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Urban95 Udaipur Kids Festival to be held this weekend

The event, aimed at children in the age group of 0-6, will take place at Gulab Bagh on 5th and 6th March, 2022

Imagine that you are a 3-year-old child. Delve deeper into your imagination and think what all you would like to do at this age. Unlimited fun activities, making mud castles the entire day, running after balloons, curiously gazing at wonderous sights, creating colourful crafts, reading stories and getting lost in books filled with colourful pictures – this probably is the best definition of childhood.

Through the “Urban95 Udaipur Kids’ Festival”, the city is focusing on enhancing early childhood and celebrating it. This annual event is organized by the Udaipur Nagar Nigam, in collaboration with Bernard Ven Leer Foundation (BvLF) with technical support from ICLEI – Local Governments for Sustainability, South Asia and Ecorys India. This year the festival will be celebrated on 5th and 6th of March at Gulab Bagh, Udaipur.

Due to the Covid-19 pandemic, the festival could not be organized last year. However, it was a huge success in 2020, memories of which live on even now. The festival will also mark the participation of several schools, Bal Vikas Kendra and other associated organizations of Udaipur.

Kid's FestivalPlanned activities at the Urban95 Udaipur Kids’ Festival

The festival is being organized with a special focus on children up to the age of 6 years and their caregivers, and the activities are designed to aid in the physical, mental, emotional, and creative development of young children. The festival will offer insights on activities that support learning for young children as per their personalities and preferences, and behavioral insights for the caregivers to promote the[RM1]  holistic development of their children.

Children attending the festival can participate in activities like art and craft, painting, block printing, storytelling, learning tree, hurdle race, skipping, games with balloons, games with use of soil and balls, traditional games, clay art, one-minute shows and much more. The festival space will also showcase colorful décor to make the space interesting for young children.

In addition, with support from West Zone Cultural Centre, activities like puppet shows, which highlight the culture of the city, will also be organized. The Nagar Nigam has arranged a plantation drive with kids and their caregivers to spread the message of the significance of trees and the need for protecting the environment. A health camp for young children is being organized by the Health Department, facilitating routine health checkup of the children, along with measurement of their height and weight.

Under Urban95 Udaipur, the “Parents+” project, with Jatan Sansthan as the technical partner, will support parents and families with information on positive parenting, pre-school education, childcare at home, health, nutrition and hygiene, along with things to keep in mind while walking with children outdoors or in public vehicle will be discussed during a dedicated session.  Several committees have come together to plan and manage operations for the festival.

Kid's Festival

Golden opportunity for engaging young children post COVID-19

Like all children, kids have not been able to go to pre-schools or anganwadis since the past two years. Moreover, experts do not advocate too many online classes for this age group. In such a situation, kids have been confined to their homes.  The Urban95 Kids Festival is a golden opportunity for Udaipur city, where young children will be able to come out of their homes and explore the park, play with other children and connect with nature for two consecutive days. They will also be able to participate in various pre-school educational activities.

During the festival, the COVID-19 safety protocols will be strictly followed for the safety of all visitors.

Bus facility: Buses have been provided by the Municipal Corporation to pick and drop the children of various Anganwadi centers. These buses will be available on both days of the festival. Vehicle access of any kind is prohibited in the park so that children and caregivers can move freely.

Parking facility: For the parents and schools willing to reach the site by private vehicles, four-wheeler parking space has been allotted at the smart city parking near PWD. Parking for two-wheelers has been allotted at the left-hand side from the main entrance. Traffic police will be posted for the same.

Who can participate? Children up to the age of 6 years can participate in the festival. Parents and caregivers of the kids participating are also allowed to accompany them. Apart from this, individuals working with young children, teachers, social organizations, private schools, people associated with Anganwadi centers, pregnant and lactating women are also welcome to the festival. The festival will be held from 9 AM till sunset.

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उदयपुर में 5 से 7 मार्च तक बिखरेंगे थियेटर के रंग

इला अरूण, लिलेट दुबे, विक्रांत मिश्रा सहित कई नामी कलाकार करेंगे दर्शकों  का मनोरंजन

उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर के  दर्शकों पर थिएटर फेस्टिवल का जादू मार्च के पहले सप्ताह में चलने वाला है। यह उत्सव दर्शकों के लिए जीवन के सभी रंगों का आनंद लेने के लिए एक इमर्सिव अनुभव सुनिश्चित करेगा। 5 से 7 मार्च तक परफोर्मिंग आर्ट क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा लिखित, निर्देशित और प्रदर्शित किए जाने वाले 3 दिवसीय थियेटर फेस्टिवल की तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं।

आयोजक अहसास महिला समूह ने बताया कि स्व. डॉ. प्रभा खेतान ने कोलकाता में प्रभा खेतान फाउंडेशन की स्थापना की थी। फाउंडेशन पूरे भारत में साहित्य, प्रदर्शन कला, सांस्कृतिक विरासत और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित होकर काम कर रहा है। संगठन भारत और विदेशों में 40 शहरों में सक्रिय है। प्रभा खेतान फाउंडेशन अपनी पहल “चलचित्र रंगमंच“ के तहत 3 शक्तिशाली और मार्मिक नाट्य प्रस्तुतियों के साथ उदयपुर में 3 दिवसीय थियेटर फेस्टिवल लेकर आया है।

फाउंडेशन ने कोविड -19 महामारी के कारण लॉकडाउन के लंबे अंतराल के बाद इस उत्सव को पूरी सावधानी से आयोजित किया है। यह भारत के समान विचारधारा वाले संगठनों, लोगों और अहसास महिलाओं की सहायता से भारत और विदेशों में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए निरन्तर कार्यरत है।

रेडिसन होटल में होने वाले थियेटर फेस्टिवल में इस क्षेत्र की दिग्गज लिलेट दुबे और इला अरुण अभिनय के परिचित नाम केके रैना, विक्रांत मिश्रा, इरा दुबे, जॉय सेनगुप्ता, मार्क बेनिंगटन, ऋषि खुराना, प्रणव सचदेव जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ तीन समकालीन मंच नाटकों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगी।

Lockdown Liasionsउत्सव का पहला दिन शोभा डे द्वारा लिखित लॉकडाउन लिएज़ोन्स के साथ शुरू होगा। यह नामी भारतीय अभिनेता और थिएटर निर्देशक लिलेट दुबे द्वारा निर्देशित नाटक 5 लघु कथाओं के संग्रह पर आधारित है। कोविड के समय पर आधारित नाटक जीवन और मानवीय संबंधों की असुरक्षा से संबंध रखता  है। स्टार कास्ट में लिलेट दुबे,  इरा दुबे और जॉय सेनगुप्ता शामिल हैं।

Devika Raniदूसरे दिन भारतीय लेखक और स्तंभकार किश्वर देसाई द्वारा लिखित देविका रानी का प्रदर्षन होगा।। भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय स्क्रीन दिवा देविका रानी के जीवन पर आधारित एक अद्भुत नाटक का निर्देशन लिलेट दुबे द्वारा किया गया है। देविका रानी बॉम्बे टॉकीज फिल्म स्टूडियो चलाने वाली पहली महिला हैं। इसकी स्टार कास्ट में इरा दुबे, जॉय सेनगुप्ता, मार्क बेनिंगटन और ऋषि खुराना शामिल हैं।

Yeh Raste Hain Pyar Keथियेटर फेस्टिवल के तीसरे दिन इला अरूण द्वारा लिखित ये रास्ते हैं प्यार के नाटक  प्रदर्शित किया जाएगा। इला अरुण लोक और लोक-पॉप संगीत की शैली में एक विश्व स्तरीय नाम है। नाटक का निर्देशन केके रैना ने किया है। इला अरुण ने एक भयंकर महामारी के अनिश्चित समय में दो बुजुर्गों की एक सुंदर कहानी बुनी है, जो अपने खाली जीवन के अलगाव से मुक्त होने के लिए बेताब हैं। स्टार कास्ट में इला अरुण, केके रैना और विक्रांत मिश्रा शामिल हैं।

इस उत्सव में देषभर के विभिन्न शहरों से अहसास समूह की महिलाओं द्वारा भी भाग लिया जाएगा। अहसास जीवन के सभी क्षेत्रों की समान विचारधारा वाली महिलाओं का समूह है जो समाज को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए काम करता है।

उदयपुर की अहसास महिलाएं स्वाति अग्रवाल, श्रद्धा मुर्डिया, मूमल भंडारी, कनिका अग्रवाल, रिद्धिमा दोशी और शुभ सिंघवी उदयपुर में इस उत्सव की मेज़बानी कर रही हैं।

 

 

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राजस्थान बजट 2022- जानिए उदयपुर को मिली कौन-कौन सी सौगातें!

उदयपुर को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। परन्तु एक बार फिर उदयपुर को सबसे बड़ी सौगात कांग्रेस सरकार से  मिली है। 10 साल पहले भी कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने उदयपुर को नगर परिषद से अपग्रेड कर नगर निगम बनाया था। 

अब ठीक 10 साल बाद गहलोत ने अपनी तीन वर्षों की सरकार के चौथे बजट में उदयपुर को UIT से अपग्रेड कर उदयपुर विकास प्राधिकरण (UDA ) बना दिया है। 

अब जयपुर, अजमेर और जोधपुर की तर्ज पर उदयपुर को उदयपुर विकास प्राधिकरण कहा जाएगा। यहां काम भी विकास प्राधिकरण के तौर पर ही होगा। उदयपुर को प्राधिकरण बनाने की मांग लम्बे समय से की जा रही थी।

केवल यही नहीं, उदयपुर को बजट से काफी कुछ मिला है। राजस्थान बजट उदयपुर के लिए निम्न सौगाते लाया है। 

  1. उदयपुर को विकास प्राधिकरण बनाया गया।  
  2. वल्लभनगर में रीको इंडस्ट्री बनाई जाएगी।
  3. खेरवाड़ा में एग्रीकल्चर कॉलेज खोला जाएगा।
  4. उदयपुर में अतिरिक्त सीएमएचओ ऑफिस खोला जाएगा।
  5. झल्लारा पीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत किया।
  6. महाराणा प्रताप खेलगांव में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक बनाया जाएगा।
  7. गिर्वा में एक खेल स्टेडियम भी बनाया जाएगा।
  8. सुपर-स्पेशियलिटी में सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।
  9. कोटड़ा तहसील में नए बांध बनाने की घोषणा।
  10. सेमारी उदयपुर में नया उपखंड कार्यालय बनाया जाएगा।
  11. उदयपुर में मिनी फूड पार्क बनाने की घोषणा हुई।
  12. दिल्ली के उदयपुर हाउस में 250 कमरों का हॉस्टल बनेगा।
  13. नगर निगम क्षेत्र में 40 करोड़ से नई सड़कें बनाई जाएंगी।
  14. उदयपुर-बांसवाड़ा रोड़ पर माही नदी पर पुल का निर्माण।
  15. 89 करोड़ से झल्लारा-धरियावद, प्रतापनगर सड़क, ऋषभदेव से झामेश्चर सड़क, झाड़ोल-देवास-गोगुंदा सड़क निर्माण।
  16. 150 करोड़ से प्रतापनगर से बलीचा फोर लेन रोड, आयुर्वेद चौराहे ( राड़ाजी चौराहा) से सुभाष (नेता जी सुभाष चंद्र बोस) सर्किल, सज्जनगढ़ तिराहा, रामपुरा होते हुए सीसारमा-झाड़ोल एलिवेटेड रोड़ बनायीं जाएंगी। 
  17. उदयपुर में 400 केवी ग्रिड सब स्टेशन स्थापित किया जाएगा।
  18. उदयपुर में बॉटनिकल गार्डन स्थापित किया जाएगा।
  19. भाणदा में नई चौकी, पाटिया चौकी को थाना बनाया जाएगा।
  20. उदयपुर में खुलेगा फैमेली कोर्ट। 
  21. बावलवाड़ा में उप-तहसील खोली जाएगी।
  22. घाटकोन में 9.65 करोड़ से सिंचाई परियोजना।
  23. गामदरा में 4.57 करोड़ से सिंचाई परियोजना।
  24. बेड़ा का नाका में 3.27 करोड़ से सिंचाई परियोजना।
  25. बजरिया, भूराव, हसूला और देवेंद्रा में 17 करोड़ से सिंचाई परियोजना।

यदि सभी घोषणाओं का पालन किया गया, तो हमें उदयपुर का एक नया रूप देखने मिलेगा।  


Article by: Paridhi Mehta

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उदयपुर के इंदिरा आईवीएफ हेड ऑफिस पर सेंट्रल जीएसटी (CGST) की टीम ने मारा छापा

उदयपुर स्थित इंदिरा आईवीएफ के हेड ऑफिस पर सेंट्रल जीएसटी (CGST) की टीम ने छापा मारा है। उदयपुर पहुंची टीम कर चोरी को लेकर जांच कर रही है। संभावनाएं यह जताई जा रही है की इंदिरा आईवीएफ की बड़ी कर चोरी का खुलासा हो सकता है।

सेंट्रल जीएसटी की दिल्ली से आई टीम व राजस्थान की टीम संयुक्त कार्यवाही कर रही हैं। इस संयुक्त टीम ने इंदिरा आईवीएफ के कुम्हारों का भट्‌टा स्थित सेंटर पर छापा मारा है और कार्यालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी हासिल किए हैं। उन दस्तावेज़ों की अभी जांच जारी है।

संभावनाएं जैसी जताई जा रही है उसके मुताबिक बड़ी कर चोरी का मामला हो सकता है। इसमें इंजेक्शन में खरीद के अतिरिक्त अन्य कई चीजों में कर से जुड़ी गड़बड़ियों की आशंका जताई जा रही है। सीजीएसटी से मिली सूचना के अनुसार कार्रवाई मंगलवार पूरी रात और बुधवार सुबह तक की गई।

इंदिरा आईवीएफ के देशभर में कई ब्रांच हैं, मगर इनका मुख्यालय उदयपुर स्थित कार्यालय ही है। इसलिए अभी सेंट्रल जीएसटी की टीमें कुम्हारों का भट्‌टा स्थित इंदिरा आईवीएफ सेंटर के हेड ऑफिस पर है। अबतक मिली जानकारी में सामने आया है कि सीजीएसटी अपनी कार्रवाई पूरी होने के बाद अधिकारिक जानकारी जारी करेगा, जिसमें कर चोरी से जुड़ी जानकारी सामने आएगी।


यह डाटा दैनिक भास्कर से प्राप्त किया गया है।  

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Broken Pipelines, Potholed Roads & etc.: Would You Call Udaipur “Smart” Yet? 

Udaipur ranks fifth in the country and first in the state when we speak of smart city work. But the dissatisfied citizens of the city and the respective councilors of the wards give rise to irony. Despite the ranks given, we still lag in the race of becoming a smarter city soon.

It has been months since we are waiting for the smart city works to pace up and get done. The slow work of the project has infuriated both the ward members and councilors. The time taken to make things right has not reached expectations.
In recent days, pipelines broke during the work which led to no supply of water in the area. Living without a proper supply of water is unimaginable. Seeing the agitated people, the concerned officials called for water tankers.
Even though the actions were taken by the heads, the problem couldn’t be solved completely before the evening. That is where we can look for problems. Finding solutions after days of distress leads to discontent.
There is so much that is covered in the smart city project. The redevelopment, retrofitting, and introduction of smart infrastructure pan city. But instead, the work is taking a long time and the existing facilities are also deteriorating.
The deadline for the completion of the 99 smart city projects was extended twice already. Still, 21 projects stay unattended. The aspects covered under the smart city include

  • CC roads
  • Underground cabling
  • Sewerage-drainage system
  • Water supply

The tasks have been majorly completed. The work from Rangniwas to Jagdish Chowk is supposed to be completed by March 31 this year. The ACEO of Smart City, Pradeep Sangawat claims that the citizens would not have to face the problem for long.
Being a citizen of the city, we understand that the smart city work takes time. But, the swirling dust and dirt have taken tolls over the patience of the people here. Potholed roads are a thing these days.
People, when asked, do not remember how it was like driving on a road without digs. From the locals to councilors and ministers, all are frustrated from the slow-paced work. Even though the move was towards the development of “smart” cities, people are convinced that it was not smart enough.
It has been six long years; there is improvement too. But the changes are not visible. That makes us question the officials about the very decision that was targeted towards only growth and development in the near future.
Had it been the other way round, it would have been different. On the ending note, it is important for the officials to focus on management and time that has been taken to accomplish the project. Even now, if they keep a track of this stuff, there could be chances of finishing the work by deadline


Article by: Paridhi Mehta

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निगम का करोड़ो का बजट: क्या अब बदलेगी उदयपुर की दशा?

अगर उदयपुर का नाम दिमाग में आते ही सौंदर्य से पहले टूटी सड़कें आती है तो हां उदयपुरवासी हो तुम !

सालों से “अंडर कंस्ट्रक्शन” चल रहे उदयपुर को शायद अब राहत मिल सकती है। नगर निगम बोर्ड बजट की बैठक तीसरी बार हुई। बैठक में पक्ष और विपक्ष दोनों ने एक ही सुर में शहर के विकास के लिए बोर्ड के सामने कई मुद्दे उठाए। इसी बीच निगम द्वारा 2022-23 सत्र के विकास कार्यों के लिए 298.03 करोड़ का बजट पास किया गया।

जिस तरह की हालत है हमारे शहर की सड़कों की उस पर निगम को शायद इस बार तरस आ गया। इसीलिए इस बार सड़को के सुधार के लिए तीन गुना ज़्यादा राशि रखी गई है। इसके अलावा ई-वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान देने का भी प्रस्ताव रखा गया। जहाँ देहलीगेट फ्लाईओवर के निर्णय पर एलिवेटेड रोड की चर्चा हुई वहीँ विधायक फण्ड से ज़िपलाइन डालने के लिए राशि की स्वीकृति भी मिली है।

आइए विस्तार से जाने की कितनी है समस्याएं और किन पर होगा काम।

समस्याएं

  • सभी वार्डों में सड़के टूटी-फूटी है और अधिकांश जगह पेयजल की समस्या है।
  • कई वार्ड यूआईटी सिमा क्षेत्र में है तो कुछ निगम के क्षेत्र में और दोनों के क्षेत्र में होने से कई जगहों पर विकास कार्य नहीं हो रहा, हालत जैसी की तैसी ही है।
  • कचरे के कंटेनर हटने से सड़क पर कचरा पड़ा रहता है।
  • स्मार्ट सिटी के कार्यों में गति ना होने और कार्यों में मॉनिटरिंग ना होने से अंदरुनी शहर में परेशानियां सिर्फ बढ़ ही रही हैं।
  • हिरणमगरी स्मार्ट रोड में भी कई ख़ामियाँ है।
  • कई इलाकों में सामुदायिक भवनों को सुधरने की अत्यंत आवश्यकता है।
  • जगह-जगह अतिक्रमण है ।
  • बोहरा गणेशजी जैसी कई जगहों पर चौड़ी सड़क की आवश्यकता है।
  • औद्योगिक क्षेत्रों में सिटी बसें नहीं चल रही।
  • कई क्षेत्रों में वनवे से परेशान है आम लोग।
  • कच्ची बस्तियों और गरीब जनता की पट्टे की दिक्कत।
  • लगभग हर वार्ड में सफाई कर्मी गायब रहते है और कचरा संग्रहण की व्यवस्था भी ठीक नहीं है।

यह तो कुछ गिनी-चुनी समस्याएं हैं जो की पार्षदों द्वारा गिनवाई गई है। ना जाने कब से आम जनता इन परिस्थितयों से शतिग्रस्त है। इसी को देखते हुए इतने बड़े बजट की स्वीकृति मिली है। अब देखते है की इसके तहत किन-किन समस्याओं का समाधान होता है।

समाधान कुछ इस प्रकार होंगे:

  • सड़कों के लिए 46 करोड़: शहर की क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए निगम ने इस बार 46 करोड़ बजट का प्रावधान रखा है। इसमें महापौर द्वारा आश्वासन दिया गया है की सभी वार्डों में जल्द ही सड़कों की हालत सुधरेगी जिसमे से अधिकांश के टेंडर हो चुके है।
  • दूधतलाई पर ज़िपलाइन व पार्किंग: दूधतलाई पर ज़िपलाइन बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है और साथ ही उसके पीछे ज़मीन को साफ़ कर वहां पार्किंग स्थल बनाने का भी सुझाव दिया गया है।
  • ई-वाहनों पर अनुदान: शहर में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम दुपहिया वाहन ख़रीद पर दो हज़ार व ई-रिक्शा खरीदने पर 4 हज़ार रुपये का भुगतान करेगा। इसके लिए बजट में 50 लाख रुपये का अलग से प्रावधान रखा गया है।
  • देहलीगेट फ्लाईओवर की जगह एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव: पहले देहलीगेट पर फ्लाईओवर बनने का प्रस्ताव सामने आ रहा था लेकिन बोर्ड की बैठक में उदियापोल से कलेक्टर के बंगले तक एक एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव रखा गया है। निगम को इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी और मज़बूती से अपना पक्ष भी रखना होगा।
  • जनसहभागिता योजना आरम्भ: आमजन व वार्ड की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निगम ने पहली बार जनसहभागिता योजना प्रारम्भ की है। इसके तहत किसी संस्था द्वारा जनहित में कार्य विशेष के लिए 30 प्रतिशत अंशदान देने व 70 प्रतिशत व्यय निगम की ओर से करवाया जाएगा।
  • पार्षद करवा सकेंगे 2 लाख तक के काम: पार्षद अपने वार्डों में दो लाख रुपये तक विधायक फण्ड से काम करवा सकेंगे। इसके लिए नियमों के तहत जो काम आएँगे उसी के लिए ही स्वीकृति दी जाएगी।

अब आने वाले 2022-23 सत्र में इन सभी सुधार और विकास कार्यों का इंतज़ार रहेगा जिससे समस्त उदयपुरवासियों का जीवन आसान होगा और यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स का भी अनुभव अच्छे सन्दर्भ में यादगार होगा।

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Can You Find Similarities Between Rajasthan & Punjab’s Cultures?

Rajasthan and Punjab are two very distinctive states of our country. While they are very different, there are various similarities as well. In this aspect, the governments of the respective states intend to promote each other’s cultures.

Punjab’s infotech chairman Harpreet Sandhu visited the city of lakes on February 9th. With a view to giving an insight on Punjab’s rich heritage, he gifted the Collector his book, “Sadda Sohna Punjab”.

He was also of the view that Rajasthan and Punjab share different yet very similar cultures. Both the states have people who are deeply rooted. The royalty of Rajasthan and the high-spirited lifestyle of Punjab are both exciting to know.

With the idea of cultural exchange for both the states, locals would get the opportunity to explore different destinations of the West and North. Both, Rajasthan and Punjab, take pride in boasting about their food, folk arts, and lifestyle.

Despite the various distinctive things, there are points of similarities as well. The two cultures are symbolic of happiness and joy. The Rajasthani attire for women is ghagra, choli, and odhni. And for the women of Punjab, is a salwar kameez.

And surprisingly, both attires are equally fancied by the locals.

Travel and tourism is one of the largest industries in the world. Leveraging them for the economic benefit of Rajasthan and Punjab is a strategic and advantageous decision. It will also result in the benefit of Udaipur’s tourism.

This scheme of promoting each other’s cultures brings forward an opportunity for economic development as well. The tourist destinations of the states have a great capacity to attract tourists.

Tourism spend and economic development go hand-in-hand. And with the increased tourism across the two places, there are better chances of monumental development. When travellers from Punjab come to Rajasthan, there are chances of financial betterment for our state.

This unique idea of the respective state governments can uplift the scenario of voyaging. People from Rajasthan will get to know about the culture of Punjab and vice versa. And also, they would get to experience the beauty of Punjab’s “INDIA BEGINS HERE” tagline.

Article by: Paridhi Mehta

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जानिए उदयपुर के लिए कैसा रहा बजट 2022

2022-23 का आम बजट इस बार अपने साथ कई उतर-चढाव और सौगातें भी लेकर आया। बजट का फायदा देश की 100 स्मार्ट सिटियाें में शामिल उदयपुर काे भी अतिरिक्त बजट के रूप में मिलेगा। साथ ही जिले के कृषि विश्वविद्यालय को और करदाताओं को इस बजट से लाभ भी होगा।

स्मार्ट सिटी के कार्यों काे बड़ी राहत

केंद्र सरकार के आम बजट 2022-23 से उदयपुर के स्मार्ट सिटी के कामों काे बड़ी राहत के संकेत भी मिले हैं। इस बजट में शहरी विकास पर खासा ज़ोर दिया गया है। इससे शहर में स्मार्ट सड़क, सीवरेज, ड्रेनेज, बिजली, पानी, सप्लाई, स्वच्छता के कामों को अब जा कर गति मिलेगी।

हाउसिंग में आयकर छूट नहीं

उदयपुर में पिछले 10 साल से हर साल औसतन 10 हज़ार नए घर बनते हैं। प्राॅपर्टी कारोबार को गति हाउसिंग में आयकर छूट को 1.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने पर ही मिलती, जाे इस बार भी नहीं मिली। हाउसिंग में आयकर छूट नहीं बढ़ने से बिल्डर्स काफी निराश हैं।

कृषि विश्वविद्यालयों में शोध व नवाचार को बढ़ावा

बजट 2022 को कृषि विश्वविद्यालयों में शोध व नवाचार को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है और इसकी वजह यह भी है की एमपीयूएटी में रिसर्च के लिए इस बार ज़्यादा फंड आएगा। बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले बजट से विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा। इस बजट से विवि में इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम, फूड सेफ्टी, फूड एग्रीकल्चर प्रक्टिसेज़, एग्रीकल्चर प्रोसेसिंग और एग्रीकल्चर मार्केटिंग की शिक्षा का सीधा फायदा किसानों को होगा।

संभाग के 4 लाख करदाताओं को लाभ

केंद्र सरकार के चौथे बजट में वित्त मंत्री ने आयकरदाताओं को बड़ी राहत देते हुए आईटीआर को दो साल तक अपडेट करने की सुविधा दी है। इस सुविधा का फायदा उदयपुर संभाग के 4 लाख आयकरदाताओं को भी मिलेगा। पहले आईटीआर फाइल करने की तारीख 31 जुलाई होती थी तो आयकरदाता 31 दिसंबर तक आईटीआर अपडेट कर सकते थे। इस साल कोरोना के चलते विभाग ने अंतिम तिथि 31 मार्च 2022 तक कर दी है। नए बदलाव के चलते अगर आयकरदाता पहले साल में रिटर्न अपडेट करता है और अतिरिक्त आय दिखाता है तो उसे उस आय का 25% टैक्स, ब्याज, 4% एजुकेशन सेस व सरचार्ज देना होगा। वहीं दूसरे साल में अपडेट करने पर 50% टैक्स, ब्याज, 4% सेस और सरचार्ज का भुगतान करना पड़ेगा।

जहाँ बजट 2022 में टैक्स में छूट नहीं मिली और मनरेगा का बजट भी घटाया गया वहीँ कई प्रतिनिधियों का कहना है की इस बजट के अंतर्गत बेरोज़गारों को रोज़गार मिलेगा और किसानो की आय भी बढ़ेगी। इसके बाद शहर में कई अन्य प्रोजेक्ट्स को भी स्वीकृति मिली है, जिससे आने वाले समय में आम जान को फायदा होगा।

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लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ नियुक्त हुए राज्यपाल के सलाहकार

आज महाराज कुमार लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ के जन्मदिन पर एक गर्व भरा तोहफा उन्होंने मेवाड़ को भी दिया है। राजस्थान के राज्यपाल माननीय कलराज मिश्र ने मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के एग्ज़िक्युटिव डायरेक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को अपने सलाहकार मंडल में सदस्य बनाया। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को पर्यटन व रोज़गार से सम्बंधित विषयों पर सलाह देने के लिए इस मंडल में शामिल किया गया है।

राज्यपाल मिश्र के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार के जारी आदेशानुसार राजस्थान के समग्र विकास से संबंधित प्रकरणों में समय-समय पर परामर्श के लिए गठित राज्यपाल सलाहकार मंडल में लक्ष्यराज सिंह को पर्यटन एवं रोज़गार से संबंधित विषयों पर अपनी सलाह देने के लिए सम्मिलित किया गया है।

राज्यपाल सलाहकार मंडल में नौ अन्य विषय विशेषज्ञों को भी मनोनीत किया हुआ है। राज्यपाल मिश्र के सलाहकार मंडल में उच्च शिक्षा, पर्यटन एवं कला संस्कृति, रोज़गार सृजन, विधि, प्रशासन, उद्योग, अर्थशास्त्र, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र विकास, जल संरक्षण जैसे तमाम मसलों पर समय-समय पर क्षेत्र के विकास के लिए मंथन किया जाता है।

प्रदेश और मेवाड़ के भविष्य के लिए यह फैसला अत्यंत लाभदायी होगा।

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सीवरेज का पानी रिसकर झील में घुल रहा है; 18 साल से कहाँ है प्रशासन?

झीलों का हाल है बेहाल!

झीलों का शहर कहते है उदयपुर को; झीलों के साथ बसा एक शहर। पर समय के साथ उन झीलों का जब हमे ध्यान रखना चाहिए था तब हमने रखा ही नहीं। वैसे हमने भी झीलों को गन्दा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन अब प्रशासन की लापरवाही की वजह से झीलों में दूषित सीवेरज का पानी जा रहा है और प्रशासन को सुध ही नहीं है।

नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती तक मेनहोल से निकलकर सीवरेज का पानी सड़क पर फैल रहा है और यही पानी दीवारों से रिसकर झील में भी मिल रहा है। नई पुलिया के पास स्थित मेनहोल को निगम के कर्मचारियों ने खुला ही छोड़ रखा है। अब इसे लोग भराव डालकर पाट रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो पूरा मेनहाेल जाम हो जाएगा और इससे परेशानी और ज़्यादा बढ़ सकती है।

जानिए स्थानीय लोगों का हाल

स्थानीय लाेगाें का कहना है कि यहां वर्ष 2004 में सीवरेज लाइन डाली गई थी। तब से यहां आए दिन पानी भरता रहता है। इसके अलावा सीवर लाइन में लीकेज के कारन झील की दीवाराें से भी कई जगह से दूषित पानी रिसकर झील में जा रहा है। क्षेत्रवासी और झील प्रेमी इस बारे में कई बार निगम से शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन फिर भी इसका कोई हल नहीं निकला है।

स्थानीय लोगो का यह भी कहना है की बस्ती में दाे जगह सीवरेज की लाइन डली हुई है और प्लांट नेचुरल हाेटल के यहां लगा हुआ है। ऐसे में प्लांट से पहले कचरे काे राेकने के लिए जालियां भी लगाई गई हैं। लेकिन अमूमन इन जालियों में प्लास्टिक का कचरा फंस जाता है, जिसकी सफाई भी समय पर नहीं होती है। अब इससे होता यह है की लाइन जाम हो जाती है और पानी सड़क पर फैलने लगता है।

जिस दिन क्षेत्र में जलापूर्ति हाेती है उस दिन परेशानी और ज़्यादा बढ़ जाती है। पानी फैलने से रज़ा चाैक में पानी इक्कठा होने की वजह से छाेटा सा तालाब ही बन जाता है।

पहले भी हुई है कोशिश इस समस्या को दूर करने की

2018 में इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए कलेक्टर ने 28 पॉइंट चिह्नित कर कमेटी भी बनाई थी मगर उसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला और काम भी नहीं हुआ।

अब स्मार्ट सिटी संभालेगा कार्यभार

अब नई पुलिया से अंबावगढ़ बस्ती वाली लाइन काे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंदर ले लिया गया है। स्मार्ट सिटी अधिकारीयों का कहना है की इसका प्रपोज़ल भी तैयार कर लिया गया है। इस क्षेत्र में काम हाेने पर पूरी लाइन नई डाली जाएगी।

आशा है यह कार्य जो की पिछले 18 वर्ष से पूरा नहीं हुआ जल्द से जल्द पूरा हो और शहर वासियों के साथ हमारी झीलों को भी इस दूषित जल से राहत मिले।