Underground Cable Systerm

सीवरेज,बिजली और पानी की लाइनें हो रहीं है अंडरग्राउंड

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में सीवरेज सहित बिजली-पानी की लाइनें अंडरग्राउंड की जा रही है।

साथ ही शहर की ख़राब सड़कों की परेशानी से निपटने का एक्शन प्लान बनाया है जिसके तहत जो सड़क बन जाए, उससे तीन साल तक किसी भी तरह छेड़छाड़ नहीं होगी। इसके लिए सड़काें का ब्यौरा ऑनलाइन किया जाएगा जिसमें निगम के इंजीनियर हिस्ट्री ऑफ राेड्स बनाएंगे। इससे कौनसी सड़क कब बनी, यह जानने में आसानी। यह जानकारी ऑनलाइन रहने से सड़कों का रिपाेर्ट कार्ड बनेगा।

निगम इस तैयारी में है जो सड़क एक बार बन जाये, उससे तीन साल तक किसी भी तरह की छेड़छाड़ न हो।

युआईटी ने भी अपने क्षेत्र की सड़काें की री-कारपेटिंग का काम शुरू किया है। फतहसागर अाेवर फ्लाे प्वाइंट से युआईटी सर्किल तक डामर कर नया कर दिया गया है।

शहर में नई सड़कें बनने के बावजूद कई बार, सरकारी विभाग या निजी टेलीकॉम कंपनियां सड़कें खोदती हैं। पिछले वर्षों में सीवरेज लाइन, स्मार्ट सिटी के कामों, केबल आदि के लिए सड़काें काे खाेदा गया था। इन सडकों को वापस पहले जैसा भी नहीं किया जाता और क्षेत्रवासी धूल-मिट्‌टी से परेशान रहते हैं। इसी को देखते हुए निगम ने तय किया है कि अब जो भी सड़कें बनेंगी, उन्हें तीन साल तक नहीं छेड़ा जाएगा।

हिस्ट्री ऑफ राेड्स के साथ शहर में खराब सड़काें से निजात दिलाने के लिए शहर की प्रमुख सड़काें काे नगर निगम नया करेगा। इन सड़काें की जानकारी जुटाकर सड़कें बनाना शुरू किया जाएगा। शहर के बाहरी हिस्से की हर प्रमुख राेड ठीक करने का प्लान तैयार किया गया है।

सड़काें काे नया जैसा करने के लिए निगम उनकी री-कारपेटिंग करेगा। मुख़्य ट्रंक राेड, क्राॅस राेड या मुख़्य टूरिस्ट राेड पर डामर कर तैयार किया जाएगा। लगभग 50 से 70 किमी क्षेत्र में शहरभर में इनका निर्माण होगा।

मानसून में जो सड़कें पानी भरने से टूटती हैं, उनके डामरीकरण के अलावा तकनीकी काम होंगे। जिन चाैराहाें के आस-पास पानी जमा हाेने से सड़कें टूटती हैं उनके चाराें ओर सीसी सड़क बनाई जाएगी। कुछ चौराहों पर पायलट प्रोजेक्ट सफल हाेने पर सभी चाैराहे शामिल करेंगे।

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