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दुनिया के बेहतरीन शहरों में से उदयपुर 10वें नंबर पर

शहर के लिए यह काफी सुखद खबर होगी कि उदयपुर शहर को पूरे भारत के बेहतरीन शहरों में शामिल किया गया है। शहर ने बेहतरीन शहरों की सूची में शामिल होकर उदयपुर का नाम रोशन किया है। ट्रेवल मैगजीन “ट्रेवल एंड लेजर रीडर्स” ने दुनिया के 10 शहरों में उदयपुर को 10वीं रैंक दी है।

पूरे भारत में इस लिस्ट में केवल दो ही शहरों को चुना गया है, एक उदयपुर तो दूसरा जयपुर को। जयपुर शहर को 8वीं  रैंक दी गई है। इससे पहले भी उदयपुर ने कई बार बेस्ट जगहों में शहर का नाम रोशन किया है। उदयपुर की शांत झीले, पर्वत पहाड़, हेरिटेज, खानपान लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर ही लेता है। इस से पहले भी एशिया महाद्वीप में घुमनें के लिए सबसे बेहतरीन शहरों में उदयपुर का नाम था। 

पर्यटन विभाग कि उपनिदेशक शिखा सक्सेना का कहना है कि ट्रेवल मैगजीन के सर्वे में उदयपुर को फिर से चुना गया है। इस बार टॉप टेन में 10 जगह बनाई है। इसका श्रेय टूरिज्म से जुड़े हुए हर व्यक्ति को जाता है। उदयपुर की मेहमान नवाजी ही ऐसी है कि दुनिया का हर आदमी यहां खिंचा चला आता है। इन तमगों से इस साल पर्यटन सीजन अच्छा रहने की उम्मीद है। 

10 रैंकों की सूची इस प्रकार है-

  • ओक्साका,मेक्सिको
  • सैन मिगुएल, मेक्सिको 
  • उबुद, इंडोनेशिया 
  • फ्लोरेंस, इटली 
  • इस्तांबुल, तुर्की 
  • मेक्सिको सिटी, मेक्सिको 
  • चियांग माई, थाईलैंड 
  • जयपुर, भारत
  • ओसाका, जापान 
  • उदयपुर, भारत    

उदयपुर का नाम और भी कई सारी जगहों में शामिल है-

  • टूर एंड ट्रेवल कम्पनी ट्रेवल ट्राइंगल ने देश के बेस्ट सोलो फीमेल ट्रेवेल डेस्टिनेशन में उदयपुर को प्रदेश में सबसे सुरक्षित माना है।
  • ट्रेवेल एन्ड लेजर ने दुनिया के 20 शानदार शहरों में उदयपुर को दूसरा और जयपुर को 17वां स्थान दिया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय वेडिंग प्लानिंग कंपनी दी नॉट ने यूनिक वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए 11 देशों की सूचीं में भारत से केवल उदयपुर को चुना । 
  • इंटर माइल्स ने बेहतरीन 10 देशों में उदयपुर को 5वां सुन्दर शहर बताया। 
  • प्लेनेट डी की ट्रेवल लिस्ट दीं “16 मोस्ट सिटीज ऑन अर्थ” में उदयपुर को चौथा स्थान दिया गया। 
  • एमएसएन की लिस्ट में पूरी दुनिया के बेहतरीन 60 डेस्टिनेशन में भारत से एकमात्र उदयपुर को 11वां स्थान दिया। 
  • नेशनल जियोग्राफी व दी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 21 दिन की यात्रा में दुनिया के 8 देशों में से भारत से उदयपुर को चुना।
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UIT 101 करोड़ रुपए करेगा खर्च

शहर में नगर विकास प्रन्यास द्वारा 101 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा के कई निर्माण कार्य शुरू होंगे। बुधवार को कलेक्टर और UIT अध्यक्ष ताराचंद मीणा की अध्यक्षता में एक सामान्य बैठक हुई, जिसमें कई सारे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस बैठक में तय किया गया कि UIT के विभिन्न क्षेत्रों में घर-घर कचरा संग्रहण, न्यास रूपांतरित आवासीय कॉलोनियों की सड़कों, नालियों की सफाई, न्यास क्षेत्राधिकार के मुख्य मार्गों तथा बरसाती नालों की सफाई का कार्य नियमित रूप से नगर निगम के माध्यम से करवाया जाएगा । जिसमें MOU निष्पादित कर 4 करोड़ रूपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है।

इसके साथ ही UIT की सीमा में आने वाली 167 कॉलोनियों की साफ़ सफाई अब नगर निगम के जिम्मे हो गई है। इसके बदले UIT निगम को एक साल के चार करोड़ रुपए देगा। शहर में साइबर पुलिस स्टेशन खोलने के लिए जमीं का आवंटन भी किया गया जिससे रानी रोड पर भारी वाहनों के दबाव को कम किया जा सके जिसमें DTO द्वारा निर्देश दिए जाएंगे।

कलेक्टर ने न्यास द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों के लिए 52 बिंदुओं पर चर्चा की है। मौके पर मौजूद सचिव बालमुकुंद असावा, एसइ के.आर. मीणा व विपिन जैन, वरिष्ठ नगर नियोजक अरविन्द सिंह कानावत सहित अधिकारी उपस्थित थे।

प्रोजेक्ट के लिए मंजूर कि गई राशि-

  • फतहसागर झील स्थित नेहरू गार्डन के निर्माण के लिए 5.96 लाख खर्च किए जाएंगे।
  • कई सारे कार्य शहर की सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के लिए पुरे किए जाएंगे, जिसके लिए 26.8 करोड़ रूपए मंजूर किए है।
  • ढीकली तालाब से अपरस्ट्रीम में राजस्व नाले के निर्माण के लिए 8.90 करोड़ रुपए।
  • रानी रोड को मॉडल रोड बनाने के लिए 12 करोड़ रूपए की तकनीकी मंजूरी दी गई।
  • महाराणा भूपाल स्टेडियम में खेलों के विकास कार्यों के लिए 174.99 लाख की स्वीकृति जारी।
  • स्मार्ट सिटी के लिए 15 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई।

सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि आवंटित-

  • मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी कार्यालय निर्माण के लिए
  • साइबर पुलिस स्टेशन
  • प्राथमिक स्वास्थय केंद्र दरोली
  • ग्राम सेवा सहकारी समिति गुडली के गोदान निर्माण
  • वैद्यनाथ महादेव वृहत कृषि बहुउद्देशीय

चंडीगढ़ जैसे मॉडल की तैयारी –

कलेक्टर ने खेल गाँव की पहाड़ियों पर जल्द पौधरोपण करवाने के निर्देश दिए और कहा की मानसून के दौरान ही चंडीगढ़ की तरह स्थानीय प्रजातियों के फूलदार पौधे लगाए जाए। सुचना केंद्र के ऑडिटोरियम और पुस्तकालय के जीर्णोद्धार तथा शहर में महान विभूतियों की प्रतिमाओं के क्षतिग्रस्त पेडस्टल में सुधार के लिए भी निर्देश दिए गए।

हाईवे जैसी सड़कों की क्वालिटी –
कलेक्टर ने कहा की हमारी बनाई गई सड़क पर वाइट लाइन 15 दिनों से ज्यादा क्यों नहीं दिखती ? नेशनल हाईवे वाली क्वालिटी की वाइट लाइन करवाई जाए। खेल गाँव में एक और हॉकी एस्ट्रोटर्फ बनाने पर भी चर्चा हुई।

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राजस्थान के आखिरी सफ़ेद बाघ की मौत

जयपुर स्थित नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के सफ़ेद बाघ चीनू की मौत हो गई। वह प्रदेश का एकमात्र आखिरी सफ़ेद बाघ था जिसने रविवार को दोपहर में तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ दिया। चीनू को पिछले साल 17 मार्च को ज़ू एक्सचेंज से जयपुर लाया गया था। वह छः दिन से बीमार था और उसने एक सप्ताह से खाना पीना भी छोड़ दिया था। क्षेत्रीय वन अधिकारी गौरव ने बताया की 5 दिन से जयपुर,चेन्नई,बरेली,ओडिशा इन जगह के विशेषज्ञों द्वारा चीनू का इलाज चल रहा था।

मेडिकल बोर्ड ने मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है और यह भी बताया है कि बाघ की एक किडनी सामान्य की तुलना में बड़ी पाई गई थी। बाघ के सैम्पलों को बरेली स्थित IVRI में जांच के लिए भेजा गया था। वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत का कारण पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगा।

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क तीन साल से दुर्लभ वन्यजीवों के लिए मौत का स्थान बना हुआ है। यहाँ 27 सितम्बर 2019 को केनाइन डिस्टेंपर से बाघ सीता और 4 अगस्त 2020 को लेप्टोस्पायरोसिस से बाघ राजा की मौत हो गई थी। चीनू प्रदेश का आखिरी सफ़ेद बाघ था। अब प्रदेश में एक भी सफ़ेद बाघ नहीं बचा है।

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Ban on identified Single Use Plastic Items from 1st July 2022

National and State level control rooms to be set up for checking illegal manufacture, import, stocking, distribution, sale and use of banned single use plastic items

Success of the ban possible only through effective engagement and concerted actions by all stakeholders

Public Participation critical to banning SUPs

Posted On: 28 JUN 2022 1:04PM by PIB Delhi

In line with the clarion call given by Hon’ble Prime Minister of India, Shri Narendra Modi, to phase out single use plastic items by 2022, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Government of India notified the Plastic Waste Management Amendment Rules, 2021, on 12 August 2021. Carrying forward the spirit of ‘Azadi ka Amrit Mahotsava’, a defining step to curb pollution caused by littered and unmanaged plastic waste is being taken by the country. India will ban manufacture, import, stocking, distribution, sale and use of identified single use plastic items, which have low utility and high littering potential, all across the country from July 1, 2022.

The adverse impacts of littered single use plastic items plastic on both terrestrial and aquatic ecosystems, including in marine environment are globally recognized. Addressing pollution due to single use plastic items has become an important environmental challenge confronting all countries.

In the 4th United Nations Environment Assembly held in 2019, India had piloted a resolution on addressing single-use plastic products pollution, recognizing the urgent need for the global community to focus on this very important issue. The adoption of this resolution at UNEA 4 was a significant step. In the recently concluded 5th session of United Nations Environment Assembly in March 2022, India engaged constructively with all member states to develop consensus on the resolution for driving global action on plastic pollution.

The Government of India has taken resolute steps for mitigation of pollution caused by littered Single Use Plastics. The list of banned items includes -ear buds with plastic sticks, plastic sticks for balloons, plastic flags, candy sticks, ice- cream sticks, polystyrene (Thermocol) for decoration, plastic plates, cups, glasses, cutlery such as forks, spoons, knives, straw, trays, wrapping or packing films around sweet boxes, invitation cards, cigarette packets, plastic or PVC banners less than 100 micron, stirrers.

The Plastic Waste Management Amendment Rules, 2021, also prohibit manufacture, import, stocking, distribution, sale and use of plastic carry bags having thickness less than seventy five microns with effect from 30th September, 2021, and having thickness less than thickness of one hundred and twenty microns with effect from the 31st December, 2022.

The Ministry of Environment, Forest and Climate Change has also notified the Guidelines on Extended Producers Responsibility on plastic packaging as Plastic Waste Management Amendment Rules, 2022 on 16th February, 2022. Extended Producer Responsibility (EPR) is responsibility of a producer for the environmentally sound management of the product until the end of its life. The Guidelines will provide framework to strengthen circular economy of plastic packaging waste, promote development of new alternatives to plastic packaging and provide next steps for moving towards sustainable plastic packaging by businesses.

Capacity building workshops are being organized for MSME units to provide them technical assistance for manufacturing of alternatives to banned single use plastic items with the involvement of CPCB/SPCBs/PCCs along with Ministry of Small Micro and Medium Enterprises and Central Institute of Petrochemicals Engineering (CIPET) and their state centres. Provisions have also been made to support such enterprises in transitioning away from banned single use plastics.

The Government of India has also taken steps to promote innovation and provide an ecosystem for accelerated penetration and availability of alternatives all across the country.

For effective enforcement of ban on identified SUP items from 1 July 2022, national and state level control rooms will be set up and special enforcement teams will be formed for checking illegal manufacture, import, stocking, distribution, sale and use of banned single use plastic items. States and Union Territories have been asked to set up border check points to stop inter-state movement of any banned single use plastic items.

CPCB Grievance Redressal App has been launched to empower citizens to help curb plastic menace. For wider public outreach, PRAKRITI – mascot was also launched on 5th April.

The Government has been taking measures for awareness generation towards elimination of single use plastics The awareness campaign has brought together entrepreneurs and startups, industry, Central, State and Local Governments, regulatory bodies, experts, citizens organizations, R& D and academic institutions.

The success of the ban will only be possible through effective engagement and concerted actions by all stakeholders and enthusiastic public participation, believes the Ministry.

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उदयपुर में 5800 जरुरतमंदो को मिलेगा रोजगार

उदयपुर में इंदिरा गाँधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत 5800 जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिलेगा। इस गारंटी के अंतर्गत 100 दिन का कार्य दिया जाएगा जिसमे 579150 मानव दिवस स्वीकृत किए गए है। प्रति व्यक्ति को 259 रूपए का प्रतिदिन भुगतान किया जाएगा। योजना में आवेदन करने के लिए जॉब कार्ड, ई- मित्र पर या स्वयं भी पोर्टल पर अपलोड कर सकते है एवं नगर निगम जा कर भी आवेदन कर सकते है। इसके लिए वार्ड पार्षदों से अपील भी की गई है की जो भी बेरोजगार लोग है उन्हें इस योजना से जुड़ने के लिए लिए प्रेरित करे।

स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष पारस सिंघवी ने बताया की इस योजना के अंतर्गत 259 मजदूरी तय की गई है। शहरी क्षेत्र में निवास कर रहे है प्रत्येक परिवार के 18 से 60 वर्ष के सदस्य इस योजना के अंतर्गत आ सकेंगे। रोजगार के अंतर्गत तालाब बावड़ी से मिट्टी निकालने का कार्य, पानी वातावरण संरक्षण से जुडी प्रक्रियाए, पौधरोपण नर्सरी का काम एवं अन्य शहरी साफ़ सफाई के कार्य करवाए जाएंगे। महापौर गोविन्द सिंह टांक के निर्देश पर नगर निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ ने जिला परियोजना अधिकारी शैल सिंह को पूरी तैयारी को लेकर निर्देशित किया है।

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उदयपुर में शुरू A.C. बसे पहुचाएंगी एयरपोर्ट

उदयपुर शहर में सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (यूसीटीएसएल) की ओर से जनता को सस्ती व सुलभ ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए शहर में मिडी लो फ्लोर की 4 नई बसें एयरपोर्ट के लिए चलेंगी। इसमें दो AC और दो नॉन AC बसें होंगी। AC बसों में सिर्फ एयरपोर्ट जाने वाले यात्री ही बैठ सकेंगे। इनके रूट में कही से भी बैठने पर 100 रूपए का किराया ही लिया जाएगा। विदेशी यात्रियों के लिए इसका शुल्क 500 रुपए होगा। इसके अलावा नॉन AC बसों का किराया प्रति किलोमीटर के हिसाब से ही होगा।

इन बसों का परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग जयपुर से रूट स्वीकृत हो चुका है और अब परमिट के लिए जिला परिवहन कार्यालय में इसके कागज पहुँच चुके है। परमिट मिलते ही यह बसे चेतक से डबोक एयरपोर्ट मार्ग तक जाएगी। यूसीटीएसएल के चेयरमैन व महापौर गोविन्द सिंह टांक व सीईओ हिम्मतसिंह बारहठ एयरपोर्ट पर आने जाने वाली फ्लाइट के अनुसार ही इनका टाइम तय कर रहे है ताकि यात्रियों को फ्लाइट से उतरते ही बस मिल सके और अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े। वही चेतक से एयरपोर्ट जाने वाले यात्री भी एक से डेढ़ घंटे पहले पहुँच सके। सहायक अभियंता यांत्रिकी व प्रभारी अधिकारी लखन लाल बैरवा ने बताया कि चारों नई बसें सिटी बस डीपो में ही खड़ी है। रूट स्वीकृत होने के बाद अभी इनकी परमिट की कार्यवाही चल रही है।

एयरपोर्ट जाने के लिए यहाँ-यहाँ रुकेगी बसें
पहाड़ी बस स्टैंड, कोर्ट चौराहा, चेतक सर्किल, ठोकर चौराहा, देहली गेट, देबरी चौराहा, प्रतापनगर चौराहा, जिंक चौराहा, सूरजपोल चौराहा, फतह स्कूल, कुम्हारो का भट्टा ,बी.एन.कॉलेज , सेवाश्रम चौराहा, राणा प्रताप नगर रेलवे स्टेशन, मांझी की सराय, ठोकर स्कूल,गिलास फैक्ट्री, M.B. हॉस्पिटल, सुंदरवास, आईटीआई कॉलेज, राजस्थान विद्यापीठ, गीतांजली कॉलेज,डबोक चौराहा, तुलसीदास जी की सराय, तुलसीनगर/बेड़वास, राजस्थान विद्यापीठ, धूणिमाता,पावर हाउस, गुडली चौराहा, पुराना आर.टी.ओ. रोड।

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आरएनटी अस्पताल में मजबूत हो रही हेल्थ सर्विस

उदयपुर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के 3 अस्पतालों (एमबी, जनाना और सुपर स्पेशिएलिटी ) में 300 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। जनरल वार्ड से लेकर ऑक्सीजन प्लांट,आईसीयू वार्ड, ओपीडी, आईपीडी, कोविड वार्डो तक मरीजों और स्टाफ की हर छोटी से बड़ी गतिविधियां स्क्रीन पर है। सर्वर रूम में प्रिंसिपल कार्यालय से नोडल अधिकारी 3 पारियों में 24 घंटे निगरानी कर रहे जबकि एनालिस्ट कम प्रोग्रामर एक शिफ्ट में। इन सीसीटीवी लगाने का मकसद मरीजों और तीमारदारों के लिए व्यवस्था के साथ स्टाफ के कामकाज पर नजर रखना है ताकि कोई गड़बड़ी या असुविधाजनक गतिविधि और चोरियां के साथ स्टाफ की हरकते होने पर उन पर कार्यवाही की जा सकती है। इसके साथ ही और सुरक्षा बढ़ाने के लिए हॉल, गैलरी, पोर्च, प्रवेश द्वार और पार्किंग तक 100 से भी ज्यादा और कैमरे लगाए जाएंगे। कोविड काल में 180 कैमरे लगाए गए थे व्यवस्था में सुधार होने पर 120 कैमेरे और बढ़ाए है।

आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ लाखन पोसवाल का कहना है की कोरोना के दूसरे चरणों में मरीजों की संख्या ज्यादा होने से आपाधापी जैसे हालात हो रहे थे। वजह यह थी की आईसीयू में तीमारदारों के जाने की मनाही थी और कई सारी शिकायते भी मिल रही थी की स्टाफ ध्यान नहीं दे रहा है इसलिए मारीजों और कर्मचारियों की निगरानी के लिए सिसिटीवी कैमरे लगाए थे। कैमरे लगाने से सफलता मिली तो कैमरे बढ़ाने के साथ कंट्रोल रूम को स्थायी किया है।

सीसीटीवी से कायम अनुशासन
सीटीवी सर्विलैंस से आईसीयू में भर्ती मरीज,गार्ड की मौजूदगी, स्टाफ की ड्यूटी, समय की पालना आदि में अनुशासन कायम हुआ है। इसके साथ ही अस्पताल परिसर में चोरियों की शिकायत अब थमने लगी है और स्टाफ को लेकर शिकायत भी घटने लगी है। प्रिंसिपल कार्यालय में सीसीटीवी की नोडल अधिकारी डॉ रिचा पुरोहित ने बताया की कोविड के दूसरे चरण में ऑक्सीजन प्लांट,आईसीयू आदि पर निगरानी रखी गई है। सोशल मीडिया ग्रुप पर हर घंटे में प्लांट के प्रेशर मीटर की रीडिंग, मरीज के पास मॉनिटर पर हेल्थ पैरामीटर (पेशेंट का नांम, बीपी – प्लस, ऑक्सीजन सेचुरेशन आदि) की शीट मंगवाई थी। अब मरीज के बेड के आसपास रिश्तेदारों की भीड़, नर्सरी या डॉक्टरो के नजर नहीं आने पर वार्ड इंचार्ज या अधीक्षक को फ़ोन कर व्यवस्था करवा रहे है। आरएनटी में 2018 से सीसीटीवी से निगरानी है, लेकिन तब कमरे कम थे, जिस वजह से रोज चोरी के मामले सामने आ रहे थे। कैमरे बढ़ने से अब चोरी के मामले बिलकुल भी नहीं आ रहे है।

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मजबूत बनेगा उदयपुर, इसके कई सारे प्रोजेक्टस होंगे पुरे।

उदयपुर अब मज़बूत बनने वाला है, साथ ही ख़ुशी और समृद्धि भी बढ़ने वाली है। असल में उदयपुर में कुछ प्रोजेक्ट थे, कई वक्त से कई सारी जगहो पर काम चल रहा है जो उदयपुर की दुर्दशा को बदलने वाले है। कुछ प्रोजेक्ट्स पर तेजी से अभी भी काम चल रहा है। उदयपुर शहर की पहचान ही पर्यटन के लिए की जाती है। यहाँ तक कि कोरोना काल तक में भी पर्यटकों ने यहाँ की सैर करना नहीं छोड़ा।

उदयपुर स्थित कुम्हारों का भट्टा और सेवाश्रम फ्लाईओवर का काम पूरा होगा, इसके साथ ही अहमदबाद हाईवे की तरफ ग्रेट सेपरेटर, इंटरनेशनल फ्लाइटे भी शुरू होगी। रनवे का काम भी पूरा हो चुका है। गुलाब बाग में बर्ड पार्क बन चुका है और ट्रैन भी चलना शुरू होने वाली है। केवड़े की नाल में बोटेनिकल पार्क, माछला मगरा में लव कुश वाटिका, कालका माता नर्सरी में प्रदेश का पहला एग्रो फारेस्ट रिसर्च सेंटर जो आदिवासी ग्रामीणों की कमाई और वन क्षेत्र बढ़ाने में उपयोगी है, सभी का काम पूरा होने में है। अहमदाबाद उदयपुर ब्रॉडगेज का काम भी पूरा हो चुका है। यह रेलमार्ग उदयपुर से अहमदाबाद के जरिये दक्षिण भारत के कन्याकुमारी तक इसकी पहुँच है।

उदयपुर पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना बताती है की उदयपुर में हर साल 10 लाख से भी ज्यादा देशी पर्यटक आते है अगर ट्रैन शुरू हो जाएगी तो केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र आदि के पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी। उदयपुर के लिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने कामगारों के खाड़ी देशों में आने जाने के लिए और टूरिस्ट संख्या में इज़ाफ़े के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।

उदयपुर में पुलिस का दूसरा ट्रेनिंग सेंटर बनने का भी काम चल रहा है, जहां 500 से भी अधिक जवान प्रशिक्षण ले सकेंगे। साथ ही शहर के महाराणा प्रताप खेलगांव में एथलीटों के लिए 400 मीटर का पहला सिंथेटिक ट्रैक बनेगा, कानपुर खेड़ा में प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए लेवलीकरण का 90% काम पूरा हो चुका है। खेलगांव में ही 5 हजार क्षमता वाला मल्टी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स इस साल के आखिर तक मिल जाएगा। यहीं पर 25 और 50 मीटर की शूटिंग रेंज बनाने के लिए बजट जारी हो चुका है।

पर्यटक आंकड़े-

रिकॉर्ड 85000 पर्यटक अप्रैल में उदयपुर सैर करने आए थे जबकि अप्रैल तो ऑफ सीजन होता है।
100580 पर्यटक अगस्त 2021 में उदयपुर आए जो हर साल अगस्त मास से 35-50% ज्यादा रहा है।
अक्टूबर नवंबर और दिसंबर 2021 में 4.55 लाख पर्यटक आए। यह आंकड़ा पूरे साल आने वाले कुल देसी पर्यटक का लगभग आधा था।
दिसंबर महीने में आंकड़ा 1.80 लाख तक पहुंचा।

कई शहरों में से उदयपुर अव्वल –
1. मार्बल इंडस्ट्री- उदयपुर शहर में एशिया की सबसे बड़ी मार्बल- ग्रेनाइट मंडी है, यहां पर कोटा, राजसमंद, मकराना, जालोर, किशनगढ़, चित्तौडगढ़ आदि से मार्बल आता है। यहां से ग्रीन-सफ़ेद गुलाबी मार्बल भारत सहित पड़ोसी देश बांग्लादेश,श्रीलंका, नेपाल, भूटान, चीन सहित अन्य कई 30 देशों में जाता है। इसकी वजह से 25000 से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिला है और इसका 5000 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर है।

2. खनिज सम्पदा- हिंदुस्तान जिंक भारत की सबसे बड़ी व दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी लीड माइनर है। यहां पर आरक्षित खनिज 288 मिलियन मीट्रिक टन है। चांदी उत्पादन क्षमता 800 मीट्रिक टन, जस्ता 890000 लाख व सीसा 205000 मीट्रिक टन है। प्राथमिक जस्ता उद्योग में पुरे देश में हमारी 78 प्रतिशत तक की भागीदारी है। मार्च 2022 में 2481 करोड़ रुपए शुद्ध लाभ था और देश में सर्वाधिक चांदी का उत्पादन हुआ है जो 800 मीट्रिक टन है।

3. वन उपज- शहर में हरियाली जंगल इलाका भी काफी फैला हुआ है। 17724 वर्ग किमी में फैले जिले के 23% यानी 2753 हिस्सों में जंगल है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। संभाग के प्रतापगढ़ जिले में 1033 वर्ग किमी जंगल के साथ दूसरे स्थान पर है। चित्तौड़, बांसवाड़ा, राजसमंद व डूंगरपुर में भी जंगल है।

4. मेडिकल हब- प्रदेश में सबसे ज्यादा डॉक्टर उदयपुर में ही है। यहाँ सबसे ज्यादा 6 मेडिकल कॉलेज है। उदयपुर में कुल 2500 डॉक्टर और 10000 नर्स सहित 40000 लोग हेल्थ सेक्टर में जुड़े है। यहां पर एमबीबीएस की 1100 सीटें है, पीजी की 600 सीटे है। मेडिकल एजुकेशन हब 35000 करोड़ रुपए का है। प्राइवेट अस्पतालों का कारोबार कुल 1500 करोड़ रुपए का है।

5. शादी समारोह- शहर में डेस्टिनेशन वेडिंग का काफी प्रचलन है इसे 18 पहले रवीना टंडन ने उदयपुर में शादी करके इसका चलन शुरू किया था, उसके बाद से इसमें काफी उन्नति हो रही है। यहां पर अब सालभर में 500 से भी ज्यादा डेस्टिनेशन वेडिंग हो रही है। यहां पर कई सारे शाही विवाह भी हो रहे है। होटलों में 6-6 माह पहले से एडवान्स बूकिंग हो जाती है। इसका 1100 करोड़ रुपए का टर्नओवर होता है। यहां शादियों में 50 लाख से एक करोड़ का खर्च होता है।

6. खेल भूमि- शहर के कई सारे खिलाड़ी भी अपना दम दिखा रहे है। सोनल कलाल राजस्थान की पहली महिला है जिसका चयन इंडियन-ए-टीम में हुआ। इसके साथ ही पुष्पेंद्र, मानवी सोनी, गौरव साहू और आत्मिक गुप्ता ने स्वर्ण और रजत पाकर देश का मान बढ़ाया है।

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गुलाब बाग में फिर से शुरू होगी ट्रैन

उदयपुर स्थित गुलाब बाग में बर्ड पार्क बनने के बाद अब 15 अगस्त से फिर ट्रैन चलना शुरू हो जाएंगी। ये अरावली एक्सप्रेस ट्रैन 6 साल बाद फिर से चलना शुरू होगी। यहां पर ट्रैक बिछना शुरू हो चुका है। इस ट्रैन में दो डिब्बे होंगे, यह मिनी ट्रैन बच्चों और पर्यटकों को धीमी रफ़्तार के साथ पुरे गुलाब बाग घुमाएगी। इसके साथ ही बर्ड पार्क स्थित परिंदो को भी निहार सकेंगे। अभी इसका लगभग 80 फिसदी काम पूरा हो चुका है। ट्रैन के लिए 2665 मीटर (2.66 किमी ) की ट्रैक बिछेगी जिसका कार्य जुलाई तक पूरा होने की संभावना है।

नगर निगम की समिति के अध्यक्ष मनोहर चौधरी ने बताया कि अभी गिट्टी बिछाई जा रही है। इस बार कार्य तकनिकी विशषज्ञों की देख रेख में किया जा रहा है ताकि ट्रैन पहले की तरह बार-बार पटरी से न उतरे। गुलाब बाग की मिट्टी काली और चिकनी होने की वजह से ट्रैन का पटरियों से उतरने का खतरा बना रहता था। इस बार पुरे ट्रैक में 3-3 फिट अंदर तक खोदकर कंक्रीट वाली विशेष मिटटी डाली गई है। ट्रैन का 15 अगस्त तक शुरू होने की पूरी सम्भावना है। गत 12 मई को गुलाब बाग में बर्ड पार्क का लोकार्पण हुआ था।

3 साल पहले टेंडर
नगर निगम के पिछले बोर्ड ने करीब तीन साल पहले इसके लिए टेंडर किये थे। इसका रूट बदलना था क्योंकि इसमें करीब 200 पेड़ काटने की जरुरत पड़ रही थी। वर्क आर्डर निकला, लेकिन काम शुरू होने से पहले इसके लिए स्टे आर्डर आ गया था फिर बोर्ड ने पुराने ट्रैक पर ही ट्रैन चलाने का निर्णय लिया। थोड़े समय बाद कोरोना आ गया और लॉक डाउन लगने की वजह से कार्य में रुकावट आ गई थी इस वजह से कार्य देरी से प्रारम्भ हुआ।

ट्रैक की लम्बाई
ट्रैक की लम्बाई 165 मीटर बढ़ेगी। सरस्वती लाइब्रेरी के पास पुराना लव कुश स्टेशन है इसके साथ ही समोर बाग की ओर अभी बंद पड़े गेट के पास नया स्टेशन बनेगा। ट्रैन कमल तलाई के पास अमरूदों की बाड़ी से समोर बाग स्टेशन जाएगी फिर कमल तलाई होते हुए पुराने वाले ट्रैक से बर्ड पार्क हो कर लव कुश स्टेशन जाएगी। ट्रैन के साथ बोटिंग के लिए भी नगर निगम ने 26 लाख दर से शिवा कोर्परेशन को 20 साल का ठेका दिया है।

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1993-2015 तक संघर्ष उदयपुर के साथ, झील प्राधिकरण जयपुर में क्यों?

पूरी दुनिया में मशहूर उदयपुर नगर झीलों के लिए सुप्रसिद्ध शहर हैं। यहाँ कई सारी झीलें स्थित हैं, इसलिए इसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। यहां पर फतेहसागर, पिछोला, स्वरुपसागर, कुमहारी तालाब, दूधतलाई, गोवर्धन सागर, रंगसागर, उदयसागर, रूपसागर, बड़ी, जयसमन्द, राजसमंद जैसी आदि झीलें हैं जिनके आस-पास ही पूरा नगर बसा हैं। ये झीलें कई शताब्दियों से उदयपुर की जीवनरेखा हैं, जो एक-दूसरें से जुड़ी हुई हैं।

अगर किसी प्रदेश में इतनी सारी झीले हैं, तो उसके संरक्षण व विकास के लिए प्राधिकरण भी होना जरुरी है। उदयपुर संभाग में प्रदेश की सबसे ज्यादा 35 झील-जलाशय है। 1993-1994 में करीब 29 साल पहले उदयपुर से ही झील संरक्षण और प्राधिकरण की मांग उठी थी जिसकी स्थापना भी उदयपुर में ही होनी थी और ड्राफ्ट भी माँगा गया था। 1996 में प्रदेश सरकार की एडमिनिस्ट्रेटिव एंड रिफार्म कमिटी ने इस ड्राफ्ट को स्वीकार किया, लेकिन प्राधिकरण की स्थापना नहीं हुई।  हालाँकि यह मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा और 2007 में झील विकास के प्राधिकरण की स्थापना के निर्देश भी दिए। इसकी लम्बी लड़ाई के बाद 2015 में राजस्थान झील विकास प्राधिकरण अस्तित्व में आया लेकिन इसका मुख्यालय तो जयपुर में खोल दिया जबकि जयपुर संभाग में तो केवल 8 झीले-जलाशय ही हैं। हालाँकि इस प्राधिकरण के अधिनियम के ड्राफ्ट में साफ़-साफ़ उल्लेख है कि मुख्यालय किसी और जिले में भी खोला जा सकता है। 

उदयपुर से जयपुर की सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किमी है

उदयपुर से जयपुर की सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किमी हैंऐसे में प्राधिकरण जयपुर होने की वजह से उदयपुर की झीलों पर इनकी नजऱ नहीं रहेगी। गन्दगी-बदहाली, मलिनता, दुर्गंंध, अतिक्रमण, अवैध गतिविधि और अवैध निर्माण से दम तोड़ रहे और ख़राब दुर्दशा का यही बड़ा कारण है इन पर प्राधिकरण बने तो इस पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा। उदयपुर में जलाशयों के प्राधिकरण व संरक्षण-संवर्धन का काम कलेक्टर के हाथों में हैं पर कलेक्टर के पास अन्य गतिविधियां होने की वजह से उनका उतना फोकस नहीं है जितना होना चाहिए।

प्रमुख 85 झीलों के जलाशय कुछ इस प्रकार है- 

  • उदयपुर-35
  • कोटा-14
  • अजमेर-12 
  • जयपुर-8 
  • भरतपुर-6 
  • जोधपुर-6
  • बीकानेर-4  

उदयपुर में क्यों होना चाहिए प्राधिकरण ?

प्रदेश के सातो संभाग में कुल 85 प्रमुख झीले-जलाशय हैं। इनमे से सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत झीले उदयपुर संभाग में है बाकि 59 प्रतिशत प्रदेश के 6 संभागो में है। अधिकतर बड़े-बड़े बांध भी उदयपुर में है और बन भी रहे हैं। सबसे ज्यादा जरुरत भी यही है क्योंकि यहाँ का पानी जोधपुर और जयपुर तक पहुंचने की तैयारी में है, इसका मतलब राजस्थान के आधे से ज्यादा आबादी को पानी उदयपुर संभाग ही पहुंचाता है। ज्यादा झीले है तो उसकी रखरखाव की भी जरुरत ज्यादा ही होती है।  उदयपुर से जयपुर की दुरी करीब 400 किमी की है, अगर कुछ शिकायत है तो इसकी शिकायत लेकर जयपुर जाना मुश्किल है और ना ही इस प्राधिकरण के मुखिया झील जलाशयों की दुर्दशा देखने इतने दूर से आते है।