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क्या उदयपुर शहर में भी आ गया है वीरप्पन ?

भारत की पुलिस को इस आदमी ने जितना दौड़ाया था, उतना शायद किसी ने नहीं दौड़ाया। वीरप्पन के नाम से प्रसिद्ध कूज मुनिस्वामी वीरप्पन दक्षिण भारत का कुख्यात चन्दन तस्कर था जो 1970 से पुलिस और फाॅर्स के लिए चुनौती बना रहा। चन्दन के हर पेड़ पर उसकी तिरछी नज़र रहती थी। 18 वर्ष की उम्र में वह एक अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया जिसका एक वक्त चंदन तस्कर वीरप्पन के नाम से तमिलनाडु जंगल में ख़ौफ़ पसर जाया करता था जो 2004 में मारा गया। वीरप्पन के बाद जंगलों से ख़ौफ़ तो खत्म हो गया लेकिन तस्करी का खेल कई गुना बड़ा हो गया।

क्या कोई वीरप्पन हमारे शहर में भी आ गया है ?

उदयपुर शहर की विश्व प्रसिद्ध झील फतहसागर के किनारे बनी काले किवाड़ के आगे मेवाड़ दर्शन दीर्घा पार्क में आए दिन चन्दन के पेड़ के चोरी होने की ख़बरे आ रही थी। कला दीर्घा पार्क में चन्दन के कुल 66 पेड़ थे। चोर इसी जगह से कई पेड़ आधुनिक हथियारों से काटकर लेकर गए थे और कुछ पेड़ो पर आरी से निशान बनाकर चेतावनी भी दे गए थे की ये पेड़ काटकर भी ले जाएंगे और नतीजा यह था की चोर उसमे से कुछ पेड़ आखिरकार लेकर ही गए। कुछ पेड़ो को तो इतना तक काट दिया था की हल्का सा धक्का देते ही वे निचे गिर पड़ेंगे।

ये पेड़ वीरप्पन जैसे अनगिनत तस्करों को शरण दे रहे हैं। दरअसल चोर चन्दन के पके पेड़ लेकर जाते है, जानकर बताते है की चन्दन की खुशबू पेड़ की जड़ से लेकर ऊपर तक के 4-5 फीट तक के तने में रहती है। इसके लिए चोर पेड़ो के ऊपरी हिस्से को आसपास के पेड़ या जालियो से बाँध देते है। इसके बाद ज़मीन से चार से पांच फीट का हिस्सा काटकर अलग कर देते है। चोरो की नज़र अब कटे पेड़ो की जड़ो पर भी है इसलिए कई चबूतरों तक को तोड़ दिया गया है।

इस ख़बर के बाद चेते नगर निगम ने चन्दन के पेड़ को सुरक्षित करने के लिए करीब-करीब सभी पेड़ो के चारो और लोहे के एंगल लगा दिए है। नगर निगम इन पर भी ध्यान नहीं देता तो चंदन तस्कर सभी पेड़ो को गायब कर देंगे। चन्दन तस्करो की निगाहें तो अभी भी पेड़ पर जमी है। जिले में लगातार चन्दन के पेड़ घटते जा रहे है , क्या विभाग की और से चन्दन तस्करी रोकने के लिए और कड़े प्रकरण करने की आवश्यकता नहीं है?  क्या पार्क में चौकीदार बढ़ाने की जरुरत नहीं है ? क्या पार्क में सीसीटीवी कैमरे की जरुरत नहीं?

कितने साल में तैयार होता है एक पेड़ ?

  •  15 साल में तैयार होता है एक पेड़ ।
  • हर साल चंदन का तना बढ़ता है – 12 से.मी ।
  • 12 से 15 साल के पेड़ की ऊंचाई होती है – 5 फीट (तने का व्यास करीब 80 से.मी.) ।
  • 15 साल के पेड़ से मिलती है लकड़ी – 20 से 35 किलो (लसदार) ।
  • मौजूदा लकड़ी की कीमत 6000 से 12,000 रुपए प्रतिकिलो।( 6000 रुपए प्रतिकिलो के मान से 20 किलो लकड़ी की कीमत ही बाजार में 1 लाख 20 हजार रुपए होती है) ।
  • चंदन चार तरह का होता है सफेद, लाल, मयूर और नाग चंदन।

एक चन्दन के पेड़ की कीमत करीब 10 लाख होती है, करीब 10 पेड़ किसी को भी करोड़पति बना सकते है। सवाल हजारों पेड़ों की तस्करी का हो तो अंदाजा लगाइए कितनी बड़ी रकम का खेल होगा। ये धंधा इतने शातिर तरीके से किया जाता है कि इसमें सिर्फ छोटे मोहरे ही फंसते हैं। बड़े खिलाड़ी कानून के चंगुल से दूर रहते हैं। हालात नहीं सुधरे तो आशंका ये भी है कि अगले 15-20 साल में चन्दन के पेड़ की प्रजाति पूरी तरह खत्म हो सकती है।

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