Udaipur has a lot of places to visit. The beautiful city has numerous gardens, centers, lakes, and so much more. One of the additions in Udaipur’s beauty is the Pratap Gaurav Kendra which is famous for its larger than life statue of Maharana Pratap. It has many attractions apart from the massive statue of Maharana Pratap.
Pratap Gaurav Kendra Rashtriya Tirth
Developed by the Veer Shiromani Maharana Pratap Samiti, Pratap Gaurav Kendra Rashtriya Tirth is located at Manoharpura, Badgaon in Udaipur. This place is dedicated to the king of Mewar Maharana Pratap and is an ideal place to know about him and the ancient heritage of Mewar. Aiming at the belief that Maharana Pratap must be the youth icon, the project was envisioned by Sangh Pracharak Sri Sohansingh Ji. The park is built on an area of more than 10 acres and is beautifully adorned with sculptures, galleries, and structures.
There are a number of attractions at Pratap Gaurav Kendra:
57 feet high metal statue of Maharana Pratap
12-feet metal statue of Bharat Mata
The presentation of the history of Mewar with moving figures, sound, and light
Galleries with statues and pictures
The Bhakti Dham nine temples
Water pond
Statue of Swami bhakt Chetak
Statue of Meera Bai
Timings | Pratap Gaurav Kendra Udaipur
The timings of Pratap Gaurav Kendra is from 9:30 am to 6:30 pm
How to reach | Pratap Gaurav Kendra Udaipur
It is situated at a distance of 25 km from Maharana Pratap Airport Udaipur; at a distance 9.30 km from Udaipur’s Railway Station and at a distance of 8.30km from Udaipur’s Bus Station. One can take a cab to reach Pratap Gaurav Kendra and enjoy a full day at the place.
Tickets | Pratap Gaurav Kendra Udaipur
National Tourists
Adults (12+ years): Rs. 150
Children (5-12 years): Rs. 75
Children below 4 years: FREE
For School visit
Nursery to 12th class (Minimum 50 student): Rs. 50 only including staff.
For college visit
Minimum 50 Student: Rs. 75 including staff.
Foreign tourists
Adults (12+ years): Rs. 500
Children (5-12 years): Rs. 250
Children below 4 years: FREE
English Audio guide: Rs. 100
You can contact them at the below-given number:
Mobile: +91- 09602054510
Visit the website for more information: http://www.pratapgauravkendra.org/
मेवाड़ की पावन धरती ने कई महान एवं वीर, पराक्रमी योद्धाओं को जन्म दिया है। गोरा एवं बादल उन्ही वीर योद्धाओं में से एक है ,ये धरती हमेशा उनकी कृतज्ञ रहेगी! तो आइए जानते हैं उन दो महान योद्धाओं के बारे में जिनके लिए यह कहा जाता है कि “जिनकाशीशकटजाएफिरभीधड़दुश्मनोंसेलड़तारहेवोराजपूत“ ।
गोरा-बादल
गोरा तत्कालीन चित्तौड़ के सेनापति थे एवं बादल उनके भतीजे थे। दोनो अत्यंत ही वीर एवं पराक्रमी योद्धा थे, उनके साहस, बल एवं पुरुषार्थ से सारे शत्रु डरते थे। गोरा एवं बादल इतिहास के उन गिने चुने लड़ाकों में से एक थे जिनके पास बाहुबल के साथ साथ तीव्र बुद्धि भी थी।
इनकी बुद्धि एवं वीरता ने उस असंभव कार्य को संभव कर दिखाया जिसे कोई और शायद ही कर पाता ।
ये ऐसे योद्धा थे जो दिल्ली जाकर खिलजी की कैद से राणा रतन सिंह को छुड़ा लाये थे । इस युद्ध में जब गोरा ने खिलजी के सेनापति को मारा था तब तक उनका खुद का शीश पहले ही कट चुका था, केवल धड़ शेष रहा था । यह सब कैसे संभव हुआ इसका वर्णन मैं मेवाड़ के राजकविश्रीश्रीनरेन्द्रमिश्रकी अत्यंत खूबसूरत कविता के छोटे से अंश से करता हूँ ।
बात उस समय की है जब खिलजी ने धोके से राणा रतन सिंह को कैद कर लिया था, जब राणा जी दिल्ली में खिलजी की कैद में थे तब रानी पद्मिनी गोरा के पास गयीं; गोरा सिंह रानी पद्मिनी को वचन देते हुए कहते है कि –
जबतकगोराकेकंधेपरदुर्जयशीशरहेगा।
महाकालसेभीराणाकामस्तकनहीकटेगा।।
तुमनिशिन्तरहोमहलोमेंदेखोसमरभवानी।
औरखिलजीदेखेगाकेसरियातलवारोकापानी।।
राणाकेसकुशलआनेतकगोरानहीमरेगा।
एकपहरतकसरतटनेपरभीधड़युद्धकरेगा।।
एकलिंगकीशपथमहाराणावापसआएंगे।
महाप्रलयकेघोरप्रभंजकभीनारोकपाएंगे।।
यह शपथ लेकर महावीर गोरा, राणा जी को वापस चित्तौड़ लेन की योजना बनाने लगे ।
योजना के बन जाने पर वीर गोरा ने आदेश दिया कि –
गोराकाआदेशहुआसजगयेसातसौडोले।
औरबांकुरेबादलसेगोरासेनापतिबोले।।
खबरभेजदोखिलजीपरपद्मिनीस्वंयआतीहै।
अन्यसातसौसतियाभीवोसंगलिएआतीहै।।
जब यह खबर खिलजी तक पहुँची तो वो खुशी के मारे नाचने लगा ,उसको लगा कि वो जीत गया है। लेकिन ऐसा नहीं था ,पालकियों में तो सशस्त्र सैनिक बैठे थे । एवं पालकी ढ़ोने वाले भी कुशल सैनिक थे ।।
औरसातसौसैनिकजोकियमसेभीभीड़सकतेथे।
हरसैनिकसेनापतिथालाखोसेलड़सकतेथे।।
एक–एककरबैठगए, सजगईडोलियांपलमें।
मरमिटनेकीहौड़लगीथीमेवाड़ीदलमें।।
हरडोलीमेंएकवीर , चारउठानेवाले।
पांचोहीशंकरकीतरहसमरभतवाले।।
सैनिकों से भरी पालकियां दिल्ली पहुँच गई ।
जापहुंचीडोलियांएकदिनखिलजीकीसरहदमें।
उसपरदूतभीजापहुँचाखिलजीकेरंगमहलमें।।
बोलाशहंशाहपद्मिनीमल्लिकाबननेआयीहै।
रानीअपनेसाथहुस्नकीकालियाभीलायीहै।।
एकमगरफरियादफ़क़्तउसकीपूरीकरवादो।
राणारतनसिंहसेकेवलएकबारमिलवादो।।
दूत की यह बात सुनकर मुगल उछल पड़ा , उसने तुरंत ही राणा जी से पद्मिनी को मिलवाने का हुक्म दे दिया । जब ये बात गोरा के दूत ने बाहर आकर बताई तब गोरा ने बादल से कहा कि –
बोलेबेटावक़्तआगयाहैकटमरनेका।
मातृभूमिमेवाड़धाराकादूधसफलकरनेका।।
यहलोहारपद्मिनीवेशमेंबंदीगृहजाएगा।
केवलदसडोलियांलिएगोरापीछेढायेगा।।
यह बंधन काटेगा हम राणा को मुक्त करेंगे।
घुड़सवार कुछ उधर आड़ में ही तैयार रहेंगे।।
जैसे ही राणा आएं वो सब आंधी बन जाएँ।
और उन्हें चित्तोड़ दुर्ग पर वो सकुशल पहुंचाएं।।
गोरा की बुद्धि का यह उत्कृष्ट उदाहरण था । दिल्ली में जहाँ खिलजी की पूरी सेना खड़ी है, वहाँ ये चंद मेवाड़ी सिपाही अपनी योजना, बुद्धि एवं साहस से राणा को छुड़ाने में कामयाब हो जाते हैं। राणा के वहाँ से प्रस्थान करने से पूर्व वीर गोरा, अपने भतीजे बादल से कहते है कि –
राणा जाएं जिधर शत्रु को उधर न बढ़ने देना।
और एक यवन को भी उस पथ पावँ ना धरने देना।।
मेरे लाल लाडले बादल आन न जाने पाए।
तिल तिल कट मरना मेवाड़ी मान न जाने पाए।।
यह सुनकर बादल बोले कि –
ऐसा ही होगा काका राजपूती अमर रहेगी।
बादल की मिट्टी में भी गौरव की गंध रहेगी।।
बादल के ये वचन सुनकर गोरा ने उसे अपने हृदय से लगा लिया!!! लेकिन इस पूरी योजना का क्रियान्वय किस प्रकार हुआ इसका वर्णन महा कवि श्री श्री नरेंद्र मिश्र कि निम्न पंक्तिया करती है –
गोरा की चातुरी चली राणा के बंधन काटे।
छांट छांट कर शाही पहरेदारो के सर काटे।।
लिपट गए गोरा से राणा गलती पर पछताए।
सेनापति की नमक हलाली देख नयन भर आये।।
राणा ने पूर्व में जिस सेनापति का तिरस्कार किया था , संकट की घड़ी में आखिर वो ही काम आया ।यह देख कर राणा के नैन भर आए ।। लेकिन अब तक खिलजी के सेनापति को लग गया था कि कुछ गड़बड़ है ।
जब उसने लिया समझ पद्मिनी नहीँ आयी है।
मेवाड़ी सेना खिलजी की मौत साथ लायी है।।
तो उसने पहले से तैयार सैनिक दल को बुलाया और रण छेड़ दिया ।
दृष्टि फिरि गोरा की मानी राणा को समझाया।
रण मतवाले को रोका जबरन चित्तोड़ पठाया।।
उस समय राणा को सुरक्षित अपने देश पहुचना तथा शत्रु देश से निकलना अधिक महत्वपूर्ण था, राणा ने परिस्थिति को समझा और मेवाड़ की ओर प्रस्थान किया ।।
खिलजी ललकारा दुश्मन को भाग न जाने देना।
रत्न सिंह का शीश काट कर ही वीरों दम लेना।।
टूट पड़ों मेवाड़ी शेरों बादल सिंह ललकारा।
हर हर महादेव का गरजा नभ भेदी जयकारा।।
निकल डोलियों से मेवाड़ी बिजली लगी चमकने।
काली का खप्पर भरने तलवारें लगी खटकने।।
राणा के पथ पर शाही सेनापति तनिक बढ़ा था।
पर उस पर तो गोरा हिमगिरि सा अड़ा खड़ा था।।
कहा ज़फर से एक कदम भी आगे बढ़ न सकोगे।
यदि आदेश न माना तो कुत्ते की मौत मरोगे।।
रत्न सिंह तो दूर न उनकी छाया तुम्हें मिलेगी।
दिल्ली की भीषण सेना की होली अभी जलेगी।।
यह कह के महाकाल बन गोरा रण में हुंकारा।
लगा काटने शीश बही समर में रक्त की धारा।।
खिलजी की असंख्य सेना से गोरा घिरे हुए थे।
लेकिन मानो वे रण में मृत्युंजय बने हुए थे।।
बादल की वीरता की हद यहा तक थी कि इसी लड़ाई में उनका पेट फट चुका था । अंतड़िया बाहर आ गई थी तो भी उन्होंने लड़ना बंद नही किया , अपनी पगड़ी पेट पर बांधकर लड़ाई लड़ी ।
रण में दोनों काका-भतीजे और वीर मेवाड़ी सैनिकों के इस रौद्र प्रदर्शन का वर्णन कवि नरेन्द्र मिश्र इस प्रकार करते है-
पुण्य प्रकाशित होता है जैसे अग्रित पापों से।
फूल खिला रहता असंख्य काटों के संतापों से।।
वो मेवाड़ी शेर अकेला लाखों से लड़ता था।
बढ़ा जिस तरफ वीर उधर ही विजय मंत्र पढता था।।
इस भीषण रण से दहली थी दिल्ली की दीवारें।
गोरा से टकरा कर टूटी खिलजी की तलवारें।।
मगर क़यामत देख अंत में छल से काम लिया था।
गोरा की जंघा पर अरि ने छिप कर वार किया था।।
वहीँ गिरे वीर वर गोरा जफ़र सामने आया।
शीश उतार दिया, धोखा देकर मन में हर्षाया।।
शीश कटने के बाद भी उन्होंने एक ही वार में मुग़ल सेनापति को मार गिराया था । इस अद्भुत दृश्य का वर्णन निम्न पंक्तियों में है ।।
Being called as one of the most beautiful and exotic tourist destinations in Rajasthan, Udaipur is truly blessed with the presence of mesmerizing lakes, larger than life hotels, temperate weather, and its romantic vibes. Not to forget, it is home to some of the most instagrammable pictures which act as a source of major attraction for travelers and backpackers.
Although there are a plenty of picturesque places in Udaipur, according to me, I have selected some of the best and handpicked locations for awe-striking and Instagrammable Pictures.
The top choice and a must visit place in Udaipur, City Palace is surrounded by beautiful balconies, tall pillars and Cupolas towering over the lake. A combination of vibrant blue sky and Golden city Palace gives a perfect click for Instagram.
Lake Badi hill has become a major tourist attraction recently because of its stunning view and the best time to visit is in evening to click the perfect sunset.
Old city market consists of amazing handicrafts, artistic paintings, beautiful jewelry and colorful textiles that gives a true essence of the city. This is a can’t miss photo opportunity place when you are visiting the City of Lakes.
The charm of Udaipur is incomplete without a visit to Fateh Sagar Lake. It is a photographer’s paradise and generally, the best shots get captured in the night. You will find at least one picture of Fateh Sagar Lake in every Udaipurites Instagram account.
Surrounded by a detailed view of City Palace on one side and Lake Palace on another, Ambrai Ghat is undoubtedly the most photogenic place in Udaipur. The best pictures get shot in the daytime as well as night.
The famous footbridge of Udaipur looks lit in the night and gives you a true feel of a romantic city. Pictures of the footbridge show the beauty of the old city.
A top destination to click pictures, especially if you are a nature lover. Best snaps get captured in the early morning during sunrise. The foggy morning makes u feel trippy and happy at the same time.
Situated on the banks of Lake Pichola, Gangaur Ghat is a delight for all photographers as one can capture the beauty of the old city in a single frame. The Ghat is also home to some of the famous movies that have been shot here like Yeh Jawaani Hai Deewani and Ramleela.
The sprawling garden is a must visit not only for photographers but for every individual who loves flora. The enchanting fountains, lotus pools, and marble pavilions are sufficient to catch the eyeballs of every person. Sahelion ki Bari is an oasis of peace within the city of lakes.
The Monsoon Palace is home to a great variety of Flora, Fauna and gives perfect Ariel clicks of the city of lakes. You need to be present there to witness the ultimate beauty.
This was just a short list of most camera-ready and Instagram worthy places in Udaipur. Trust me, you will capture the best clicks here!
Mount Abu is better known as the ‘Hill Station’ of Rajasthan and is among the only places that have a contrasting topography as compared to other parts of the state. Situated in the Sirohi district of Rajasthan, Mount Abu is a rocky plateau that stretches 22 km by 9 km and boasts of some big lakes, rivers, and evergreen forests. Its highest point at 1,722 m (5,650 ft) above the sea level is Guru Shikhar.
Mount Abu is filled with breathtaking places and age-old temples that are awe-inspiring. Being at a very high altitude, Abu has a lot of scenic spots, sunset points, and other places that offer a wondrous view of the Aravalli ranges.
It’s really tough to sit idly here as there are plenty of places to go to. Here’s a list of some of the major ‘must visit’ places while you are at Mount Abu. Plan an interesting itinerary in advance and get ready to be thrilled!
1. Guru Shikhar
Guru Shikhar forms the highest peak of Abu and stands almost 5,650 ft above the sea level. Guru Shikhar is situated approximately 15 km from Mount Abu and offers a scintillating view of the Aravalli ranges. There’s also a cave at the pinnacle that houses a temple dedicated to Guru Dattatreya, an incarnation of Lord Vishnu. There is no entry fee as well.
2. Dilwara Jain Temples
Built between the 11th and 13th centuries, Dilwara Jain temples are situated 2.5 km from Mount Abu. The five marble temples of Dilwara are considered sacred for Jains and have beautiful marble carvings and inlay works. The temples have facilities for bathing before performing Puja and do not have an entry fee.
3. Nakki Lake
It derives its name from the fact that it was dug out by Gods using their nails (Nakh) to protect themselves from a wicked Demon Bashkali. But there are several other stories that exist too. Nakki Lake is a great place for picnics, boat riding, taking a stroll, etc. While there is no fee, boat rides are surely chargeable.
4. Sunset Point
The best point to watch the Sun as it sets behind the majestic Aravalli ranges, for the day s from the highest peak of Rajasthan. Hundreds of people visit this place every day with their near and dear ones to watch the titillating view and click pictures. There is no entry fee whatsoever.
5. Achalgarh Fort and Temple
Built by the Paramara dynasty and later renamed as Achalgarh by Maharana Kumbha, Achalgarh fort is situated 11 km away from Mt. Abu. This fort is of religious and historical significance. The fort was in a bad condition but recent restoration efforts have brought back some glory to it. Just outside is the Achaleshwar Mahadev Temple that has an idol of Lord Shiva and a brass Nandi. The fort is accessible without any entry fee.
6. Trevor’s Tank
Trevor’s Tank is named after the British Engineer, Trevor, who built it. It is situated 5 km away from Abu and one can find man-made tanks that are used to breed crocodiles and a lot of different viewing stations to witness a variety of birds and animals in their natural habitat. Entry to this place is at a nominal cost of Thirty Rupees.
7. Toad Rock
Evidently, it gets its name from the resemblance of its shape with that of a Toad. The Toad Rock overlooks the Nakki Lake and provides a beautiful view of the surrounding landscape. It is a great place for tourists, adventure junkies, and photographers. There is no entry free here.
8. Mount Abu Wildlife Sanctuary
It is located in the Aravalli ranges and was declared as a wildlife sanctuary in 1980. It prides itself with over 250 species of birds and is a favorite place for bird watchers. Green Avadavat is commonly sighted here. The major animals seen here are leopards, sambar, jungle cat, hyena, sloth bear, etc. The wildlife sanctuary has a rich variety of flora too. Jungle safaris are chargeable, otherwise, there is no entry fee as such.
9. Brahma Kumaris Spiritual University
This University is spread across a sprawling campus and helps explore issues of the Hindu culture and more significantly, bigger issues like the relation between the body and soul, afterlife, etc. The Universal Peace Hall, or the Om Shanti Bhawan of the Mount Abu campus ie, Madhuban, is visited by nearly 8000 people daily in search of spiritual peace and inner joy. The entry is free of cost.
10. Mount Abu Bazaars
Any trip to anywhere in the world is incomplete without buying the local items and souvenirs. The markets in Mount Abu are vibrant and colorful and filled with handicrafts, Kashmiri textiles, ayurvedic products, Khadi products and a horde of other items to choose from! You can easily spend half a day here shopping all kinds of stuff.
We hope you have a wonderful and fun-filled stay at Mount Abu.
Tell us how your trip was in the comments below. We would love to hear from you!
देबारी, उदयपुर स्थित राजस्थान की सबसे पहली रेलवे टनल और कभी अपने टाइम पर सबसे लम्बी टनल रही ‘देबारी की गुफ़ा’ में अब जल्द ही ‘टॉय ट्रेन’ चलेगी। इंडियन रेलवेज़ ने उस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है जिसमें इस संभावना पर विचार करने को कहा गया था। साल 2016, में इस प्रोजेक्ट को रेलवे मिनिस्ट्री भेजा गया था। जिसको ToI ने भी कवर किया था। अब जब इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई है तो उदयपुर के लोगो को इंतज़ार है तो बस इस बात का कि इस प्रोजेक्ट पर जल्द से जल्द काम शुरू होवे।
देबारी टनल का इतिहास:
देबारी टनल का ब्रॉडगेज़ परिवर्तन के बाद से पिछले 12 साल में कोई इस्तेमाल नहीं लिया गया। लेकिन अगर हम इन 12 सालों को छोड़ दे तो इस देबारी टनल का इतिहास बड़ा रोचक रहा है। आपको बता दें देबारी टनल करीब 119 बरस पुरानी है। इसे सन् 1889 में बनाया गया था। सन् 1884 में महाराणा सज्जन सिंह ने पहली बार उदयपुर को रेल नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास किया। सन् 1885 तक सभी महत्वपूर्ण सर्वे और कागज़ी करवाई भी कम्पलीट होने को आ गई थी। लेकिन महाराणा के आकस्मिक देहांत की वजह से यह प्रोजेक्ट अनिश्चितकालीन अवधि के लिए रुक गया। हालाँकि इसके 10 साल बाद महाराणा फ़तेह सिंह जी ने इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करवाया और इस तरह उदयपुर पहली बार सन् 1895 में रेल नेटवर्क से जुड़ा लेकिन सिर्फ़ देबारी तक ही। देबारी-चित्तौडगढ़ रेल लाइन 60 मील लम्बी थी और इसी पर थी ऐतेहासिक देबारी टनल। लेकिन रेल लाइन को उदयपुर तक आने में 4 साल लग गए। क्योंकि अगस्त,1895 से लेकर दिसम्बर, 1899 तक, उदयपुर-देबारी के इस 6.5 मील लम्बे ट्रैक को बॉम्बे-बरोड़ा और सेंट्रल लाइन ऑपरेट करते थे। 25 अगस्त, 1899 को इस छोटे से टुकड़े को देबारी-चित्तौडगढ़ रेल लाइन से जोड़ लिया गया और इस तरह उदयपुर ने पहली बार रेल लाइन को देखा।
सन् 2005 के बाद उदयपुर-चित्तौड़गढ़ रेल-लाइन ब्रॉडगेज़ में तब्दील हो गई और देबारी-टनल का उपयोग भी उसी के साथ थम गया। देबारी टनल का इस तरह वीरान पड़े रहना कई लोगो को तकलीफ़ देता रहा है। बीच में कई बार इसको टूरिस्ट अट्रैक्शन बनाने की मांग भी उठती रही थी। इसका इस तरह यूँ वीरान पड़े रहना इसलिए भी अखरता था क्योंकि देबारी टनल उस समय की बनी उन जटिल कलाकृतियों में से थी जिसे तब के कारीगरों ने बिना किसी मशीन की सहायता से, सिर्फ़ हाथ-हथौड़ो की मदद से बनाया था। यह सच में एक अजूबा है।
देबारी टनल और टॉय ट्रेन:
शुक्रवार को जब इस प्रपोजल को एक्सेप्ट किया जा रहा था तब राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, जोनल मैनेजर पुनीत चावला भी मौजूद थे। पुनीत चावला ने कहा है कि यह टॉय ट्रेन UIT या नगर निगम, उदयपुर की देखरेख में चलेगी। इस प्रोजेक्ट का एस्टीमेट बजट 5 करोड़ रूपए का है।
जल्दी ही टॉय ट्रेन के लिए ट्रैक लगा दिया जाएगा साथ ही साथ दोनों तरफ रेलवे स्टेशन भी बनाए जायेंगे। सिग्नल्स भी लगे जाएँगे ताकि बच्चे इन सबको देखकर कुछ सीखें। 🙂
Morning you are getting drenched in sweat because of the heat and afternoon you are dipping yourself in the first rain showers in Udaipur. Rains have arrived early this year and we the people of Udaipur, have gotten another chance to step out of our houses. It’s weekend and who doesn’t want to enjoy!!! So here is a list of Top places to hang out in this summer-monsoon season in Udaipur.
Pipliya Ji
This is one of the most beautiful locations in Udaipur and every Udaipurite is totally aware of the fact that this place becomes heaven when it rains. I am sure, many must have started planning or already left for Pipliya Ji!
Monsoon Palace
Monsoon Palace was once the favorite destination of the royal family during the rainy season. Today as soon as it rains, people flock to the Monsoon palace aka Sajjangarh to view the picturesque city during rains.
Ubeshwar Ji
Located on a great height, and midway to Pipliya Ji, the place is situated between beautifully lush hillocks and becomes way beautiful with rains! The pakode wala near the temple is gonna give you the essence of rains, along with chai!
Keleshwar Ji
A few kilometers ahead of Pipliya ji is the Keleshwar Waterfall; somewhere around 10km from Ubeshwar Ji. The road is exciting if you take a bike ride and becomes ‘wow’ with rains.
Rayta
Known for its snake road, fully surrounded by mountains valleys and small green hills it gives a magnificent view of the city and becomes gorgeous in rains. The place gives a panoramic view of the back side of Udaipur- a must visit during the Monsoon season.
As soon as it rains, two places in Udaipur get flooded. Not with water, but with people! In hundreds, people flock to Ambrai Ghat and Fatehsagar Chowpatty as soon as it rains. And trust me, the sight is worth the traffic jams.
Badi Lake
Not forgetting Lake Badi, the place is already lush and becomes all the more scenic with rains showers. Badi is a popular spot in Udaipur and is ideal for long drives till there in rains.
Where are you going today!!!
Tell us in the comment section below and also tag us on Instagram @udaipurblog with beautiful pictures of our city during rains.
‘लोक कला मंडल’नाम सुनते ही एक बारगी डांस, म्यूजिक और ड्रामा/थिएटर ही दिमाग़ में आता है। लेकिन इन सबके आलावा और भी बहुत कुछ होता है वहां। अगर आप क्रिएटिव फील्ड में जाना चाहते है या सिर्फ खाली समय का सदुपयोग करना चाहते है तो इस बार लोक कला मंडल आप सभी के लिए लाया है ‘पपेट एंड टॉय मेकिंग वर्कशॉप’। कल यानि 6 अप्रैल से शुरू हो रही इस वर्कशॉप में 8 साल से ऊपर कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है। यह वर्कशॉप 6 अप्रैल से शुरू होकर 25 अप्रैल तक चलेगी। इस वर्कशॉप में हम सभी को ट्रेनिंग मोनिका शर्मा देंगी। मोनिका शर्मा, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन एंड टेक्नोलॉजी (NIFT) से है। मोनिका, यहाँ के स्थानीय कलाकारों के साथ मिलकर पेपर, वुड(लकड़ी) और कपड़ों की मदद से टॉयज और पपेट बनाने की वर्कशॉप लेंगी। यह उन सभी के लिए एक सुनहरा अवसर है जो इस फील्ड में जाना चाहते है या फिर अपने खाली समय का अच्छा उपयोग लेना चाहते हो, कुछ क्रिएटिव करना चाहते हो।
पपेट( कठपुतली ) के नाम लेते ही सबसे पहले राजस्थान का ही चित्र उभरकर आता है। राजस्थान में भी उदयपुर ही एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ कठपुतली को लेकर हर शाम शो किए जाते हो। यह हमारी धरोहर है। हमारी कला है। जिसे ज़िन्दा रखना हमारा ही कर्तव्य है। लोक कला मंडल समय-समय पर ऐसी कई वर्कशॉप पहले भी लगाता आया है। इन वर्कशॉप का उद्धेश्य होता है कला को दूसरों तक पहुँचाना ताकि यह ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुँच सके और ज़िन्दा रह सके। हमारी भी एक ज़िम्मेदारी बनती है लोकल आर्ट फॉर्म्स को सीखना। हम बहुत खुश होते है जब बगौर की हवेली पर या लोक कला मंडल में किसी विदेशी को इन आर्ट फॉर्म्स पर तालियाँ बजाते हुए। ये विदेशी बाहर से आकर ऐसी वर्कशॉप का हिस्सा बन जाते है लेकिन कहीं न कहीं हम इन सब से दुरी बनाए हुए बैठे है।
अपने अन्दर के कलाकार को जगाइए और इस बार गर्मी के दिनों को और बेहतर बनाइए।
वर्कशॉप – पपेट एंड टॉयज मेकिंग
ट्रेनर – मोनिका शर्मा( निफ्ट )
जगह – लोक कला मंडल
समय – 6 अप्रैल से 25 अप्रैल हर शाम 5 बजे से 7 बजे तक
उदयपुर अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा हुआ है, इस शहर में महलों, झीलों, ऐतिहासिक इमारतों, के आलावा कई प्राचीन गुफाएं भी है, जिनसे अधिक्तर पर्यटक अपरिचित हैं। प्रकृति ने इन गुफाओ का निर्माण प्राचीन काल में अरावली पर्वत माला के साथ ही किया था। हम उदैपुरिये खुशकिस्मत हैं की हमारे शहर पर प्रकृति ने इतने उपहार बरसाए हैं।
वेसे तो इस शहर मैं अनेक छोटी-बड़ी गुफाएं हैं, लेकिन कुछ विशेष गुफाएं है जो की हम उदयपुर वालो के हृदय के बेहद करीब है, इनमें से अधिक्तर गुफाओ में पुराने समय में ही कुछ खास मंदिरों की स्थापना की गई है, आईये जानते है इनके बारे में –
गुप्तेश्वर महादेव गुफा
यह उदयपुर की सबसे प्राचीन एवं प्रमूख गुफा है, आध्यात्म की दृष्टि से भी इसका प्रमूख स्थान है, इसे “उदयपुर का अमरनाथ” भी कहा जाता है। यह प्राचीन गुफा उदयपुर के बिलिया गाँव में ओड़ा पर्वत के शिखर पर स्थित है, जो की तितरडी के पास है| यहाँ भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, उपर पहाड़ पर यह मंदिर बड़े ही विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है, इस गुफा की एक खासियत यह भी हें की इस तक चढ़ाई का रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा हैं जो की आगन्तुको को अति आनंदित करता है!
यह एक गहरी गुफा है जिसके दुसरे छोर पर शिवलिंग हें, इस गुफा में प्रवेश करते समय हमें हजारों चमकादड़े गुफा की दीवारों पर उल्टी लटकती हुई दिख जाती हैं, साथ ही पत्थर के प्राकृतिक सर्प भी दीवारों पर दिख जाते हैं। इस मंदिर से अक्सर अखंड मंत्रोचार की आवाज़े आती रहती हैं कुछ विशेष अवसरों पर पूरा पहाड़ सुन्दरकाण्ड, भजनों व मंत्रो से गुंजायमान रहता हैं। हर माह यहाँ 48 घंटो का अनवरत जाप होता है।
इस गुफा का भ्रमण करने से एक विशिष्ट आध्यात्मिक आनंद का अनुभव होता है तथा यहाँ के सम्पूर्ण मंदिर परिसर में छाई शांति हमें खुद में एक उर्जा का अनुभव करवाती हैं। इस गुफा के अंदर एक और छोटी गुफा है जो की एक रहस्यमयी गुफा है, यह दूसरी गुफा इतनी बड़ी और लम्बी है की इसके दुसरे छोर पर आज तक कोई नहीं पहुच सका हैं, बड़े बुजुर्ग कहते हें की यह दूसरी गुफा काशी तक जाती हैं।
इस मंदिर का एक आश्चर्यजनक प्रभाव यह है की जब हम पहाड़ की चढाई से थककर गुफा में पहुचते हैं तो गुफा में कुछ ही क्षण बिताने पर हम फिर से खुद को उर्जावान महसूस करते हैं। यहाँ शांत वातावरण, शुद्ध एवं ठंडी हवा के झोके हमें चिंता मुक्त कर देते हैं, साथ ही सारी मानसिक थकान भी दूर हो जाती हैं। यहाँ पहाड़ से देखने पर पूरा उदयपुर दिखाई देता हैं, यहाँ एक सुन्दर बगीचा और एक भव्य हनुमान मंदिर भी हैं। इस गुफा में हर पूर्णिमा की रात को भजन संध्या होती हैं जो कि एक संगीतमय रात्रि जागरण होता हैं।
मायरा कि गुफा –
यह गुफा उदयपुर में गोगुंदा के निकट स्थित हैं। इसके आस-पास घना जंगल हैं, क्षेत्रफल कि दृष्टि से यह मेवाड़ कि सबसे बड़ी गुफा हैं। बारिश के मौसम में यहाँ लगातार झरने देखने को मिलते है। इस गुफा कि संरचना भूलभुलैयाँ कि तरह है। इस गुफा में लंबी, टेढी-मेढी, संकरी गलिया हैं। हल्दिघाटि के युद्ध के दौरान यहाँ महाराणा का निवास स्थान था। इसकि जटिल संरचना के कारण ही महाराणा प्रताप ने इसे अपने शस्त्रागार के रूप में चुना था।
इस गुफा में गुसने के तीन रास्ते है, लेकिन इसकि बाहरी संरचना कुछ इस प्रकार है कि बाहर से देखने पर इसका प्रवेश द्वार नज़र नहीं आता। इस गुफा के एक कमरे में महाराणा प्रताप अपने प्रिय घोड़े चेतक को बाँधा करते थे। इस कमरे के पास माता हिंगलाद का मंदिर भी है। यह राजस्थान के ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत के सबसे अनछुए स्थानों में से एक है। अगर आप एक साहसिक भ्रमण पर जाना चाहते है तो यह आपके लिए एक सर्वोत्तम स्थान हैं।
झामेश्वर महादेव मंदिर गुफा –
यह गुफा उदयपुर में झामर-कोटडा नामक स्थान पर है। यह एक बड़ी गुफा है, इसके आस-पास पानी व हरियाली हैं। यह पूर्ण रूप से प्रकृति कि गोद में स्थित है। इसके आस-पास का वातावरण बहुत शांत एवं खुशनुमा हैं। लंबे-लंबे पैडो, पक्षियों कि आवाज़ों के साथ यहाँ सैकड़ों बंदर भी देखने को मिलते हैं। इस गुफा के अंत में एक प्राचीन प्राकृतिक शिवलिंग हैं, जिसकी खोज आज से करीब 600 वर्ष पहले हुई थी। यह मंदिर परिसर एक विस्तृत क्षेत्र में फैला है, हर दिन यहाँ कई श्रद्धालुओ व पर्यटको का आवागमन होता हैं।
उभैश्वर महादेव गुफा –
यह गुफा उदयपुर की बहुचर्चित एवं सर्वप्रसिद्ध गुफा हैं। उभैश्वर जी जाने का रास्ता मल्लातलाई चौक के दाई तरफ कुछ दूरी पर स्थित रामपुर चौक से जाता है। यह गुफा एवं मंदिर एक ऊँचे पहाड़ की चोटी पर स्थित हैं, यहाँ तक जाने के रास्ते में एक जोखिम भरी खड़ी व गुमावदार चढाई आती हैं। जो की बड़ी खतरनाक है, कयोंकि उस रास्ते पर एक तरफ पहाड है तो दूसरी तरफ खाई है। साथ ही यहाँ जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है।
अतः हमें वहाँ जाते समय रास्ते में सावधानी पूर्वक जाना चाहिए। अगर हम वर्षा ऋतु में वहाँ जाते है तो हमें प्रकृति की विशेष सुंदर छटा निहारने का विशिष्ट सौभाग्य प्राप्त होता हैं। ऊपर पहाड से नीचे देखने पर हमें कोई घर, कोई इमारत दिखाई नहीं देती, चारोतरफ दुर -दुर तक सिर्फ पहाड ही पहाड दिखते हैं। पहाड पर एक सुंदर सरोवर हैं जो “कमल तलाई” नाम से विख्यात है।
यहाँ सुंदर श्वेत कमल खिलते है यहाँ से बहता हुआ पानी आगे जाकर झरने के रुप में गिरता है, जो की और आगे जाकर सिसारमा नदी में मिलता हैं। इसी तलाई से थोड़ा आगे एक बड़ी व लंबी गुफा स्थित हैं। जो की उभैश्वर महादेव मंदिर गुफा के नाम से विख्यात हैं। इस गुफा में शिव पूजन के समय सिर्फ कमल तलाई से प्राप्त पुष्प ही अर्पण किए जाते है।
तिलकेश्वर महादेव गुफा –
यह प्राचीन गुफा उदयपुर में गोगुंदा हाई-वे के किनारे स्थित एक गाँव बैरन में स्थित हैं। यह एक दुर्गम गुफा है, इसमें प्रवेश के लिए हमें एक चेन के सहारे नीचे गुफा में उतरना पडता हैं। जहाँ नीचे एक झरना एवं जलाशय हैं इस गुफा में एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसके बारे मे कहा जाता है कि, यहीं पर महाराणा प्रताप ने शक्ति सिंह का राजतिलक किया था। यहाँ पास ही में एक खाई है जिसके किनारे अधिक्तर पर्यटक फोटो खिचवाते हैं। यहाँ आसपास कई मनोरम दृश्य हैं ।
पातालेश्वर गुफा-
यह गुफा उदयपुर में टाइगर हील से लगभग तीन किलोमीटर दूर, बडगाँव में नहर के पास स्थित हैं। इस गुफा की विशेषता यह है की ना तो यह गुफा पहाड़ पर स्थित हैं ना ही इसके आस-पास कोई पहाड़ हैं। यह गुफा जमीन में पाताल की दिशा में बनी है, इसीलिए इसका नाम पातालेश्वर रखा गया। इस अंधेरी गुफा में भी एक प्राकृतिक शिवलिंग है जिसकी सुरक्षा एवं देखभाल की जिम्मेदारी एक अघोरी ने अपने कंधो पर ले रखि हैं। इस गुफा के अंदर भी एक खुफिया सुरंग है जिसका दुसरा छोर आज भी एक रहस्य हैं।
Udaipur is undoubtedly city that attracts plenty of tourists throughout the year, so if you are heading to Udaipur, you would want to know about the best areas to stay in the city for accommodation.
Below is a list of different areas suitable for you to stay:
1. Near Jagdish temple (old city):
For every traveler and curious person who loves to explore and wants to know about the culture and heritage of the city, then this is the perfect zone for you to stay. The narrow alleys, colorful shops, and the hustle bustle are an altogether different experience that makes you feel the vibe of the old city of Udaipur. The place has a whole lot of tourist attractions to visit which include City Palace, Jagdish temple, Gangaur Ghat.
Popular Hotels include:
Fateh Prakash Palace, Shiv Nivas Palace.
2. Near Fateh Sagar Lake:
If you are vacationing in Udaipur with family and you haven’t visited Fateh Sagar lake yet, then you are definitely missing out on a lot of things. A much better idea is to find an accommodation somewhere near lake Fateh Sagar. The calm atmosphere and cool breeze soothe your soul. One can enjoy the boat ride and a walk at Fateh Sagar lake.
Popular Lakeside hotels include:
The Lalit Laxmi Vilas, Hotel Lakend, Radisson blu, Hotel Swaroop Vilas Palace etc.
3. In the residential portion of the city (Hiran Magri):
Hiran Magri is the largest residential colony in Udaipur, further divided into sectors and is home to thousands of people. This area is recommended to tourists because it is quite safe, provides easy access to all the necessary things and has some really cheap hotels.
Some popular hotels are:
The Fern Residency (sec-3), Hotel Paras Mahal (sec-11), Meenakshi hotel (sec-5)
4. Near City Railway Station:
For tourists who prefer to travel by train or Bus to Udaipur, need not worry about the accommodation facility as there are enough hotels in that area at affordable prices. The tourist attractions and famous places to visit are also not very far.
Popular hotels include:
Hotel Le Roi, Hotel Vishnupria
5. Hari Das Ji ki Magri, Mulla Talai:
Apart from its exquisite beauty and marvelous history, one thing that attracts tourists from all over the world towards this city is it’s luxurious and larger than life hotels, out of which some of them are located at Hari Das Ji Ki Magri. So, if you want to visit these illustrious hotels and experience their royal hospitality then you must choose your accommodation in this area.
Prominent Hotels include:
The Oberoi Udaivilas, Hotel Chunda Palace, Trident, Hotel Jaisingarh.
6. Near Badi Lake:
Want your stay to be extremely private and peaceful, what better place to stay rather than Lake Badi. Located on the outskirts there are some very beautiful resorts. Some of the handpicked resorts are:
Shouryagarh Resort and Spa, The Royal Retreat, Amantra Shilpi resort, Park Exotica Resort.
7. Near Lake Pichola:
Last but not the least, the most favorite destination of tourists, Lake Pichola is famous for innumerable reasons. Pichola lake area is surrounded by a budget to luxurious, all kinds of accommodation suitable for both domestic and international tourists. One can simply view the sunset, do photography and enjoy a boat ride. Some popular hotels that provide a stunning view of the Pichola lake are:
Jag Mandir Island Palace, Taj Lake Palace, The Leela Palace, Hotel Ambrai, Udai Kothi.
(P.S. Most of these Hotels are always booked, so make sure that you do the respective pre-bookings)
This was our list of popular areas to stay in the city of lakes. Do tell us, what you think about this list? We would love to hear from you.