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Jagannath Rath Yatra in Udaipur

About the people of Mewar, it has been rightly said that they have saat vaar and nau tauhar that means that there are seven days in a week but nine festivals to celebrate. They are always so busy celebrating festivals that hardly does the din of one dies, preparations are afoot for celebrating the next one.

One such procession is the annual Jagannath Yatra that starts from the famous Jagdish Mandir. Related to the Yatra is a fascinating ritual. The idol of Bhagwan Jagannath, who is worshipped as a living being is bathed every day. However, on Jestha Shukla Poornima, he is bathed with water of 108 golden pitchers. He is also offered mango juice in big quantity. No wonder he gets sick. To keep him warm, he is shifted from his ‘Singhasan’ to a resting place in the same room. For the next fortnight, he is given ‘Kada’ by the priests and is looked after by sister Subhadra’s older brother Balbhadra and Sudharshan chakra. He is given only fruits to eat.

The devotees do not get his ‘darshan’. But they visit the temple regularly to find out how is he getting on. There is no ‘Puja archana’ with ringing of bells. When he gets well on Ashad Shukla Ekam, a big variety of food is offered to him. His mother Devki used to give him Dal & Bhaat (rice) and roti. He relished it. So his devotees bring these food items for him. Regular ‘pooja’ also starts on this day. The devotees waiting for a fortnight for darshan, the lord himself goes round the town to bless them.

According to Pandit Hukum Raj, the Mukhya Pujan of Jagdish Mandir, there is a long history of Jagannath Yatra. The tradition started about 365 years ago when the ‘Pran pratishtha’ of the Mandir was performed and the idol of the lord was taken only around the premises of the temple. When the state of Mewar was merged with greater Rajasthan, there were difficulties in the Yatra as earlier it took place in the presence of the erstwhile rulers. After the passing away of Maharana Bhupal Singh, efforts were made to revive it. Due to the efforts of Raghunand, the erstwhile ‘pujari’ of the temple, various sects of the Sanataris come forward together for the organization of the Yatri. The small beginning has now become a big event with the active participation of several communities. It was decided to take the procession around the city about twenty years ago. The old ‘rath’ (chariot) was taken down the stairs of the temple by Raghunandan which highly elated him and the idol mounted on a camel cart went round the various parts of the city.

Cleaning and beautification of the ‘rath’ started days in advance by a small team of specialists. The silver white chariot has wooden horses and this year, it was painted with color, oil paint. A couple of days before the yatra, after the ‘evening aarti’ and after sprinkling gangajal and goumutra and setting up Ganesh in Jagdish Chowk the chariot was brought there in parts.

This year for the lord’s ‘parikrama’ in the premises of the 300 year rath has been replaced by a new one and gifted by a devout couple of Udaipur. The ‘rath’ was taken out in a procession led by Goswami Vageesh Kumar of Dhwarkadheesh Mandir, Kankroli, Mahendra Singh Mewar and Vishwaraj Singh Mewar.

The ‘rath’ was mounted on a camel cart. Dhwarkadheesh Prabhu band was in attendance. Women dressed in saffron clothes, carrying pitchers on their head were part of the big procession. The colorful procession that started from Sheetlamata Mandir, Samore Bagh passed through Bhatiyani chohatta came to Jagdish mandir.

From Jagannath Dham located in Hiran Magri Sector 7 would start the Shahi Yatra of Jagannath Swami, Subhadara, Balbhadra and Sudharshan Chakra on the lines of the processing in Jagannath Puri, Odisha. It would start from the Mandir premises at 11 a.m and passing through Jodar Nursery, Savina chouraha, Phal-Subzi Mandir, Reti stand, Shiv Mandir, Macchla magra, Patel Circle, Kishan Pole, Rang Niwas and bhatiyani Chohatta join the main procession at Jagdish Chowk. There would be ‘aarti’ at different places including the Maha-aarti with 31,000 ‘dias’from 8:30 to 9:30 pm in Bapu Bazar, according to convenor Dr Pradeep Kumawat.

The preparation for the big event had started weeks in advance. Nimantran Patrika was prepared as the members of rathyatra samiti met the mahants of various sects. Political and social leaders and public in general to participate in the procession. The route of the yatra Ghantaghar, Bada Bazaar, mochiwada, Bhadbhuja Ghati, Bhopalwadi, Santoshi Mata mandir, teej ka chowk, Dhanmandi, Marshal chouraha, etc. has been decorated with flags. Several religious and social organizations would welcome the yatra at different places.

For the first time, a helicopter would shower 400 kg rose leaves at Jagdish chowk in 5 rounds. The yatra would be welcomed back at Jagdish mandir with aarti attended by thousands of devotees. Arrangement of mahaprasad for 8000 to 10,000 has also been made.


The eagerly awaited yatra not only brings about harmony among different sects but also provides an opportunity for worship that enhances the religious faith.

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कितना जानते है आप उदयपुर की इस ऐतिहासिक 450 साल पुरानी रथ यात्रा के बारे में ?

उदयपुर शहर और इसके आस पास ऐसे तो काफी धार्मिक स्थल प्रसिद्ध है लेकिन शहर के बीचों-बीच स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर या जगदीश मंदिर की माया अद्भुत और निराली है.

जगदीश मंदिर का निर्माण सन् 1652 में तत्कालीन मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह प्रथम ने करवाया था. मंदिर में श्री जगदीश स्वामी जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसी मंदिर से भगवान जगदीश स्वामी की जगन्नाथ रथ यात्रा तत्कालीन महाराणा जगतसिंह जी प्रथम ने आषाढ़ सुदी द्वितीया पर निकाली. तब से जगन्नाथ रथ यात्रा विगत कई वर्षों से निकाली जा रही है. उसी समय से ठाकुर जी, लालन जी और अन्य देवी देवता नगर भ्रमण पर निकलते है. जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक यात्रा ही नहीं है बल्कि उदयपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को खुद में संजोए हुए है.

Credits: Siddharth Nagar

इस यात्रा के लिए विशेष रूप से भगवान जगदीश स्वामी, माता महालक्ष्मी, दाणिराय जी(कृष्ण भगवान), लालन जी और जुगल जोड़ी के विग्रह बनवाये  है.

जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां आषाढ़ मास की सुदी द्वितीया के 15 दिन पहले से शुरू हो जाती है. लालन जी, जगदीश स्वामी और जुगल जोड़ी यानि कृष्ण भगवान और राधा जी अपने शयन कक्ष से मंदिर के गर्भगृह मैं पधारते है. इस समय सभी देवी देवताओं को काढ़ा पिलाया जाता है और वो फिर से अपनी निद्रा अवस्था में चले जाते है.

ठीक 15 दिन बाद आषाण मास की कृष्ण एकम को सभी देवी देवता स्वस्थ होकर वापस से प्रस्थान करते है. उसी के अगले दिन यानि कृष्ण द्वितीया को भगवान जगदीश स्वामी, माता महालक्ष्मी और दाणिराय जी(कृष्ण भगवान) रजत रथ में और लालन जी, जुगल जोड़ी छोटे रथ में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते है.

रथ यात्रा की सुबह सबसे पहले सभी देवी देवताओं को पंचामृत से स्नान करवाया जाता है और नए श्रृंगार एवं पौशाक धराये जाते है. फिर एक बजे रथ में बिराज कर सभी देवी देवता जगदीश मंदिर की परिक्रमा करते है. इस परिक्रमा में अलग अलग फेरे होते है, इन्हीं फेरों  के दौरान मंदिर में रथ विशेष और पारम्परिक कीर्तन एवं भजन गाये जाते है. नार्तिकायें अपने नृत्य से सभी देवगण को प्रसन्न करती हैं. जगदीश मंदिर में स्थित सूर्यनारायण भगवान की देवरी पर रथ रुकता है और भगवान को ऋतुफल जैसे अनार, जामुन, आम, आम की बर्फी और अन्य मिष्ठानो का भोग लगाया जाता है. रथ को खींचने वाले घोड़ो को चने की दाल जिमाई जाती है.

Jagannath Rath Yatra of Udaipur
Credits: Siddharth Nagar
Credits: Siddharth Nagar

फिर दोपहर 3 बजे सभी देवी देवता मंदिर से प्रस्थान कर अपने रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते है. ठाकुर जी एवं अन्य देवी देवताओं की शोडशो मंत्र उच्चार से आरती होती है और फिर ही भगवान जगदीश स्वामी, माता महालक्ष्मी और दाणिराय जी(कृष्ण भगवान) रजत रथ में और लालन जी एवं जुगल जोड़ी छोटे रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते है.

Jagannath Rath Yatra of Udaipur
Credits: Siddharth Nagar
Credits: Siddharth Nagar

जगन्नाथ रथ यात्रा एक अकेला ऐसा महोत्सव है, जहाँ पारम्परिक रीतियों के विपरीत भगवान स्वयं अपने भक्तों को दर्शन देने निकलते है. माना जाता है कि रथ यात्रा के दिन भगवान अपने भक्तजनों पर ढेर सारा आशीर्वाद लुटाते है. इस रथ यात्रा की विशेषता यह है की इसके दर्शन करने के लिए केवल उदयपुरवासी, राज्य या देश से नहीं, कही भक्तगण विशेष तौर से इसी महोत्सव में भाग लेने के लिए विदेश से आते है. 

जगन्नाथ रथ यात्रा जगदीश मंदिर से होते हुई घंटा घर – बड़ा बाजार – भड़भूजा घाटी – मोची बाजार – भोपालवाड़ी – चौखला बाजार – संतोषी माता मंदिर – धानमंडी – झीणी रेत – मार्शल चौराहा – RMV – गुलाब बाघ – रंग निवास से वापस जगदीश मंदिर आती है.

हर जगह रथ का पारम्परिक भजनों से विशेष स्वागत होता है.

वापस जगदीश मंदिर पहुंचने पर महाआरती एवं शयन आरती होती है पश्चात् सभी देवी देवता फिर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित दिए जाते है.

साम्प्रदायिक सद्भाव बनाये रखती है ये विशेष रथ यात्रा:

जगदीश चौक में जन्मे कई संप्रदाय के लोग काफी लम्बे समय से रथयात्रा से जुड़े हुए हैंं जो अपने आप में एक साम्प्रदायिक सद्भाव की एक अलग मिसाल है. सभी संप्रदाय के लोग धर्मोत्सव समिति कार्यकर्ता के रूप में रथयात्रा व्यवस्था संभालने में अपना योगदान देते है इसमें झांकियों को क्रमबद्ध करवाना, रथयात्रा में आये  भक्तों को प्रसाद वितरण की व्यवस्था जैसे कार्य शामिल हैं. रथयात्रा किसी व्यक्ति विशेष, एक संगठन का नहीं बल्कि सभी समाजो के लिए बडे़ त्यौहार जैसा आयोजन है. इसमें सभी चाहे वो सनातन धर्म हो या कोई और, सभी इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लेते है. सभी समाज के लोगो के साथ साथ सरकारी प्रशासन भी इस महोत्सव को सफल बनाने क लिए अपनी पूरी श्रमता से काम करते है.

Jagannath Rath Yatra of Udaipur
Credits: Siddharth Nagar

भगवान जगन्नाथ के रजत रथ की खासियत:

भगवान जगन्नाथ स्वामी की इस पारम्परिक रथयात्रा में लोगों का उत्साह और भागीदारी बढ़ाने के लिए कुछ वर्ष पूर्ण ही भक्तों के सहयोग और ठाकुरजी के आशीर्वाद से रजत रथ का निर्माण करवाया गया. पहली बार 12 जुलाई 2002 को प्रभु जगन्नाथ एवं देवताओं को रजत रथ में विराजित कर नगर भ्रमण पर निकाला गया था. इस रजत रथ के निर्माण के लिए असम से विशेष तौर से सागवान की लकड़ी मंगवाई गयी. यह रथ 18 फीट ऊंचा है और इसे तैयार करने में 50 किलो चांदी का उपयोग हुआ है.  इसमें श्री जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमा के साथ बलराम, सुभद्रा और सुदर्शन चक्र भी विराजमान हैं.

तो क्या आप तैयार है 4 जुलाई को होने वाली इस भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा के साक्षी बंनने के लिए ?

 

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[Best Pictures] Jagannath Rath Yatra 2014

Every year the grand Rath-Yatra is held on the Ashaad Shukla Dwitya of Vikram Samvat, as per the Hindu calendar. On this day thousands of devotees pull the huge chariot loaded with ornaments and idols of Lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra in a long procession.
Though the centre of attraction is Orissa, many other Indian cities also have their own extraordinary programs on this day. Udaipur holds the distinction of holding the 3rd largest Rath Yatra in India. The city has two Rath Yatras on the same day at different locations.

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idols of Lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra in a long procession of 21km from Jagannath Dhaam, Sector 7

The Rath Yatra at Udaipur is a significant event in the entire state that is witnessed by numerous tourists both foreigners and Indians. During the Rath Yatra, The City of Lakes is colored in the most vivid hues of sheer joy & enjoyment and is flocked with devotees who wish to pay their honor to the deities and seek their blessings.

Rath from Jagannath Dham, Sector-7
The Rath Yatra started from Shri Jagannath Dham Sec-7, Hiran Magri and lead towards the Krishi Mandi, Shiv Mandir, Machla Magra, Sec-11, Patel Circle, Khanjipeer, Rang Niwas, Bhattiyani Chohatta to Jagdish Mandir. From there it merged with the Jagdish Chowk Rath Yatra in the same route and then took a separate route from RMV Road to Udiapole, Takeri, Madari, Sec-6 and returned back to the Shri Jagannath Dham of Sec-7.
Largest distance covered : 21kms

Main Attraction
The Rath Yatra that started from the ancient Jagdish Temple, near the City Palace.
The Rath, a gigantic chariot, approximately 15 feet long, 8 feet high and adorned by precious metals like silver. This eventually turned into a procession which passed through a large part of the city. The path followed by this Rath was Jagdish Mandir- Jagdish Chowk, Ghanta Ghar, Bada Bajar, Bhadbhuja Ghati, Teej Ka Chowk, Dhan Mandi, Asthal Mandir, R.M.V. Road, Rang Niwas, Kalaji- Goraji, Bhattiyani Chohatta, and Rath Yatra concluded with the Maha Arti at the Jagdish Temple.

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Photo : Kamal Kumawat
Photo : Kamal Kumawat

Jagannath_Rath_Yatra (25) Jagannath_Rath_Yatra (26)Photos By : Priyansh Paliwal & Yash Sharma

 ॐ जय जगदीश !! जय जगन्नाथ !!

 

 

 

 

 

 

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Pictures of Jagannath Rath Yatra 2013

Yesterday Devotees witnessed Lord Jagannath on a Rath Yatra Event. The Rath Yatra event is carried out every year with thousands of devotees waiting to take a glimpse and blessing of Lord Jagannath. Here is a set of Pictures of this huge Holy event. We hope you commemorate these Pictures and Event through your UdaipurBlog.com.

Photos By Yash Sharma

Jagganath Rath Yatra , Udaipur, 2013

“चांदी रे रथ थे  चढो रे सांवरिया.. मनमोहक कर ल्यो श्रृंगार, सांवरिया री आरती
आरती संजोयिलो, चर्मृत लेई-लो, ले लो प्रभुजी रा नाम… सांवरिया री आरती “

Jagannath Dham Sector 7 Udaipur

“मात-पिता तुम मेरे , शरण गहुँ मैं किसकी…
तुम बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी.. “
जय जगदीश हरे…

सेक्टर सात से निकलने वाली रथयात्रा, जो मूल रथ यात्रा में शामिल होती है, किसी भी मायने में पुरी रथयात्रा से कम नहीं होती.. प्रभु जगन्नाथ, भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के विग्रह पुरी की याद दिला देते है. शहर में सबसे लंबी दुरी तय करके सेक्टर सात से पुराने शहर तक का सफर तय करके तीनो भाई-बहन  जगदीश जी की रथ यात्रा की शोभा बनते है. यह रथ यात्रा सेक्टर सात से प्रातः 11 बजे प्रारंभ होती है, जो मूल रथ यात्रा के समापन के पूरे तीन-चार घंटे बाद आधी रात को पुनः अपने स्थान पर जाकर विश्राम लेती है

jagannath Dham Sector 7
Photo By : Gajendra Pancholi

Mahant Bheem Singh Chouhan | Kaali kalyani Dhaam Tej Singh Bansi at Jagannath Dham Sector 7 Udaipur Jagganath Rath Yatra UdaipurRajni Dangi in Jagannath Rath Yatra Udaipur

Gulab Chand Katariya in Jagannath Rath yatra

Janak Arts Udaipur

Jagannath Rath Yatra Udaipur Photos Jagdish Chowk - Jagannath Rath Yatra Udaipur

Jagannath Rath Yatra Udaipur | Samor bagh | Jagannath Dham Sector 7

A Heart-full of Thanks to Administration of Udaipur
A Heart-full of Thanks to Administration of Udaipur

http://www.youtube.com/watch?v=X7__NhvJuo0

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Jai Jagdish hare | Jagannath Rath Yatra

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Udaipur

Maharana Mahendra Singh Ji MewarDSC_0206 (Large) Harish Rajani , Sunrise Udaipur Jai Jagannath in UdaipurDancing devotee in jagannath Rath Yatra UdaipurJagannath Rath Yatra udaipur

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Jagannath Rath Yatra Udaipur

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[Best Pictures] ठाकुर जी कि रथ यात्रा से पूरा शहर जगन्नाथमय

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“चांदी रे रथ थे  चढो रे सांवरिया.. मनमोहक कर ल्यो श्रृंगार, सांवरिया री आरती
आरती संजोयिलो, चर्मृत लेई-लो, ले लो प्रभुजी रा नाम… सांवरिया री आरती “

 

महलों के पास ऊँचे मंदिरों में बिराजने वाले मेवाड़ के कान्हा “भगवान जगदीश जी” अपने गर्भगृह में बैठे बैठे पूरे साल बाट जोहते है इस खास एक दिन, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दूज का , जब वे खुद उन भक्तों के लिए मंदिर की कठिन सीढियाँ उतरे, जो ये सीढियां चढ नहीं पाते है…

 

आप क्या सोचते है ? हम भगवान के दर्शन करते है ? जी नहीं , कभी कभी भगवान भी अपने सच्चे भक्तों के दर्शन करने को आतुर रहते है. भक्ति की परीक्षा हितार्थ बिराज तो गए ऊँचे मंदिरों में हमारे ठाकुर जी, किन्तु उनका मन नहीं लगता वहाँ,बगैर अपने “प्रिय” से मिले.. तभी तो रजत रथ में बैठ भगवान इस एक खास दिन निकल पड़ते है अपने सभी सखाओं से मिलने. और जब मंदिर से निकलते है तो ऐसे ही नहीं निकलते, पूरा श्रृंगार करके, इठलाते-बलखाते जगदीश ठाट-बाट के साथ मेवाडी राजधानी के कण कण को स्वयं स्पर्श करते है. दर्शन देते है सभी को…

 

इस वर्ष भी भगवान ने सभी के मन की मुराद को पूरा करने की ठानी और लगभग दोपहर के तीन बजे छोटे बेवान (रथ) में बैठ कर पहले मंदिर की परिक्रमा करके चारों कोनों में बैठे मित्र देवों से भेंट की. तत्पश्चात मंदिर की सीढियाँ उतरकर प्रभु नीचे रजत रथ में आकर बिराजे. हर मेवाडी ह्रदय ने आत्मीयता से प्रभु का स्वागत किया. हमारे ठाकुरजी ने भी सभी के नमन को स्वीकार किया. दरबार महेंद्र सिंह जी मेवाड़ ने सैकड़ों  सालों की परम्परा का निर्वहन करते हुए रथ के आगे झाड़ू लगाया और प्रभु के मार्ग को साफ़ किया. आज उदयपुर भगवान के प्रिय रंग पीताम्बर (केसरिया) से रंगा रंगा सा लग रहा था. हर एक सर पर पीताम्बरी पाग शोभायमान थी. हर एक महिला ने गोपी का रूप धर लिया. पीताम्बरी साडी या बेस पहने भगवान के पीछे पीछे गीत गाती चल रही थी.

 

सबसे आगे गजानन के स्वरुप गजराज तो पीछे पीछे शौर्य के प्रतीक अश्व , प्रीत के प्रतीक ऊंट चल रहे थे. चारो तरफ केसरिया ध्वज लहरा रहे थे. सैकड़ों हाथ पीताम्बरी रस्सी को थामे जगन्नाथ का रथ आगे खिंच रहे थे. जैसे जैसे भगवान का रथ आगे बढ़ता, छतों-चौबारों, गोखडों, सड़कों से प्रभु के दर्शनों को तरसती हजारों बूढी आँखे गीली हो जाती.. मुह से आवाज़ ना निकलती..प्रीत में यही तो होता है.. आँखे ही सारी बातें कह देती है. बूढ़े पैरों से मंदिर की सीढियाँ ना चढ पाने का गम भूल कर बस भगवान की बलायियाँ लेती.. म्हारा कान्हा , थाने कन्ही री निजर ना लागे …

 

सेक्टर सात से निकलने वाली शोभायात्रा, जो मूल रथ यात्रा में शामिल होती है, किसी भी मायने में पुरी रथयात्रा से कम नहीं होती.. प्रभु जगन्नाथ, भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के विग्रह पुरी की याद दिला देते है. शहर में सबसे लंबी दुरी तय करके सेक्टर सात से पुराने शहर तक का सफर तय करके तीनो भाई-बहन  जगदीश जी की रथ यात्रा की शोभा बनते है. यह रथ यात्रा सेक्टर सात से प्रातः 11 बजे प्रारंभ होती है, जो मूल रथ यात्रा के समापन के पूरे तीन-चार घंटे बाद आधी रात को पुनः अपने स्थान पर जाकर विश्राम लेती है

 

पारंपरिक मार्ग से गुजरते भगवान जगदीश सभी को दर्शन देते है. सभी के मन की सुनते है. और कहते है…मैं तुम्हारे दर तक खुद आया, अब तुम मेरी शरण में आ जाओ,फिर तुम्हारा कोई कष्ट ना रहेगा… आधी-व्याधि ना रहेगी.. अगर रहेगा तो सिर्फ प्रेम.. स्नेह.. मुरली का रस…

 

“मात-पिता तुम मेरे , शरण गहुँ मैं किसकी…
तुम बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी.. “
जय जगदीश हरे…
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Pictures by : Mujtaba R.G.
Edited By : Arya Manu
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स्वर्ण रथ पर सवार होंगे भगवान जगन्नाथ – छठी भव्य रथयात्रा

हिरणमगरी सेक्टर 7 स्थित भगवान जगन्नाथ धाम से भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण पर 21 जून को निकलेंगे। इसकी तैयारियां जोरों पर है। समिति के भूपेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि सेक्टर-7 स्थित भगवान जगन्नाथ शैशव काल पूर्ण कर बाल्यकाल में प्रवेश कर रहे हैं।

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21 जून को छठी रथयात्रा की सवारी करते हुए भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए सुबह 11 बजे निकलेंगे। बाल्यकाल में प्रवेश कर रहे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, बलभद्रजी और सुदर्शनजी स्वर्ण रथ में विराजित होकर नगर की सैर करेंगे। भगवान की प्रसन्नता के लिए भक्तजनों का आग्रह था कि इस बार रथ को नया रूप दिया जाए। भगवत् कृपा से जगन्नाथधाम समिति ने अपने सीमित साधनों के अंतर्गत इस दिशा में आंशिक प्रयास किया है, आगामी वर्षों में इसमें और अधिक सुधार के प्रयास किये जाएँगे।

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पुरी (उड़ीसा) की तरह सेक्टर-7 से निकलने वाली रथयात्रा में सदा की भाँति जगन्नाथधाम में प्रतिष्ठित महादारु (काष्ठम) की मूल प्रतिमाएं स्वर्णरथ पर विराजेंगी। रथयात्रा का आरम्भ दिन में 11 बजे छेरापहरा (झाड़ू लगाने) की रस्म से होगा, जो ब्रह्मा के समक्ष तन और मन, दोनों की साफ-सफाई का प्रतीक होता है। यात्रा का मार्ग जगन्नाथ धाम, सेक्टर-7 से आरम्भ होकर कृषि मंडी, सेक्टर 11 में स्थित शिवमंदिर, पटेल सर्किल, खांजीपीर, रंगनिवास, भटियानी चौहट्टा, जगदीश चौक से शहर की मुख्य रथयात्रा के साथ मिलकर आरएमवी, कैलाश कॉलोनी तक रहेगा। कैलाश कॉलोनी से अलग होकर गुलाब बाग के पास से उदियापोल, टेकरी (पीपली चौराहा), टेकरी—मादड़ी रोड, मेनारिया गेस्ट हाउस, सेक्टर-6 स्थित पुलिस थाना होकर वापस श्रीजगन्नाथजी धाम सेक्टर-7 पहुँचेगी। जगन्नाथ धाम की स्थापना के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय इं.के.डोरा की स्मृति में उनकी पत्नि माहेश्वरी डोरा की ओर से रथ यात्रा में भाग लेने वाले सभी भक्तगणों के लिए रात्रि भोजन की व्यवस्था की गई है।
रथयात्रा में उत्कल समाज, नारायण सेवा संस्थान, बजरंग सेना, पूज्य सिंधी पंचायत हिरणमगरी, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा, जय श्रीराम जय श्रीकृष्णम सेवा समिति, इडाणामाता का रथ, सविना मित्रमण्डल, कृषि मण्डी (अनाज) समिति, पूज्य पंचायत कृषि मण्डी (फलमण्डी) माछला मगरा विकास समिति, मेनारिया समाज, धर्मोंत्सव समिति आदि का विशेष सहयोग रहेगा। विभिन्न देवालयों एवं संगठनों की लगभग 15 झांकियों के भी सम्मिलित होने की सम्भावना है।

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 रथ यात्रा के उत्साह को देखते हुए , रथ यात्रा के फोटो अवं विडियो  facebook पर अपलोड किये जायेंगे.

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Pictures of Jagannath Rath Yatra 2011

Yesterday Devotees witnessed Lord Jagannath on a Rath Yatra Event. The Rath Yatra event is carried out every year with thousands of devotees waiting to take a glimpse and blessing of Lord Jagannath. Here is a set of Pictures of this huge Holy event. 🙂 We hope you commemorate these Pictures and Event through your UdaipurBlog.com 🙂

 

Bhagwan jagannath

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

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Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Jagannath Rath Yatra

 

Photos By Mr. Yash Sharma 🙂

Yash Sharma
! Yash Sharma !

 

 

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Udaipur Ready for the Jagannath Rath Yatra

Jagannath Rath Yatra

If you have ever wondered what adds glitters to the processions, here is the right and ripe time to explore !! Yes , Jagannath Maandir Rath Yatra of Udaipur. Authorities are busy in tightening the securities while social organizations are busy in giving it a amazing look by beautifying the idols and adding sparkles to the deities. Thousands of people are expected in this auspicious Rath Yatra. Bhagwan Jagnnath will go around the city and will be worshipped by people across the City of Lakes. It all started before 400 years and the tradition is still on.

Main Attractions:
A small chariot in which jugal Jodi of Bhagwan Jagannath and Laddu Gopal will be seen taking parikrama of the main mandir campus at 2:00 pm

Jagannath Rath Yatra
After that the main “Rajat Rath Yatra” will begin at 3:00 pm which will be further joined by the Rath Yatra beginning from Hiran Magri Sector – 7. the rath will be pulled by Maharana Mahendra Singh Ji Mewar as per the tradition. The rath will pass through the following places and will end up in Jagdish mandir.
The route is :

  • Ghanta Ghar
  • Bada Bazaar
  • Mochiwada
  • Bharbhuja Ghati
  • Bhopal Wadi
  • Tij Ka Chowk
  • Mandi Ki Naal
  • Marshal Choraha
  • Jhini Reth
  • RMV School Road
  • Kala Ji Goraji Choraha
  • Lake Place Road
  • Bhattyani Chohatta
  • And Finally Jagdish Chowk
  • Followed by Maha Aarti at 10:oo PM

People from all walks of life are engaged in the preparations of the rath yatra to make it a Grand Success as always.