures inside, can’t run or have fun inside etc. Do Share your comments what are your views about the celebration mall. We will definitely inform the Mall Authorities and wait for their answers about this.. 😉

 

UPDATES:

  • TCMUdaipur.com has taken the initiative to keep the site updated with upcoming events.
  • This Article was forwarded to Mall staff but No response from the Mall staff yet including the Managerial Team. :/
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And the Grandiosity of the Royal Palace Released

hotel rajmahal bhindar

The long-awaited ecstatic wait of envisioning the charm of the age-old royal palace: The Rajmahal Bhindar finally came to satiety this New Year.

The celebration of its 434th New Year- The Royal Extravaganza 2012, brought inside the common public to witness this grand opening. The hotel was flowingly packed 3 days before the event. With a number of large enquiries heard even after that!

The Bhinder Raola (as denoted till now) was in its whole beauty & magnificence amidst the breezes of cool fresh air. Camp-fire in one area, DJ party in another (the Khush Mahal); along with a serenely lighted Bar. The celebration continued till around 3:20 a.m. in the morning with the lovely sounds & dancing beats of the rock band & DJ.

In all, a successful start of a well-awaited Heritage venture, a Restaurant (Bagichi) with a splendid taste (Truly, such quality is rarely found in Udaipur) and even after that, commercially still an upper mid-segment Hotel.

The Palace holds its specialty in Royal Weddings; & with this very successful party in its commencement itself, a clear portrayal of a fantastic wedding & group arrangement was made!

We wish all our best to the Hotel Rajmahal Bhindar for its upcoming future.
Special mentions to the Director- Ms. Parthvi Shaktawat– without whom this dream project couldn’t be completed. You really deserve a standing appraisal, aptly a princess! 🙂

And here we present you some fabulous pics of the palace by Yash Sharma:-

hotel rajmahal bhindar

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hotel rajmahal bhindarHotel Rajmahal Bhindar

Hotel Rajmahal Bhindar

Hotel Rajmahal Bhindar

Hotel Rajmahal Bhindar

 

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International Qualifications for Udaipur’s School Going Children

University of Cambridge

With tremendous growth now parents of Udaipur can afford international qualifications for their school going children. Especially those who are planning to send their children abroad for higher education. Unfortunately at present there is no school offering international qualifications in Udaipur, but IB and IGCSE are quite common options the parents of Udaipur recognizing now. Presently these curriculum’s are limited to elite class and upper middle class, as these curriculum’s demand for little higher fee structure.

International Baccalaureate, popularly known as IB (www.ibo.org), is running its programme in more than 100 countries since 1960. The IB Curriculum is designed as an academically challenging and balanced programme of education with international examinations that prepares students, for success at university and life beyond.

The IB curriculum is divided into three levels, PYP (Primary Year Programme) is for Primary years, MYP (Middle Year Programme) for middle school students and DP (Diploma Programme) for senior secondary level students. IB has gained recognition and respect from the world’s leading universities and boards.

The programme:

  • provides a package of education that balances subject breadth and depth, and considers the nature of knowledge across disciplines.
  • encourages international-mindedness in IB students, starting with a foundation in their own language and culture developed a positive attitude to learning that encourages one to become lifelong learner.
  • gains a reputation for its rigorous external assessment with published global standards.
  • emphasizes the development of the whole student–physically, intellectually, emotionally and ethically.

So far, India has 74 IB schools. IB curriculum is exclusive for children belong to upper middle class and the rich.  Its fee structure is anytime higher than the RBSE and CBSE schools. Out of these 74 IB schools Rajasthan has just two schools offering IB Curriculum at present and a few are in the process to get affiliation. Interestingly these two IB schools claim that the fee in these schools is the least in India. They charge somewhere between Rs 1.5 to 2 lakh per annum. A few IB schools in Delhi and Mumbai charge as far as Rs 6 lakh to 9 lakh per annum.

IB students have an edge in appearing for exams like CET, PMT, IIT, BMS, CPT and CLAT. They are better equipped due to the in-depth self-study undertaken during the IB Programme.  The assessment of students is done through internal tests, projects, portfolios, commentaries and essays. Even participation in community service is assessed.

The main highlight of this curriculum is that many universities in the UK and US award transfer credits to IB Diploma graduates. These credits could translate into saving from six months to a year during the undergraduate degree courses.

The Association of Indian Universities (www.aiu.org) recognizes the IB Diploma (Class XII) equivalent to plus two class of CBSE, ICSE and other state boards.

Cambridge International Examinations (www.cie.org.uk) is another famous international curriculum which is spreading at very fast pace in India. Like IB, CIE (Cambridge International Examinations) is also outspreaded in more than 120 countries; Cambridge International Examination is a part of Cambridge University UK.

The University of Cambridge International Examinations hands out various qualifications. For Primary level CIE offers CIPP (Cambridge International Primary Programme), for Middle school Secondary Level-1 and Level-2 are on offer which includes Checkpoint for Grade 8, for Grade 9 and 10 exams like IGCSE, O-Level and ICE. And for plus two level students CIE offer A-Level programme.

At present there are 254 CIE-affiliated schools in India, with around 8 of them in Rajasthan. These eight schools offer different Cambridge International Examination programmes like Checkpoint, IGCSE, ICE, O and A level Exams.

Its IGCSE programme is the most popular programme in the world among 14 to 16 year age group. The main highlights of this programme are wide range of subject options, division of each subject as per the learner’s capabilities as core and extended level, and the most interesting one is on gaining C grade or up, in English as first language or as second language, the IGCSE student needs not to get into TOEFL and IELTS Exams. IGCSE English with Grade C or up is widely accepted by all Anglophone countries like UK, US, Australia, NZ, Canada and SA.

IB and CIE Curriculums are becoming popular day by day in India and Udaipur is also becoming familiar with these terms. If you want to know more you can get in touch with these boards by visiting their websites WWW.IBO.ORG  and WWW.CIE.ORG.UK.

Post by : Pradeep Sharma

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Lifestyle

Resolutions: Welcome 2012

Days passed, months ended and here we are about to bid goodbye to 2011 . Yes! Its high NEW YEAR TIME guys and apart from celebrations, hangouts and shopping, everyone wants to get the best out of them in the upcoming year 😀 The first thing that clicks every individual’s mind is WHAT changes they want in them, WHAT new they intend to bring in their life :O. As we all are aware that human wants and zests are unlimited, so the identification of immediate longing plays an enormous role. This is what defines a resolution.

Whenever I see New Year approaching, the first thought in my mind (of course after deciding the New Year gift) is what to resolve for the next year. One should adjudicate their goals according to their capabilities. To share old memories, in our School times, every girl (GIRLS CONVENT SCHOOL) had to resolve the best thing she aspires. Though we never followed what we resolved, but it was fun knowing what everyone wanted to achieve. Funny upshots came up like “I WOULD DATE THE BEST GUY OF THE CITY”, “I WOULD MAKE MYSELF A PERFECT ZERO FIGURE”  and many more ( trust me, girls don’t miss a single chance to prove themselves SILLY). One of the toppers of the class suggested providing lunch to the poor children (TO MENTION-the children coming to our very own school for free education). That soon became the resolution of our whole class, and believe me, that CHARITY gave the best of the feel deep down the heart.

Coming back to the concerned topic, there are many resolutions one can take to make himself, his family, and even the entire city happier and a joy to live in 2012. To give a start, I can see almost all the youngsters, despite knowing about the disadvantages and the health issues that may arise in the future are addicted to consumption of drugs, liquor, and most of all, Hukkah. A local paper of Udaipur dated 21st December 2011, reads out that Udaipurites have resolved to fight against the consumption of anti-social consumables like Liquor, Cigarettes, Hukkah, etc, which is a statement of pride in itself. Surveys also state and swear that Hukka is being banned in Udaipur from the very first day of 2012 itself. With the rising drug addiction and high stream of money, it’s high time to make everyone aware about the pros and cons of these drugs.

With high number of poverty stuck illiterate people, it’s our responsibility to raise voice against expanding social issues like child marriage, female infanticide/feticide (Both are at its highest peak in Rajasthan). It is the duty of Youth to resolve to scrap out these problems as well as ameliorate them among the ignorant. This can be the next resolution in one’s life if someone really wants to help the society as well.

Huge numbers of accidents are taking place in the city because of rash driving. Recently the cover story in a local daily reported against a boy aged 16 years riding his bike at 120 plus kmph, and hitting a herd (group of cattle) that came on the same way. So everyone should resolve to prove to be good citizen and prove to be a better human. Let no animal be injured, but most important, be responsible while driving on the roads, as you are even responsible for the traffic that move around you.

Bringing the most important topic into concern and admiring my own city-the city of lakes. We all know its beauty has made it the favourite tourism spot in whole of the Rajasthan, and even the world. So, resolving to keep the city clean and being eco friendly will be a great contribution. It is in our hands to take Udaipur to a new height. There are many points one can just start up with. So Udaipurites- think innovative, give a chance to yourself, resolve high and achieve big.

For the cessation, I would just end up saying that do something which brings a positive alteration because WE, THE YOUTH CAN CREATE A DIFFERENCE 😀

HAPPY NEW YEAR to everyone in advance. 🙂

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Guest Article by: Geetanjali Khatri

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Events

Celebrate your new year with EXPLOSION O’12

Explosion 2012

Celebrate your new year with EXPLOSION 0’12 organized at Lake City Garden, Thokar choraha. Techno India NJR & Xplozzers present this joyful night for the youth of Udaipur. Let’s rock on the open dance floor with enthralling light and sound in heart of Udaipur City. Enjoy heart thumping DJ music, open-air disco, exciting activities and delicious food at extremely affordable rates.

The event will have performance from Rock band “Jobless workers”. Considering New Year is right around the corner, it’s time to get the ball rolling. So don’t miss this New Years Eve Celebration 2012 at any cost. Sponsors for the event are Techno India NJR , Mahima Regency, Shakes Delight, Scissors, Ashoka Bakery, VIIT

The party passes costs are as follow:

  • For Single entry: Rs. 300 per person
  • For Couple entry: Rs. 500 per couple

Timing – 9 pm onwards till the clock strikes to the New Year…

Contact Numbers: 9602907415, 9672405657, 8769907887, 9636732396

Article by : Priyank Sharma 🙂

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नए साल का स्वागत; उदयपुर तैयार

विश्व का सबसे खुबसूरत और “रोमांटिक” शहर नए साल की आगवानी हेतु सज-धज के तैयार हो गया है.  विभिन्न होटल अपनी ओर से भी नए नए पैकेज ऑफर करके सैलानियों को आकर्षित कर रहे है. कई रेस्टोरेंट्स और प्राइवेट फार्म हाउसेस में थीम पार्टियां आयोजित की जा रही है. शहर के अधिकांश होटल्स लगभग फुल हो चुके हैं. क्रिसमस और सर्दी की छुट्टियों का पूरा लाभ लेते हुए देशी सैलानी भी उदयपुर का रुख कर रहे हैं. अंदुरनी शहर की गलियाँ विदेशी मेहमानों कि कदम ताल से जीवंत हो उठी हैं.विभिन्न  होटल्स ने भी  नए साल का स्वागत करने के लिए नया इंटीरियर करवाया है, रौशनी से इमारतों को सजाया गया है.. उल्लेखनीय है कि झीलों के लबालब होने से पर्यटक उदयपुर का रुख कर रहे है. इस वर्ष कई फेमस हस्तियों ने भी उदयपुर आकर और बाद में अपने अनुभवों को सोशल साइट्स पर बांटकर पर्यटन को और समृद्ध किया है.

देशी सैलानियों में इस वक़्त गुजरात, दिल्ली और बंगाल के सर्वाधिक पर्यटक आ रहे हैं. अंदरूनी शहर में लगभग जाम की स्थिति बनी हुई है. ट्राफिक पुलिस ने सिटी पेलेस मार्ग को चौपहिया वाहनों के लिए एक तरफ़ा कर दिया है. पेलेस मुजियम को देखने आने वालो को भी लाइन में इंतज़ार करना पड़ रहा है. दूध तलाई, रोप वे, जगदीश मंदिर, मोती मगरी, लोक कला मंडल, बाघोर की हवेली  इस वक़्त मेहमानों से रोशन है. गुलाबी सर्दी में पिछोला के पानी को निहारते सैकड़ों विदेशी और देशी सैलानी इन दिनों नज़र आ जायेंगे. पर्यटक यहाँ शिल्पग्राम में चल रहे मेले का भी भरपूर आनंद ले रहे हैं. वहां मेवाड़ के देसी व्यंजन उन्हें खूब भा रहे हैं. देश के हर कोने कोने से आये हस्त-शिल्प उन्हें यहाँ शिल्पग्राम में लघु-भारत का आभास दे रहे हैं. शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी खूब मन मोह रहे हैं.

मेट्रो शहरों की उबाऊ पार्टियों से दूर अब सैलानी प्रकृति से भरपूर और शांत शहरों की ओर रुख करने लगे हैं. udaipurblog.com टीम ने जब शहर में भ्रमण कर रहे सैलानियों से उनके अनुभव जानने चाहे तो एक ही बात सामने आई कि उन्हें उदयपुर की झीलें और यहाँ के शांत लोग सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं. वे यहाँ यहाँ बार बार आने से खुद को रोक नहीं प़ा रहे. फरीदाबाद से अपने पूरे परिवार के साथ शहर घूमने आये श्री विनोद जैन को शहर का रेलवे स्टेशन भी अलग लगा. वे प्राकृतिक सौन्दर्य से बहुत प्रभावित नज़र आये. मुंबई से आये एक युवा समूह ने झील के किनारे एक होटल में पार्टी की लिए पूरी तैयारी कर ली हैं. वे शहर भ्रमण के साथ साथ आस-पास के पर्यटन स्थलों की तरफ भी रुख कर रहे हैं. सूरत से आये एक गुजरती परिवार की डेल्ही गेट से कर को ट्राफिक पुलिस उठा कर ले गयी, क्योकि शौपिंग करते हुए वे अपनी कर को गलत जगह पार्क कर गए थे. 24 परगना (पश्चिम बंग)जिले से आये चक्रवर्ती परिवार लगातार तीसरी बार उदयपुर आया है.. परिवार की एक बुज़ुर्ग सदस्य हँसते हँसते कहती है… पधारो म्हारे देस की धुन उन्हें बार बार यहाँ आने का न्योता दे रही है. कोई “नटराज” के खाने से मोहित नज़र आया तो किसी को लोक कला मंडल की कठपुतली शो ने चमकृत कर दिया. पिछोला में पड़ रही लेक पेलेस और जग मंदिर कि रौशनी से कोई अपनी नज़र नहीं हटा प़ा रहा तो करणी माता, माछला मगर  से शहर को निहारने की भी ललक किन्ही आँखों में दिखाई दे रही है…. बहरहाल आगामी पांच-सात दिनों तक शहर पर्यटकों से यू ही आबाद रहने वाला हैं.

चलते चलते– udaipurblog.com द्वारा शहर में पधारे पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे अनधिकृत गाइडों और लपकों के बहकावे में न आयें. अपने वाहन निर्धारित स्थानों पर ही पार्क करें. किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर वहां उपस्थित पुलिस अथवा आमजन की मदद ली जा सकती है. उदयपुर आने की प्लानिंग करने वाले दोस्तों से निवेदन है कि कृपया पहले एडवांस बुकिंग करवा कर ही शहर में पधारे, ताकि अनावश्यक असुविधा से बचा जा सके.

Article By : Arya Manu