Peepliya Ji

पिपलिया जी – वह गाँव जहाँ कभी फूल खिला करते थे, अब चारो-ओर काँच के टुकड़े मिला करते हैं।

एक इंसान अपनी ज़रूरतें/इच्छाएं पूरी करने के लिए जब दायरा बढ़ाता है, तब-तब इस धरती पर कांड होता है. कभी बहुत ही साफ़-सुथरा जन्नत सा एहसास दिलाने वाला 'पिपलिया जी'…
वह रोती रही बिलखती रही… लेकिन उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था…

वह रोती रही बिलखती रही… लेकिन उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था…

समाज बहुत राजनैतिक जगह है। अगर आप समाज में रह कर खुद को ज़िंदा रख पा रहे हैं तो यकीन मानिए आप बहुत ही अच्छे राजनेता हो। हम सभी बहुत…