अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। महिलाओं को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित भी किया जा रहा है। इस वर्ष 2023 की थीम “DigitAll- Innovation and Technology for Gender Equality” है। डिजिटल माध्यम से महिलाओं के लिए कार्य करने के कई क्षेत्र खुल गए जो किसी कारणवश घर से बाहर निकलने मैं कठिनाई महसूस करती हैं।
विभिन्न शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि बुद्धि तथा अन्य विशिष्ट क्षमता के आधार पर पुरुष व महिलाओं में कोई अंतर नहीं होता है। फिर सवाल उठता है कि भारत में ही नहीं पूरे विश्व में महिलाओं को असमानता के व्यवहार का सामना क्यों करना पड़ता है। इंफोसिस की चेयर पर्सन सुधा मूर्ति की घटना का वर्णन करना यहां प्रासंगिक होगा। उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात एक दिन टेल्को का एक विज्ञापन देखा जिसमें इंजीनियर की आवश्यकता थी किंतु केवल पुरुष उम्मीदवार ही अप्लाई कर सकते थे।
सुधा मूर्ति को इस विज्ञापन ने बहुत बेचैन कर दिया और उन्होंने निश्चय किया कि वे जमशेदजी टाटा से इस बारे में बात करेंगी। उन्होंने जमशेदजी जी टाटा को एक पोस्टकार्ड लिखा कि आपके विज्ञापन से मुझे आपत्ति है। आप की चयन प्रक्रिया योग्यता व कौशल के आधार पर होनी चाहिए, न कि जेन्डर के आधार पर। आप जैसे महान व्यक्ति ही यदि देश की आधी आबादी को मौका नहीं देंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा।
पत्र जमशेदजी तक पहुंचा, सुधा मूर्ति को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और चयन भी हुआ। सुधा मूर्ति ने टेल्को की नौकरी स्वीकार की जबकि उनके पास यूएसए की स्कॉलरशिप हाथ में थी। आज सुधा मूर्ति महिला उत्थान के लिए पर्याप्त सक्रिय भूमिका निभा रही है।
महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण पर बात की जाती है ,महिला तो शक्तिमान है तभी बहुरूपी भूमिकाएं एक साथ निभा लेती हैं। आवश्यकता उसकी इस शक्ति को पहचान व सम्मान दिलाने की है, इतनी भूमिकाएं एक साथ निभाते हुए कई बार तनावग्रस्त भी हो जाती है।
हर महिला को अपने तनाव का प्रबंधन स्वयं ही करना होता है ।कुछ समय स्वयं (मी- टाइम) के लिए अवश्य निकालना चाहिए जिसमें मन को सुकून देने वाली गतिविधियों से स्वयं को तनाव मुक्त कर सके, अपनी पीड़ा, संघर्ष तथा दबी भावनाओं को मित्रों व परिवारजनों के साथ साझा कर सके वरना दमित इच्छाएं व्यक्तित्व पर कुप्रभाव डालती हैं। कुछ समय प्रकृति के साथ बिताने से भी तनाव कम होता है। पालतू पशु तनाव कम करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं ।किसी की मदद करने या उपहार देने से भी मन को सुकून मिलता है और तनाव में कमी आती है। इसके अतिरिक्त खेल, संगीत, नृत्य, चित्रकारी, लेखन आदि हॉबी तनाव को कम करने के अच्छे माध्यम हैं।
इस प्रकार महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो बाधाएं भी आएंगी, तनाव भी आएंगे एवं उपयुक्त तनाव प्रबंधन की मदद से साहस ,हिम्मत, उल्लास से आगे बढ़ती चली जाएगी। हर महिला को अपनी राह में आने वाली अन्य महिलाओं व मित्रों को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है ।इसी तरह श्रृंखला को बढ़ाते चले जाना है तभी समाज में लैंगिक समानता की तस्वीर स्पष्ट दिखाई देने लगेगी। वैसे तो आज हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है पर इनकी प्रतिशतता की दृष्टि से यह संख्या अभी भी बहुत अल्प है।
डॉ सुषमा तलेसरा, मनोवैज्ञानिक
सेवानिवृत्त प्राचार्य, विद्या भवन गोविंदराम सेक्सरिया शिक्षक महाविद्यालय, उदयपुर।