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अब ओला-उबर वाले ड्राइवर्स उदयपुर में नहीं कर सकेंगे अपनी मनमर्ज़ी

जब भी अगर बारिश होती है, हमारे पास गाड़ी नहीं होती या अगर कोई इमरजेंसी होती है तो हम कैब बुक करते हैं। भरोसा करते है उनपर की हमें हमारे निर्धारित स्थान पर पहुचाएंगे। लेकिन अगर वे हमारी इसी मजबूरी का फायदा उठाए तो ये कहा तक सही है।

उदयपुर में सबसे प्रच्वलित कैब सर्विस कंपनियों में से ओला और उबर हमारे शहर में उपलब्ध है। तो ज़रूरत के समय हम इनका इस्तेमाल करते है लेकिन कुछ दिनों से इन कंपनीओ के कैब चालकों के खिलाफ यात्रियों की शिकायतें आ रही थी की वे मनमर्जी से किराया वसूलने, तय किराए से ज्यादा लेने, अनफिट वाहनों में यात्रियों को बैठाकर जान जोखिम में डालने और बुकिंग रद्द करने की धमकी देने लगे है। इसी को लेकर प्रादेशिक परिवहन कार्यालय उदयपुर की टीम ने बुधवार को यात्रियों से मिली शिकायतों के आधार पर 52 ओला-उबर वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

लंबे समय से ओला-उबर वाहन चालकों के खिलाफ यात्रियों से कई शिकायतें मिल रही थीं। नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों से अवैध तरीके से किराया वसूलने और अवैध वाहन चालने वाले ओला-उबर वाहन चालाकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 2 टीम्स को सघन चेंकिंग अभियान और डिकाॅय ऑपरेशन के लिए भेजा। दोेनों टीमों ने 52 टैक्सी चालकों के खिलाफ चालान बनाए हैं। चैकिंग के दौरान वाहन चालकों को बिना फिटनेस, बिना इंश्योरेंस, बिना पीयूसी के वाहनों का संचालन करते पाया गया। अब मोटर वाहन अधिनियम 1988 के नए प्रावधानों के मुताबिक ऐसे प्रत्येक प्रकरण में ओला-उबर कम्पनी के विरूद्ध एक लाख रुपए प्रति शिकायत जुर्माना और लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जा सकती है।

कुछ उदयपुर वासियों ने UdaipurBlog से अपने साथ हुई ऐसी घटनाओं को साझा किया

अभी जब उदयपुर में पहली मावठ पड़ी तब कई लोगो को आने-जाने में कई तकलीफों का सामना करना पड़ा। ऐसे समय में टैक्सी/कैब मिलने में काफी मुश्किलें भी हुई। मुझे और मेरे 2 दोस्तों को साथ में ऑफिस जाना था जिनका घर बिलकुल रास्ते में था तो ओला से कैब बुक की। जो ड्राइवर था, उसने एक्स्ट्रा चार्ज लेने की बात कही। अब ऐसे समय में जब कोई और साधन नहीं मिल रहा था तो एक बार के लिए मान तो गई में पर उनसे एक्स्ट्रा चार्ज कितना है पूछने पर भी उन्होंने ट्रिप के एन्ड तक कुछ नहीं बताया। फिर अचानक से 167 रुपये के ट्रिप के उन्होंने एक्स्ट्रा किलोमीटर के साथ बिल जेनेरेट किआ 229 रुपये का और फिर ऊपर एक्स्ट्रा चार्ज मांगे 150 रुपये। अब ऐसी मजबूरी में और क्या किआ जा सकता था।

मुझे एक बार दुर्गा नर्सरी से UIT जाना था तो कैब वाले ने इसके 600 रुपये बताए जो की कही से भी वाजिब नहीं थे। ऐसा कई बार हुआ है की कैब वाले कम फेयर देख के कैंसिल भी कर देते है बुक्ड राइड। इसके खिलाफ सख्त कार्यवाई तो होनी ही चाहिए।

ऐसे कई लोगो ने अपने साथ हुई नाइंसाफी हमसे साझा की और हमें ख़ुशी है की उदयपुर प्रसाशन ने इस पर दुरुस्त कदम उठाया है। अगली बार अगर आपके साथ ऐसा कुछ भी हो तो मजबूरी शिकार ना बने और इसकी शिकायत ज़रूर करे।

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जानिए आखिर क्यों उदयपुर स्वच्छता सर्वे -2021 में 54 से खिसक कर आ गया 95वें स्थान पर

स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में राजस्थान के एक से 10 लाख आबादी श्रेणी के टॉपर उदयपुर का देश में 41 रैंक पिछड़कर 95वें स्थान पर । पिछले साल उदयपुर 54वें नंबर पर था। रैंकिंग गिरने से अधिकारीयों पर सवाल उठ रहे है, क्योंकि शहर की स्वच्छता पर नगर निगम हर साल करीब 71 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। पड़ताल में सामने आया है कि निगम के पास 70 वार्ड के 85 हजार घरों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए सिर्फ 77 वाहन है जिसमे से 75 टिपर और 2 ई-रिक्शा हैं। जबकि हर वार्ड के लिए कम से कम दो वाहन चाहिए। ये वहां भी सिर्फ सुबह के टाइम पर कचरा संग्रहण करते हैं। शाम को ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। उदयपुर में अगर कोई शहरवासी सुबह कचरा न दाल पाए तो कचरा डालने के लिए अगले दिन के लिए इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

देश का सबसे साफ़ शहर है इंदौर और वहां कचरा संग्रहण का काम सुबह-शाम होता है। अब उदयपुर में ऐसी सुविधा ना होने के कारण कई लोग खुले में कचरा डाल देते हैं जो हफ़्तों तक यूँही पड़ा रहता है, जबकि निगम ने खुले में डला कचरा उठाने के लिए भी कई एजेंसिओं को ठेका दे रखा है। अब मेयर जी.एस. टांक और डिप्टी मेयर पारस सिंघवी का कहना है कि शहर को स्वच्छता में सिरमौर बनाने के लिए नए सिरे से प्लान तैयार कर रहे हैं।

इस सब को देखते हुए उदयपुर के मेयर जी.एस. टांक ने यह भी बताया की उदयपुर निगम भी इंदौर की तरह सुबह-शाम कचरा संग्रहण पर काम करेगा। इसके लिए टिपर की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी। खुले में कचरा डालने पर तुरंत उठाया जाएगा। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। इस बार हमारे गार्बेज फ्री सिटी के नंबर नहीं जोड़े गए। अगली बार तकनीकी पहलूओं को भी दुरुस्त कराएँगे ताकि राजस्थान के बाहर भी उदयपुर स्वच्छता में अव्वल रह सके।

निगम के साथ शहर वासियों की भी इसमें ज़िम्मेदारी बनती है की हम अपने शहर को साफ़ रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाए और कचरा इधर-उधर खुले में ना फेके। तब जा के हम और आप उदयपुर को सबसे स्वच्छ शहर के रूप में देख पाएंगे।

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उदयपुर के पेसिफ़िक मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल को मिली एनएबीएच की मान्यता

उदयपुर स्तिथ पेसिफिक मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) से मान्यता मिल गई है। इस दौरान पीएमसीएच के चेयरमैन राहुल अग्रवाल, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमन अग्रवाल, सीईओ शरद कोठरी, ग्रुप डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज डॉ. दिनेश शर्मा एवं मेडिकल अधीक्षक डॉ. आर के सिंह आदि उपस्थ्तित थे।

पीएमसीएच के चेयरमैन राहुल अग्रवाल ने बताया की एनएबीएच ने यह मान्यता मरीज़ों के प्रति गुणवत्तापूर्ण देखभाल, नैतिक व्यवहार, निरंतरता और प्रतिबद्धता के चलते दी है। उन्होंने यह भी बताया की शहर में किफ़ायती दरों पर विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले अस्पतालों में शुमार पेसिफिक मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल को कोरोना काल में मिली यह मान्यता प्रेरणा स्त्रोत है। इससे अस्पताल के कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढ़ेगा और नई सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार भी होगा।

एनएबीएच रोगियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सम्बन्धी मान्यता और सम्बन्ध कार्यक्रम संचालित करता है। इसी के मानक, मूल्यांकन और प्रमाणन एक निर्धारित अवधि के अंदर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप मूल्यांकन प्रक्रिया पर आधारित होते है।

पीएमसीएच एक ऐसा स्वस्थ्य केंद्र है जहाँ एक ही परिसर में अधिकतम चिकित्सा विभाग और सुविधाएँ जैसे कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, डायलिसिस, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी, मेडिसन विभाग, जनरल सर्जरी विभाग, हड्डी रोग, स्त्री रोग, बाल एवं शिशु रोग आदि उपलब्ध हैं।

अपातला प्रबंधन का कहना है कि “हमें इस बात पर गर्व है कि एनएबीएच ने अस्पताल में अपना विश्वास प्रदर्शित किया है। हम पेशेवर वातावरण में सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने का प्रयास जारी रखेंगे।”

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Food

Udaipurite’s Favorite Samosa Places in Udaipur

We are Indians and we love food and specifically, we thrive for fried food; That’s not a complaint at all. Our lifestyle is incomplete without it.

Must be wondering, why did we jump straight onto fried food, especially when everyone around is all about eating healthy. Well, one thing i would like to convey is eating healthy food is good but eating hardcore Indian food is badass!

Now pouncing on our favorite go-to breakfast and snack material Samosa, would just like to confess on behalf of my co-citizens that ‘you’re the best and you are a wonder of culinary. Happy World Samosa Day’.

Today on this joyful occasion we’re going to know about some of the most loved and favorite samosa places in Udaipur, voted by our very own Udaipurites.

SAMOSA TAPRI

The name Samosa Tapri itself suggests the dedication of the place towards the dish. The place at present is serving 10 types of samosas and 8 types of teas to go with it; Best combination, samosa and chai, isn’t it. Cheese Corn Samosa, Manchurian Samosa, Pasta Samosa, Chocolate Samosa and Noodle Samosa are a few to mention from their unique menu.

Address: 291, Akashdeep apartment, Sector 11, Udaipur

DAYA NASHTA CENTER

Daya Nashta Center is one of the favorite samosa destinations for Udaipurites. They serve the snack in a very distinctive way. Samosa is crushed and served with small balls of dahi vada and chutneys. Craving already right?

Address: 100 Feet, University, Corner, Ayad, Pahada, Udaipur

Here's where you can get the best samosa, kachoris in Udaipur

PRATAP JI KE SAMOSE

If you are looking for some finger licking samosas in Udaipur then your destination is Pratap ji ke samose.

Address: Below Sevashram, Hiran Magri, Udaipur

BHAWANI CHAT CORNER

From the past few years, Bhawani chat corner has placed its name quite steadily when it comes to one of the best samosa places in Udaipur. They serve the samosa with a never before tasted and the very tasty heeng-pudina (asafoetida and mint) chutney.

Address: Bapu Bazaar, Opp. Rani Sahiba, Udaipur

RAM JI KE SAMOSE

Looking for the spicy samosas in town? Then you will definitely love and admire Ram ji ke samose. They are definitely the must try one’s.

Address: Ayad Puliya, Udaipur

JOGMAYA FOOD CORNER

Jogmaya Food Corner’s samosas are extra ordinarily pleasing to one’s taste buds. The samosas are quite sumptuous and tasty.

Address: RK Circle, Udaipur

JAIN NASHTA CENTRE

Jain Nashta Centre is one of the most prominent breakfast destinations of the city. People crave for the yummy samosas here and if you are a samosa person, then you would definitely know this place.

Address: University Rd, Shakti Nagar, Udaipur

SUNIL TEA STALL

Tangy Samosas with a pleasant lake view. What else one needs? The location is an aid to the mouth watering samosas.

Address: Fateh Sagar Lake, Udaipur

BHERUNATH SAMOSA CENTRE

Bherunath Samosa Centre provides some appetizing and distinctive tasted samosas and yes you would wanna try them for sure.

Address: Old RTO Road, UIT Colony, Pratap Nagar, Udaipur

NEELAM RESTAURANT

Neelam’s samosas are famous for it’s palatable yet tangy flavors. If you want to taste one, you better run early in the morning because no one misses to make their mornings best with it’s amazing snacks.

Address: Bohra Ganeshji, Udaipur

You know what, samosa is also called small triangle pastry. So, try these yummylicious, anti-resisting triangle pastries and relish this Samosa day.

If you want to get featured in this listicle or you know someone who can be part of this list, then send the details on nivedita@udaipurblog.com.

Thank you Udaipurites for helping us in curating this list. You are Amazing!

Check out these Chai Places in Udaipur to go with your samosas!

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Young Mountaineer From Udaipur Chooses Humanity Over Dreams

Wrong and right are two different sides of the same coin. But lesser do we know that there’s something above than just two sides and a mere coin i.e. humanity; The most noble act one can do is to showcase it.

There have been heroes in the past we’ve been proud of. It’s time to bring that feeling back. A young mountaineer from Udaipur, Kartik Khandelwal has shown the courage to drop his dreams in the midst of a hike and hence saved a life.

About Kartik Khandelwal

  • Kartik is a 21 year old youngster from Udaipur, studying BSc from BN college.
  • He is a an active cadet in NCC 6 RAJ AIR WING SQN.
  • He is a passionate mountaineer, a skyrunner, a rock climber and much more than explained.
  • Kartik also runs his own trekking group known as Ekjagah.
  • Apart from this he has nearly completed 20,000 climbs.

Now, in his recent hike ,the young mountaineer Kartik faced a situation where he had to choose between his hard earned dreams and saving a co-trekker’s life.

Unforgettable Mt. Yuman Journey

  • It was Mt. Yuman (Himachal) where he and other five of his co-trekkers with their coach started to head up to achieve the 20,000 ft summit.
  • The 7 memebers of IMF (Indian Mountaineering Foundation) used to trek in the night to face less of the danger and glacier melting threats.
  • The climb began on 17th July 2021 and their base camp was Bharatpur, Lahaul.
  • The trekkers crossed the snowed mountain as well as forest terrain and ice cold river streams to set up their first camp at 17,000ft.
  • It was dark in the night and thee trekkers started to move at 2:25 am for their final move towards the summit.
  • Nothing was visible due to the snow and haze. Still they moved ahead.
  • The team was just 800m away from the dinal summit and suddenly a team mate started to feel Acute Mountain Sickness (AMS); a sickness that every avid mountaineer dreads of.
  • This time, Kartik Khandelwal has achieved a 20,000 ft climb to Mt. Yunam, or rather gave up touching the summit by a distance of 800m to fulfill another imperative task.
  • The co-trekker was Kartik’s trek buddy (During trekking two mountaineers are paired and called buddy). With his health detoriating, Kartik had to take a call of choosing between his goals, that he aspired the most and had come to achieve it with grave difficulties or to save someone’s life.
  • Normally, if a person in a group is down during trekking then the whole crew stops dismisses the further journey on stop. But in this case as the crew was very close to their final height and seeing his friends situation deteriorating, Kartik took a call to let his team move forward and carry his friend by himself back to the base.
  • He carried his buddy with both of their heavy rucksacks. And finally was able save him.

It’s truly said that life is an adventure and full of surprises. You never know what may come and when. You might plan things but things may not go accordingly. Today, Kartik Khandelwal has set an example that humanity is above everything. To safe a life he was ready to drop a dream for which he was prepping for so long and was so close to achieving it.

Not everyone has the courage to do that and we are proud of his acts and accomplishments.

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History and Culture

Freedom Fighters From Mewar: Independence Day Special

Freedom is just not flying with a bunch of feathers. One can not emphasize enough on its importance. The struggle, the pain, the oppose and the obstacles to attain freedom has hardships one can barely imagine.

Today, when India is entering into the 75th year of its independence, let us acknowledge and honor the work and sacrifices of the freedom fighter from Mewar, who not only contributed in attaining freedom but also helped in the foundation of this nation.

Shri Bhurelal Baya

  • He was born in 1904.
  • He participated in the movement against Simon Commission, 1928 and Mahatma Gandhi’s Salt Satyagraha called Dandi March in 1930.
  • He was also in Pune’s Yerwada Jail with Mahatma Gandhi in 1930.
  • He was also elected as Vice-Chairperson of the Praja-Mandal in 1938.
  • He spent 13 months in Sarada Jail after his movement against the dissolution of Praja Mandal.
  • He started the Charkha Mandal in Mewar and also participated in the Quit India Movement in 1942 called by Mahatma Gandhi and served in Udaipur’s Iswal Jail  for 18 months.
  • Then, he founded the Mewar Relief Society to help the flood victims of Khari River.
  • Shri Bhurelal led the Bijoliya Praja Mandal session and devoted his life towards the achievements of Praja Mandal.
bhurelal
Image Source: Eternal Mewar

Shri Manikyalal Verma

  • He was born on 4 September, 1897 in Bhilwara.
  • He was inspired by the poetry of the legendary poet and freedom fighter Shri Vijay Singh ‘Pathik’.
  • He served for about 14 years in jail.
  • He was in the founding committee which later organised the Praja Mandal in Mewar.
  • He was again arrested during the Quit India Movement in 1942 by the British.
  • He traveled continuously to remote villages and collected great public support.
  • He played a vital role in social reforms at Dungarpur.
  • He was the key organizer of the 9th session of Bhartiya Desi Rajya Parishad held in Udaipur and administered its welcome committee.
  • After the Rajputana Princely States merged into the Union of India which was formally inaugurated by Pandit Jawaharlal Nehru on 18 April 1948 in the Durbar Hall of Fateh Prakash Palace, Udaipur, the cabinet was formed under the leadership of Shri Manikya Lal Verma.
manikyalal
Image Source: Eternal Mewar

Shri Mohanlal Sukhadia

  • He was born on 31st July 1916.
  • He participated in the Rajasthan Sahitya Sabha organised by Rajasthan Vidyapeeth in 1940 which drove him towards the independence movement.
  • He participated in the Quit India Movement of 1942, due to which he was sent to the Iswal Jail for 18 months by the British government .
  • He served the flood victims of Khari River flood in 1943. He summoned relief workers and arranged food, medicines, clothing and other necessities for the victims.
  • He also participated in the Akhil Bhartiya Hindi Sahitya Sammelan in 1944.
  • In 1946, Praja Mandals of various states merged to form a statewide organization and named it Rajputana Prantiya Sabha. Shri Mohanlal Sukhadia was introduced in the Executive Committee of this newly formed organization.
  • Shri Mohanlal Sukhadia’s  efficiency and effectiveness in problem solving tactics were highly valued in the organization’s meetings that earned him recognition as one of the top leaders in Rajasthan.
  • Shri Mohan Lal Sukhadia joined the cabinet of Union of Rajasthan as Irrigation and Labour Minister.
  • After a long political career, he became the youngest Chief Minister of any state in India. He continued on this post for record making 17 years from 13 November 1954 to 8 July 1971.
mohanlal sukahdia
Image Source: Eternal Mewar

Shri Balwant Singh Mehta

  • He was born on 8 February 1900 in Udaipur.
  • He started the Pratap Sabha in 1915 and played a vital role in the celebration of Maharana Pratap Jayanti at Amal ka Kanta, Udaipur from 1917.
  • During his Presidency, in 1933-34 the Haldighati Mela was started.
  • He solely represented Udaipur in Congress sessions; Lahore (1929) and Karachi (1930).
  • He participated in the tax movement of 1932 against the state.
  • The foundation of Praja Mandal of Udaipur took place on 24th April 1938 where he was elected as the Chairperson.
  • He was arrested on 4th October 1938 and served jail for 1 year.
  • He was actively involved during the Quit India Movement in 1942 and was arrested and put in the Central Jail of Udaipur.
  • After his release from the jail, he supported the Bhil Andolan and founded the Vanvari Sewa Samiti in 1943.
balwant
Image Source: Eternal Mewar

Shri Kanak Madhukar Agrawal

  • He was born on 12th July 1912 in Banera village of Bhilwara.
  • He started the weekly newspaper called ‘Dainik Navjivan’ which was published from Ajmer.
  • He usually printed against the British Government in his newspaper and as a result was warned multiple times.
  • Whatever be the circumstances, he did not stop and continued to get public support for which he was arrested and sent to jail for 14 months during the Quit India Movement of 1942.
  • After his jail tenure, he was banned from Ajmer.
  • He then traveled to Udaipur in 1944 and re-established his printing press and started the newspaper ‘Dainik Navjeevan’ because of which he again had to serve in the jail for 15 days as per the orders by the British government.
  • He was given Maharana Mewar Special Award by Shriji Arvind Singh Mewar of Udaipur in 1990.
kanak madhukar
Image Source: Eternal Mewar

Shri Heeralal Kothari

  • He was born on 8th August 1905 at Gogunda.
  • He was elected in the First Prajamandal Executive Committee.
  • He also helped in providing basic amenities to the freedom fighters who were serving in jail.
  • Shri Heeralal Kothari took part in the Quit India Movement, 1942.
  • He was the Treasurer and Vice -Chairperson of ‘Vanvasi Sewa Sangh’.
  • He was a member of the Mewar Relief Committee during the Khari River Flood of 1943.
  • He handled the finance department in Desi Riyasati Prajaparishad Adhiveshan in 1946.
  • In the independent India, he was one of the primary Ministers from Mewar.
  • He promoted education and in 1933 he opened Manohar Sewa Sadan School in Udaipur.
  • He also served as a home and education minister of the state. And not only that, he was the first Chairperson of Nagar Nigam, Udaipur.
  • He played a vital role in developing the wool industry in Devgarh.
heeralalkothari
Image Source: Eternal Mewar

Shri Prem Narayan Mathur

  • He was born on 15 October 1912 at Kurabad.
  • He started working for ‘Rajasthan Saptahik’ in 1937.
  • He actively participated in the 1938 Prajamandal movement and Quit India Movement, 1942.
  • He was chosen in the cabinet of First Chief Minister of Rajasthan with Shri Heeralal Shastri, where he was chosen as the Home and Education Minister.
prem naryan
Image Source: Eternal Mewar

What mighty heroes has our soil produced. These might be a few freedom fighters to be mentioned but the contribution of each and everyone in the formation of us as a nation has been scripted in the history, that too in golden words.

Their remarkable work can not be just appreciated with mere words. We are thankful to all the fighters of our freedom, whether sung or unsung, who despite of all the complications and obstructions stood strong and hard. Entering with pride in the 75th year of Independence. 

 

Source of the article & images: Eternal Mewar

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जानिए उदयपुर के लेखक श्याम सुन्दर भट्ट के बारे में

कई विद्वानों और बुद्धिमान व्यक्तियों ने एक ‘शब्द’ को अपने तरीके से परिभाषित किया है। पर आखिर में शब्द क्या है, महज भावनाएं ही तो है। बस किसी को उन भावनाओं को पिरोना आ गया और कोई अब भी सीख रहा है। और इसी शब्दों को एक सुन्दर से लेख में पिरो के लिखने की कला को ही तो लेखन या लिखना कहते है। 

लिखना, एक ऐसी कला है जो आपके अंदर की भावनाओं को सुन्दर और सुचारु रूप से व्यक्त करती है। इसी कला का प्रदर्शन झीलों की नगरी उदयपुर में भरपूर मात्रा में देखा और पढ़ा गया है। यहाँ के एक लेखक है श्याम सुन्दर भट्ट जिन्होंने कई प्रसिद्धः किताबें लिखी है और अपने शहर का नाम रौशन किया है। आइये जानते कुछ उनकी जीवन शैली और उनकी किताबों के बारे में।

निजी जीवन

  • श्याम सुन्दर भट्ट जी भूगोल शिक्षक है।
  • उनका जन्म रेलमगरा के पास एक गांव में हुआ।
  • स्कूल, कॉलेज और करीब ग्यारह साल तक की नौकरी उदयपुर और उदयपुर के आस पास के प्रांतो में की।
  • ग्यारह साढ़े ग्यारह साल की नौकरी के बाद 3साल फिजी में रह कर काम किया।
  • ये बात साल 1979-80 की है जब उन्होंने भारत वापिस आ के बांसवाड़ा के एक स्कूल में काम किया। वह ही उन्हें मेवाड़ पर लिखी गई एक प्रसिद्ध किताब मिली। उसे पढ़ कर इन्हे लगा की मेवाड़ में रह के भी वे कितना कम जानते है अपनी ही भूमि के बारे में।
  • किताबे पढ़ने और लिखने में कम रूचि होने के कारण उन्होंने दुसरो को मेवाड़ पे नयी किताबे लिखने के लिए आग्रह किआ पर वहाँ से भी उन्हें हतोत्साहित हो के लौटना पड़ा।
  • लेकिन मेवाड़ की धरती पर जहा जहा प्रताप ने पैर रखे वो उनके दिमाग में घूम रही थी।
  • राजस्थान के विभिन्न माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक के शिक्षक एवं प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक भी रहे है।
  • उसके कुछ वर्ष पश्च्यात ही उदयपुर में उन्हें शिक्षा विभाग का उप निदेशक बना दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें गुलाब बाग़ में स्थित सरस्वती भवन लाइब्रेरी का प्रभारी भी बनाया गया।
  • यही के एक साहित्यकार की मदद से खुद से लिखना शुरू किया। मेवाड़ पर और 30-40 किताबे पढ़ी और उनका पहला उपन्यास 52 साल की उम्र छपा।
  • राजस्थान शासन द्वारा सम्मानित तथा राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा पुरुस्कृत भी है।

किताबें

  • अब तक श्याम सुन्दर भट्ट जी के द्वारा लिखी गई 23 किताबे और उपन्यास छप चुके है।
  • कई अलग-अलग शैलियों में पुस्तके लिखी हैं लेकिन अधिकांश प्रकाशित पुस्तकें इतिहास शैली की हैं। उनके द्वारा लिखी हुई पुस्तकें बड़े बड़े पुब्लिकेशन्स से छपी हुई है।
  • इन्होने के सांस्कृतिक भूगोल कोष भी लिखा है जिसमे वेदिक साहित्य जैसे महाभारत या रामयण अथवा नदियों सागरों और कई पुराणों के नाम भी अर्जित है।

पुस्तकों के नाम

  • दर्प
  • महाराणा संग्रामसिंह
  • कालजयी श्री परशुराम
  • चेतक घोड़े का सवार
  • अपराजेय
  • मेवाड़ का सूर्यपुत्र
  • धरती का सूरज
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति
  • बंद मुट्ठियों के सपने
  • सिंधुपति महाराज श्री चचदेव
  • शक्तिपुत्र
  • महर्षि श्री हारीत एवं श्री बप्पारावल
  • सिंधुपुत्र महाराज श्री दाहर
  • सांस्कृतिक भूगोल कोष

पिछले तीस सालों में लिखने पढ़ने से दूर भागने वाले एक भूगोल के शिक्षक ने मेवाड़ के पन्नों में नए सुनहरे पंख लगाए है। आज 82 साल की उम्र में भी वे किताबें लिख रहे है और अपनी शहर की भूमि से पूरी दुनिया को अवगत करा रहे है। आपका योगदान सर्वतः सराहनीय है।

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उदयपुर में खुलेेगा फर्नीचर सेक्टर का देश का पहला रीजनल स्किल चेप्टर

फर्नीचर एवं फिटिंग्स स्किल काउन्सिल(FFSC) के अंतर्गत उदयपुर में खुलेेगा फर्नीचर सेक्टर का देश का पहला रीजनल स्किल चेप्टर।

उदयपुर में 25 जुलाई को केन्द्रीय कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय व फर्नीचर एंड फिटिंग सेक्टर स्किल काउंसिल, द्वारा स्किल इंडिया मिशन योजना के तहत कौशल भारत योजना आरपीएल योजना में कार्य करने वाले उदयपुर संभाग में फर्नीचर सेक्टर/उद्योग के कारपेंटर एवं लीड कारपेंटर के लिये 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसके समापन पर 170 प्रतिभागियों को कौशल प्रमाण पत्र और टूल किट वितरीत किये गये।

CEMCA द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को टी शर्ट व कैप प्रदान की गई। दो दिवसीय प्रमाण पत्र कार्यक्रम के तहत पहले दिन इराज लिमिटेड कंपनी में सभी सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र तथा टूल किट काउंसिल के सीईओ राहुल मेहता,सीटेट CETT के प्रिंसिपल राजकुमार बागोरा , आईएसटीडी (ISTD) चेयरमैन अरूण मांडोत एवं इराज इवोल्यूशन के डायरेक्टर मनन खेतान द्वारा दिया गया।

इस अवसर पर काउंसिल के नेशनल हेड राहुल मेहता ने कौशल भारत योजना में काउंसिल की भूमिका के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए बताया कि काउंसिल पूरे भारत में युवाओं को उनके हुनर के अनुसार फर्नीचर सेक्टर से संबंधित कार्य क्षेत्र में उन के कौशल का निर्माण कर न सिर्फ रोजगार से जोड़ रही वरन स्वरोजगार से जोड़ कर उन्हे स्वावलंबी भी बना रही है। काउंसिल द्वारा आने वाले समय में उदयपुर में फर्नीचर सेक्टर का देश का पहला रीजनल स्किल चैप्टर भी बनाया जा रहा है जिस में इंडस्ट्री और कामगारों को जोड़ कर इस इंडस्ट्री में प्रशिक्षण और रोजगार को आपस में जोड़ा जाएगा । जिस से युवाओं को फर्नीचर सेक्टर में रोजगार के अवसर प्रदान किए जायेंगे।

सीईटीटी प्रिंसिपल राजकुमार बागोरा ने कहा की फर्नीचर सेक्टर में कुशल युवाओं की बहुत आवश्कता है। इस हेतु युवाओं को जागरूक करने की जरूरत है। आईएसटीडी चेयरमैन अरूण मांडोत ने कहा कि आज के समय में नित्य नए नए रोजगार और स्वरोजगार के क्षेत्र खुल रहे है, निश्चित ही फर्नीचर सेक्टर भी एक नए रूप में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इराज इवोल्यूशन के डायरेक्टर मनन खेतान ने बताया कि फर्नीचर इंडस्ट्री में आज भारत बहुत तेजी से विकास कर रहा है, इस से इस क्षेत्र में कुशल युवाओं की मांग बहुत तेजी से बढ़ी हैं, आईएवो इंडस्ट्री में आज के समय में कई लोग इस सेक्टर में काम कर अपनी आजीविका चला रहे है।  विनायक फर्नीचर पर आयोजित कार्यक्रम में महेंद्र पोखरना द्वारा प्रमाण पत्र और टूल किट दिया गया। वुडन स्ट्रीट पर आयोजित कार्यक्रम में फाउंडर लोकेंद्र राणावत एवं वीरेंद्र सिंह राणावत द्वारा प्रमाण पत्र और टूलकिट दिया गया।

गवर्नमेंट आईटीआई में आयोजित कार्यक्रम में प्रिंसिपल नीरज नागौरी, वाइस प्रिंसिपल खंडेलवाल, यूसीसीआई चेयरमैन कोमल कोठारी ,पुष्पा हैंडीक्राफ्ट के एमडी दीपक भंसाली, राउंड टेबल के चेयरमैन दीपेश कोठारी  द्वारा प्रमाण पत्र एवं टूलकिट दिया गया। इस अवसर पर  नागोरी ने ट्रेनिंग और रोजगार को आपस में जोड़ने की महत्ती आवश्यकता के बारे में बताया । यूसीसीआई चेयरमैन कोठारी ने कहा की इस क्षेत्र में रोजगार के बहुत अवसर है और युवाओं को इस से जुड़ना चाहिए ।

कार्यक्रम का संचालन एफएफएससी काउंसिल (FFSC) के नॉर्थ सेंट्रल हेड शुभम गांधी द्वारा कोविड गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए किया गया।

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Udaipur City Buses: Routes, Stops & Timings

What’s constant in the world is change and if that change is advanced in the direction of development, then that’s a constant everyone desires.

Everything around us is expanding and growing so how the city of lakes, Udaipur could be behind. In recent times the city has achieved many remarkable achievements and to act as one of the key jewel in the crown of accomplishment, the new city buses have been launched recently. Let us know about the these buses and their routes, stops and timings.

About the City Buses

  • The city buses are the new transport medium to travel within the city, commemorated on 2nd July 2021.
  • These city bus have been started by Udaipur City Transport Service Limited. It is a state government company.
  • Savina sub city center has been developed as a bus depot for the city buses.
  • Buses arrive within 30-35 minutes of gap at all the stops.

Routes

The first phase where buses are running on two routes i.e.

  • Badgaon – Titardi
  • Rampura – Dabok

Timings:

Badgaon – Titardi

  • First trip starts at 6:10 am from Badgaon and ends the last trip at 8:40 pm at the bus depot.
  • The buses take 1 hour to reach its final destinations (i.e. Badgaon & Titardi).
  • The buses leave in the gap of 15 minutes from the final stop.

Rampura – Dabok

  • First trip starts at 6:30 am from Rampura and ends the last trip at 8:40 pm at the bus depot.
  • The average time taken by the buses is 1 hour 15 minutes to reach its final destinations (i.e. Rampura & Dabok).
  • The buses leave in the gap of 15 minutes from the final stop.

Stops

Badgaon – Titardi stops

  • Syphon Choraha
  • Fatehpura
  • Sukhadia Circle
  • Panchwati
  • Chetak Circle
  • Hathipole
  • Delhi Gate
  • Surajpole
  • Fateh School
  • Kumharo ka Bhatta
  • B. N. College
  • Sewashram
  • Sector 3 Chauraha
  • BSNL Office
  • Vidhya Nagar Tiraha
  • Samudayik Kendra (sector-4)
  • Adarsh Co- operative Chauraha (Daya Restaurant)
  • Satellite Hospital
  • Hiran Magri Police Station
  • Jadav Nursery
  • Hadi Rani Circle
  • Krishi Mandi and U-Turn
  • Savina Mandi Sector-9
  • Savina Police Station
  • Titaradi

Rampura – Dabok

  • Rampura
  • Malla Talai
  • Radaji Chouraha
  • Aravali Vatika (Fateh Nagar)
  • Siksha Bhawan
  • Chetak Circle
  • Maharana Bhupal Hospital
  • Court Chouraha
  • Delhi Gate
  • Surajpole
  • Fateh School
  • Kumharo ka Bhatta
  • B.N. College
  • Sevashram
  • Thokar Chouraha
  • Sundarwas
  • Pratap Nagar
  • Maharana Pratap Railway Station
  • Pratap Nagar Chouraha
  • Rajasthan Vidyapeeth
  • Hindustan Zinc
  • Transport Nagar
  • Debari Power House
  • Dabok Chouraha

For now the buses are only available on 2 routes but in future the number of buses, stops and routes will increase. Through these buses the intra-city commuting will be easier and cheaper. In future many boards will be constructed within the city to facilitate information about to and fro of the city buses. In fact there will be a reduction in noise and air polution for sure.

In future many boards will be constructed within the city to facilitate information about to and fro of the city buses.

If you are facing any issue with the city bus, then you can contact on this number- +91 294 294 4445 and register your complain.

WATCH OUR UDAIPUR CITY BUS TOUR VIDEO –

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International Chess Day special: Did you know about this chess club in Udaipur?

They say chess is a game of intellect and intelligence. Rightfully said!

Chess is a game of imagination and strategy. Absolutely!

It’s a game that provides an order, wit and growth in one’s life. In fact, there have been studies which support the claim that chess improves an individual’s organizational and analytical skills. The game of chess also helps in making new wonderful habits of planning and making careful and decisive moves in life and most importantly it teaches patients.  It teaches that if we have taken the step forward, it’s irreversible but, for future we can obviously improvise and do better than the last move.

Our lakecity is not at all in lack of champions and their stories and continuing to this tradition Chess in lakecity club has contributed in making the list of achievements a longer one.

About Chess in lakecity

  • Chess in lakecity is a group of chess enthusiast players of Udaipur.
  • Chess in lakecity was established in the year 2008 by Mr. Rajeev Bhardwaj, President, Chess in lakecity and the core team of the club.
  • It is an established organization that has helped in expansion and growth of chess in Udaipur from past 15 -16 years.
  • From then onwards it has been a coaching as well as a tournament and organizing platform for chess.
  • Chess in lakecity has organized many grand level international FIDE rated chess tournaments.

Latest achievements of Chess in lakecity:

  • In September 2019, Chess in lakecity organized 1st Lakecity Grand Master International Chess Tournament. Players from 11 different countries participated. There were total 204 international FIDE rated players among all participants and 223 players from 11 Federations i.e. BAN, CHI, EGY, IND, MDV, NEP, RUS, SGP, SRI, SVK, USA.
  • In these past few years the club has managed to organize more than 150 tournaments like local and state open, including 16-17 FIDE rated international tournament.
  • Due to such steps and efforts of the club, there are 150+ FIDE rated players in our city today and the club has helped in providing the deserving platforms for all these extraordinary players.

The vision of this club is to expand the knowledge of chess in our very own city and somewhere down the line they have accomplished a part of their vision. The foresightedness for the chess talents in our city by this club has proven to be a great endeavor in spreading the word about the game in the city of lakes.

Today on the occasion of International Chess Day we wish all the chess lovers out there, tons of luck and wisdom.

For further inquiries contact Chess in lakecity @ +91-9413045606

Address: Mahaveer Chessman Public School, Lakhara Chowk, Udaipur-313001 (Raj.)