With heavy rainfall today in Udaipur and its catchment areas, the rivers are flowing at a full swing bringing water to the major lakes of Udaipur, namely Fatehsagar (via Madar) and Pichola/ Swaroop Sagar(via Sisarma). Gates of Swaroop Sagar have been opened in order to let the water pass to Lake Udaisagar through Ayad. In this way the water passes over UIT Pulia and various other areas in Udaipur.
Your UdaipurBlog.com have tried to capture the best moments of Monsoon 2012 specially for our readers. Keep visiting this Article to see Updated photos and more details.
Find the Pictures of Udaipur in Monsoon 2012 – includes Overflowing Lakes:
Photos by : Mujtaba R.G.
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The 9 day Ram Katha was all about Love | Truth | Compassion. The very essence of a Living form is love, according to Bapu this 21st century needs the element love to get peace. Here are some of Bapu’s precious verses.
Desire and greed are not barriers in the manifestation of Love; anger puts an obstruction in its appearance.
True love gives birth to contentment.
Love is within each of us, just as we all have a soul.
Photos By : Lakhan Sharma, Mujtaba RG & Yash Sharma
३०० से ज्यादा बार मानस में प्रेम शब्द आया है मतलब १०० प्रतिशत नहीं ३०० प्रतिशत । The word ‘Love’ has appeared more than 300 times in the Ram Charit Manas, giving it not 100% but 300% approval. – मोरारी बापु, मानस प्रेम, नाथद्वारा कथा – Morari Bapu, Manas Prem, Nathdwara Katha
कुछ ऐसे ही जयकारे आज पूरे देश ही नही अपितु पूरी दुनिया की फिज़ाओ में गुंजायमान हो रहे है जिनसे चारो ओर बस कृष्ण का ही नाम है, हर मुख पर कृष्ण की ही महिमा है, हर आँखों में कृष्ण की ही छवि है और हर कर्ण आज बस कृष्ण की मुरली की मधुर तानों को सुन रहे है… या यूँ कह ले की आज हर कोई कृष्ण के रंगों में रंगा हुआ…. और हो भी क्यों ना आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी जो है; भादवा मास की कृष्ण पक्ष की वह मंगलमय अष्टमी जब भगवान श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के नंदन के रूप में अवतारित हुए थे और उस घनघोर वर्षा वाली रात्रि में नन्द और यशोदा के घर भी अपार खुशियों की वर्षा कर दी थी…..
कृष्ण के इन रंगों से हमारा उदयपुर कैसे अछूता रह सकता था… और जब नाथद्वारा और जगदीश मंदिर में कृष्णाष्टमी का रंग चढ़ता है तब के माहौल की छठा के तो क्या ही कहने… जगदीश मंदिर में सजी झांकी के दर्शन मध्यरात्रि में खुलते ही भक्तो का अम्बार लग गया, कान्हा के नाम के जयकारे गूंजने लगे और भगवन जगदीश की आरती कर उन्हें भोग लगाया गया और फिर भक्तो में प्रसाद बांटा गया. आज रात को दूध दही की हांड़ी को फोड़ने की प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमे सभापति रजनी डाँगी, प्रशांत अग्रवाल, हरीश राजनी आदि अतिथि के रूप में शामिल हुए. बरसते हुए बादलों के बीच मटकी फोड़ने का आनंद दोगुना हो गया, हालांकि कुछ विलम्ब हुआ कार्यक्रम शुरू होने में पर फिर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से वह मौजूद भक्तों का दिल जीत लिया . जगदीश चौक ॐ साईं राम ग्रुप ने झांकी सहित नृत्य प्रस्तुत किया. कृष्ण जन्मोत्सव में देश विदेश से आये पर्यटकों ने लिया जमकर आनंद . दीवाना ग्रुप के शाहनवाज़ [उदयपुर के बंटी] ने भजनों का ऐसा समां बंधा के वह उपस्तिथ लोग अपने आप को झूमने से नहीं रोक पाए, इन्द्र देव की कृपा बराबर भक्तों पे बनी रही उसी बीच दही हांडी फोड़ का कार्यक्रम शुरू हुआ , कुछ गीरे कुछ पड़े , फिर उठे फिर चढ़े और पूरी तरह उत्साहित होकर बार बार कोशिश की और फिर चामुंडा ग्रुप, गोवेर्धन विलास से आई टोली ने मटकी फोड़ी, जीतने वाले दल को Pacific University की तरफ से २१,००० रूपए नकद दिए गए तथा ११००० रूपए का नकद पुरस्कार पंकज बोरना की तरफ से दिया गया.
पालनों में विराजित सजे-धजे लड्डू गोपाल, घरों के आँगन में बने नटखट बाल कृष्ण के नन्हे नन्हे कदम और साथ में रंगीली रंगोली, बरसते गुलाल और पानी की मार की बीच दही-हांड़ी और उसको फोड़ने के लिए ग्वालों की टोलियों में मची होड़ , कृष्ण जीवन की सजीली झाँकिया, रासलीला में सजता हुआ अलग ही संसार, दूध मलाई से बने पकवानों का भोग…. कितनी जीवन्तता है इस त्यौहार में, एक अलग ही हर्षो-उल्लास उमड़ता है; ठीक वैसा ही जैसा कृष्ण जी का जीवन था – कई रंगों को अपने में समेटे हुए, जीने की अदभुत कला सीखाने वाला और हर कठिन परिस्थिति से निकलने की राह दिखाने वाला. श्री कृष्ण जी में कुछ तो था जो उन्हें सबका चहेता बना देता है, हर किसी के दिल में बसते है वे – बच्चो के शरारती साथी, देवकी और यशोदा के लाल, वासुदेव और नन्द की आँखों के तारे, राधा के प्रिय, गोपियों के माखन चोर, सुदामा के मित्र और गोकुलवासियों के मन मोहन. उनका हर रूप उनके व्यक्तित्व का आईना था, हर आईने से अलग शिक्षा मिलती है.
याद है उनकी नटखट शरारते – कैसे वे माखन चुराते थे, कभी गोपियों की मटकिया फोड़ दिया करते थे तो कभी मिट्टी खाया करते थे; पर उनकी हर शरारत भी प्यारी लगती थी, गोपिया उनकी शिकायत तो किया करती थी पर साथ ही अपने घरों के दरवाज़े भी नन्दलाला के लिए खुला छोड़ दिया करती थी. इससे पता चलता है कि जब दिल साफ़ होता है तब हर गलती भी छोटी होती है. कृष्ण ने अपने बाल्यकाल में ही कई दानवो और बुरे लोगो का विनाश करा था और हमे ये सिखाया था कि विप्पत्ति चाहे कितनी भी बड़ी हो पर मन की हिम्मत से हर कठिन राह भी आसान हो जाती है. आज दोस्ती की परिभाषा बदल गयी है – फेसबुक, इन्टरनेट की बनावटी दुनिया में सखा साथी कही खो से गए है और दोस्ती में स्वार्थ, अहम् इतना बढ़ गया है कि कृष्ण-सुदामा जैसी दोस्ती जाने कहा खो गई है. अपने परिवार और नगरवासियों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहना, सभी का आदर सम्मान करना, हमेशा अपने हँसमुख स्वाभाव से सबको खुश रखना, आदि कई गुण थे कान्हा में. कलियुग की तथाकथित “Personality Development Classes ” से कई गुना ज्यादा सिखाता है कान्हा जी का जीवन….. जरुरत है तो बस उन्हें मन में बसाने की और उनके रंगों में रंग जाने की…
सेक्टर 11 शिव मंदिर में भी कन्हैया का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया गया. बाल गोपाल की झांकी बनायीं गयी, 20 सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भजन संध्या का आयोजन भी किया गया जिसमे सभापति रजनी डांगी और प्रमोद सामर ने कार्यक्रम का आनंद लिया.
Photos By : Yash Sharma
उदयपुरब्लॉग(UdaipurBlog.com) की ओर से सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए…!!! जय श्री कृष्णा..!!! 🙂
आज 26 जुलाई है. कारगिल विजय दिवस. जब बर्फ और सर्दी की आड़ में भारत के अभिन्न अंग कश्मीर के बड़े हिस्से में पाकिस्तानी सेना ने अपना अवैध कब्ज़ा जमा लिया, आज ही के दिन भारतीय सेना के जाबांज जवानो ने उसे मुक्त करवाया.
अपनी घुमक्कड प्रवृति के चलते अब तक दो बार लद्दाख हो आया हूँ. जब भी वहाँ जाता हूँ तो द्रास-कारगिल से गुज़रना होता है. हर बार वहाँ सिर पहले झुकता है, उन शहीदों की याद में, जिन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबवा दिए…. और फिर तत्काल सिर गर्व से उठ जाता है, सीना चौड़ा हो जाता है, एक भारतीय होने के फख्र से.. अपनी सेना की बहादुरी पर…
चलिए आज आपको कारगिल विजय दिवस पर ले चलता हूँ.. धरती के स्वर्ग कश्मीर की गोद में बसे द्रास शहर और वहाँ स्थित कारगिल वार मेमोरियल के दर्शन करने…
द्रास शहर. श्रीनगर और कारगिल के बीच बसा कस्बा. इसे दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा रिहाइशी इलाका होने का गर्व प्राप्त है. श्रीनगर से बालटाल, सोनमर्ग होते हुए जोजिला दर्रा पार करके यहाँ पहुंचा जा सकता है. जब आप यहाँ से गुजर रहे होते है तो नियंत्रण रेखा के सबसे करीब होते है. (जी हाँ, बिलकुल सही समझा आपने, आप यहाँ पाकिस्तानी तोपों की रेंज में होते है.)
फोटो में लेखक आर्य मनु (दायें) अपने मित्र आशीष विरमानी (दिल्ली) के साथ.
कारगिल वार मेमोरियल का मुख्य द्वार. वैसे यह युद्ध मूलतः द्रास में लड़ा गया,किन्तु इसे नाम मिला कारगिल युद्ध. द्रास कस्बा कारगिल जिले में आता है. यह स्थान द्रास कस्बे से लगभग सात किमी दूर NH 01A पर स्थित है. वार मेमोरियल स्थल तोलोलिंग की पहाड़ियों की तलहटी में बना है, जहाँ युद्ध के समय जवानो का बेस केम्प हुआ करता था. यहाँ से टाइगर हिल्स की कुल घुमावदार सड़क दुरी 28 kms है.
अमर जवान ज्योति. शहीदों को नमन. इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था. राष्ट्रीय ध्वज के साथ यहाँ युद्ध में शरीक होने वाली सेना की टुकडियों के ध्वज लहरा रहे है. यहाँ एक जवान हमेशा शहीदों के सम्मान में सावधान की मुद्रा में खड़ा रहता है.
युद्ध शहीदों के नाम यहाँ सुनहरे अक्षरों में लिखे है. जाट रेजिमेंट, राजपुताना राइफल्स का नाम सबसे पहले देखकर हर किसी राजस्थानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. पंजाब रेजिमेंट, गोरखा राइफल्स, बिहार, सिख, लद्दाख की रेजिमेंटो ने भी अपने सपूत खोये. अमर वाक्य लिखा है यहाँ…
“शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मिटने वालो का, यही बाकी निशाँ होगा…”
म्यूजियम में रखे शहीदों के अस्थि कलश. ये उन शहीदों की अस्थियां है, जिन्हें पहचाना नहीं जा सका. पर ये वे है जो हमेशा के लिए अमर हो गए….सिर्फ हमारे लिए, ताकि हम आराम से यहाँ त्यौहार मना सके…. अगली बार जब इस दिवाली आप अपने घर सजा रहे हो, तो एक दीपक इन अनाम शहीदों के लिए ज़रूर लगाएं…
ये है, पाकिस्तानी सेना द्वारा बरसाए गए मोर्टारों और टॉप गोलों के अवशेष. ये सिर्फ मोर्टारों के पिछले हिस्से (टेल) है. आप सोचिये, ये मोर्टार कितने बड़े और तबाही मचाने वाले होंगे..!! उस पर हालात ये कि पाकिस्तानी सेना पहाड़ की छोटी से हमला कर रही थी, जबकि भारतीय जवान तलहटी से उन पर जवाबी कार्रवाही कर रहे थे.
फिर भी है किसी पाकिस्तानी गोले में इतना दम, जो भारत का बाल भी बांका कर पाए ?
युद्ध में तडातड चलती गोलियों और तनाव के माहौल में सैनिक ठिठोली के क्षण खोज ही लेते थे.मिसाइल को दागने से पहले कुछ इस तरह बयान किये अपने ख्याल, एक सैनिक ने…
आज हम यहाँ बैठ दिन भर टीवी पर उन दिनों की कवरेज देखेंगे, कल हुए नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह को देखेंगे… सोचिये उन दिनों हाड कंपा देने वाली सर्दी में किस तरह उन जाबांजो ने देश की रक्षा करते हुए कैसे तनाव के क्षणों में समय बिताया होगा..!!!
उन दिनों महान कवि (स्वर्गीय )श्री हरिवंश राय बच्चन ने अपनी अमर कविता “अग्निपथ” की चंद पंक्तियाँ स्वयं लिखकर भारतीय सेना की हौंसला अफजाई की थी. उसी हस्तलिखित कविता को म्यूजियम में फ्रेम करवा के रखा गया है… ये पंक्तियाँ हमें आज भी लगातार आगे बढते रहने की प्रेरणा देती है.
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महलों के पास ऊँचे मंदिरों में बिराजने वाले मेवाड़ के कान्हा “भगवान जगदीश जी” अपने गर्भगृह में बैठे बैठे पूरे साल बाट जोहते है इस खास एक दिन, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दूज का , जब वे खुद उन भक्तों के लिए मंदिर की कठिन सीढियाँ उतरे, जो ये सीढियां चढ नहीं पाते है…
आप क्या सोचते है ? हम भगवान के दर्शन करते है ? जी नहीं , कभी कभी भगवान भी अपने सच्चे भक्तों के दर्शन करने को आतुर रहते है. भक्ति की परीक्षा हितार्थ बिराज तो गए ऊँचे मंदिरों में हमारे ठाकुर जी, किन्तु उनका मन नहीं लगता वहाँ,बगैर अपने “प्रिय” से मिले.. तभी तो रजत रथ में बैठ भगवान इस एक खास दिन निकल पड़ते है अपने सभी सखाओं से मिलने. और जब मंदिर से निकलते है तो ऐसे ही नहीं निकलते, पूरा श्रृंगार करके, इठलाते-बलखाते जगदीश ठाट-बाट के साथ मेवाडी राजधानी के कण कण को स्वयं स्पर्श करते है. दर्शन देते है सभी को…
इस वर्ष भी भगवान ने सभी के मन की मुराद को पूरा करने की ठानी और लगभग दोपहर के तीन बजे छोटे बेवान (रथ) में बैठ कर पहले मंदिर की परिक्रमा करके चारों कोनों में बैठे मित्र देवों से भेंट की. तत्पश्चात मंदिर की सीढियाँ उतरकर प्रभु नीचे रजत रथ में आकर बिराजे. हर मेवाडी ह्रदय ने आत्मीयता से प्रभु का स्वागत किया. हमारे ठाकुरजी ने भी सभी के नमन को स्वीकार किया. दरबार महेंद्र सिंह जी मेवाड़ ने सैकड़ों सालों की परम्परा का निर्वहन करते हुए रथ के आगे झाड़ू लगाया और प्रभु के मार्ग को साफ़ किया. आज उदयपुर भगवान के प्रिय रंग पीताम्बर (केसरिया) से रंगा रंगा सा लग रहा था. हर एक सर पर पीताम्बरी पाग शोभायमान थी. हर एक महिला ने गोपी का रूप धर लिया. पीताम्बरी साडी या बेस पहने भगवान के पीछे पीछे गीत गाती चल रही थी.
सबसे आगे गजानन के स्वरुप गजराज तो पीछे पीछे शौर्य के प्रतीक अश्व , प्रीत के प्रतीक ऊंट चल रहे थे. चारो तरफ केसरिया ध्वज लहरा रहे थे. सैकड़ों हाथ पीताम्बरी रस्सी को थामे जगन्नाथ का रथ आगे खिंच रहे थे. जैसे जैसे भगवान का रथ आगे बढ़ता, छतों-चौबारों, गोखडों, सड़कों से प्रभु के दर्शनों को तरसती हजारों बूढी आँखे गीली हो जाती.. मुह से आवाज़ ना निकलती..प्रीत में यही तो होता है.. आँखे ही सारी बातें कह देती है. बूढ़े पैरों से मंदिर की सीढियाँ ना चढ पाने का गम भूल कर बस भगवान की बलायियाँ लेती.. म्हारा कान्हा , थाने कन्ही री निजर ना लागे …
सेक्टर सात से निकलने वाली शोभायात्रा, जो मूल रथ यात्रा में शामिल होती है, किसी भी मायने में पुरी रथयात्रा से कम नहीं होती.. प्रभु जगन्नाथ, भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के विग्रह पुरी की याद दिला देते है. शहर में सबसे लंबी दुरी तय करके सेक्टर सात से पुराने शहर तक का सफर तय करके तीनो भाई-बहन जगदीश जी की रथ यात्रा की शोभा बनते है. यह रथ यात्रा सेक्टर सात से प्रातः 11 बजे प्रारंभ होती है, जो मूल रथ यात्रा के समापन के पूरे तीन-चार घंटे बाद आधी रात को पुनः अपने स्थान पर जाकर विश्राम लेती है
पारंपरिक मार्ग से गुजरते भगवान जगदीश सभी को दर्शन देते है. सभी के मन की सुनते है. और कहते है…मैं तुम्हारे दर तक खुद आया, अब तुम मेरी शरण में आ जाओ,फिर तुम्हारा कोई कष्ट ना रहेगा… आधी-व्याधि ना रहेगी.. अगर रहेगा तो सिर्फ प्रेम.. स्नेह.. मुरली का रस…
We and the people around us are very much influenced by celebrities and many of us follow them blindly and their every act whether done personally or professionally becomes a public issue. Apart from being worshipped and followed they are also accused recently for harming the ethical values and breaking the laws, an example of which can be quoted recently when allegations were put on Nation’s Youth Icon Ranbeer Kapoor for smoking publically.
But my matter of writing today is not why Ranbeer smoked publicly rather, the point is should this would be hyped in the same way if an ordinary common man would have smoked in public? Well, I think none of us would have even bothered to even give a second look to the unknown person who was doing it just as if we don’t know him so WHO CARES!!!
Social evils prevailing in our society are very much a concern for all the good citizen. If some influential person commits them, so should I assume that the common man is free to commit all the crimes without coming into notice. Practically speaking and closely analyzing our surrounding environment the case remains the same when it comes to other social evils too. If the judicial system treats every Indian equal, then why aren’t the issues shown below objectionable, even when we witness them quite often, and simply ignore them, as they aren’t our superstars.
Apart from smoking Udaipur really needs to focus on other crimes too like child labour. (Photo 1 and 2)
Local women washing clothes at Gangaur Ghat which is prohibited. (Photo 3)
Beer bottles used by local people drinking publicly without fear at Gangaur Ghat. (Photo 4)
The exact place where the superstar was found smoking. Seems it left an iconic influence on Udaipies. (Photo 5)
Leisure smoking by couple at Gangaur Ghat, This folk musician sits in this same place daily morning to evening but sad People never noticed this, only saw RANBIR KAPOOR.!!!!! (Photo 6)
Time 12.22 noon date 2/6/2012 men smoking at Jagdish Chowk, outside a temple where burning incense sticks is clearly visible. (Photo 7)
Wake up Udaipies. Realise before you repent!
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About the Contributor: Niharika R. Sanadhya, aged 21, completed her graduation from Pacific College, and holds a diploma in MAAC Mumbai for Animation and Digital film making as well as First Class in photography from Sir J.J Institute of Applied Arts, Mumbai She holds a good work experience with Channel [V] and is a concerned resident of the city
Colors of tradition spread out everywhere, Sparkling water of Pichola, Rajasthani women and girls elegantly dressed up, and beautifully decorated idols of Gangaur glittering in the beautiful light. Such was the charm of Mewar Festival at Gangaur Ghat. It felt as if everything around is tinted in rainbow – colorful and vibrant. As the folk tales say, these 16 days of Gangaur were the days when Parvati Ji stayed at her father’s home. These were the days of celebration, days to worship Gauri for a perfect husband and his well being. Today, Gauri Ji was given farewell amidst a big festival – the Mewar Festival.
The celebration started with a procession, in which women carried the idols of Isar and Gangaur all the way from Clock Tower to the Gangaur Ghat. Then the Royal boat of Palace was taken out from Bansi Ghat to Gangaur Ghat which was the centre of attraction of the evening. Colorful boat in the glowing water of Pichola was truly worth watching. Then the artists showed various shades of culture in the cultural programme that followed.The Show started by the performance of renowned Maand Singer of Udaipur – “Maangi bai”; Tune of ‘Padharo Mahare Desh’ filled the air and traditional dance forms like ‘Ghoomar’ and ‘Kalbeliya’ took hold of the breath. On the whole, the whole festival served as an eye candy with its striking colors and glorious culture.
The best decorated award were won by the Rajmali Samaj who won the first prize and an amount of Rs. 11000. The second was the Kahar Bhoi Samaj while Maru Kumawat Samaj bagged the third spot.
I was so untouched from one of the best festivals of Rajasthan and that too purely dedicated to womenfolk. For those who are still untouched with its allure, UdaipurBlog have the best of pictures of this celebration. And for those who captured the view in their eyes, these photos will recall those amazing moments.
“PRASHANTAM-12” was organised by the Pacific Institute of Technology during 12th to 16th March, 2012.
The heart throbbing varied performances thrilled the audience. The Programmes like Technical Seminar, Quiz, Junkyard, Best of Waste, Nirmaan, Band Baza Barat were there the centre of attraction and students took part in them with utmost zeal and enthusiasm.
The closing ceremony of “PRASHANTAM-12” was organised on 16th March, which was graced by the chief guest Prof. N.S. Rathore, Dean CTAE, Udaipur. In his inspirational speech he motivated the students for achieving their goal in life by hard work, proper planning and time management.
Apart from this many vibrant, mirthful and ear soothing performances like solo and group dance, solo and group songs, fashion show, etc. lead it to the peak of enjoyment.
In the esteemed presence of Mr. Rahul Agarwal, Mr. Ashish Agarwal , Mr. Sharad Kothari and Directors of all the institution of PAHER Group. Prof.R.K. Aeron was honoured by the life time achievement award named “Architect of the Technical Education” for establishing more than five engineering colleges, his immense and worth mentioning valuable contribution to the society and education.
Dr. Ritu Vyas was the co-ordinator of the programme and with the dynamic team of PIT’s faculty members she made it a great success.
The two day fest of Techno India NJR, Udaipur – ‘NJineeRs’ concluded on Feb 29, 2012. The fest was organized by the IEEE. It included various Technical, Fun and Cultural events. It ended with a Performance by Student Rock Band Group ‘Devine Legacy‘ and a Cultural Night which were followed up by Prize Distribution Ceremony.
Today The Maharana Mewar Foundation 31st Annual Award Distribution Ceremony was held at The Manek Chowk, The City Palace Complex, Udaipur.
On this occasion, the Maharana of Mewar Charitable Foundation honoured not only eminent
personalities but also citizens from all over the country. The ceremony started with the presentation of
certificates to students from schools and universities in Udaipur and across the State of Rajasthan. This was followed by the main Ceremony when the awardees gathered on the dais to receive their awards from Shriji
Arvind Singh Mewar of Udaipur, Chairman and Managing Trustee of Maharana of Mewar Charitable
Foundation, Udaipur.