Categories
Social

महिला की बहू रूपी भूमिका एवं तनाव प्रबंधन: महिला दिवस

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। महिलाओं को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित भी किया जा रहा है। इस वर्ष 2023 की थीम “DigitAll- Innovation and Technology for Gender Equality” है। डिजिटल माध्यम से महिलाओं के लिए कार्य करने के कई क्षेत्र खुल गए जो किसी कारणवश घर से बाहर निकलने मैं कठिनाई महसूस करती हैं।

विभिन्न शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि बुद्धि तथा अन्य विशिष्ट क्षमता के आधार पर पुरुष व महिलाओं में कोई अंतर नहीं होता है। फिर सवाल उठता है कि भारत में ही नहीं पूरे विश्व में महिलाओं को असमानता के व्यवहार का सामना क्यों करना पड़ता है। इंफोसिस की चेयर पर्सन सुधा मूर्ति की घटना का वर्णन करना यहां प्रासंगिक होगा। उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात एक दिन टेल्को का एक विज्ञापन देखा जिसमें इंजीनियर की आवश्यकता थी किंतु केवल पुरुष उम्मीदवार ही अप्लाई कर सकते थे।

सुधा मूर्ति को इस विज्ञापन ने बहुत बेचैन कर दिया और उन्होंने निश्चय किया कि वे जमशेदजी टाटा से इस बारे में बात करेंगी। उन्होंने जमशेदजी जी टाटा को एक पोस्टकार्ड लिखा कि आपके विज्ञापन से मुझे आपत्ति है। आप की चयन प्रक्रिया योग्यता व कौशल के आधार पर होनी चाहिए, न कि जेन्डर के आधार पर। आप जैसे महान व्यक्ति ही यदि देश की आधी आबादी को मौका नहीं देंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा।

पत्र जमशेदजी तक पहुंचा, सुधा मूर्ति को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और चयन भी हुआ। सुधा मूर्ति ने टेल्को की नौकरी स्वीकार की जबकि उनके पास यूएसए की स्कॉलरशिप हाथ में थी। आज सुधा मूर्ति महिला उत्थान के लिए पर्याप्त सक्रिय भूमिका निभा रही है।


महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण पर बात की जाती है ,महिला तो शक्तिमान है तभी बहुरूपी भूमिकाएं एक साथ निभा लेती हैं। आवश्यकता उसकी इस शक्ति को पहचान व सम्मान दिलाने की है, इतनी भूमिकाएं एक साथ निभाते हुए कई बार तनावग्रस्त भी हो जाती है।

हर महिला को अपने तनाव का प्रबंधन स्वयं ही करना होता है ।कुछ समय स्वयं (मी- टाइम) के लिए अवश्य निकालना चाहिए जिसमें मन को सुकून देने वाली गतिविधियों से स्वयं को तनाव मुक्त कर सके, अपनी पीड़ा, संघर्ष तथा दबी भावनाओं को मित्रों व परिवारजनों के साथ साझा कर सके वरना दमित इच्छाएं व्यक्तित्व पर कुप्रभाव डालती हैं। कुछ समय प्रकृति के साथ बिताने से भी तनाव कम होता है। पालतू पशु तनाव कम करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं ।किसी की मदद करने या उपहार देने से भी मन को सुकून मिलता है और तनाव में कमी आती है। इसके अतिरिक्त खेल, संगीत, नृत्य, चित्रकारी, लेखन आदि हॉबी तनाव को कम करने के अच्छे माध्यम हैं।

इस प्रकार महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो बाधाएं भी आएंगी, तनाव भी आएंगे एवं उपयुक्त तनाव प्रबंधन की मदद से साहस ,हिम्मत, उल्लास से आगे बढ़ती चली जाएगी। हर महिला को अपनी राह में आने वाली अन्य महिलाओं व मित्रों को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है ।इसी तरह श्रृंखला को बढ़ाते चले जाना है तभी समाज में लैंगिक समानता की तस्वीर स्पष्ट दिखाई देने लगेगी। वैसे तो आज हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है पर इनकी प्रतिशतता की दृष्टि से यह संख्या अभी भी बहुत अल्प है।

डॉ सुषमा तलेसरा, मनोवैज्ञानिक
सेवानिवृत्त प्राचार्य, विद्या भवन गोविंदराम सेक्सरिया शिक्षक महाविद्यालय, उदयपुर।

Categories
Social

JD’s Bash- Biggest Bollywood Night in Udaipur

This Saturday, Oct 29 2022, Udaipurites will have the chance to don their party clothes and wear their hearts on their sleeve. From 7:00 PM onwards, DJ Kumar Swamy and DJ Ranjana, two of the leading DJs known for their explosive music, will spread their DJ magic with all the Bollywood songs at Pandora Grand Luxury Hotel- Udaipur, from 7:00 PM onwards. So if you are in Udaipur, then put on your party shoes and do attend this massive event, to groove to the explosive music played by these renowned DJs, all of which are excellent for igniting the dance floor. Allow the Bollywood music, to keep you entertained for the ideal evening at The Pandora Grand.

Check out the event details below.

About The JD Bash Event

DJ Kumarswamy and DJ Ranjana are some of those creative prodigies who are a little ahead of their time. Not just because their music can transport you to places where time seems to have stopped, but also because they manage to operate on a timeline entirely independent of the typical cycles of hysteria, influence, and career advancement that most musicians follow. Their productions and releases have become some of the most cherished and legendary themes in the music world. These phenomenal DJs consistently outperform themselves, having remixed almost all the famous Bollywood tracks. DJ Kumarswamy and DJ Ranjana, continue to work hard with exceptional talents.

Event: JD’s Bash- Biggest Bollywood Night

When: Oct 29, 7:00 PM Onwards

Tickets on sale now.

Line Up: @djkumarswamy; @ranjana.dj

Where: Pandora Grand Udaipur,

Near HP Petrol Pump,

Udaipur-Ahmedabad Highway,

Balicha, Rajasthan

So this Saturday night, be ready to put on your dancing shoes to groove to some explosive music bangers!

If you haven’t already booked your tickets, then reserve your spots before they sell out.

Hurry up, and don’t miss the chance to witness one of the biggest live Bollywood music concerts in Udaipur with @nightpulseentertainment. Mentioned herewith are the pass details:

Regular passes – Rs. 1,000 (Access to Bollywood Night)

VIP passes – Rs. 2,000 (Access to Bollywood Night & Techno After-party)

VIP table passes – Rs. 30,000 (For 10 persons)

Please Note: The above amount includes the cost of the beverages.

Be ready for a fun, energetic evening that will keep you raving all night long at Pandora Grand-Udaipur with DJ Kumarswamy and DJ Ranjana.

For bookings and queries, contact: +91-7425041114, 9587071777.

 

Categories
Social

अध्यापक की भूमिका क्या बस अध्यापन तक सीमित है?

अध्यापक प्रसन्न मुद्रा में, छात्र भी प्रसन्नचित्त, अध्यापक गंभीर मुद्रा में, छात्र भी गंभीर व सहमे हुए। यानी अध्यापक का प्रतिबिंब छात्रों में देखा जा सकता है।

अध्यापक का कार्य अध्यापन तक सीमित नहीं है बल्कि वह बालक के भविष्य का निर्माता है। निश्चित ही पहला दायित्व अध्यापन है। अध्यापक की अपने विषय पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। निरंतर अध्ययन कर स्वयं को अपडेट रखना चाहिए। कोई भी विषय क्यों ना हो भाषा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है, भाषा संबंधी अशुद्धियों की शिक्षण व्यवसाय में कोई छूट नहीं है।भाषा सभी संप्रेक्षण का मूलभूत माध्यम है,भाषा बिना सारे विषय अधूरे हैं।

अध्यापन के लिए उसे नित नए नवाचार व प्रयोग करते रहना चाहिए। विभिन्न बौद्धिक स्तर, विभिन्न सांस्कृतिक व सामाजिक पृष्ठभूमि के बालकों को एक साथ समाहित करना आसान काम नहीं है। ऐसे रास्ते खोजने होंगे जिसमें हर बालक अधिगम प्रक्रिया में आगे बढ़ सके, खासतौर पर प्रथम पीढ़ी अधिगमकर्ता जिन के समक्ष कई चुनौतियां हैं जैसे भाषाई अवरोध, अनियमित उपस्थिति, शिक्षा विहीन पृष्ठभूमि, भिन्न सांस्कृतिक-सामाजिक पृष्ठभूमि, निम्न आर्थिक स्थिति तथा सहपाठियों का असहयोग। इस वर्ग  के छात्रों के साथ न्याय करना आवश्यक है।

किसी प्रकार का नकारात्मक व्यवहार (डांट या पीटना या अशब्द बोलना) स्थिति को और बदतर कर सकती है और छात्रों के विद्यालय छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। इन दिनों अध्यापक द्वारा शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के केस निरंतर बढ़ रहे हैं जबकि आरटीई एक्ट धारा-17 या सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जारी शिक्षा विभाग के परिपत्र के तहत शारीरिक दंड पर पूर्णरूपेण रोक है इसके बावजूद  तकरीबन हर विद्यालय में छड़ी लेकर घूमते शिक्षक नजर आ जाएंगे। सवाल यह है कि शिक्षक को इस छड़ी को रखने की आवश्यकता क्यों है। क्या स्नेह से बच्चों को अनुशासित नहीं किया जा सकता है?

राजस्थान के शिक्षा मंत्री का यह बयान कि समय-समय पर शिक्षकों को खेल-खेल में शिक्षा तथा आनंददायी शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है, इसकी हकीकत यह है कि सरकारी विद्यालयों में यह दो पर्सेंट कक्षाओं में भी प्रतिबिंबित नहीं हो रहा है। बच्चों को खेल खूब पसंद होते हैं, यदि खेल द्वारा शिक्षण करवाया जाता है तो कोई कारण नहीं कि बच्चे अधिगम में रुचि न  लें या कक्षा में ध्यान ना दें। पिटाई जैसे कृत्यों की नौबत ही नहीं आएगी। यानी अध्यापन कार्य रोचक और आनंददायी  होने पर कई समस्याएं स्वत ही समाप्त हो जाती हैं।

अध्यापक की भूमिका में एक महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षार्थियों के चरित्र निर्माण की है। यह तभी संभव है जब अध्यापक का स्वयं का चरित्र आदर्शतम व मूल्य उच्च हो। अध्यापक के शब्दों व व्यक्तित्व में समरसता होने चाहिए। छात्र अध्यापक से अनौपचारिक रूप से बहुत कुछ सीखते हैं। छात्र अध्यापक का बारीकी से अवलोकन करते हैं, उनके पहनावे को, कार्य करने के तरीके को, संप्रेक्षण के तरीके को, अपने में उतारते हैं। अतः अध्यापक का अपने हर व्यवहार के प्रति सचेत रहना चाहिए। यदि अध्यापक ब्लैक बोर्ड पर टेढ़ा-मेढ़ा, ऊपर-नीचे, अव्यवस्थित लिखता है यही स्थिति छात्रों की कॉपी में देखी जा सकती है। अध्यापक चुस्त-दुरुस्त है तो कक्षा के सभी बच्चों में वही ऊर्जा संचरित होती देखी जा सकती है। मूल्य शब्दों से नहीं बल्कि अध्यापक के व्यक्तित्व से बच्चों में उतरते हैं ।अध्यापक में धैर्य व कठिनाइयों से जूझने की क्षमता होनी चाहिए तभी वह अपने छात्रों में इन गुणों का विकास कर सकता है। आज के छात्रों में न धैर्य है ना समस्याओं से जूझने की क्षमता, यही कारण है कि छोटे-छोटे व्यवधानों से टूट जाते हैं। आत्महत्याओं का बढ़ता ग्राफ भी इसी ओर इशारा करता है।

इससे जुड़ा एक और दायित्व है, अध्यापक को परामर्श की मूलभूत समझ होनी चाहिए। बच्चा गुमसुम है, उदास है या अत्यधिक आक्रमक व्यवहार करता है तो बजाय उसे दंडित करने के उसके इस व्यवहार के तह में जाने की जरूरत है। किसी प्रकार के असामान्य व्यवहार के निश्चित ही कारण होते हैं, ऐसे व्यवहारों के प्रति समय रहते ध्यान न देने या नकारात्मक व्यवहार से लक्षण उग्र होते चले जाते हैं जो परिवार व समाज के लिए घातक साबित होते हैं।

शिक्षण एक बहुत ही पवित्र कार्य है, इस की गरिमा बनी रहनी चाहिए। शिक्षक बनना इतना आसान भी नहीं होना चाहिए कि इसे अंतिम विकल्प के रूप में लेने के रास्ते खुले रहें। शिक्षक बनने के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षाओं का स्तर इतना चुनौतीपूर्ण तो होना ही चाहिए कि सिर्फ उन्हीं को प्रवेश मिले जिसमें अध्यापक बनने के गुण मौजूद हैं।

डॉ सुषमा तलेसरा

सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, विद्या भवन GST कॉलेज, उदयपुर

Categories
Social

All About Pacific University

Established in 1997 The Pacific University has left its mark on India’s academic landscape. The Pacific Society has been advancing higher and technical education over the past 25 years. It has established more than twenty-one institutes and evolved into a multi-disciplinary network of colleges offering advanced degrees in a variety of fields, including engineering, management & commerce, dentistry, pharmacy, education, basic & applied sciences, and research programmes (PhD) in all relevant disciplines.

With a massive, ultra-modern campus covering more than 100 acres of lush green vegetation, Pacific University is dedicated to becoming a centre of excellence in research. The campus features innovative classrooms, separate dormitories for boys and girls, laboratories, and libraries, as well as internationally acclaimed programmes. Moreover, it also provides innovative training, experiential learning, and high-quality education at affordable prices.

Mission Of Pacific University

 

All About Pacific University

Pacific University offers a holistic education that aims to help students grow both academically and personally. Their students are currently employed by 150+ global and Indian big brands and are living proof of Pacific’s stellar track record of helping students establish successful careers.

Due to its high OPD attendance and emphasis on giving students as much hands-on experience as possible, Pacific Dental College has earned the title of being the best in India. The Pacific University has the highest placement rate in North India. It has created new programmes that guarantee a high-profile job and the satisfaction of working in the highest-rated field.

The university aims to do the following in order to fulfil its mission and vision and move forward with a commitment to educational excellence:

  • to deliver high-quality education in technical, non-technical, and professional areas.
  • To build revolutionary, top-notch infrastructure to support quality education.
  • Encourage students’ propensity for self-employment.
  • Utilize the most recent instructional innovations while concentrating on the overall development of students through extracurricular activities including sports, cultural programmes, projects, etc.
  • To take part in community development programmes that are socially important.
  • to establish solid industry-institute partnerships for collaborations that will benefit both parties.
  • To foster the entrepreneurial spirit in the students.

Courses offered by Pacific University

Agriculture:

Course

Duration Eligibility

B.Sc. Agriculture

4 Yrs.

10+2 pass (Science+Maths/Bio/Agriculture)

M.Sc. Agriculture

2 Yrs.

B.Sc.(Agriculture)

PhD 3 Yrs.

M.Sc. (Agriculture) in Respective Disciplines

Arts

Course

Eligibility Duration

B.A.(Hindi and English Medium)

10+2 from any stream

3 Yrs

M.A.

Graduation in any stream

2 Yrs

MSW

Graduation in any stream

2 Yrs

PhD. Post-Graduation in Arts stream

3 Yrs (Minimum)

 

Commerce

Course

Eligibility

Duration

B.Com.

10+2 from any Stream 3 Yrs.
B.B.A

10+2 from any Stream

3 Yrs.

B.Com with ACCA (UK)

10+2 from any Stream

3 Yrs.

BBA with CMA (USA) 10+2 from any Stream

3 Yrs.

BBA Digital Marketing in Collaboration with Upgrade

10+2 from any Stream 3 Yrs.
M.Com Graduation from Any Stream

2 Yrs.

Diploma in Business Analytics

10+2 from any stream 1 Year
Diploma Digital Marketing 10+2 from any stream

1 Year

PhD.

Post-Graduation in Commerce Stream

Minimum 3 Yrs.

 

Computer Science

Course

Eligibility Duration

BCA

10+2 from any stream

3 Yrs.

PGDCA Graduation in any stream

1 Yr.

MCA

Passed PGDCA/BCA/B.Sc/B.Com./B.A with Mathematics at 10+2 Level or at Graduation

 

2 Yrs.
M.Sc. (IT, CS) Graduation in Any stream

2 Yrs.

Certification in PDNAIT(IOA-UK)

Graduation in Any stream 1 Year
PhD. Post-Graduation in Computer science

Minimum 3 Yrs.

 

Dairy and Food Technology

Course Eligibility

Duration

B.Tech (Dairy Technology) 10+2 (Science: Maths / Biology / Agriculture)

4 Yrs.

Dental

Course

Eligibility Duration

B.D.S.

10+2 (Science Biology)

4+1 Yrs.

M.D.S.* B.D.S.

3 Yrs.

Diploma in Dental Mechanics & Hygienist 10+2 (Science Biology)

2 Yrs.

PhD.

Post-Graduation

in Dental Science

Minimum 3 Yrs.

Post Graduate Certificate Course in Oral Implantology Minimum qualification of B.D.S or equivalent from a recognized Institution in India or Overseas.

1 Year Duration Course  

 Engineering

Course

Eligibility

Duration

B.Tech. (ME, Civil, EE, CSE, Mining)

12th (Science + Maths)

4 Yrs.

B.Tech.(Artificial Intelligence & Machine Learning in Collaboration with Up grad)

12th (Science + Maths)

4 Yrs.

MTech (CAD/CAM, Structural Eng., Geotechnical Eng.,
Software Eng., Computer Science Eng., Digital Communication,
VLSI, Control & Instrumentation Eng., Power System, Industrial Eng.,
Production Eng., CTM, IT,
Production & Industrial Eng., Energy Studies)

B.Tech. or Equivalent

2 Yrs.

Certification in Data Analytic(IOA-UK)

with B.Tech.

6 Months

Executive Diploma in Game Development

with B.Tech.

6 Months

PhD. Post-Graduation in Engineering Stream

Minimum 3 Years

Other Important Courses Offered by Pacific University

  • Fire and Safety
  • Hotel Management
  • Law
  • Media and Mass Communication
  • Fine Arts
  • Pharmacy
  • Polytechnique
  • Science
  • Fashion Designing

Placements at Pacific University

All About Pacific University

The companies that visit the university present a variety of profiles from different industry sectors and functional areas. Pacific University students continue to uphold the college’s reputation in the business world by showcasing their abilities in competitions, academics, and job placements. With its attractive campus, cutting-edge facilities, and deserving students, Pacific University remains one of the top institutions for management education.

Key Highlights of Pacific University Placements

  • Most recruitment drives are held at Pacific University in Rajasthan, and it consistently breaks the placement records in Rajasthan.
  • After raising the bar, Pacific University has maintained the trust of its regular employers, who always trust the potential of students, see a possible benefit they will bring to their organizations, and therefore hire applicants in large numbers while presenting intriguing profiles. Each employer has significantly increased the number of offers it makes, and the average salary has increased substantially over the past years by 21.18%.
  • Profiles for Relationship Managers, HR Recruiters, Portfolio Managers, Education B2B Marketing, Media and Advertising, Digital Marketing, and Financial/Data Analytics are being offered to keep up with the present market trends.
  • The majority of students get pre-placed before completing their second year. Moreover, some of their alumni have also been placed overseas in many different industries.
Categories
Social

What is Special About Udaipur?

Udaipur, often known as the City of Lakes, is a popular tourist destination in Rajasthan. Exploring incredible things is a must-do for any traveller, and Udaipur offers many of them. For example, Shah Jahan was inspired to build the Taj Mahal after seeing the Jag Mandir Palace. Discover some more fascinating facts about Udaipur, whether or not you have visited this beautiful city.

Interesting Facts About Udaipur

1.) The Taj Mahal was designed after the Jag Mandir

Interesting facts about Udaipur- Jagmandir

The Jag Mandir is a palace built on a small island in Lake Pichola. This house, also known as the Lake Garden Palace, was Prince Khurram aka Shah Jahan’s retreat. The Mughal monarch stayed at Gul Mahal and procured design inspiration from Jag Mandir for the future construction of the iconic Taj Mahal.

2.) It is home to Asia’s second-largest man-made freshwater lake.

Interesting facts about Udaipur- Jaisamand

The second-largest manmade freshwater lake in Asia, that is the Jaisamand Lake or Dhebar Lake, is located 48 kilometres away from Udaipur. This lake was developed by Maharana Jai Singh in 1685. The lake is 14 kilometres long, 102 feet deep, and 48 kilometres in diameter. Moreover, there are three islands on this lake which are home to the Bhil Manas tribe. While the two larger islands are named Baba Ka Magra, the smaller island is titled Piari.

3.) Udaipur also houses the world’s second-longest wall.

Interesting Facts about Udaipur- Kumbhalgarh

Since we all know that The Great Wall of China is the longest wall in the World, not everyone is aware of the fact that the world’s second-longest wall is at The Kumbhalgarh Fort located 36 Km away from Udaipur. It stretches over 36 kilometres. The fort was established in such a manner that invaders could not see it, and the wall was built to shield the fort from enemy attacks.

4.) Udaipur also bags entry in The Limca Book of Records for its Tree House

Interesting facts about Udaipur- Mango tree House

In Udaipur, an ancient mango tree was used to construct a treehouse. This idea was conceived by a businessman named. Mr K. P. Singh wanted to develop a tree home without damaging the tree. He got this idea into action by taking assistance from a craftsman from Surat who helped him construct the tree House without removing any tree branches. His unique creation was not left unnoticed and later got recognition from The Limca Book of World Records.

 

 

 

Categories
People Social

उदयपुर का नाम लहराया विनम्र ने, हासिल की AIR 11

मेहनत एक ऐसा शब्द है, जिसके बारे में केवल वही इंसान जानता है, जिसने असल में मेहनत की होती है। मेहनत करना भी एक कला है, इसे हर कोई नहीं कर सकता है। किसी भी कार्य को करने के लिए मेहनत लगती है और मेहनत ऐसी होनी चाहिए जो हर असंभव को संभव कर दे।
ऐसे ही हम बात करते है “चार्टर्ड अकाउंटेंट” जिसे आमतौर में छोटे से शब्द CA नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा प्रोफेशनल है, जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में काम करते है। एकाउंटेंसी और ऑडिटिंग, CA के दो सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसके अलावा CA का काम वित्तीय लेखा-जोखा तैयार करना, वित्तीय सलाह देना।

कहते है की CA की परीक्षा बहुत ही कठिन होती है, दिन रात मेहनत करने के बाद भी पास होना मुश्किल है। ऐसे ही मेहनत का एक जीता जागता परिणाम हमारें शहर उदयपुर के “विनम्र काबरा” है। जो इस परीक्षा में सफल तो हुए ही है पर साथ में उच्च स्कोर भी हासिल किया है। उदयपुर शहर का नाम गौरवान्वित किया है। विनम्र ने उदयपुर की रैंकिंग में टॉप किया है और आल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल की है, जो हमारे शहर के लिए बहुत ही गर्व की बात है।

विनम्र काबरा

विनम्र अपनी यात्रा के दौरान पहले भी टॉप रैंकों में रह चुके है। उन्होंने CA-CPT परीक्षा में AIR-3 हासिल की थी और CA इंटरमीडिएट परीक्षा में AIR- 24 हासिल की थी। ICAI की ओर से आयोजित CA फाइनल परीक्षा में कई सारे विद्यार्थि भाग लेते है, इसमें से कुछ ही पास हो पाते है। परीक्षा में उदयपुर सेंटर के कुल 647 परीक्षार्थियों ने भाग लिया जिसमें से 175 उतीर्ण रहे।

विनम्र पढाई में बचपन से ही होशियार रहे है। उन्होंने अपने स्कूल वक्त में भी अच्छे परिणाम दिए है, उन्होंने 12वीं कक्षा में भी 97% हासिल किए थे। विनम्र ने अपनी सफलता का श्रेय भगवान, अपने परिवार और बडाला कोचिंग क्लास को दिया है।

क्या सफलता पाना आसान है ? सफलता पाने के लिए खून पसीना एक करना पड़ता है। दिन भर की मेहनत और रात भर जाग-जाग कर पढ़ना, हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है। जो कड़ी मेहनत करता है, निश्चय ही सफलता को उसके पास आना ही पड़ता है। सफलता कोई ऐसी चीज नहीं है, जो एक दिन में हासिल हो जाए।

एक अंग्रेज़ी कहावत है “Practice makes a man perfect”. इसका अर्थ है कि अभ्यास ही मनुष्य को उत्तम बनाता है।  यह कहावत एक दम सही है, की मनुष्य एक दिन में महान नहीं बनता है, उसके पीछे कई सालो की मेहनत, कठिन प्रयास, कड़ी मेहनत, दृढ- निश्चयी, धैर्य और लगन होती है। मनुष्य को पूरी तरह आलस्य त्याग देना पड़ता है।
अगर सफलता के शिखर पर पहुँचना है, तो कड़ी मेहनत करनी ही होगी। विनम्र का नाम आज इसलिए लहरा रहा है, क्योंकी इसके पीछे उनकी कई सालों की मेहनत है। इसी प्रकार हमें भी जीवन में मेहनत करनी ही चाहिए।

Categories
Social

प्रदेश में बालिका शिक्षा के हालात अब भी चिंताजनक क्यों है ?

शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत जरुरी है। शिक्षा की वजह से ही व्यक्ति में आत्मविश्वास आता है व शिक्षा ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण का कार्य भी करती है। और अगर बात करें स्कूली शिक्षा की तो यह हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यही तो हमारे जीवन की बुनियाद है। सभी माँ-बाप अपने बच्चों को सफल होते हुए देखना चाहते है, जो सिर्फ और सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। शिक्षा अपने स्तर पर विशेष महत्व रखती है। शिक्षा कठिन समय में चुनौतियों से सामना करना सिखाती है और जीवन में बहुत सारी सम्भावनाओं को खोजने में मदद करती है। यह समाज में सभी व्यक्ति के लिए समानता की भावना लाती है। शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं।

शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले। पहले के समय में लड़कियों की शिक्षा को कभी भी आवश्यक नहीं माना गया था लेकिन समय गुज़रने के साथ लोगों ने लड़कियों की शिक्षा का महत्व महसूस किया है। अब महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो लड़कियों की शिक्षा का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि लड़की का काम घर तक सीमित है और उन्हें लगता है कि लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करना पैसा व्यर्थ करना है। यह विचार गलत है क्योंकि लड़कियों की शिक्षा समाज में बदलाव ला सकती है।

भारत सरकार द्वारा देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा और देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए बेटियों के लिए कई सरकारी योजना शुरू की है। बेटियों को पढ़ाने के लिए सरकार इतने कदम उठा रही है, कितने जागरूकता अभियान चला रही है, कितने योजनाएँ चला रही है, सरकारी स्कूलों की फीस नहीं भरनी है, RTE जैसी सुविधा उपलब्ध करवा रही है। उसके बावजूद भी बेटी शिक्षा के यह हालात क्यों है? हमारे शहर उदयपुर में भी ऐसे हालात क्यों है ? क्यों बेटियों की शिक्षा अधिकार को लेकर अब भी हर परिवार जागरूक नहीं है ?

प्रदेश में शिक्षा का नया सत्र शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस साल भी बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के लिए सरकार कई सारे अभियान चलाएगी। सरकार इसके लिए कई सारे विशेष कार्यक्रम भी तैयार करेगी। लेकिन हाल ही में जारी हुई नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-2021) की रिपॉर्ट के अनुसार प्रदेश में बालिका की शिक्षा बेहद ही चिंताजनक है। उदयपुर शहर का बालिका की शिक्षा में प्रदेश में 15वां नंबर है। प्रदेश में 6 साल या उस से अधिक आयु की सिर्फ 63.5 लडकियां ही स्कूल से जुड़ पाई है यानी 36.5 फीसदी ऐसी बालिकाएँ है, जिन्होंने अब तक स्कूल देखे ही नहीं है। अचरज इस बात का है की गाँव की 41% लडकियां स्कूल नहीं जा रही पर यह क्या शहरी क्षेत्र की भी 23% लडकियां स्कूल से अब तक जुड़ नहीं पाई हैं। और अगर बात करें देश की तो 71.8% फीसदी बालिकाएं ही स्कूल जा रही है।

बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार हर साल करोड़ों के पुरूस्कार देती है-
1. गार्गी पुरूस्कार -2428.25 लाख रुपए
2. बालिका प्रोत्साहन – 3745.95 लाख रुपए
3. आपकी बेटी योजना – 437.61 लाख रुपए
4. इंदिरा प्रियदर्शिनी अवार्ड – 2395.41 लाख रुपए
5. विदेश में स्नातक की शिक्षा सुविधा – 50 लाख रुपए
6. मुख्यमंत्री हमारी बेटियां योजना – 340.23 लाख रुपए
7. आर्थिक पिछड़ा वर्ग की बेटियों की स्कूटी – 350 लाख रुपए
8. शारीरिक अक्षमता युक्त बालिकाओं के लिए आर्थिक सबलता पुरूस्कार – 74.30 लाख रुपए
9. मूक बाधिर व दृष्टिहीन बालिकाओं की लिए आर्थिक सबलता पुरूस्कार – 6.39 लाख रुपए

बालिका शिक्षा में आया सुधार –
रिपोर्ट्स के अनुसार अगर देखा जाए तो बालिका शिक्षा में राजस्थान की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। पिछले साल के मुताबिक़ अगर देखा जाए तो 6 फीसदी बालिकाएं ज्यादा स्कूल जा रही है। प्रदेश में 2015- 2016 में 57.2 फीसदी बालिकाएं स्कूल जा रही थी तो अब 63.5 बालिकाएं स्कूल जा रही है।

किसी भी देश के सुधार के लिए शिक्षा का योगदान काफी महत्वपूर्ण है चाहें वो लड़का हो या लड़की। शिक्षा सबके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बिना शिक्षा के किसी का भी विकास सम्भव नही है। लड़कियों की शिक्षा हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए, क्योंकि समाज में आज भी कही कुछ वर्ग ऐसे है, जो इसे महत्वपूर्ण नहीं समझते है। इसके लिए सरकार भी कई अलग-अलग तरह के कार्यक्रम चला रही है ताकि बालिका शिक्षा स्तर को सुधारा जा सके। लड़कियों को अगर बेहतर शिक्षा दी जाती है तो लड़कियां भी देश के विकास मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगी। किसी भी देश के विकास मे लड़का और लड़की को शिक्षा के अवसर समान रूप से मिलना चाहिए। आज के आर्थिक संकट में शिक्षा लड़कियों के लिए एक वरदान साबित हो रही हैं।

Categories
Social

उदयपुर – अहमदाबाद के 32 किमी ट्रैक पर 24 तरह की कमियां

उदयपुर  -अहमदाबाद आमान परिवर्तन कार्य के दौरान सीआरएस निरिक्षण की रिपोर्ट में निकली कई सारी कमियां । खारवाचंदा से जयसमंद रोड के बीच 32 किलोमीटर ट्रैक पर कुल 24 तरह की कमियां पाई गई है। दो दिन के इस सीआरएस निरिक्षण की रिपोर्ट में कई सारी जगहों में भारी चूक होने जैसे स्थितियां पाई गई है। ट्रैक पर मिली इतनी कमियों को जल्द सुधार पाना मुश्किल है। ऐसे में कमियां सुधारे जाने पर इसकी रिपोर्ट चीफ रेलवे सुरक्षा कमिश्नर को भेजनी होगी। इसके बाद ही रेलवे बोर्ड की तरफ से नए ट्रैक पर ट्रैन संचालन की अनुमती दी जा सकेगी।

ये कमियां पाई गई-

  •  स्टेशन से स्टेशन और स्टेशन से ट्रैन तक के संचार सही नहीं पाए गए है।.
  • कई सारी जगहों पर मोबाइल नेटवर्क नहीं हैं।
  • लाइन पर 25 पीएसआर शुरू किए गए, लेकिन यहां पीएसआर के बोर्ड ही उपलब्ध नहीं है।
  •  कुछ स्थानों पर सुरक्षा के लिए बाड़ बंदी कराने की जरुरत बताई गई।
  •  जावर स्टेशन पर एफओबी का काम अधूरा है और रास्ता भी उपलब्ध नहीं है।
  •  टनल 2 में भी कमियों पर विशेषज्ञों से संरचनात्मक चीजों की जरुरत बताई।
  • तीन गर्डरों में भिन्नता होने पर जांच क बाद ही सुरक्षा प्रमाणित करने को कहा।
  •  मोड़ पर कई सारी कमियां पाई गई।
  •  ब्रीज पर अलाइनमेंट सही नहीं था। हुक,बोल्ट,क्लिप गायब थे व स्लीपरों में कट था।
  •  पूलों की पिचिंग में 35 किलों के पत्थर के बजाय छोटे पत्थर लगे मिले।
  •  कुछ जगहों पर लटकी हुई चट्टानों को असुरक्षित माना।
  •  कई जगहों पर ट्रैक पर किए गए जोड़ में गलतियां पाई गई।
  •  बरसात से मिट्टी पर कटाव देखा गया।
  •  एमएफपी और एसबीसी में पर्याप्त दुरी नहीं थी।
  •  जावर और पडला स्टेशन में प्लेटफार्म की ऊंचाई भी नियमानुसार नहीं थी।
  •  सभी पूलों पर गार्ड फ्लेयर को पुरे सेक्शन में बदलने की जरुरत।
  •  सुरंगों में बिजली आपूर्ति लोकल फीडर से थी।
  •  सुरंगों में मोबाइल नेटवर्क नहीं था।
  •  आरओबी के दोनों और रास्ते दिखाए गए थे,लेकिन मौके पर नहीं थे।
  •  आरओबी की दीवार 1.5 मीटर के मुकाबले 1.3 मीटर ही मिली।
  •  मल्टीसेल आरसीसी बॉक्स के बजाय छोटे और सिंगल आरसीसी बोक्स दिए गए।
  •  जावर स्टेशन पर एफओबी का काम अधूरा पाया गया। यहां पानी की आपूर्ति भी नहीं थी।
  •  घाट स्थानों पर नींव की गहराई नियमानुसार नहीं थी।
  •  जावर स्टेशन पर एफओबी का काम अधूरा है और रास्ता भी उपलब्ध नहीं है।
Categories
People Social

Birth Centenary of Udaipur’s 1’st Tourist Guide Author- Mr. Murli Narayan Mathur

Also known as the “Venice of the East,” Udaipur city is surrounded by emerald lakes, the Aravalli Mountains and mesmerizing scenic beauty. Besides its natural glory and amazing architecture, Udaipur is also home to several very important people who have made huge contributions to their respective arenas, be it science, athletics, politics, or the arts! These influential people have made our city proud. The struggles they faced, their morale, and how they built a stellar reputation are just a few of the numerous qualities that anyone may learn from.

The series “People from Udaipur you should know about” frequently praises the accomplishments of these illustrious natives of Udaipur who have achieved the pinnacle of success in their respective fields. One such legendary person was Mr. Murli Narayan Mathur, and in this article, we shall be talking about him and the contribution he made towards society in memory of his 100’th birthday.

People From UDaipur You Should Know About- Murli N Mathur

Early Life

Mr. Murli Narayan Mathur was born on July 10, 1922, in Ajmer city of Rajasthan to Shri. Shobha Narayan Mathur and Smt. Mima Bai Mathur. He completed his school and college education in Ajmer and Jodhpur, respectively. He was a highly qualified person with an M.A in Economics and History. Thereafter, he studied L.L.B to become a lawyer.

He started his career in Udaipur as a teacher in 1945. He then joined Maharana Bhupal Electric Supply Company (Power House) in 1946 and excelled in several roles during his tenure till his retirement. He was a firm believer in the ideals of Mahatma Gandhi and wore only Khadi Clothes and based his life on the goal of “Simple Living and High Thinking.”

He was active and working till his last day and passed away on November 22, 1997, at his residence in Panchwati, Udaipur.

Notable Contributions

  • He was the author of the first Tourist Guide Book of Udaipur.
  • He was a reputed historian and had written multiple books on the history of Mewar.
  • He had written 2 books on Maharana Pratap namely ‘Maharana Pratap and his Times’ and ‘Battle of Haldi Ghati’.
  • He was the Chairman of Maharana Pratap Smarak Vikas Samiti for a number of years.
  • He was the Nagar Palika Parshad for two terms: 1951-54 and 1964-67.
  • He was associated with Maharana Kumbha Sangeet Parishad for 35 years and served as the Vice-Chairman until his last day.
  • He was a member of the Rajasthan Sangeet Natak Academy from 1981 to 1984 and served as its Vice-Chairman from 1984 to 1987.
  • He was also a member of the Executive Committee of Sangeet Natya Niketan.
  • He was the founding member and Chairman of the Senior Citizens Committee.

Fellowship With Social And Cultural Organizations

  1. Vice President- Maharana Pratap Smarak Samiti
  2. Vice President- Maharana Kumbha Sangeet Parishad
  3. Vice president- Rajasthan Sangeet academy
  4. Vice president- Bhartiya Lok Kala Mandal
  5. Executive member-  Sangeet Natya Niketan
  6. President- Panchvati Samiti
  7. Patron- Chitragupta Sabha
  8. Member- INTACH, Mahaveer International
  9. Founder member of the Senior Citizens Council

Awards and Recognition

1.) To honour his contributions to the city, Nagar Nigam Udaipur decided to name a prominent street after his name i.e. the Murli Narayan Mathur Marg. This route is located at RK mall and connects Panchwati with Fatehpura Road.

2.) The Maharana Sangeet Parishad has named an award after his name i.e. the “Murli Narayan Mathur award” that is given to the best artists in the annual “Kumbha Sangeet Samaroh.” The recipients of this award include legendary artists like Pt. Jasraj, Shovna Narayan, Shubha Mudgal, and Grammy Award winners Pt. Vishwa Mohan Bhatt, Ustaad Rashid Khan, and Ustaad Shujaat.

People like Mr Murli Narayan Mathur are real inspirations to the young generation. His passion and devotion towards art, history, and culture are commendable and a true inspiration to everyone around.

Categories
Social

जानिए PM मोदी ने क्यों सराहा उदयपुर की इस बावड़ी को ?

पीएम नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ (MannKiBaat) से चर्चा में आई उदयपुर शहर की ऐतिहासिक धरोहर, “सुरतान बावड़ी”  जो 305 साल पुरानी है। रविवार को पीएम ने इस धरोहर को बचाने वाले युवाओं की इस पहल को सराहा है। पीएम ने उदयपुर के युवाओं के प्रयासों को सराहते हुये ट्वीट करके यह कहा की आज दुनियाभर में इस बदलाव की चर्चा हो रही है। 

 दरअसल उदयपुर शहर के बेदला गांव में बरसों पुरानी एक बावड़ी है, जिसका निर्माण बरसों पहले बेदला गांव के “राव सुल्तान सिंह” ने 1717 में  करवाया था। जिसके बाद इसे “सुल्तान बावड़ी व सुरतान बावड़ी” के नाम से जाना जाने लगा। पुराने समय में इस बावड़ी का पानी लोगो के घर सप्लाई होता था, तब तक इस बावड़ी की दशा सही थी। परन्तु धीरे-धीरे इस बावड़ी में लोगो ने कचरा फेंकना शुरू कर दिया जिससे ये बावड़ी वीरान हो गई और इस ऐतिहासिक बावड़ी की दुर्दशा ख़राब हो गई जिसे कोई देखता भी नहीं है। बावड़ी में जगह -जगह पेड़ पौधे उगे हुए हुए थे, पत्थर टूट रहे थे, जूते, प्लास्टिक, बैग,जैसे कूड़ा कचरा भरा था और बावड़ी का पानी भी पूरी तरह पीला पड़ चूका था। 

बरसों पुरानी पड़ी इस बावड़ी को शहर के कुछ जागरूक युवाओं ने इसकी कायाकल्प को पूरी तरह बदल दिया है। आर्किटेक्ट सुनील लढा करीब 9 माह पहले यहां घूमने आए और उनकी नजर इस बावड़ी पर पड़ी। सुनील लढा और अमित गौरव की टीम ने इस टूटी पड़ी बेजान वीरान बावड़ी को विलुप्त होने से बचाया है। आर्किटेक्ट होने के नाते सुनील लढा ने इस बावडी को एक आर्किटेक्ट के नजरिये से ही देखा और इसके पीछे की खूबसूरती को जान लिया और इसका कायाकल्प करने की ठान ली। इसके बाद सुनील ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए इसे आम जनता में फैलाया और साफ़ सफाई में सहभागिता निभाने की अपील की। उनकी ये अपील रंग लाई और लोगो ने इस काम में उनकी मदद भी की। लोगो की सहभागिता की वजह से ये बावड़ी साफ़ हो गई और उसी दशा में आ गई जो आज से बरसों पहले थी।  

सुल्तान से सुरताल तक 

सुल्तान बावड़ी की सफाई के इस मिशन का नाम ‘सुल्तान से सुरताल तक’ दिया है। युवाओं के कड़े परिश्रम और मेहनत के साथ न सिर्फ बावड़ियों की कायाकल्प हुई बल्कि इसे, संगीत के सुर और ताल से भी जोड़ दिया गया है। ASAP अकादमिक फाउंडेशन के जनसमूह से जुड़े सुनील लढा ने ये भी बताया की बावड़ी की इस सफाई से पहले कागज़ पर इसका चित्र बनाया। फिर टीम के साथ इसकी जीर्णोद्धार की रूपरेखा तय की। श्रमदान करके इसे साफ़ तो कर लिया गया लेकिन उसके बाद युवाओं को जोड़ने के लिए यहाँ कभी म्यूजिक तो कभी पेंटिंग्स के इवेंट करने लगे। जल स्त्रोतों के प्रति, धर्म से जुड़ाव और बावड़ी को पवित्र रखने के लिए हरिद्वार से गंगा जल मंगवा कर ग्रामीणों के हाथ से ही इसमें प्रवाहित कराया गया। युवाओं को सुर और तान समेत अन्य एक्टिविटी से भी जोड़ा गया।

जागरूक लोगों का मकसद इसे जीवित करना था

ऐसे में आज उसकी स्थिति पहले की तुलना में काफी बेहतर नजर आती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सफल प्रयास की सबसे खास बात यह है कि इसकी चर्चा हर तरफ है, इसे विदेश से भी लोग देखने के लिए आने लगे हैं। मोदी जी ने ये भी कहा की आधुनिकता के इस दौर में हम धरोहरों और विरासतों को नहीं सहज पा रहे है। विलुप्त होती बावड़ियां इसका उदहारण है। देश में शायद ही ऐसा कोई गाँव या शहर होगा, जहां बावड़ियां न हो। आज इनकी स्थिति बदतर है। सरकारों को भी इन्हें सहेजने के प्रयासों में सफलता नहीं मिली। पीएम ने ये भी कहा की उदयपुर में बात सिर्फ सुरतान बावड़ी को साफ़ करने तक सिमित नहीं थी, जागरूक लोगों का मकसद इसे जीवित करना था।   

सुरतान बावड़ी पर तो एक शख्स की निगाह पड़ी जिस वजह से उसे उसकी वास्तविक हालत में लाया गया। पर न जाने शहर में ऐसी कितनी सारी ऐतिहासिक धरोहरे है, जिनकी दुर्दशा हो रही है जो जीर्ण-शीर्ण हालत में पड़ी है। जिस पर न तो आज दिन तक किसी की नज़र पड़ी और न ही इसके बारे में किसी को कुछ पता है और अगर नजर भी गई है तो किसी ने भी उस पर एक्शन नहीं लिया। उन युवाओं की तरह हम सब को भी हमारी ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ शहर को स्वच्छ रखने लिए जागरूक होना ही होगा। उनके एक कदम ने आज उदयपुर का नाम पूरे भारत में रोशन किया है, तो शहर का एक-एक व्यक्ति अगर जागरूक होगा और ऐसे कदम उठाएगा तो हमारा शहर उदयपुर में स्वच्छता के मामले में नंबर वन बन सकता है। अगर जरुरत है तो हर इंसान को जागरूक होने की, आज तो सुरतान बावड़ी सामने आई है पता नहीं अब न जाने और भी कितनी सारी ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है, जो सामने आ जाए।