शिल्पग्राम, जो यहाँ गए है वो इस नाम से वाकिफ़ है और जो यहाँ नहीं गए वो लोग इसके नाम से अर्थ निकालने की कोशिश करेंगे। लेकिन यहाँ हम शिल्पग्राम के बारे में आपको नहीं बताने वाले, हम आपको बताने जा रहे है यहाँ पर 25 अक्टूबर से शुरू हुए फ़ूड और म्यूजिक फेस्टिवल के बारे में। जो लोग खाना खाने के दीवाने है या गानों के मामले में मस्ताने है उनके लिए ये पांच दिन किसी जन्नत से कम नहीं है(खैर अब तो चार दिन ही बचे है, आज को मिलाकर) 29 अक्टूबर से पहले शरद रंग महोत्सव ज़रूर जाए।
अब हम आपको वर्चुअल्ली ले चलते है इस फेस्टिवल में जो कि हमारा काम भी है। बाकी ये पढ़कर आपके क़दम खुद-ब-खुद शिल्पग्राम की ओर चल पड़ेंगे।
अच्छे से सजे गेट में एंटर होते आपको बड़े करीने से सजाया हुआ एक गाँव दिखाई पड़ेगा और सीधे हाथ की ओर आपको नागौर से आए सरवन कुमार एंड बैंड आपके स्वागत को तैयार रहेंगे। सरवन कुमार इस बैंड के मुखिया है और बड़े विनम्रता से आपसे बात करेंगे। उनसे हमने तकरीबन 20 मिनिट तक बात करी इस दौरान उन्होंने अपनी 2 बार प्रस्तुति भी दी। वो मशक बजाते है जो एक स्कॉटिश इंस्ट्रूमेंट है जिसे इंग्लिश में बेकपेपर कहा जाता है। राजस्थान सर्कार से सम्मानित हो चुके है। यहाँ उनके फोटो और एक परफॉरमेंस शेयर कर रहे है। इनकी ये परफॉरमेंस आपको सीधा नागौर ले जाएगी वो भी शिल्पग्राम बैठे-बैठे।
जैसे आप थोड़ा आगे जाएँगे तो अलवर से आए नूरदीन मेवाती और उनका ग्रुप आपको उन्ही के बनाए गानों को सुनने को मजबूर कर देगा। उनके गाने समाज को लेकर बनाए होते है और सटायर से भरपूर होते है। ये अन्तराष्ट्रीय लेवल पर भी परफॉर्म कर चुके है और इंडियाज़ गोट टैलेंट में भी परफॉर्म कर चुके है। ये रही उनकी झलक
वल्लभनगर तहसील – उदयपुर का फोक बैंड लेकर आए है देवीलाल जी और उनके बेटे कमल जी दमामी, बैंड का नाम पाइप बैंड उदयपुर रखा है। ये भी मसक बजाते है पर साथ में इनके उदयपुर में बजाये जाने वाले और इंस्ट्रूमेंट भी होते है। अच्छी बात ये है कि कमल जी बेकपेपर(मसक) सिखाते भी है, वो अलग-अलग स्कूलों में जाकर इसे सिखाते है। वो चाहते है इससे ये लोगो के ज़हन में रहेगा और लोग भूलेंगे नहीं।
ये हमारा म्यूजिक में आख़िरी पड़ाव था। इन्ही लोगो की वजह से राजस्थान का फोक संगीत फिर से जिंदा हुआ है हम बात कर रहे है मंगनियार ग्रुप की जो बाड़मेर से यहाँ आई। उनसे हमारी आर्टिस्ट की सोच और दुनिया को किस नज़र से वो देखते है इस पर काफी बात हुई। उनकी ये दमदार परफॉरमेंस ये रही
इसके बाद शुरू होता फ़ूड बाज़ार… वैसे गाज़ी खां साहब के यहाँ आते ही पता लग जाता है, खुश्बू की वजह से। इस बाज़ार में आपको लखनवी बिरयानी से लेकर बिहार के लिट्टी-चौखा, अवध की कुल्फी, कश्मीरी वाज़वान, राजस्थानी कबाब, दाल-बाटी और साउथ इंडियन डिशेज़ तक की वैरायटी मिल जाएगी। उम्मीद है अब तक आप लोगो के मुह में पानी तो आ ही गया होगा, नहीं आया तो ये फ़ोटोज़ देख कर आ जाएगा।
अगर आप फोक परफॉरमेंस देखना चाहते है तो वो आपको 12, 2, 4 और 6 बजे देखने को मिल जाएगी शाम में 7 बजे से ओपन ऑडिटोरियम में हर दिन अलग-अलग परफॉरमेंस होगी। और अगर आप खानाआहते है ज़ायकों का मज़ा उठाना चाहते है तो आप दिन के 12 से रात के 10 बजे तक कभी भी पहुँच जाइये।