Categories
News

1993-2015 तक संघर्ष उदयपुर के साथ, झील प्राधिकरण जयपुर में क्यों?

पूरी दुनिया में मशहूर उदयपुर नगर झीलों के लिए सुप्रसिद्ध शहर हैं। यहाँ कई सारी झीलें स्थित हैं, इसलिए इसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। यहां पर फतेहसागर, पिछोला, स्वरुपसागर, कुमहारी तालाब, दूधतलाई, गोवर्धन सागर, रंगसागर, उदयसागर, रूपसागर, बड़ी, जयसमन्द, राजसमंद जैसी आदि झीलें हैं जिनके आस-पास ही पूरा नगर बसा हैं। ये झीलें कई शताब्दियों से उदयपुर की जीवनरेखा हैं, जो एक-दूसरें से जुड़ी हुई हैं।

अगर किसी प्रदेश में इतनी सारी झीले हैं, तो उसके संरक्षण व विकास के लिए प्राधिकरण भी होना जरुरी है। उदयपुर संभाग में प्रदेश की सबसे ज्यादा 35 झील-जलाशय है। 1993-1994 में करीब 29 साल पहले उदयपुर से ही झील संरक्षण और प्राधिकरण की मांग उठी थी जिसकी स्थापना भी उदयपुर में ही होनी थी और ड्राफ्ट भी माँगा गया था। 1996 में प्रदेश सरकार की एडमिनिस्ट्रेटिव एंड रिफार्म कमिटी ने इस ड्राफ्ट को स्वीकार किया, लेकिन प्राधिकरण की स्थापना नहीं हुई।  हालाँकि यह मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा और 2007 में झील विकास के प्राधिकरण की स्थापना के निर्देश भी दिए। इसकी लम्बी लड़ाई के बाद 2015 में राजस्थान झील विकास प्राधिकरण अस्तित्व में आया लेकिन इसका मुख्यालय तो जयपुर में खोल दिया जबकि जयपुर संभाग में तो केवल 8 झीले-जलाशय ही हैं। हालाँकि इस प्राधिकरण के अधिनियम के ड्राफ्ट में साफ़-साफ़ उल्लेख है कि मुख्यालय किसी और जिले में भी खोला जा सकता है। 

उदयपुर से जयपुर की सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किमी है

उदयपुर से जयपुर की सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किमी हैंऐसे में प्राधिकरण जयपुर होने की वजह से उदयपुर की झीलों पर इनकी नजऱ नहीं रहेगी। गन्दगी-बदहाली, मलिनता, दुर्गंंध, अतिक्रमण, अवैध गतिविधि और अवैध निर्माण से दम तोड़ रहे और ख़राब दुर्दशा का यही बड़ा कारण है इन पर प्राधिकरण बने तो इस पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा। उदयपुर में जलाशयों के प्राधिकरण व संरक्षण-संवर्धन का काम कलेक्टर के हाथों में हैं पर कलेक्टर के पास अन्य गतिविधियां होने की वजह से उनका उतना फोकस नहीं है जितना होना चाहिए।

प्रमुख 85 झीलों के जलाशय कुछ इस प्रकार है- 

  • उदयपुर-35
  • कोटा-14
  • अजमेर-12 
  • जयपुर-8 
  • भरतपुर-6 
  • जोधपुर-6
  • बीकानेर-4  

उदयपुर में क्यों होना चाहिए प्राधिकरण ?

प्रदेश के सातो संभाग में कुल 85 प्रमुख झीले-जलाशय हैं। इनमे से सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत झीले उदयपुर संभाग में है बाकि 59 प्रतिशत प्रदेश के 6 संभागो में है। अधिकतर बड़े-बड़े बांध भी उदयपुर में है और बन भी रहे हैं। सबसे ज्यादा जरुरत भी यही है क्योंकि यहाँ का पानी जोधपुर और जयपुर तक पहुंचने की तैयारी में है, इसका मतलब राजस्थान के आधे से ज्यादा आबादी को पानी उदयपुर संभाग ही पहुंचाता है। ज्यादा झीले है तो उसकी रखरखाव की भी जरुरत ज्यादा ही होती है।  उदयपुर से जयपुर की दुरी करीब 400 किमी की है, अगर कुछ शिकायत है तो इसकी शिकायत लेकर जयपुर जाना मुश्किल है और ना ही इस प्राधिकरण के मुखिया झील जलाशयों की दुर्दशा देखने इतने दूर से आते है। 

 

Categories
News

बारिश से पहले नहीं तैयार होगा सेवाश्रम का फ्लाईओवर

उदयपुर स्थित सेवाश्रम चौराहा का फ्लाईओवर अब तक तैयार नहीं हुआ है जिसका काम अप्रैल तक ख़त्म होने की सम्भावना थी। पर अब तक इसका बहुत काम बाकी है और कार्य की गति देख कर तो यह साफ-साफ पता चल रहा है कि यह काम बारिश से पहले नहीं हो सकता है। शहर की आधी ऊपर जनता यही होकर गुज़रती है, लेकिन काम के पूरा न होने की वजह से परेशान हो रही है। यहां के व्यापारी भी इसी उम्मीद में बैठे है की अब तक तो चौराहा का काम पूरा हो जाना चाहिए। पर हकीकत तो यही है की इस काम में बहुत समय लगना है। इस वजह से यहाँ आए दिन जाम लगने की परेशानी लगी रहती हैं।

यूआईटी सर्कल का 20 करोड़ का प्रोजेक्ट-

पिछले ही दिनों यूआईटी ने डिजिटल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के लिए कार्य का ऑर्डर दिया है उसके बाद वहां का सर्वे शुरू कर दिया है। यूआईटी ने ज़ोर दिया है की देल्हीगेट स्थित जो फ्लाईओवर में पब्लिक यूटिलिटी की जो भी लाइन है, वो इस प्रोजेक्ट के बीच आ रही है उनको भी पूरा किया जाए ताकि बाद में जब कार्य शुरू हो तब समस्या नहीं आए। इस वजह से अभी सेवाश्रम का काम थोड़ा धीमा हो गया है। यूआईटी ने इस कार्य के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। रोड की कुल लम्बाई 430 मीटर है और इसकी चौड़ाई 13.2 मीटर है और 5.5 मीटर इसकी ऊंचाई है। इस फर्म को यह रिपोर्ट 45 दिन में तैयार करके देनी हैं। युआईटी ने यह तर्क भी दिया है की पीएचडी की लाइनों की वजह से कई समस्याए आ रही है।

काम अप्रैल में पूरा होना था-
असल में इसका काम अप्रैल में पूरा होना था। यूआईटी के तकनीकी इंजीनियर यूटिलिटी सर्विस को इसके देरी होने का कारण बता रहे है। उनके सामने जलदाय विभाग की और से बीच में आ रही पाइप लाइनों को शिफ्ट करने के लिए राशि भी दे रहे है,यूआईटी ने तो काम पूरा करने की राशि भी देदी पर काम पूरा नहीं कर रहे है।

परेशानियाँ-
इस क्षेत्र से गुज़रने वाले और यहां रहने वाले लोगो को परेशानियाँ आ रही है। जाम में फंसने के अलावा जाम में वाहनों के धुंए से परेशान हो रहे हैं। यही नहीं जहां खुदाई हो रही है, वहां के लोग और वहां से गुज़रने वाले लोग दिनभर मिटटी के उड़ने से परशान हो रहे है।

Categories
News

क्या उदयपुर शहर में भी आ गया है वीरप्पन ?

भारत की पुलिस को इस आदमी ने जितना दौड़ाया था, उतना शायद किसी ने नहीं दौड़ाया। वीरप्पन के नाम से प्रसिद्ध कूज मुनिस्वामी वीरप्पन दक्षिण भारत का कुख्यात चन्दन तस्कर था जो 1970 से पुलिस और फाॅर्स के लिए चुनौती बना रहा। चन्दन के हर पेड़ पर उसकी तिरछी नज़र रहती थी। 18 वर्ष की उम्र में वह एक अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया जिसका एक वक्त चंदन तस्कर वीरप्पन के नाम से तमिलनाडु जंगल में ख़ौफ़ पसर जाया करता था जो 2004 में मारा गया। वीरप्पन के बाद जंगलों से ख़ौफ़ तो खत्म हो गया लेकिन तस्करी का खेल कई गुना बड़ा हो गया।

क्या कोई वीरप्पन हमारे शहर में भी आ गया है ?

उदयपुर शहर की विश्व प्रसिद्ध झील फतहसागर के किनारे बनी काले किवाड़ के आगे मेवाड़ दर्शन दीर्घा पार्क में आए दिन चन्दन के पेड़ के चोरी होने की ख़बरे आ रही थी। कला दीर्घा पार्क में चन्दन के कुल 66 पेड़ थे। चोर इसी जगह से कई पेड़ आधुनिक हथियारों से काटकर लेकर गए थे और कुछ पेड़ो पर आरी से निशान बनाकर चेतावनी भी दे गए थे की ये पेड़ काटकर भी ले जाएंगे और नतीजा यह था की चोर उसमे से कुछ पेड़ आखिरकार लेकर ही गए। कुछ पेड़ो को तो इतना तक काट दिया था की हल्का सा धक्का देते ही वे निचे गिर पड़ेंगे।

ये पेड़ वीरप्पन जैसे अनगिनत तस्करों को शरण दे रहे हैं। दरअसल चोर चन्दन के पके पेड़ लेकर जाते है, जानकर बताते है की चन्दन की खुशबू पेड़ की जड़ से लेकर ऊपर तक के 4-5 फीट तक के तने में रहती है। इसके लिए चोर पेड़ो के ऊपरी हिस्से को आसपास के पेड़ या जालियो से बाँध देते है। इसके बाद ज़मीन से चार से पांच फीट का हिस्सा काटकर अलग कर देते है। चोरो की नज़र अब कटे पेड़ो की जड़ो पर भी है इसलिए कई चबूतरों तक को तोड़ दिया गया है।

इस ख़बर के बाद चेते नगर निगम ने चन्दन के पेड़ को सुरक्षित करने के लिए करीब-करीब सभी पेड़ो के चारो और लोहे के एंगल लगा दिए है। नगर निगम इन पर भी ध्यान नहीं देता तो चंदन तस्कर सभी पेड़ो को गायब कर देंगे। चन्दन तस्करो की निगाहें तो अभी भी पेड़ पर जमी है। जिले में लगातार चन्दन के पेड़ घटते जा रहे है , क्या विभाग की और से चन्दन तस्करी रोकने के लिए और कड़े प्रकरण करने की आवश्यकता नहीं है?  क्या पार्क में चौकीदार बढ़ाने की जरुरत नहीं है ? क्या पार्क में सीसीटीवी कैमरे की जरुरत नहीं?

कितने साल में तैयार होता है एक पेड़ ?

  •  15 साल में तैयार होता है एक पेड़ ।
  • हर साल चंदन का तना बढ़ता है – 12 से.मी ।
  • 12 से 15 साल के पेड़ की ऊंचाई होती है – 5 फीट (तने का व्यास करीब 80 से.मी.) ।
  • 15 साल के पेड़ से मिलती है लकड़ी – 20 से 35 किलो (लसदार) ।
  • मौजूदा लकड़ी की कीमत 6000 से 12,000 रुपए प्रतिकिलो।( 6000 रुपए प्रतिकिलो के मान से 20 किलो लकड़ी की कीमत ही बाजार में 1 लाख 20 हजार रुपए होती है) ।
  • चंदन चार तरह का होता है सफेद, लाल, मयूर और नाग चंदन।

एक चन्दन के पेड़ की कीमत करीब 10 लाख होती है, करीब 10 पेड़ किसी को भी करोड़पति बना सकते है। सवाल हजारों पेड़ों की तस्करी का हो तो अंदाजा लगाइए कितनी बड़ी रकम का खेल होगा। ये धंधा इतने शातिर तरीके से किया जाता है कि इसमें सिर्फ छोटे मोहरे ही फंसते हैं। बड़े खिलाड़ी कानून के चंगुल से दूर रहते हैं। हालात नहीं सुधरे तो आशंका ये भी है कि अगले 15-20 साल में चन्दन के पेड़ की प्रजाति पूरी तरह खत्म हो सकती है।

Categories
News

महीनों बाद उदयपुर में मिले 13 संक्रमित।

कोरोनावायरस सामान्य सर्दी से कोविड-19 तक श्वसन संक्रमण का कारण बनते हैं। हाल ही के वर्षों में कोरोनावायरस ने  कई प्रकोप पैदा किया है, जैसे कि गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम और मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम। लेकिन इन वायरस ने उतने लोगों को प्रभावित नहीं किया है, जितना कोविड-19 ने किया है।

चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदाहरण है, जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में शुरू हुआ था। WHO ने इसका नाम कोविड -19 नाम रखा।

उदयपुर जिले में कई महीनों बाद फिर शहर में एक्टिव केस आए हैं। रविवार को इनकी संख्या 10 थी, दूसरे दिन इनकी संख्या 3 थी, कुल इसके अभी 13 मरीज़ है। चिकित्सा एवं स्वास्थय विभाग के अनुसार कोरोना अब फिर से बढ़ने लगा है, रोज़ कोरोना के कई केस फिर से सामने आने लगे हैं।

तीन दिन से तो 3-3 मरीज रोज़ संक्रमित आ रहे हैं। 13 में से एक संक्रमित का उपचार अब अस्पताल में किया जा रहा है। बाकि के सभी अभी होम आइसोलेट हैं। गत 20 मई को भी 3 संक्रमित मिले थे। डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया था की कुल 187 नमूनों की जांच की गई, जिसमे से 3 संक्रमित शहरी क्षेत्र में मिले है।

अब तक कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 74297 हो चुकी है, इनमे से 73514 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके है। फिलहाल होम आइसोलेशन और एक्टिव मरीजों की संख्या 8-8 है।कोरोना से 775 लोग काल का ग्रास बन चुके है। गत 17 मई तक 17 संक्रमित मिले थे, फिर 18 से 23 मई तक 6 दिनों में 13 मरीज मिले थे ऐसे में 1 से 23 मई तक 23 संक्रमित सामने आ चुके है। इस से पहले अप्रैल में 15 संक्रमित मिले थे।

कोरोना वायरस से पीडित जनो के लक्षण, अनावरण होने के 2 से 14 दिनो के बाद दिखाई देते हैं | यह लक्षण अधिकतर सौम्य होते है और सामन्य रूप मे इनकी उपेक्षा कि जाती है | कुछ लोगो के संक्रमित होने के बावजूद इनमे कोई लक्षण दिखाई नही देते है। कोई लक्षण ना दिखने पर भी ये संक्रमण हो सकते है।

कोरोना वायरस इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं?
कोरोनावायरस की वजह से रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी श्वसन तंत्र में हल्का इंफेक्शन हो जाता है जैसा कि आमतौर पर कॉमन कोल्ड यानी सर्दी-जुकाम में देखने को मिलता है। हालांकि इस बीमारी के लक्षण बेहद कॉमन हैं और कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित न हो तब भी उसमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। जैसे-

  • नाक बहना
  • सिर में तेज दर्द
  • सूखी खांसी
  • गले में खराश
  • उल्टी-दस्त
  • थकान – बदन दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • सूंघने की क्षमता
  • ब्रॉन्काइटिस
  • निमोनिया

 

Categories
News

आरएनटी में खुलेंगे नए दवा केंद्र, उपकरणों के ख़राब होने पर उपचार के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार

राजस्थान के 52 मेडिकल कॉलेजो में करीब 241 दवा वितरण केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए निदेशालय ने हाल ही आदेश जारी किये हैं। इन केन्द्रो में से उदयपुर के 21 केंद्र आरएनटी मेडिकल कॉलेज में खुलेंगे। नए केंद्र खुलने के बाद यह संख्या 41 हो जाएगी। प्रदेशभर के केंद्रों के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी हैं। इन केंद्रों पर कंप्यूटर कर्मी, फार्मासिस्ट, हेल्पर आदि सहित 3-3 के स्टाफ की नियुक्ति होगी, ऐसे में 723 पद भरे जाएंगे। उदयपुर के 21 दवा वितरण केंद्रों पर 21 फार्मासिस्ट,21 कंप्यूटर कर्मी और 21 ही हेल्पर नियुक्त किये जाएंगे इससे मरीजों और तीमारदारों के कार्य में आसानी होगी। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन 6 अस्पतालों में अभी 20 केंद्र हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ग्रुप प्रथम के संयुक्त शासन सचिव इक़बाल खान ने पांच दिन पहले राजकीय मेडिकल कॉलेजों और राजमैस सोसाइटी के तहत संचालित मेडिकल कॉलेजों में संविदा के आधार पर 3413 पद भरने का आदेश जारी किया गया था। ये पद नर्सेज और वार्ड अटेंडेंट के होंगे। उदयपुर के आरएनटी के लिए 317 पद मंजूर किये गए हैं।

हर केंद्रो को कंप्यूटर-फर्नीचर व उपकरणों के लिए 3.30 लाख रुपए दिए जाएंगे।
नए दवा वितरण केन्द्रो में प्रत्येक के लिए 3.30 लाख रुपए निर्माण कार्यो के लिए होंगे , जबकि 1.30 लाख रुपए कंप्यूटर, फर्नीचर और अन्य उपकरण खरीदने के लिए मंजूर किये गए है। ऐसे में पुरे प्रदेश में 4.82 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है। उदयपुर के लिए 69.30 लाख रुपए मिलेंगे।

औसत 12 लाख रोगी को हर साल मिलेगी राहत।
महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय संभाग का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है। यंहा उदयपुर, प्रतापगढ़ , चित्तौडग़ढ़ ,राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, समेत पडोसी राज्य गुजरात और मध्यप्रदेश से हर साल औसत 12 लाख मरीज इलाज करवाने आते है। इस वजह से यहाँ का दवा वितरण केंद्रो पर भी मरीजों की भीड़ लगी रहती है। कही बार मरीजों को दवा के लिए घंटो लाइनों में खड़ा रहना पड़ता है। नए केन्द्रो की शुरुआत और स्टाफ बढ़ने से मरीज़ो और तीमारदारों को दवाई के लिए भटकने जरुरत नहीं होगी।

एमबी जैसी व्यवस्था को पुरे प्रदेश में लागू करने को कहा था सीएम ने।
उदयपुर के एमबी अस्पतालों की व्यवस्थाओ जैसा मॉडल पुरे प्रदेश में लागू होगा। जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज की 13 सदस्यीय टीम उदयपुर पहुंची और आरएनटी मेडिकल कॉलेज के एमबी अस्पताल का निरिक्षण किया। टीम ने वार्डो, दवा वितरण केंद्र आदि की प्रणाली देखी और चर्चा की। सीएम अशोक गहलोत पिछले दिनों उदयपुर आए थे तब उन्होंने एमबी में भर्ती मरीज़ो व तीमारदारों से सुविधाओं और योजनाओं पर बात की थी। बाद में सीएम ने ऐसी व्यवस्था पुरे प्रदेश में लागु करने को कहा।

कंपनी करेगी कम समय में मशीनें ठीक।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज में अब यदि कोई भी चिकित्सालय उपकरण ख़राब होता है तो जल्द से जल्द ठीक हो जाएगा। राज्य सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुरूप केटीपीएल कंपनी को सरकार के स्तर पर यह कार्य सौंपा गया है। ये शुरुआत इसलिए की गई है ताकि अलग-अलग कंपनियों के माध्यम से अलग अलग मशीनों को ठीक करने में कई महीने लग जाते थे। ऐसे में मरीजों का उपचार प्रभावित होता था अब एकमात्र कंपनी यह कार्य करेगी तो काम समय में जल्द से जल्द ये तकीनीकी उपकरण ठीक हो सकेंगे।

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुरूप सरकार ने एक ही कंपनी को सौंपा काम।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज सम्बन्ध पांचो हॉस्पिटलों में 341 तरह कई 5387 उपकरण है,इनम से किसी के भी बिगड़ने पर भी ठीक किया जा सकेगा। इसमें एक्स -रे, सिटी- स्कैन, एमआरआई, वेंटीलेटर सहित अन्य उपकरण शामिल है। इसमें हाइड्रोक्लोरिक बेड व अन्य छोटे मोटे उपकरण शामिल नहीं किये गए।

ख़ास बात यह है की नए उपकरण है जो जहाँ से खरीदे गए है, वहां से तय समय तक गारंटी – वारंटी पीरियड में है। लेकिन जैसे ही तय अनुबंध समय पूर्ण होगा तो उनके बिगड़ने पर ठीक करने का काम केटीपीएल का होगा। कई कई महीनों तक उपकरण ठीक नहीं होने से मरीजों को अन्य प्राइवेट हॉस्पिटलों की और दौड़ना पड़ता था और ऊँचे दाम देकर अपना इलाज करवाना पड़ता था।

यह निर्णय राज्य सरकार के स्तर पर लिया गया है, ताकि किसी भी प्रकार के उपकरण की खराबी पर ज्यादा दिन तक मरीजों को परेशान नहीं होना पड़े। पहले अलग – अलग कम्पनियों के कारण कई प्रकार की परेशानी आती थी। कई कई महीनो तक इंजीनियर्स नहीं पहुंचे थे ,लेकिन इस निर्णय का लाभ ये होगा की कोई भी उपकरण यदि बिगड़ता है तो हमें केवल कंपनी में बात करनी है, वह कंपनी अपने स्तर पर जल्द से जल्द इंजीनियर्स उपलब्ध करवाएगी।

Categories
News

उदयपुर अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन का 90% काम संपंन्न

उदयपुर से अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन अब 5 कि.मी बिछना बाकी है। यह काम खारवा से जयसमंद के बिच बचा हुआ है। 299 किलोमीटर की यह ट्रैक जब पूरी हो जाएगी तो यह दक्षिण भारत से जुड़ जाएगी। चूँकि इसका 90 % काम पूरा हो चूका है।प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी टनल तक इसकी पटरिया पहुंच चुकी है। दक्षिण भारत से जुड़ने में अब महज 5 किमी का फासला है।

इस ट्रैक पर खारवा से जयसमंद के बिच 36 किमी में जून माह तक रेलवे का सीआरएस यानि निरिक्षण हो सकता है। जून माह तक पुरे रेलवे का निरिक्षण होने पर रेल शुरू होने की उम्मीदे है। इस से पहले हिम्मतनगर से जयसमंद और उदयपुर से खारवा तक का निरिक्षण हो चूका है। खारवा से जयसमंद का काम काफी धीमी गति से चल रहा है।

कई बार इसकी डेडलाइन भी आगे बढ़ चुकी है। इसकी अंतिम डेडलाइन मार्च 2022 के अंत तक पूरी होने की थी। समय पर कार्य पूरा ना होने की वजह से इसका कार्य मई माह तक पहुंच गया है। फ़िलहाल रेलवे के अधिकारी जून के पहले सप्ताह तक कार्य पूर्ण होने की सम्भावना बता रहे है।
इस ट्रैक का कार्य हो जाने पर यह उदयपुर से गुजरात,महाराष्ट्र,गोवा,कर्नाटकइन सभी के रास्ते सीधे दक्षिण भारत से जुड़ जाएंगे। उदयपुर से अहमदाबाद के लिए रोज इंटरसिटी ट्रैन चलेगी।

Categories
News

Newly introduced holiday train between Udaipur and Bandra starting from May 2’nd 2022

As the economy is reopening after the traumatic pandemic, there has been an exponential rise in the number of travellers. And most of them are preferring trains over any other mode of travel because of obvious reasons. By obvious reason, we mean cost, safety, comfort and a lot more facilities the trains offer to its passengers as compared to air or road travel.

Therefore, Indian railways these days are running jam-packed with passengers. Railway travellers are struggling to get a confirmed seat due to increased travel demand. This exponential rise in railway travel demand may be either due to eased COVID-19 travel restrictions or due to summer vacations.

Reports say that the train booking has surged around 1.5 times since Holi and it is anticipated that they will continue to follow this trend till May end.

Therefore considering this skyrocketing number of railway passengers, the North-Western railway decided to run a new summer special train connecting Udaipur and Bandra. This facility is offered by the railway association to provide convenient and comfortable services to its passengers. Mentioned herewith is the train schedule:

Udaipur – Bandra Special Train Schedule:

According to the latest press release, this Train (No. 09067) will run once a week, beginning from May 2’nd 2022 till June 13’th, 2022. Reports also said that the train will depart from Bandra terminus every Monday at 23:45 and will reach Maharana Pratap Railway Station, Udaipur at 14:55 the very next day.

Train between Udaipur & Bandra

Similarly, train No. 09068 will route from Udaipur to Bandra Terminus, WEF May 3’rd 2022 to June 14’th 2022. And this particular train will depart from Udaipur at 21:15 every Tuesday and will reach Bandra Terminus at 13:25 the other day.

This weekly Special train will halt at Borivali, Vapi, Surat, Vadodara, Ratlam, Mandsaur, Neemuch, Chittorgarh, Fateh Nagar, Mavli and Maharana Pratap Station during its journey. Moreover, 2’nd and 3’rd AC facilities along with Second Sleeper and Second Ordinary class coaches have been installed with this train.

Categories
News

Udaipur-based Online Furniture Platform WoodenStreet raises $30 mn in funding round led by WestBridge Capital

Udaipur/Jaipur-based online Furniture & home decor platform, Woodenstreet.com, has raised around $30 Mn in series-B round of funding led by WestBridge Capital, in both Primary and Secondary investment.

By far, it is the largest funding raised by any vertical furniture player across India in the year 2022. Lately, WoodenStreet had closed series-A funding of $3 million in 2020 from IAN and RVCF (Rajasthan venture capital funds).

Established in 2015 by Lokendra Singh Ranawat, Virendra Ranawat, Dinesh Singh Rathore and Vikas Baheti, Wooden Street has 50 plus stores in all major cities and claims to serve more than 15 lakh customers in 300 plus cities across India.

This startup offers complete home solutions including solidwood & modular furniture, kitchen & wardrobes, home décor, lighting, furnishings. Moreover, recently WoodenStreet has introduced the office furniture section thereby making it an emerging leader in the online furniture & decor market.

Furthermore, WoodenStreet also deals with 6 state of art manufacturing, R&D facilities spread across the country to meet their budding requirements.

On being asked about the vision with this round of funding, the Co-founder and CEO of the company Mr. Lokendra Ranawat said- “Our aim has always been to offer products that improves the aesthetics and comfort of Indian homes. We focus on design and innovation, thereby offering functional and designer items at affordable price. We are happy to welcome WestBridge Capital, that shares our common vision of creating better products and awesome shopping experience for Indian customers”

“WoodenStreet has grown 100% yoy from past three years while maintaining profitability at net level, and we plan to achieve a turnover of INR 600 cr in the coming two years with this fund raise” adds Co-founder and CFO Dinesh Singh Rathore.

Co-founder Virendra Ranawat and Vikas Baheti said that Woodenstreet has established itself as one of the most preferred brand among the customers when it comes to buying designer Indian furniture. Moreover, since most of us shall be working from home in the foreseeable future, WoddenStreet came up with an idea of introducing the entirely new office and modular furniture section.

Furthermore, WoodenStreet has planned to open a total of 200 stores in the coming 2 years, and has also decided to onboard close to 3000 home décor brands under its platform.

Their latest capital infusion will be focusing on new market expansion, technological development, expansion of supply chain, and creation of new category offerings.

“We are impressed by WoodenStreet’s ability to scale capital efficiently in a strategic consumer category. The founders focus on customer delight is what excites us and we look forward to a very long partnership with them.” said Sandeep Singhal, co-founder of WestBridge Capital.

WestBridge Capital is an experienced investment firm, managing over $7 billion of capital funds across India and Mauritius that focusses on investments in India. WestBridge Capital leverages both its capital and experience to help companies prosper. WestBridge seeks to partner with some of India’s most promising mid-sized companies run by outstanding entrepreneurs and management teams for the long-term, be it public or private. By far, the team at WestBridge has led investments in over 130 companies. Armed with the wealth of experience, their team is able to assist its portfolio companies in many areas including strategy, operations, management recruiting and fundraising.

Categories
News

Admissions of 1000 Medical Students Cancelled in Udaipur

After hours of studying and plenty of research, a student decides their college. Whether it is for under graduation or post-graduation, the efforts remain the same for getting into a college. But what if after all these hassles you get nothing? That is what is happening with some students in Udaipur right now.

National Medical Commission (NMC) cancelled admission of around 1000 students in MBBS, under graduation as well as post-graduation in Udaipur’s 4 medical colleges. The four colleges are

  • Geetanjali Medical College
  • Pacific Institute of Medical Sciences
  • American International Institute Of Medical Sciences, and
  • Ananta Institute of Medical Sciences and Research Centre

These colleges are amongst the top reputed colleges in the city. They are known for the facilities they provide to students and their administration. Such mishaps happening in these colleges of Udaipur are hard to believe. The colleges not only welcome students of Udaipur but the students come from all over India to pursue their education.

NMC declared this news in between the ongoing session. Around 1000 medical students’ futures are at stake now. This decision by the NMC has left the students worried about their future. A year wasted cannot come back.

The real concern of students is that lakhs of fees have already been paid to the colleges. The new session classes have already started and it’s been 2 weeks.

This news has left everybody in surprise at how this could have happened. Not only the students but also the faculties are shocked by this decision of NMC. The department has no idea what is to be done now.

On 24th February, the Ministry of Health and Family Welfare took a surprise visit to these 4 colleges. During the visit, the ministry noticed a few rough edges and gave their feedback. After the visit, the team even asked for answers from the colleges respectively about the errors.
After the analysis, the National Medical Commission cancelled the letter of permission for these four colleges for undergraduates and postgraduates.

A career is one of the most important things in life for today’s generation. And choosing the right college is one crucial step in everybody’s life. After attending classes for around two weeks, the students of these colleges are left high and dry.

There is a famous saying that ‘An investment in knowledge pays the best interest’. But in this situation, the quote is implying a different meaning. Here, it means that better education comes with a price that all aspirants have to pay.

Information Source:  Rajasthan Patrika

Compiled by: Vaishali Jain

Categories
News

Udaipur’s Kanwarpada Higher Sec School Completes 100 Years!

With so many positives that we hold, we have one more addition that a very few people know about. Along with the pride that we carry in the beauty of our lakes, ethnicity of our monuments, and luxury of our culture, Udaipur also stands strong in terms of education.

The most famous government school in Udaipur, Kanwarpada Higher Secondary School, has completed 100 years today. Government schools in Rajasthan have always been looked down upon by many for some reasons. But Kanwarpada School has broken all the prejudices. It has been imparting quality education to students from all over the region.

It is not a matter of one or two years or even a decade, it is 100 years that Kanwarpada School has been standing with pride, educating hundreds of scholars everyday. We cannot be anything but proud.

Established a century ago, it has seen a lot of developments in terms of education. Since its inception, it has contributed well to the fields of Business, Science, Medicine, and so much more. Today, it completes a century of its existence.

In the year 1921, Mewar princely state started the first class in Kanwarpada Mahal in Udaipur. The school was then upgraded to Primary in 1935, Secondary in 1955, Upper Secondary in 1958, and Senior Secondary in 1988.

Listening to it would tickle your hearts, but it is the alma mater of five generations of some families in Udaipur. It is situated in the old city region. Along with the history, it is also a great symbol of ancient architecture.

Alumni who created History-

Hundred years of its existence, so it is evident that there will be an excellent base of alumni. The students who have proudly passed out from the institution not only in the state or the country but also across the world. Some of them are mentioned below.

  • Madhusudan Sukhwal, Businessman, Paris
  • Dr Keerti Jain, Cancer Specialist, America
  • Bhupendra Soni, Businessman, America
  • Dr Jeevanlal Mathur, First MBBS from Rajasthan
  • HV Paliwal, Director, Hind Zinc
  • Kailash Meghwal, Speaker of the Assembly
  • BP Bhatnagar, Vice Chancellor, Vidyapeeth
  • Umashankar Sharma, Vice Chancellor, MPUAT
  • BL Khamesara, MD, JVVNL
  • Dr Parmendra Dashora, Vice Chancellor, Kota University

The success stories of the ex-students spread from the corners of Udaipur to Paris and even America. Also, the students of the school are so attached that they have even created a committee for the pupils who have passed the institution.

Once a principal of the Kanwarpada School tells that five generations of his family have studied from this school itself. In fact, four of those generations have been appointed as the teachers as well.

In the end

Everything about Kanwarpada holds a special place in the hearts of Udaipurites. Ever since the school has started its first class, it has contributed to the betterment of the city as well as the country.

There are only a few institutions who can produce multi-talented kids who make their alma mater proud. And indubitably, Kanwarpada is one of them. With students who have made all of us proud throughout all these years, it has given us a lot to cherish.

Information Source- Rajasthan Patrika