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उदयपुर का नाम लहराया विनम्र ने, हासिल की AIR 11

मेहनत एक ऐसा शब्द है, जिसके बारे में केवल वही इंसान जानता है, जिसने असल में मेहनत की होती है। मेहनत करना भी एक कला है, इसे हर कोई नहीं कर सकता है। किसी भी कार्य को करने के लिए मेहनत लगती है और मेहनत ऐसी होनी चाहिए जो हर असंभव को संभव कर दे।
ऐसे ही हम बात करते है “चार्टर्ड अकाउंटेंट” जिसे आमतौर में छोटे से शब्द CA नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा प्रोफेशनल है, जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में काम करते है। एकाउंटेंसी और ऑडिटिंग, CA के दो सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसके अलावा CA का काम वित्तीय लेखा-जोखा तैयार करना, वित्तीय सलाह देना।

कहते है की CA की परीक्षा बहुत ही कठिन होती है, दिन रात मेहनत करने के बाद भी पास होना मुश्किल है। ऐसे ही मेहनत का एक जीता जागता परिणाम हमारें शहर उदयपुर के “विनम्र काबरा” है। जो इस परीक्षा में सफल तो हुए ही है पर साथ में उच्च स्कोर भी हासिल किया है। उदयपुर शहर का नाम गौरवान्वित किया है। विनम्र ने उदयपुर की रैंकिंग में टॉप किया है और आल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल की है, जो हमारे शहर के लिए बहुत ही गर्व की बात है।

विनम्र काबरा

विनम्र अपनी यात्रा के दौरान पहले भी टॉप रैंकों में रह चुके है। उन्होंने CA-CPT परीक्षा में AIR-3 हासिल की थी और CA इंटरमीडिएट परीक्षा में AIR- 24 हासिल की थी। ICAI की ओर से आयोजित CA फाइनल परीक्षा में कई सारे विद्यार्थि भाग लेते है, इसमें से कुछ ही पास हो पाते है। परीक्षा में उदयपुर सेंटर के कुल 647 परीक्षार्थियों ने भाग लिया जिसमें से 175 उतीर्ण रहे।

विनम्र पढाई में बचपन से ही होशियार रहे है। उन्होंने अपने स्कूल वक्त में भी अच्छे परिणाम दिए है, उन्होंने 12वीं कक्षा में भी 97% हासिल किए थे। विनम्र ने अपनी सफलता का श्रेय भगवान, अपने परिवार और बडाला कोचिंग क्लास को दिया है।

क्या सफलता पाना आसान है ? सफलता पाने के लिए खून पसीना एक करना पड़ता है। दिन भर की मेहनत और रात भर जाग-जाग कर पढ़ना, हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है। जो कड़ी मेहनत करता है, निश्चय ही सफलता को उसके पास आना ही पड़ता है। सफलता कोई ऐसी चीज नहीं है, जो एक दिन में हासिल हो जाए।

एक अंग्रेज़ी कहावत है “Practice makes a man perfect”. इसका अर्थ है कि अभ्यास ही मनुष्य को उत्तम बनाता है।  यह कहावत एक दम सही है, की मनुष्य एक दिन में महान नहीं बनता है, उसके पीछे कई सालो की मेहनत, कठिन प्रयास, कड़ी मेहनत, दृढ- निश्चयी, धैर्य और लगन होती है। मनुष्य को पूरी तरह आलस्य त्याग देना पड़ता है।
अगर सफलता के शिखर पर पहुँचना है, तो कड़ी मेहनत करनी ही होगी। विनम्र का नाम आज इसलिए लहरा रहा है, क्योंकी इसके पीछे उनकी कई सालों की मेहनत है। इसी प्रकार हमें भी जीवन में मेहनत करनी ही चाहिए।

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उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट इस साल भी टॉप पर

शहर उदयपुर, उपलब्धि के मामले में आए दिन चर्चा में है, अब शहर ने अपने नाम पर एक और खिताब जुड़वा लिया है। शहर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट अब देश का टॉप एयरपोर्ट बन गया है। उदयपुर ने ग्राहक संतुष्टि के मामले में यह उपलब्धि हासिल की है। इसने जनवरी से जून 2022 के सर्वे रिपोर्ट्स में पहला स्थान पाया है। इस से पहले भी शहर ने एयरपोर्ट सूची में, वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में प्रथम स्थान पाया था। महाराण प्रताप एयरपोर्ट अब देश का टॉप एयरपोर्ट बन गया है।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से निर्धारित सर्विस क्वालिटी मापदंडों के अनुसार, साल में दो बार ग्राहक संतुष्टि सर्वे करवाया जाता है। उदयपुर अथॉरिटी ने देशभर के कुल 55 एयरपोर्ट का सर्वे कराया। इसमें उदयपुर व रायपुर को सबसे अधिक अंक मिले जो 4.99 थे। इस सूची में दूसरा स्थान पोर्टब्लेयर और तीसरा स्थान संयुक्त रूप से जामनगर, भोपाल व जम्मू एयरपोर्ट को मिला। इस सूची में जोधपुर को 10वां स्थान मिला है। किशनगढ़ को 28वां, बीकानेर को 37वां स्थान और जैसलमेर को 40वां स्थान।

महाराणा प्रताप एयरपोर्ट, निदेशक नंदिता भट्ट का कहना है कि ये केवल उदयपुर एयरपोर्ट की ही नहीं बल्कि पूरी टीम की उपलब्धि है। इसे हासिल करने के लिए शहरवासियों ने यहां के प्रशासन, नगर निगम आदि का भी पूरा सहयोग रहा है। कोविड के बाद कहीं तरह की चुनौतियां थी, लेकिन पैसेंजर्स का विश्वास फिर से हासिल किया। इसी का नातिज़ा यह है कि उन्होनें एयरपोर्ट को हर स्तर पर नंबर 1 रखा।

इस सर्वे में कईं मापदंड थे जो इस प्रकार है

  • बैंक
  • ATM
  • ट्रॉली सुविधा
  • WI-FI
  • बिजनेस
  • शिष्टाचार
  • निरिक्षण
  • चेक इन लाइन
  • इंटरनेट एक्सेस
  • इंटरनेट सुविधा
  • सुरक्षा कर्मचारी
  • खाने की सुविधा
  • सुरक्षा और संरक्षा
  • एक्सेसिटीव लाउंज
  • वॉशरूम सुविधा
  • खरीदारी की सुविधा
  • परिवर्तकों की उपलब्धता
  • हवाई अड्डे की स्वच्छता
  • बैगेज डिलीवरी की स्पीड
  • एयरपोर्ट का वातावरण
  • सुरक्षा निरिक्षण में समय से प्रतीक्षा की उपलब्धता

देश के टॉप 10 एयरपोर्ट और उनके स्कोर-
1. उदयपुर व रायपुर – 4.99
2. पोर्ट ब्लेयर – 4.98
3. जामनगर,भोपाल,जम्मू – 4.96
4. मदुरै, तिरुपति – 4.93
5. राजकोट,देहरादून – 4.92
6. भुंतर, गया- 4.90
7. विजयवाड़ा- 4.88
8. गग्गल, पोरबंदर – 4.86
9. जोधपुर- 4.82
10. राजमुंद्री- 4.81

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प्रदेश में बालिका शिक्षा के हालात अब भी चिंताजनक क्यों है ?

शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत जरुरी है। शिक्षा की वजह से ही व्यक्ति में आत्मविश्वास आता है व शिक्षा ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण का कार्य भी करती है। और अगर बात करें स्कूली शिक्षा की तो यह हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यही तो हमारे जीवन की बुनियाद है। सभी माँ-बाप अपने बच्चों को सफल होते हुए देखना चाहते है, जो सिर्फ और सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। शिक्षा अपने स्तर पर विशेष महत्व रखती है। शिक्षा कठिन समय में चुनौतियों से सामना करना सिखाती है और जीवन में बहुत सारी सम्भावनाओं को खोजने में मदद करती है। यह समाज में सभी व्यक्ति के लिए समानता की भावना लाती है। शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं।

शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले। पहले के समय में लड़कियों की शिक्षा को कभी भी आवश्यक नहीं माना गया था लेकिन समय गुज़रने के साथ लोगों ने लड़कियों की शिक्षा का महत्व महसूस किया है। अब महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो लड़कियों की शिक्षा का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि लड़की का काम घर तक सीमित है और उन्हें लगता है कि लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करना पैसा व्यर्थ करना है। यह विचार गलत है क्योंकि लड़कियों की शिक्षा समाज में बदलाव ला सकती है।

भारत सरकार द्वारा देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा और देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए बेटियों के लिए कई सरकारी योजना शुरू की है। बेटियों को पढ़ाने के लिए सरकार इतने कदम उठा रही है, कितने जागरूकता अभियान चला रही है, कितने योजनाएँ चला रही है, सरकारी स्कूलों की फीस नहीं भरनी है, RTE जैसी सुविधा उपलब्ध करवा रही है। उसके बावजूद भी बेटी शिक्षा के यह हालात क्यों है? हमारे शहर उदयपुर में भी ऐसे हालात क्यों है ? क्यों बेटियों की शिक्षा अधिकार को लेकर अब भी हर परिवार जागरूक नहीं है ?

प्रदेश में शिक्षा का नया सत्र शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस साल भी बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के लिए सरकार कई सारे अभियान चलाएगी। सरकार इसके लिए कई सारे विशेष कार्यक्रम भी तैयार करेगी। लेकिन हाल ही में जारी हुई नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-2021) की रिपॉर्ट के अनुसार प्रदेश में बालिका की शिक्षा बेहद ही चिंताजनक है। उदयपुर शहर का बालिका की शिक्षा में प्रदेश में 15वां नंबर है। प्रदेश में 6 साल या उस से अधिक आयु की सिर्फ 63.5 लडकियां ही स्कूल से जुड़ पाई है यानी 36.5 फीसदी ऐसी बालिकाएँ है, जिन्होंने अब तक स्कूल देखे ही नहीं है। अचरज इस बात का है की गाँव की 41% लडकियां स्कूल नहीं जा रही पर यह क्या शहरी क्षेत्र की भी 23% लडकियां स्कूल से अब तक जुड़ नहीं पाई हैं। और अगर बात करें देश की तो 71.8% फीसदी बालिकाएं ही स्कूल जा रही है।

बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार हर साल करोड़ों के पुरूस्कार देती है-
1. गार्गी पुरूस्कार -2428.25 लाख रुपए
2. बालिका प्रोत्साहन – 3745.95 लाख रुपए
3. आपकी बेटी योजना – 437.61 लाख रुपए
4. इंदिरा प्रियदर्शिनी अवार्ड – 2395.41 लाख रुपए
5. विदेश में स्नातक की शिक्षा सुविधा – 50 लाख रुपए
6. मुख्यमंत्री हमारी बेटियां योजना – 340.23 लाख रुपए
7. आर्थिक पिछड़ा वर्ग की बेटियों की स्कूटी – 350 लाख रुपए
8. शारीरिक अक्षमता युक्त बालिकाओं के लिए आर्थिक सबलता पुरूस्कार – 74.30 लाख रुपए
9. मूक बाधिर व दृष्टिहीन बालिकाओं की लिए आर्थिक सबलता पुरूस्कार – 6.39 लाख रुपए

बालिका शिक्षा में आया सुधार –
रिपोर्ट्स के अनुसार अगर देखा जाए तो बालिका शिक्षा में राजस्थान की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। पिछले साल के मुताबिक़ अगर देखा जाए तो 6 फीसदी बालिकाएं ज्यादा स्कूल जा रही है। प्रदेश में 2015- 2016 में 57.2 फीसदी बालिकाएं स्कूल जा रही थी तो अब 63.5 बालिकाएं स्कूल जा रही है।

किसी भी देश के सुधार के लिए शिक्षा का योगदान काफी महत्वपूर्ण है चाहें वो लड़का हो या लड़की। शिक्षा सबके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बिना शिक्षा के किसी का भी विकास सम्भव नही है। लड़कियों की शिक्षा हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए, क्योंकि समाज में आज भी कही कुछ वर्ग ऐसे है, जो इसे महत्वपूर्ण नहीं समझते है। इसके लिए सरकार भी कई अलग-अलग तरह के कार्यक्रम चला रही है ताकि बालिका शिक्षा स्तर को सुधारा जा सके। लड़कियों को अगर बेहतर शिक्षा दी जाती है तो लड़कियां भी देश के विकास मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगी। किसी भी देश के विकास मे लड़का और लड़की को शिक्षा के अवसर समान रूप से मिलना चाहिए। आज के आर्थिक संकट में शिक्षा लड़कियों के लिए एक वरदान साबित हो रही हैं।

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दुनिया के बेहतरीन शहरों में से उदयपुर 10वें नंबर पर

शहर के लिए यह काफी सुखद खबर होगी कि उदयपुर शहर को पूरे भारत के बेहतरीन शहरों में शामिल किया गया है। शहर ने बेहतरीन शहरों की सूची में शामिल होकर उदयपुर का नाम रोशन किया है। ट्रेवल मैगजीन “ट्रेवल एंड लेजर रीडर्स” ने दुनिया के 10 शहरों में उदयपुर को 10वीं रैंक दी है।

पूरे भारत में इस लिस्ट में केवल दो ही शहरों को चुना गया है, एक उदयपुर तो दूसरा जयपुर को। जयपुर शहर को 8वीं  रैंक दी गई है। इससे पहले भी उदयपुर ने कई बार बेस्ट जगहों में शहर का नाम रोशन किया है। उदयपुर की शांत झीले, पर्वत पहाड़, हेरिटेज, खानपान लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर ही लेता है। इस से पहले भी एशिया महाद्वीप में घुमनें के लिए सबसे बेहतरीन शहरों में उदयपुर का नाम था। 

पर्यटन विभाग कि उपनिदेशक शिखा सक्सेना का कहना है कि ट्रेवल मैगजीन के सर्वे में उदयपुर को फिर से चुना गया है। इस बार टॉप टेन में 10 जगह बनाई है। इसका श्रेय टूरिज्म से जुड़े हुए हर व्यक्ति को जाता है। उदयपुर की मेहमान नवाजी ही ऐसी है कि दुनिया का हर आदमी यहां खिंचा चला आता है। इन तमगों से इस साल पर्यटन सीजन अच्छा रहने की उम्मीद है। 

10 रैंकों की सूची इस प्रकार है-

  • ओक्साका,मेक्सिको
  • सैन मिगुएल, मेक्सिको 
  • उबुद, इंडोनेशिया 
  • फ्लोरेंस, इटली 
  • इस्तांबुल, तुर्की 
  • मेक्सिको सिटी, मेक्सिको 
  • चियांग माई, थाईलैंड 
  • जयपुर, भारत
  • ओसाका, जापान 
  • उदयपुर, भारत    

उदयपुर का नाम और भी कई सारी जगहों में शामिल है-

  • टूर एंड ट्रेवल कम्पनी ट्रेवल ट्राइंगल ने देश के बेस्ट सोलो फीमेल ट्रेवेल डेस्टिनेशन में उदयपुर को प्रदेश में सबसे सुरक्षित माना है।
  • ट्रेवेल एन्ड लेजर ने दुनिया के 20 शानदार शहरों में उदयपुर को दूसरा और जयपुर को 17वां स्थान दिया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय वेडिंग प्लानिंग कंपनी दी नॉट ने यूनिक वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए 11 देशों की सूचीं में भारत से केवल उदयपुर को चुना । 
  • इंटर माइल्स ने बेहतरीन 10 देशों में उदयपुर को 5वां सुन्दर शहर बताया। 
  • प्लेनेट डी की ट्रेवल लिस्ट दीं “16 मोस्ट सिटीज ऑन अर्थ” में उदयपुर को चौथा स्थान दिया गया। 
  • एमएसएन की लिस्ट में पूरी दुनिया के बेहतरीन 60 डेस्टिनेशन में भारत से एकमात्र उदयपुर को 11वां स्थान दिया। 
  • नेशनल जियोग्राफी व दी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 21 दिन की यात्रा में दुनिया के 8 देशों में से भारत से उदयपुर को चुना।
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UIT 101 करोड़ रुपए करेगा खर्च

शहर में नगर विकास प्रन्यास द्वारा 101 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा के कई निर्माण कार्य शुरू होंगे। बुधवार को कलेक्टर और UIT अध्यक्ष ताराचंद मीणा की अध्यक्षता में एक सामान्य बैठक हुई, जिसमें कई सारे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस बैठक में तय किया गया कि UIT के विभिन्न क्षेत्रों में घर-घर कचरा संग्रहण, न्यास रूपांतरित आवासीय कॉलोनियों की सड़कों, नालियों की सफाई, न्यास क्षेत्राधिकार के मुख्य मार्गों तथा बरसाती नालों की सफाई का कार्य नियमित रूप से नगर निगम के माध्यम से करवाया जाएगा । जिसमें MOU निष्पादित कर 4 करोड़ रूपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है।

इसके साथ ही UIT की सीमा में आने वाली 167 कॉलोनियों की साफ़ सफाई अब नगर निगम के जिम्मे हो गई है। इसके बदले UIT निगम को एक साल के चार करोड़ रुपए देगा। शहर में साइबर पुलिस स्टेशन खोलने के लिए जमीं का आवंटन भी किया गया जिससे रानी रोड पर भारी वाहनों के दबाव को कम किया जा सके जिसमें DTO द्वारा निर्देश दिए जाएंगे।

कलेक्टर ने न्यास द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों के लिए 52 बिंदुओं पर चर्चा की है। मौके पर मौजूद सचिव बालमुकुंद असावा, एसइ के.आर. मीणा व विपिन जैन, वरिष्ठ नगर नियोजक अरविन्द सिंह कानावत सहित अधिकारी उपस्थित थे।

प्रोजेक्ट के लिए मंजूर कि गई राशि-

  • फतहसागर झील स्थित नेहरू गार्डन के निर्माण के लिए 5.96 लाख खर्च किए जाएंगे।
  • कई सारे कार्य शहर की सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के लिए पुरे किए जाएंगे, जिसके लिए 26.8 करोड़ रूपए मंजूर किए है।
  • ढीकली तालाब से अपरस्ट्रीम में राजस्व नाले के निर्माण के लिए 8.90 करोड़ रुपए।
  • रानी रोड को मॉडल रोड बनाने के लिए 12 करोड़ रूपए की तकनीकी मंजूरी दी गई।
  • महाराणा भूपाल स्टेडियम में खेलों के विकास कार्यों के लिए 174.99 लाख की स्वीकृति जारी।
  • स्मार्ट सिटी के लिए 15 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई।

सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि आवंटित-

  • मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी कार्यालय निर्माण के लिए
  • साइबर पुलिस स्टेशन
  • प्राथमिक स्वास्थय केंद्र दरोली
  • ग्राम सेवा सहकारी समिति गुडली के गोदान निर्माण
  • वैद्यनाथ महादेव वृहत कृषि बहुउद्देशीय

चंडीगढ़ जैसे मॉडल की तैयारी –

कलेक्टर ने खेल गाँव की पहाड़ियों पर जल्द पौधरोपण करवाने के निर्देश दिए और कहा की मानसून के दौरान ही चंडीगढ़ की तरह स्थानीय प्रजातियों के फूलदार पौधे लगाए जाए। सुचना केंद्र के ऑडिटोरियम और पुस्तकालय के जीर्णोद्धार तथा शहर में महान विभूतियों की प्रतिमाओं के क्षतिग्रस्त पेडस्टल में सुधार के लिए भी निर्देश दिए गए।

हाईवे जैसी सड़कों की क्वालिटी –
कलेक्टर ने कहा की हमारी बनाई गई सड़क पर वाइट लाइन 15 दिनों से ज्यादा क्यों नहीं दिखती ? नेशनल हाईवे वाली क्वालिटी की वाइट लाइन करवाई जाए। खेल गाँव में एक और हॉकी एस्ट्रोटर्फ बनाने पर भी चर्चा हुई।

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गुरु पूर्णिमा: जानिए मेवाड़ की अनोखी गुरु शिष्य की जोड़ी

हम सभी के जीवन में गुरु का बहुत विशेष महत्व होता है। हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। एक गुरु का जीवन में होना बहुत मायने रखता है क्योंकि एक गुरु ही है जो शिष्यों को अंधकार से निकालकर प्रकाश की और ले जाता है, सही गलत का अर्थ समझाता है, जीवन में सही दिशा की और अग्रसर करता है। गुरु के ज्ञान और संस्कार की वजह से ही एक शिष्य का जीवन सफल होता है और वह ज्ञानी बनता है। गुरु किसी भी मंदबुद्धि शिष्य को ज्ञानी बना देते है।

गुरु की महत्वता को देखते हुए ही पुराने ग्रंथों व किताबों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उपाधि दी गई है।
हर व्यक्ति को जीवन में ज्ञान की बहुत आवश्यकता होती है तभी वह अपने जीवन में उन्नति के मार्ग पर चल पाता है। एक विद्यार्थी तभी चमक सकता है, जब उसे सही शिक्षक का प्रकाश मिलता है। एक व्यक्ति सभ्य और संस्कारवान सिर्फ उसके गुरु की वजह से ही बनता है। एक सभ्य और शिक्षित समाज के निर्माण में यदि सर्वाधिक योगदान किसी का होता है तो वे हमारे गुरु का होता है।

महाभारत के रचयिता एवं आदि गुरु वेद व्यास जी की जयंती को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता हैं। आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का यह त्यौहार मनाया जाता है। प्राचीनकाल से ही गुरु और शिष्य की जोड़ी चली आ रही है। इतिहास में भी हमें कई सारे गुरुओं का उल्लेख मिलता है – महाभारत काव्य में शिष्य अर्जुन, एकलव्य, कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य का उल्लेख है। कर्ण के गुरु परशुराम जी थे। चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य थे। ऐसे ही हमें कई सारे गुरु शिष्य की जोड़ी की कई सारी कहानियों के बखान मिल जाएंगे।

क्या आप जानते है ऐसी ही गुरु शिष्य की एक अनोखी जोड़ी जो हमारे मेवाड़ के इतिहास जगत में भी है। विश्व प्रसिद्ध “महर्षि हरित राशि” और “बप्पा रावल” की जोड़ी । हरित राशि, बप्पा रावल  के गुरु थे। हरित राशि एकलिंगनाथ जी के बहुत बड़े भक्त थे और बप्पा रावल जिन्हे “कालभोज” के नाम से भी जाना जाता है।

बप्पा रावल वल्लभीपुर से आए थे, जो अब भारत के गुजरात राज्य में है। वह उदयपुर से 20 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी गांव के पास महर्षि हरित राशि के आश्रम के छात्रों में से एक थे। अपनी मृत्यु से पहले, हरित राशी ने अपने सभी शिष्यों में से बप्पा रावल को “दीवान” के रूप में चुना और श्री एकलिंगजी नाथ की पूजा और प्रशासन के अधिकार की जिम्मेदारी सौंप दी। उदयपुर के उत्तर में कैलाशपुरी में स्थित इस मन्दिर का निर्माण 734 ई. में बप्पा रावल ने ही करवाया। इसके निकट हरीत ऋषि का आश्रम भी है।

bappa rawal
बप्पा रावल

बप्पा रावल पूर्ण रूप से से अपने गुरु के प्रति समर्पित थे। हरित राशि ने अपने पसंदीदा छात्र को मेवाड़ राज्य प्रदान किया और अपने राज्य के शासन के दिशा-निर्देश और मुख्य नियम तैयार करके दिए। इसके बाद बप्पा रावल 8वीं शताब्दी की शुरुआत में मेवाड़ के संस्थापक बने।

आज “महर्षि हरित राशि पुरस्कार” एक राज्य पुरस्कार है। वैदिक संस्कृति, प्राचीन ‘शास्त्र’ और ‘कर्मकांड’ के माध्यम से समाज को जगाने में स्थायी मूल्य के कार्य करने वाले विद्वानों को सम्मानित करने के लिए इस पुरस्कार की स्थापना की गई है।

हमारी यहां गुरु सम्मान की परम्परा हजारो सालों से चलती हुई आई है औरआज तक जीवित हैं। हमें हमारे जीवन में गुरु की महिमा को समझना चाहिए उनका आदर सत्कार करना चाहिए। एक गुरु ही है जो हमारे जीवन को बदल सकता है सत्य की राह दिखा सकता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व एक इसी तरह का अवसर हैं जब हम गुरु दक्षिण देकर अपने प्रिय गुरु के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट कर सके।

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जानिए उदयपुर शहर के बीचों बीच बसा एक नगर ऐसा भी

व्यस्त ज़िन्दगी और शहर की चकाचौंध से कभी फुर्सत मिले तो ज़रा गाँव हो आना, कभी गाँव की याद आए तो वहां हो आना। शांत, खूबसूरत, प्राकृतिक आलोकिक, मनमोहक वातावरण में हो आना। 

हरे भरे घास के मैदान, खेत खलिहान, मंदिर, कुआँ, गाँव के वो कच्चे मकान ,गाय भैंस ,पशुपालन, फसल,चंचल हवा, पक्षियों की चहचहाट,गोबर से थपे कंडे,छोटा सा जलाशय जहाँ बच्चो को स्नान करते देख खुद के बचपन की स्मृति हो जाती है। 

हम सभी को गाँव बहुत प्यारा होता है, शहर मे व्यस्त हर इंसान छुट्टिया लेकर अपने गाँव जाना चाहता है ,वहाँ रहना चाहता है ,प्रकृति के जितना करीब रहता है उतना अच्छा महसूस करता है। गाँव के इलाकों में रहने वाले लोग शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं लेकिन वे कई आधुनिक सुविधाओं से रहित होते हैं जो जीवन को आरामदायक बनाते हैं। यहां लोग एक साधारण जीवन जीते हैं और जो कुछ भी उनके पास होता है उसमें संतुष्ट रहते हैं। गांव आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के आधार स्तम्भ है। गाँव में परम्पराओ का निर्वाहन अच्छे से किया जाता है। 

गाँवों में त्योहार सामूहिक रूप से मनाए जाते हैं और इस तरह उस दौरान खुशी और खुशी दोगुनी हो जाती है। वे एक-दूसरे के साथ सद्भाव में रहते हैं। वे रिश्तों को महत्व देते हैं और उसी को बनाए रखने के प्रयास करते हैं। वे अपने पड़ोस में रहने वाले लोगों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं और उनकी ज़रूरत के समय में उनके द्वारा खड़े होते हैं।

आइये जानते है, उदयपुर शहर के बीचों -बीच बसी एक छोटी सी मानव बस्ती जो संपूर्ण गाँव का वर्णन करती है। वैसे तो यह गाँव शहर में है, इसका रास्ता भी शहर से जुड़ा है और यह पूरी तरह गाँव भी नहीं है, पर यह जगह गाँव का वर्णन जरुर करती है, गाँव होने का एहसास जरूर करवाती है । यह जगह प्रकृति के करीब है। इसके साथ ही इस जगह पर भ्रमण करके गाँव की कला, संस्कृति और परंपरा को अच्छी तरह समझ सकते है। गाँव को महसूस जरूर किया जा सकता है। 

यह एक ऐसी जगह है,जो है तो आम सड़क ही पर कुछ देर के लिए वहाँ से गुजरने पर संपूर्ण सुखद गाँव का अनुभव होता है। जिसे देख कर मन और दिल तरोताज़ा हो जाता है। इस जगह आकर संपूर्ण गाँव के निर्बाध दृश्य को देखा जा सकता है।

आइए जानते है शहर में ऐसी कोनसी जगह है जो गाँव का अनुभव करवाती है, यूनिवर्सिटी रोड से शोभागपुरा 100 फीट रोड, पेट्रोल पंप के सामने, अशोक नगर के आगे यह रास्ता निकल रहा है, जो सीपीएस स्कूल की तरफ निकल रहा है। यही वह जगह है जो गाँव का वर्णन करती है।

शाम के समय अगर वक्त मिले तो इस गांव में हो आना ज़रा इसे निहार आना, अपने बचपन की गलियों से मिल आना।

 

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आज से फतहसागर पर ड्रैगन बोट रेस

शहर के फतहसागर झील पर 13 व 14 जुलाई को ड्रैगन बोट रेस का आयोजन किया जाएगा। इसमें से भारतीय टीम का चयन किया जाएगा। इस खेल में राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी ( नाडा) मौजूद रहेगी, जो खिलाड़ियों के लिए प्रतिबंधित एवं शक्तिवर्धक दवाओं की जांच करेगी। इस अवसर पर पारंपारिक तरह से शहरवासी ड्रैगन बोट देखने का लुत्फ़ उठा सकेंगे। उदयपुर शहर अब तक स्पोर्ट्स से जुडी राष्ट्रीय स्तर की 5 बड़ी प्रतियोगिताएं करवा चुका है।

चेकोस्लोवाकिया में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय ड्रैगन बोट प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम का चयन यही किया जा रहा है। राजस्थान के कयाकिंग एवं केनाइंग संघ अध्यक्ष आर.के. धाभाई ने बताया कि चयन प्रक्रिया दो दिन सुबह शाम के चार सत्रों में होगी, जिसमें 100 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी भाग ले सकेंगे। बुधवार सुबह शाम के सत्र में 200 मीटर पुरुष,महिला व मिक्स रेस एवं फिजिकल टेस्ट होगा। यही रेस गुरुवार को 500/1000 मीटर की होगी।

यह सारे परीक्षण फतहसागर झील एवं लवकुश स्टेडियम में होंगे। इस बीच खिलाड़ियों को पानी में ड्रैगन बोट चयन प्रक्रिया और शारीरक क्षमता के कई सारे परीक्षणों से गुजरना होगा। राजस्थान कयाकिंग एवं केनोइंग संघ के सचिव महेश पिम्पलकर ने बताया कि आयोजन के शुरुआत में अध्यक्षता संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट तथा मुख्य अतिथि के रूप में विधायक प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत रहेगी।

चयन समिति में मौजूद रहेंगे –
चेयरमैन स्टैंडिंग पेडल नवल सिंह चुण्डावत ने बताया कि चयन समिति में डॉ.बी.एस.वनार, महासचिव भारतीय कयाकिंग एवं केनाइंग संघ, दिलीप सिंह चौहान, चेयरमैन भारतीय ड्रैगन बोट, अजय अग्रवाल चेयरमैन राजस्थान ड्रैगन बोट, सुनील केवट अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी एवं कोच, नाजिस मंसूरी राष्ट्रीय कोच, अनिल राठी भारतीय सेना के कोच तथा स्थानीय स्तर पर केनो स्प्रिंट कोच निश्चय सिंह चौहान, दीपक गुप्ता, रणवीर सिंह राणावत, कुलदीपक पालीवाल परीक्षणों में शामिल रहेंगे।

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राजस्थान के आखिरी सफ़ेद बाघ की मौत

जयपुर स्थित नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के सफ़ेद बाघ चीनू की मौत हो गई। वह प्रदेश का एकमात्र आखिरी सफ़ेद बाघ था जिसने रविवार को दोपहर में तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ दिया। चीनू को पिछले साल 17 मार्च को ज़ू एक्सचेंज से जयपुर लाया गया था। वह छः दिन से बीमार था और उसने एक सप्ताह से खाना पीना भी छोड़ दिया था। क्षेत्रीय वन अधिकारी गौरव ने बताया की 5 दिन से जयपुर,चेन्नई,बरेली,ओडिशा इन जगह के विशेषज्ञों द्वारा चीनू का इलाज चल रहा था।

मेडिकल बोर्ड ने मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है और यह भी बताया है कि बाघ की एक किडनी सामान्य की तुलना में बड़ी पाई गई थी। बाघ के सैम्पलों को बरेली स्थित IVRI में जांच के लिए भेजा गया था। वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत का कारण पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगा।

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क तीन साल से दुर्लभ वन्यजीवों के लिए मौत का स्थान बना हुआ है। यहाँ 27 सितम्बर 2019 को केनाइन डिस्टेंपर से बाघ सीता और 4 अगस्त 2020 को लेप्टोस्पायरोसिस से बाघ राजा की मौत हो गई थी। चीनू प्रदेश का आखिरी सफ़ेद बाघ था। अब प्रदेश में एक भी सफ़ेद बाघ नहीं बचा है।

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उदयपुर – अहमदाबाद के 32 किमी ट्रैक पर 24 तरह की कमियां

उदयपुर  -अहमदाबाद आमान परिवर्तन कार्य के दौरान सीआरएस निरिक्षण की रिपोर्ट में निकली कई सारी कमियां । खारवाचंदा से जयसमंद रोड के बीच 32 किलोमीटर ट्रैक पर कुल 24 तरह की कमियां पाई गई है। दो दिन के इस सीआरएस निरिक्षण की रिपोर्ट में कई सारी जगहों में भारी चूक होने जैसे स्थितियां पाई गई है। ट्रैक पर मिली इतनी कमियों को जल्द सुधार पाना मुश्किल है। ऐसे में कमियां सुधारे जाने पर इसकी रिपोर्ट चीफ रेलवे सुरक्षा कमिश्नर को भेजनी होगी। इसके बाद ही रेलवे बोर्ड की तरफ से नए ट्रैक पर ट्रैन संचालन की अनुमती दी जा सकेगी।

ये कमियां पाई गई-

  •  स्टेशन से स्टेशन और स्टेशन से ट्रैन तक के संचार सही नहीं पाए गए है।.
  • कई सारी जगहों पर मोबाइल नेटवर्क नहीं हैं।
  • लाइन पर 25 पीएसआर शुरू किए गए, लेकिन यहां पीएसआर के बोर्ड ही उपलब्ध नहीं है।
  •  कुछ स्थानों पर सुरक्षा के लिए बाड़ बंदी कराने की जरुरत बताई गई।
  •  जावर स्टेशन पर एफओबी का काम अधूरा है और रास्ता भी उपलब्ध नहीं है।
  •  टनल 2 में भी कमियों पर विशेषज्ञों से संरचनात्मक चीजों की जरुरत बताई।
  • तीन गर्डरों में भिन्नता होने पर जांच क बाद ही सुरक्षा प्रमाणित करने को कहा।
  •  मोड़ पर कई सारी कमियां पाई गई।
  •  ब्रीज पर अलाइनमेंट सही नहीं था। हुक,बोल्ट,क्लिप गायब थे व स्लीपरों में कट था।
  •  पूलों की पिचिंग में 35 किलों के पत्थर के बजाय छोटे पत्थर लगे मिले।
  •  कुछ जगहों पर लटकी हुई चट्टानों को असुरक्षित माना।
  •  कई जगहों पर ट्रैक पर किए गए जोड़ में गलतियां पाई गई।
  •  बरसात से मिट्टी पर कटाव देखा गया।
  •  एमएफपी और एसबीसी में पर्याप्त दुरी नहीं थी।
  •  जावर और पडला स्टेशन में प्लेटफार्म की ऊंचाई भी नियमानुसार नहीं थी।
  •  सभी पूलों पर गार्ड फ्लेयर को पुरे सेक्शन में बदलने की जरुरत।
  •  सुरंगों में बिजली आपूर्ति लोकल फीडर से थी।
  •  सुरंगों में मोबाइल नेटवर्क नहीं था।
  •  आरओबी के दोनों और रास्ते दिखाए गए थे,लेकिन मौके पर नहीं थे।
  •  आरओबी की दीवार 1.5 मीटर के मुकाबले 1.3 मीटर ही मिली।
  •  मल्टीसेल आरसीसी बॉक्स के बजाय छोटे और सिंगल आरसीसी बोक्स दिए गए।
  •  जावर स्टेशन पर एफओबी का काम अधूरा पाया गया। यहां पानी की आपूर्ति भी नहीं थी।
  •  घाट स्थानों पर नींव की गहराई नियमानुसार नहीं थी।
  •  जावर स्टेशन पर एफओबी का काम अधूरा है और रास्ता भी उपलब्ध नहीं है।