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लोकदेवता सगसजी – Local Deity Sagas Ji

सगसजी – Sagas Ji

sagas ji bawji udaipur

मेवाड़ – महाराणा राजसिंह (1652-1680) बड़े पराक्रमी, काव्य- रसिक और गुणीजनों के कद्रदान थे साथ ही बड़े खूखार, क्राधी तथा कठोर हृदय के भी थे। इनका जन्म 24 सितम्बर, 1629 को हुआ। इन्होंने कुल 51 वर्श की उम्र पाई। इनके आश्रय में राजप्रषस्ति, राजरत्नाकर, राजविलास एवं राजप्रकाष जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गये।

राजसमंद जैसी बड़ी कलापूर्ण एवं विषाल झील का निर्माण कराने का श्रेय भी इन्ही महाराणा को है। इसकी पाल पर, पच्चीस षिलाओं पर राज – प्रषस्ति महाकाव्य उत्कीर्ण है। 24 सर्ग तथा 1106 ष्लोकों पर वाला यह देष का सबसे बड़ा काव्य-ग्रंथ है।
महाराणा राजसिंह ने मेवाड़ पर चढ़ आई, बादषाह औरंगजेब की सेना का बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया और उसे तितर-बितर कर बुरी तरह खदेड़दी। इनके तीन पुत्र हुए। सबसे बड़े सुल्तानसिंह, फिर सगतसिंह और सबसे छोटे सरदारसिंह। इनके कुल आठ रानियां थी। सबसे छोटी विचित्रकुंवर थी। यह बीकानेर राजपरिचारकी थी।

विचित्र कुंवर बहुत सुन्दर थी। महाराणा राजसिंह ने उनके सौंदर्य की चर्चा सुनी हुई थी। अतः महाराणा द्वारा विचित्र कुंवर से षादी का प्रस्ताव भिजवाया गया। महाराणा ने प्रस्ताव अपने लिए भिवाया था किन्तु बीकानेर वाले इसे कुंवर सरदार सिंह से विवाह काप्रस्ताव समझते रहे कारण कि विचित्र कुंवर उम्र में बहुत छोटी थी। सरदारसिंह उससे मात्र तीन वर्श बड़े थे।

विवाहपरान्त विचित्र कुंवर और सरदारसिंह का सम्बन्ध माॅं – बेटे के रुप में प्रगाढ़ होता गया। अधिकांष समय दोनों का साथ- साथ व्यतीत होता। साथ – साथ भोजन करते, चैपड़ पासा खेलते और मनोविनोद करते। इससे अन्य को ईश्र्या होने लगी, फलस्वरुप महलों में उनके खिलाफ छल, प्रपंच एवं धोखा, शड़यंत्र की सुगबुगाहट षुरु हो गई। मुॅंह लगे लोग महाराणा के कान भरने लग गये।

इन मुॅंहलगों में उदिया भोई महाराणा का प्रमुख सेवक था। उसे रानी विचित्र कुवंर और राजकुमार सरदारसिंह का प्रेम फूट िआॅ।ख भी नहीं दंखा गया। वह प्रतिदिन ही उनके खिलाफ महाराणा को झूठी मूठी बातें कहकर उद्वेलित करता। कई तरह के अंट संट आरोप लगाकर उन्हें लांछित करता। यहां तक कि दोनों के बीच नाजायज संबन्ध जैसी बात कहने में भी उसने तनिक भी संकोच नहीं किया। इससे महाराणा को दोनों के प्रति सख्त नफरत हो गई।
एक दिन उदिया ने अवसर का लाभ उठाते हुए महाराणा से कहा कि अन्नदाता माॅं – बेटे की हरकतें दिन दूनी बढ़ती जा रही है। जब देखो तब हॅंसी ठट्ठा करते रहते है। साथ – साथ खेलते रमते है। साथ – साथ् भोजन करते है और साथ – साथ सो भी जाते है। यह सब राजपरिवार की मर्यादा के सर्वथा प्रतिकूल है जो असह्य है और एक दिन बदनामी का कारण सिद्ध होगा।
Sagas Ji Bavji in Udaipur मुॅंहलगे उदिया का यह कथन महाराणा राजसिंह के लिए अटूट सत्य बन गया। उन्होंने जो कुछ सुना-देखा वह उदिया के कान – आॅंख से ही सुना देखा अतः मन में बिठा लिया कि रानी और कुंवर के आपसी सम्बन्ध पवित्र नहीं है। गुस्से से भरे हुए महाराणा ने उदिया को कहा कि कुंवर को मेरे समक्ष हाजिर करो।

प्रतिदिन की तरह कुंवर ग्यारह बजे के लगभग यतिजी से तंत्र विद्या सीखकर आये ही थे। फिर भोजन किया और रानीजी के कक्ष में ही सुस्ताने लगे तब दानों को नींद आ गई। उदिया के लिए दोनों की नींद अंधे को आॅंख सिद्ध हुई। वह दोड़ा – दोड़ा महाराणा के पास गया और अर्ज किया कि रानीजी और कुंवरजी एक कक्ष में सोये हुए है, हुजूर मुलाइजा फरमा लें। उदिया महाराणा के साथ आया और रानी का वह कक्ष दिखाया जिसमें दोनों जुदा – जुदा पलंग पर पोढ़े हुए थे।

महाराणा का षक सत्य में अटल बन रहा था। उदिया बारी – बारी से पांच बार कुवंर को हजुर के समक्ष हाजिर करने भटकता रहा पर कुंवर जाग नहीं पाये थे। छठी बा रवह जब पुनः उस कक्ष में पहुॅंचा तो पता चला कि कुंवर समोर बाग हवाखोरी के लिए गये हुए है। उदिया भी वही जा पहुंचा और महाराणा का संदेष देते हुए षीघ्र ही महल पहुंचने को कहा।

कुंवर सरदारसिंह बड़े उल्लासित मन से पहुॅंचे किन्तु महाराणा के तेवर देखते ही घबरा गये और कुछ समझ नहीं पाये कि उनके प्रति ऐसी नाराजगी का क्या कारण हो सकता है। महाराणा ने कुंवर की कोई कुषलक्षेेम तक नहीं पूछी और न ही मुजरा ही झेल पाये बल्कि तत्काल ही पास में रखी लोहे की गुर्ज का उनके सिर पर वार कर दिया। एक वार के बाद दूसरा वार और किया तथा तीसरा वार गर्दन पर करते ही सरदारसिंह बुरी तरह लड़खड़ा गये।

राजमहल के षंभु निवास में यह घटना 4.20 पर घटी। यहां से कुंवर सीधे षिवचैक में जा गिरे। भगदड़ और चीख सुनकर राजपुरोहित कुलगुरु सत्यानन्द और उनकी पत्नी वृद्धदेवी दौड़े – दौड़े पहुॅंचे। कुंवर की ऐसी दषा देख दोनों हतप्रत हो गये। वृद्ध देवी ने अपनी गोद में कुंवर का सिर रखा और जल पिलाया। प्राण पखेरु खोते कुंवर ने कहा – मैं जा रहा हूॅं। पीछे से मेरी डोली न निकाली जाय। मुझे षैय्या पर ही ले जाया जाय यही हुआ। महाराणा तो चाहते भी यही थे कि उनकी दाहक्रिया भी न की जाय किन्तु कुल गुरु और गुरु पत्नी ने सोचा कि चाहे राजपरिवार से कितना ही विरोध लेना पड़े और किन्तु राजकुमार की षव यात्रा तो निकाली जाएगी।

षवयात्रा आयड़ की पुलिया पर पहुॅंची। वही पुलिया के चबूतरे पर अर्थी रखी गई । इतने में पास ही में निवास कर रहे यतिजी को किसी ने राजकुमार सरदारसिंह के नहीं रहने की सूचना दी। यतिजी को इस पर तनिक भी विष्वास नहीं हुआ कारण कि सुबह तो राजकुमार उनके पास आये थे।

यह यति चन्द्रसेन था जो बड़ा पंहुचा हुआ तांत्रिक था। इसके चमत्कार के कई किस्से जनजीवन में आज भी सुनने को मिलते है। राजकुमार भी इनसे कई प्रकार की तंत्र विद्या में पारंगत हो गये थे। यहां तक कि उन्होंने स्वयंमेव उड़ाने भरने की कला में महारत हासिल कर ली थी। दौड़े – दौड़े यतिजी वहां आये । कुंवर को अपने तंत्र बल से जीवित किया। दोनों कुछ देर चैपड़ पासा खेले। उसके बाद यतिजी बोले अब अर्थी वर्थी छोड़ो और पूर्ववत हो जाओ। इस पर राजकुमार बोले नहीं जिस दुर्गति से मैं मृत्यु को प्राप्त हुआ, अब जीना व्यर्थ है। इस पर यति ने पानी के छींटे दिये और कुंवर को मृत किया। आयड़ की महासतिया जी में राजकुमार का दाह संस्कार किया गया। कहते है कि इस घटना से राजपुराहित दंपत्ति का मन ग्लानि से भर गया और जीवित रहने की बजाय दोनों ही कुंवर की चिता में कूद पड़े।

उधर जब राजकुमार सरदारसिंह के निधन के समाचार बीकानेर की रानी विचित्र कुंवर को मिले तो वह अपने हाथ में नारियल लेकर सती हो गई।
महाराणा राजसिंह के सबसे बड़े पुत्र सुल्तानसिंह की भी हत्या की गई । यह हत्या सर्वऋतु विलास में भोजन में जहर देकर की गई। यद्यपिइ स हत्याकंाड में महाराणा की कोई भूतिका नहीं थी। किन्तु उनके षासनकाल में होने और फिर हत्या करने वालों की काई खबर खोज नहीं की गई अतः इसका पाप भी उन्ही को लगा। उनके जीवनकाल में तीसरी हत्या उनके साले अर्जुनसिंह की की गई । ये मारवाड़ के थे और गणगौर पर सवारी देखने उदयपुर आए हुए थे। इनके बहिन रतनकुंवर थी जो राणाजी से विवाहित थी। ये करीब 35 वर्श के थे। जब सर्वऋतु विलास में घूम रहे थे कि सामने आता एक इत्र बेचने वाला दिखाई दिया । वह निराषा के भाव लिए था। अर्जुनसिंह से बोला महलो में गया किन्तु निराष ही लौटा। किसी मेरा इत्र नहीं लिया। लगा यहां के राणाजी इत्र के षौकीन नहीं है ष उन्हें अच्छे इत्र की पहचान नहीं है। अर्जुनसिंह को यह बात अखरी। उसने इसे मेवाड़ राज्य का अपमान समझा। म नही मन सोचा कि अच्छा यही हो, इसके पास जितना भी इत्र है, सबका सब खरीद लिया जाय ताकि यह समझे कि जो इत्र उसके पास है वैसा तो यहां के घोड़े पसंद करते है।

यह सोच अर्जुनसिंह ने उसे इत्र दिखाने को कहा । इत्र वाला दिखाता जाता और अर्जुनसिंह उसे अपने घोड़े की असाल में उड़ेलने को कहते।
ऐसा करते करते अर्जुनसिंह ने सारा इत्र खरीदकर , मुॅंह मांगी कीमत देकर मेवाड़ के गौरव की रक्षा की। किन्तु मुॅंह लगे लोगों ने इसी बात को विपरीत गति – मति से महाराणा के सामने प्रस्तुत करते हुए कहा कि अर्जुनसिंह कौन होते है जिन्होंने इस तरह का सौदा कर मेवाड़ की इज्जत एवं आबरु को मिट्टी में मिला दी। क्या मेवाड़नाथ का खजाना खाली है जो उन्होंने अपने पैसे से इत्र खरीदकर मेवाड़ को निचा दिखाया।

महाराणा को यह बात बुरी तरह कचोट गई। पीछोला झील में गणगौर के दिन जब नाव की सवारी निकली तो बीच पानी में षराब के साथ जहर दिलाकर महाराणा ने उनका काम तमाम कर दिया। वे चलती नाव में ही लुढ़क गये और उनके प्राण पखेरु उड़ गये। ये ही अर्जुन सिंह आगे जाकर गुलाब बाग की सुप्रसिद्ध बावड़ी के निकट प्रगट हुए और सगत्जी बने।

महाराणा राजसिंह ने उपुर्यक्त तीनों हत्याओं के लिए प्रायष्चित स्वरुप राजसमंद का निर्माण कराया, ब्रह्मभोज दिया तथा गोदान कराया।

 

महंत मिट्ठा लाल चित्तोड़ा
सागर जी शक्ति पीठ . दाता भवन 21
जोगपोल मंडी की नाल , उदयपुर
दूरभाष : 9414248195  [सुशील कुमार चित्तोड़ा]

 

Sagas Ji Bavji Udaipur

Source : Pratyush

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IAS – A ROAD TO POWER AND PRESTIGE

Who Is an IAS officer..?? IAS i.e. Indian Administrative Service officer is basically a term used for collectors or the ones who roams in a “LAL BATTI” car if I talk in a typical common man language. But, to the ones who are preparing for the examination, it’s about the pride of their country. To them it means holding key positions in the Indian Government System so that they can make their country a better world to live in.

It offers a great post and career to go with but the youth today is not much active or should I say ‘aware’ about the course for becoming a successful IAS officer. Although high efforts are needed but once you crack it, you get a high prestige and power in society.

When and How to prepare for it ?

A candidate can think of his/her career in IAS just after completing 12th or after it. The sooner you think, the more are the chances of success. This examination is conducted by the Union Public Service Commission. It has three stages (preliminary, mains and interview). To clear IAS exam, you need to focus on the goal and go on doing the hard work along with sincere studies. But it’s not about being a bookworm to crack the exam. Knowledge of effective and smart study methods is equally important. Innovative ideas of study such as using memory techniques increase our efficiency and chances of success by leaps and bounds. Proper guidance and motivation is necessary to meet the goal in a time bound manner.

Regarding the study material, proper selection is a necessity to succeed and to prevent wastage of time and money. Also selection of right coaching institute is necessary so that you are properly guided throughout the journey.

Aim for the best, Aim for IAS…

For helping you to realize your dream of becoming an IAS officer, Educrafters- Innovative Solutions for Government Careers, present a seminar in Udaipur for the first time on “All about IAS”. It is an informational as well as motivational seminar. A must attend if you had ever thought about this career… a way to know how IAS can be made simple and in fact cracked with little efforts.. you will also come to know the benefits of preparing for IAS as well as the secret of improving writing skills. The seminar will definitely change your perspective about IAS and may give an entire new dimension to your career.

This ‘All about IAS’ seminar by Educrafters will include the topics such as :
What is IAS?

Why/When/How to prepare for IAS ?

How to increase efficiency of studies ?

How to smart study ?

Which study material to refer?

Role of proper guidance,diet etc.

 

All about IAS Seminar :

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Time 7.00 pm

Date-28th/29th/30th Sept. 2012

Venue- 22, Jairam Colony, Near Thokar Chouraha, Udaipur.

For More Details Contact : +91-7737692315 (Tarun Agarwal)

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 Photo Courtesy : c2clive.com

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Kanya Fashion Store – Socially Fashionable Store

As we all know !!

Charity begins at home.

Kanya Fashion Store

This quote can’t be justified better than the initiative taken by the much awaited and ready to keep its foot in the world of Fashion, Kanya Fashion Store.” Apart from dealing in girls apparels and stylish clothing the store will take care of its social responsibility too as the store will be donating 3% of the revenue of their first month and 3% of their annual income towards saving the Kanyas of Udaipur. This campaign will be run by them in order to contribute towards the noble cause of providing the poor girls and women with sufficient amount of Food and Clothing.

But…But…But…!!! there’s good news for the stylish ladies of Udaipur too, the store will be dealing in all types of stylish and ‘in the trend’ clothing at amazingly reasonable prices. Apart from taking care of their social responsibility they will give the girls of Lake City an opportunity to explore a new world of fashion and thus giving you a great shopping experience.

Find them on Facebook : Click Here

The store will open shortly in our LakeCity on 19th of September at :

31-J, Townhall link road,

 Shakti Nagar Road,

Udaipur.

Do check out the Catchy Collection Soon, If you are a complete fashion freak like me.

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The Store will soon have Exclusive Discount for UB Life Card Holders.. !!

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Souvenir Of Love and Bliss : Udaipur

The perfect paradigm is Udaipur (City of Beauty). I wonder if it was the very place from where Puck got the Love Juice as guided by Oberon putting the same on the eyelids of the person making them tall in abysmal Love with the person they see first (Opening their eyes), and so is Udaipur, the Love, from aeon, of one and all.

The ambiance is the panacea, it mollifies insurmountable pangs and takes us to the zenith of Love and Peace. The real beauty that ensnares your heart and soul.

The chaos of this city is bounded by the strings of peace. Every heart has got its blood mixed with Love, Care and Emotion. It’s the path that leads you to the ever ending space of beauty; the place on earth where you need no reason for feeling Euphoria; where the smile on every face counts no reason for its resistance.

The youth so full of recent fashion silhouette and young hearts throbbing for each other and many alike. A place where Love resides in the hearts and respect in the eyes for our elders.

Being here for last 6 years has actually made me to count those days, moments to remember and ever lasting beauty that will never sweep away from my heart.This is the best gift that I have ever been blessed with.

 

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[Fictional Letter] Teachers Day Special : “आपने डैडी की इतनी हेल्प क्यों की ?”

प्यारी सुशीला कोठारी जी,

पहले मैं आपको अपना इंट्रोडक्शन दे दूँ. मेरा नाम रिषित है. मैं 6 साल का हूँ, सनबीम स्कूल में पढता हूँ और उदयपुर में रहता हूँ. ये चिट्ठी मैं आपको छिप कर लिख रहा हूँ और पता नहीं कि आपतक मेरे ये छोटे छोटे अक्षर पहुंचेगे भी कि नहीं. पर मैं लिख रहा हूँ क्योंकि मैंने मेरे डैडी को पहली बार रोते हुए देखा है. वो मम्मा से कुछ कह रहे थे और बार बार आपका नाम ले रहे थे.

मैं आपको नहीं जानता. पर डैडी के मुँह से आपका नाम सुनकर आपमें मेरी जिज्ञासा बढ़ना कोई नयी बात नहीं थी. पिछले तीन दिनों की मेरी मेहनत रंग लायी और मेरी फ्रेंड दिशा के पापा, जो मेरे डैडी के स्कूल टाइम से फ्रेंड भी है, ने मुझे आपके बारे में बताया.

अब, आपके बारे में सब कुछ जानने के बाद मैं आपसे मिलना चाहता हूँ. मैंने आपको नहीं देखा, फिर भी दिशा के पापा के मुँह से आपके बारे में सुनने के बाद आपका पिक्चर मेरी आँखों में है. मैंने आपका चेहरा बना लिया है,जिसमे चश्मे के भीतर से झांकती आपकी आँखे मुझे रोजी मिस जैसी लग रही है. रोजी मिस मेरी क्लास टीचर है,जो मुझे बहुत प्यार करती है. पर जानना चाहता हूँ कि आपने डैडी की इतनी हेल्प क्यों की?

दादी ने बताया कि जब डैडी मेरी एज के थे, तब उनके डैडी यानी मेरे दादू भगवान के पास चले गए. जितने टॉय मेरे पास है, उतने टॉय से डैडी कभी नहीं खेले. उन्होंने इतनी चोकलेट्स भी नहीं खायी. और मेरी फेवरेट आइसक्रीम तो टेस्ट भी नहीं की. दादू नहीं थे तो उनको ये सब कौन लाकर देता ? मैं समझता हूँ. पर फिर से आपसे पूछ रहा हूँ, आपने डैडी की इतनी हेल्प क्यों की? मेरी रोज़ी मिस तो मुझे सिर्फ टॉफी देती है पर आपने डैडी को खूब सारी प्यारी प्यारी टेक्स्ट बुक्स दी थी. क्या उसमे छोटा भीम और डोरेमोन के फोटो भी थे ?

आपने डैडी के साथ रहकर उन्हें पोएम्स लिखना भी सिखाया. सच कहूँ, तो इस बात से मैं आपसे खफा हूँ. मुझे उनकी पोएम्स समझ में ही नहीं आती. वो बहुत बड़ी जो होती है.  पर दिशा के पापा बता रहे थे कि आप मेरे डैडी को खूब सारे कम्पीटिशन में ले कर जाती थी और उस से डैडी बड़े बड़े प्राइज जीतकर लाते थे. मेरे ड्राइंग रूम में वो सारी ट्रोफी’ज अभी भी शोकेस में पड़ी हुई है. डैडी को जब इंग्लिश में ट्यूशन की ज़रूरत हुई तो आपने किसी अरोड़ा सर को बोलकर उनसे डैडी को फ्री में ट्यूशन पढाने को भी बोला. ओह गोड! मैं तो स्कूल में ही पढ़-पढ़ कर थक जाता हूँ. डैडी तो उसके बाद भी ट्यूशन पढ़ने जाते थे !

दिशा के पापा ने मुझे बताया कि आप डैडी का स्कूल में बहुत खयाल रखती थी, बिलकुल रोज़ी मिस के जैसे या शायद उस से भी ज्यादा. आपके कारण ही डैडी ने केमिस्ट्री नाम के किसी सब्जेक्ट में सबसे ज्यादा नम्बर पाए. ये सब्जेक्ट मेरे कोर्स में नही है और आप भी मेरे पास नहीं. अगर मेरे भी ये सब्जेक्ट होता तो आपके बिना मैं उसमे पास कैसे होता ? एक बार जब स्कूल प्रिंसिपल ने डैडी को क्लास से बाहर निकाल दिया था तो आप उनसे लड़ पड़ी थी आपने तब तक लंच नही लिया था,जब तक कि प्रिंसिपल ने डैडी को माफ नहीं किया था.

क्यों लड़ती थी आप सब से डैडी के लिए? क्यों आप उनके लिए नई नई बुक्स लेकर आती थी? क्यों आपने उनको इतना आगे बढ़ने के अवसर दिए? क्यों आपने उनको इतने प्राइज दिलवाए? प्रिंसिपल से लड़ दी ? इसका उत्तर दिशा के पापा ने नहीं दिया, बोले कि मैं बहुत छोटा हूँ, नहीं समझूंगा.

कल मैंने आपके लिए एक प्यारा सा टॉय गिफ्ट लिया है. वो मैं आपको देना चाहता हूँ. मुझे आपका अड्रेस नहीं पता, दिशा के पापा को भी नहीं पता, बस उन्होंने इतना बताया कि आप सेक्टर पांच में कहीं रहती है ! मेरे डैडी से मैं नहीं पूछना चाहता. वो फिर से रोने लगेंगे. आपको ये चिट्ठी मिले तो प्लीज़ मुझसे मेरे स्कूल में आकर मिलना. मुझे आपसे खूब बातें करनी है और आपको रोज़ी मिस से भी मिलवाना है. आप आएँगी ना !!

आपका,

रिषित

(पत्र काल्पनिक है)

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The Crew – Planners of Successful Events

THE CREW 

Sure Shot Success for Your Events

Royal Weddings |  Corporate Events | Adv./Film Shooting

the crew rajasthan

 

Although, wedding is one of the most important event of anybody’s life, there is a list of handful of functions and events which are equally important to the people of the related fields concerned; like business meetings, conferences, Agm, live shows, music album, documentaries, ad-making are only to name a few.

Therefore, in the light of the importance and success of all the above mentioned events, there is a need for specialized and talented team to plan, manage and organize your even with giving due consideration to the client’s budget.

The Crew is one such event management Company which masters in arranging Film/Ad/Short Documentaries and also advice the clients on how to plan shoots, traditional and royal destination wedding, meetings, events, shows and conferences in addition to helping them with the transportation, hospitality, catering and accommodation departments.

A Glimpse Of  The Crew’s Achievements

Some of The Crew’s famous projects are:

TV Shows shoot:

  • Indian Idol  5
  • Jeele Yeh Pal (Star Plus)
  •  Master Chef India
  •  Yeh Rishta Kya Kehlata Hai
  •  Bandini

Films:

  • Battle of Quadisiyah
  •  Choro ki Barat
  • Cheetah girls
  •  Kacchey Dhagey
  •  Impatient Vivek
  •  Aditya met Avantika

 

Advertisements & Other Events:

  • Apollo Tyre Project
  •  Ford Fiesta Titanium
  •  Maruti Suzuki Kizashi
  • Incredible India (Common wealth Song)
  • Launch of Maruti Swift
  • Auditions for India’s Got Talent 3
  • Maker’s Royal Wedding
  •  Royal Wedding for Shaadi Online

Covering the areas of Rajasthan and Gujarat The Crew Team arrange for events or shooting and also give support to the film producers or businessmen to get permissions from various government and private authorities to held a meeting or do a shoot. Specializing in arrangement of shooting various ad Films, short film, promos, serials, songs, commercials, etc. the Co. fully help the producers with the infrastructural facilities and also accommodation including luxurious, heritage hotel or a budget kind of stay and that too equally balancing the budget part.

With the rapid growth of entertainment sector, shooting for any project requires a large amount of effort, systematic planning and an exact location to match the purpose of the shoot and the Co. effectively combines all these factors by bringing together all established professionals from various fields like choreography, stunt-men, makeup artists, dress men, etc. in addition to arranging for animals like elephants, horses and camels if needed. Chopper and charter planes can also be provided for aerial shoots. If required, they can also acquaint the client with junior artists, models, dancers, crowd and folk dance troops so that the flow of shooting does not get affected by the absenteeism of these factors.

Also, the location of the shoot matters a lot for the success of the shoot. Attractive locations always leaves its footprints in the minds of the viewers and the Crew team fully understands this point and thus help you in fixing a good location which could suit the purpose of your project. They first mail the photographs of various mountains, rivers and scenic shots to the client to choose from. They can also take you on a Reece for the location scouting and once the client has chosen the location they arrange for the permissions and legal formalities included thereafter.

So, be it a formal business meeting/conference/shoot or an informal wedding/function, now you just have to contact The Crew team for effective management of your event.

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the crew

You can find them at:

THE CREW,

Lake Palace Road, Rangniwas

Udaipur (RAJ.)

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For more details and enquiries visit:

Website: www.thecrewrajasthan.com

Linkedin: http://in.linkedin.com/in/thecrewrajasthan

Email: info@thecrewrajasthan.com , thecrew.rajasthan@gmail.com

You may even join them on Facebook : The Crew Udaipur

You can also contact :

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10 Reasons why I Feel Proud to be an Indian

WHY I FEEL PROUD TO BE AN INDIAN

proud indian boy

 

As the National Independence Day approaches, the patriotic feeling within us starts arousing. There are various points that makes us feel proud of being born in India. Here are the ten things that makes me proud being an Indian:

1. ENVIRONMENT RICH WITH DIFFERENT FLAVORS:

India’s environment is rich with many different flavours. Beautiful Mountains, Graceful Rivers, Aggressive Desert and Dangerous Wildlife to name a few. The world praises its natural beauty and that’s the reason tourism in India is the largest service industry with the contributions of 8.78% of the total employment in the country.

2. LAND WITH EMOTIONS:

Being an Indian the emotional bonding are much more. India is rich with emotion filled moments; rather a speech by a politician, a scold by a teacher or care by a mother. A feeling at home on Sunday or daily workload at office, No water supply one day or unclean roads, List is endless. We Indians are no doubt rich with variety of emotions. “Tabhi toh Sochte hai ‘Dil Se’ karte hai “Dil se’.”

3. YOUR LIFESTYLE, YOUR CHOICE:

India have a flavour of the amazing diversified culture from all over the world. The Indian culture has been rigid and that’s why it’s surviving with pride in Modern era. An Indian Family is rich with every kind of people, A Grandfather with Dhoti-Kurta, a father with formal and a grandson following latest trends.

4. BEST TELECOM MARKET:

India is the fastest Growing telecom market in the world and has the lowest call rates on earth. So here the connectivity is better than many other developed countries of the world. Indian Telecom analysis (2008-2012) says that Indian telecom industry has undergone a tremendous change during the past few years.

5. MEDIA, THE FOURTH PILLAR:

India has the largest number of news channel in the world and largest newspaper market in the world. Our Free Media is a largely asset and the greatest achievement for our country. Media serves as the fourth pillar or like a family member to us. From the local issue like a chain snatching to the national issue like Lokpal bill or international updates of Olympics, our media is always with us.

6. THE AMAZING BOLLYWOOD:

Bollywood normally termed as Hindi Cinema with about 400 films every year is the largest centre of film production in the world. We Indians are like in Love with Movies. Fourteen Million Indians go for a movie almost daily. Although, movies made in America have edged into India and American and British theatres showing Bollywood Movies on a more and more frequent basis. Indian Movies are day by day becoming more and more famous around the world.

7. NATIONAL RURAL EMPLOYMENT GUARANTEE ACT OR NREGA:

The Indian Job Guarantee Scheme came into existence on August 25, 2005 is the largest ever-public employment scheme visualized till date.

8. SECULARISM:

India has been declared a secular state by its own constitution. Here we can see different religions and castes like no other place in the world. Together locating the temples and mosques. A friends group is rich with different castes and religions, which proves us how the cultures and castes of India diversify.

9. MOUTH-WATERING CUISINE:

Indian cuisine is rich with wide variety of regional natives to India. This cuisine varies because of soil types, climates, occupations and influenced by cultural values and religion. Our Spices, vegetables and fruits are rich with mouth-watering tastes and it’s also the fragrance which creates magic. The variety is immense, colourful, aromatic and inexpensive even at top rated hotels. No wonder, it’s the third most popular cuisine in the world and nor it will be surprising when it becomes the first.

10. INDIAN WEDDING:

In India, there is no greater event in a family than a wedding. Wedding in India are beautifully celebrated like nowhere in the world. We dance; we sing and celebrate it like a national festival. It symbolizes our tradition, our culture and heritage. They extend to a week celebration and filled with emotions, glamour and glazes. Various events bring Chuckle and laughter while some other makes we cry. They vary from region to region because of our diversified traditions. Now this has set a trend in foreign countries too to marry in royal way like Indians do.

 

Article by : Munmun Rajora

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From Banyan Roots to Vat Vriksh : A step forward

Why the name “vat vriksh” ?

As the tree vat vriksh(banyan tree) supports a whole lot of plants, animals and even human beings, in the same way the production centre vat vriksh supports 32 farmers in backward villages who are working with organic farming techniques.

 

What all do they produce?

Rice, Wheat, Corn, Pulses, Lentil, Gram, Spices, Ghee, Peanut Oil, Mustard Oil, Herbal Tea, Hair Oil, Thyme, Sulphur free Sugar, Tea, Coffee (these three products we do not produce we source it from organic farming association of India network) Papad etc. and various other food materials without the use of harmful pesticides.

They only use compost (leaves and green food waste) to increase fertility of the ground, neem to keep away insects, and other organic methods which are forgotten and were in use long back.

 

What are we actually eating!

  • According to a Survey by WHO, Our food has 40 times more toxic chemicals than permitted.
  • An apple a day, keeps GOOD HEALTH away!
    Yes, our own government reports suggests that banned pesticides like CHLORDANE, HEPTACHLOR and DDT are present in our food.
  • Fruits, vegetables, meat, milk and even water are all laced with high levels of pesticide residue. (numerous times above the maximum residue limits<mrl> setup by Indian law.

 

Some references!

  • Pesticides are Poisons, meant mainly to kill living organisms of different kinds (organophosphate pesticides, for instance, have been originally developed as nerve poisons during World War II)
  • According to satyamev jayete’s episode 08: it says that, “For decades our food and water have been contaminated by powerful, harmful pesticides which have been promoted as necessary for better agricultural output. But the reality is that we don’t need pesticides for better yield, and the use of these pestisides is not only deadly for health but results in expensive farming methods. The solution is to adopt organic farming, which is possible and profitable”

 

So in the end we can say!

PESTICIDES  IN MY FOOD??????

No Thank You! 😉

Address of Vat Vriksh: 1-K, 26 Opposite to Jain Mandir, Hiran Magri Sector – 4, Udaipur

Article by : Neha Chhajer

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आज कारगिल विजय दिवस है

आज 26 जुलाई है. कारगिल विजय दिवस. जब बर्फ और सर्दी की आड़ में भारत के अभिन्न अंग कश्मीर के बड़े हिस्से में पाकिस्तानी सेना ने अपना अवैध कब्ज़ा जमा लिया, आज ही के दिन भारतीय सेना के जाबांज जवानो ने उसे मुक्त करवाया.

अपनी घुमक्कड प्रवृति के चलते अब तक दो बार लद्दाख हो आया हूँ. जब भी वहाँ जाता हूँ तो द्रास-कारगिल से गुज़रना होता है. हर बार वहाँ सिर पहले झुकता है, उन शहीदों की याद में, जिन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबवा दिए…. और फिर तत्काल सिर गर्व से उठ जाता है, सीना चौड़ा हो जाता है, एक भारतीय होने के फख्र से.. अपनी सेना की बहादुरी पर…

चलिए आज आपको कारगिल विजय दिवस पर ले चलता हूँ.. धरती के स्वर्ग कश्मीर की गोद में बसे द्रास शहर और वहाँ स्थित कारगिल वार मेमोरियल के दर्शन करने…

kargil 1
द्रास शहर. श्रीनगर और कारगिल के बीच बसा कस्बा. इसे दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा रिहाइशी इलाका होने का गर्व प्राप्त है. श्रीनगर से बालटाल, सोनमर्ग होते हुए जोजिला दर्रा पार करके यहाँ पहुंचा जा सकता है. जब आप यहाँ से गुजर रहे होते है तो नियंत्रण रेखा के सबसे करीब होते है. (जी हाँ, बिलकुल सही समझा आपने, आप यहाँ पाकिस्तानी तोपों की रेंज में होते है.)

फोटो में लेखक आर्य मनु (दायें) अपने मित्र आशीष विरमानी (दिल्ली) के साथ.

कारगिल वार मेमोरियल का मुख्य द्वार. वैसे यह युद्ध मूलतः द्रास में लड़ा गया,किन्तु इसे नाम मिला कारगिल युद्ध. द्रास कस्बा कारगिल जिले में आता है. यह स्थान द्रास कस्बे से लगभग सात किमी दूर  NH 01A पर स्थित है. वार मेमोरियल स्थल तोलोलिंग की पहाड़ियों की तलहटी में बना है, जहाँ युद्ध के समय जवानो का बेस केम्प हुआ करता था. यहाँ से टाइगर हिल्स की कुल घुमावदार सड़क दुरी 28 kms है.

अमर जवान ज्योति. शहीदों को नमन. इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था. राष्ट्रीय ध्वज के साथ यहाँ युद्ध में शरीक होने वाली सेना की टुकडियों के ध्वज लहरा रहे है. यहाँ एक जवान हमेशा शहीदों के सम्मान में सावधान की मुद्रा में खड़ा रहता है.

युद्ध शहीदों के नाम यहाँ सुनहरे अक्षरों में लिखे है. जाट रेजिमेंट, राजपुताना राइफल्स का नाम सबसे पहले देखकर हर किसी राजस्थानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. पंजाब रेजिमेंट, गोरखा राइफल्स, बिहार, सिख, लद्दाख की रेजिमेंटो ने भी अपने सपूत खोये. अमर वाक्य लिखा है यहाँ…
“शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले,

वतन पर मिटने वालो का, यही बाकी निशाँ होगा…”

म्यूजियम में रखे शहीदों के अस्थि कलश. ये उन शहीदों की अस्थियां है, जिन्हें पहचाना नहीं जा सका. पर ये वे है जो हमेशा के लिए अमर हो गए….सिर्फ हमारे लिए, ताकि हम आराम से यहाँ त्यौहार मना सके…. अगली बार जब इस दिवाली आप अपने घर सजा रहे हो, तो एक दीपक इन अनाम शहीदों के लिए ज़रूर लगाएं…

ये है, पाकिस्तानी सेना द्वारा बरसाए गए मोर्टारों और टॉप गोलों के अवशेष. ये सिर्फ मोर्टारों के पिछले हिस्से (टेल) है. आप सोचिये, ये मोर्टार कितने बड़े और तबाही मचाने वाले होंगे..!! उस पर हालात ये कि पाकिस्तानी सेना पहाड़ की छोटी से हमला कर रही थी, जबकि भारतीय जवान तलहटी से उन पर जवाबी कार्रवाही कर रहे थे.

फिर भी है किसी पाकिस्तानी गोले में इतना दम, जो भारत का बाल भी बांका कर पाए ?

युद्ध में तडातड चलती गोलियों और तनाव के माहौल में सैनिक ठिठोली के क्षण खोज ही लेते थे.मिसाइल को दागने से पहले कुछ इस तरह बयान किये अपने ख्याल, एक सैनिक ने…

आज हम यहाँ बैठ दिन भर टीवी पर उन दिनों की कवरेज देखेंगे, कल हुए नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह को देखेंगे… सोचिये उन दिनों हाड कंपा देने वाली सर्दी में किस तरह उन जाबांजो ने देश की रक्षा करते हुए कैसे तनाव के क्षणों में समय बिताया होगा..!!!

उन दिनों महान कवि (स्वर्गीय )श्री हरिवंश राय बच्चन ने अपनी अमर कविता “अग्निपथ” की चंद पंक्तियाँ स्वयं लिखकर भारतीय सेना की हौंसला अफजाई की थी. उसी हस्तलिखित कविता को म्यूजियम में फ्रेम करवा के रखा गया है… ये पंक्तियाँ हमें आज भी लगातार आगे बढते रहने की प्रेरणा देती है.

 

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मेरे सपनो की बारिश, कब आओगी तुम ??

clouds in udaipur

वर्षा ऋतू हमें गहराई तक छूती है. सावन में सिर्फ तन ही नहीं भीगता, अंदर तक भिगो जाती है बरखा की बूंदें… सावन की रिम झिम फुहारों के बीच उगते अंकुरों, हरे होते पहाड़ों और, और ज्यादा गहराई तक नीली होती झीलों के बीच हमारा मन “किसी की चाह” हेतु व्याकुल हो उठता है.

पर इस बार चाह किसी और की नहीं, बल्कि बारिश की ही है. ये आये तो किसी और को याद करने का मौक़ा मिले ना ! हरियाली अमावस पर, सोचा कि शहर के कमीनेपन से दूर जब गांव के निर्मल मन फतहसागर और सहेलियों की बाड़ी आयेंगे तो इंद्र को मजबूर होना ही पड़ेगा… पर इस बार भी हमेशा की तरह मेरा अनुमान गलत निकला ! उनकी पुपाडी की आवाज़ मेघों तक नहीं पहुंची. उनका सजना सवरना व्यर्थ गया…!!

 

“सावन आयो रे, ओ जी म्हारा, परणी जोड़ी रा भरतार,

बलम प्यारा, सावन आयो रे…”

 

सावन तो आयो पण बरखा कोनी आई .. परणी जोड़ी का भरतार, अब तुझे कैसे पुकारें..!! कालिदास ने मेघदूत ग्रन्थ में अपना संदेसा पहुँचाने के लिए बादलों को जरिया बनाया था.. वे जाकर प्रेमिका पर बरसते थे.. यहाँ तो सबकुछ सूखा- सूखा… कैसे भीगेगा प्रेमिका का तन- मन… क्या जुगत बिठाये अब ??

बचपन के दिन याद आते है. मुझे बचपन में अपनी भुआजी के यहाँ गांव में रहने का खूब मौका मिला. बारिश में भीगते भीगते खूब जामुन खाते थे. पेड पर चढ़ने की भी ज़रूरत नहीं होती थी, खुद-ब-खुद जामुन बारिश की मार से ज़मीं पर आ गिरते थे. मक्की की बुवाई होती थी… गीली मूंगफली को खेतों की पाल पर ही सेक कर खाते थे. भुट्टे का मज़ा, मालपुए की ठसक…क्या क्या आनंद होते थे. कच्ची झोपडी के केलुओं से बारिश की झर झर गिरती धार… और उस पर गरमा गरम राब… भुआ तवे पर चिलडे बनाती थी..आटे का घोल जब गरम गरम तवे पर गिरता था तो एक सौंधी महक मन में बस जाती थी. गांव के लोग इकठ्ठा होकर एक जगह सामूहिक प्रसादी करते थे. तेग के तेग भरकर खीर बनती थी और बनती थी बाटियां … आज बस उनकी यादें शेष है. आज 260 रुपये किलो वाले मालपुए लाकर खा लेते है, और खुश हो लेते है.. पर उसमे माटी की वो सौंधी खुशबु नहीं होती.

खैर अब अपन शहर में रहते है. कार की खिडकी खोलकर बारिश में हाथ भिगोने का मज़ा हो या बाइक लेकर फतहसागर पर चक्कर लगाने का मौका… हमें सब चाहिए, पर निगोडी बारिश पता नहीं किस जनम का बदला ले रही है.. उमस ने जीना मुहाल कर रखा है. खाली फतहसागर पर मन नहीं लगता. पिछोला में देवास का पानी आने की क्षणिक खुशी हुई ही थी कि लो जी वहाँ भी चक्कर पड़ गया. अब तो बस श्रीनाथजी का ही आसरा है. क्योंकि बारिश नहीं हुई तो उनका नौका विहार कैसे होगा. लालन लालबाग कैसे जायेंगे, बंशी कैसे बजेगी, गायें क्या खायेगी…! हम तो जैसे जैसे दो दिन में एक बार आ रहे नल के पानी से काम चला लेंगे किन्तु अगर बारिश नहीं आई तो बेचारे ये निरीह पशु क्या खायेंगे ? गलती इंसान की और भुगते सारे जीव-जंतु..!!! मन बस बार बार अपने   को निर्दोष पाते हुए अपील कर रहा है …
काले मेघा काले मेघा, पानी तो बरसाओ….

Photo by : Mujtaba R.G.