बहुत सारी छोटी चीज़े मिल कर एक बड़ी चीज़ बनाते हैं, इसी तरह बहुत सारी छोटी चीज़े मिल कर एक रिश्ता बनता है. प्यार, सुरक्षा, विश्वास, शक्ति, बल, ये सब शब्द मिल कर बनाते है एक और शब्द – पिता.
आज फादर्स डे है , वो दिन जो सबने निर्णय किया है अपने पिता को शुक्रियादा करने का, उनसे अपने प्यार का इज़हार करने का. क्या दूँ उन्हें, ये बताने के लिए की हम कितना प्यार करती हूँ मैं उनसे, पापा और मेरे बीच एक रिश्ता है, जो मझे सबसे प्यारा है, जिसकी मैं सबसे ज्यादा इज्ज़त करती हूँ, इस रिश्ते में हर चीज़ पवित्र है. फ़ादर, पिताजी, अब्बा, डैड, पापा, ये सभी एक ही रिश्ते के अनेक नाम है, एक रिश्ता जो बिना किसी स्वार्थ के है. समझ नहीं पा रही हूँ की कैसे शुरुआत करूँ आज अपने लेख की? कहाँ से वो शब्द चुन कर लाऊं जो इस रिश्ते को समझा सके? ये दिल का बंधन है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है, जो हमारी यादों में छिपा हुआ है. तो चलिए आज हम सब अपने बचपन की यादों के खज़ाने को खोलते है, जहाँ कुछ चीज़े हमारे चेहरे पर खुशी और हँसी लायेंगी, तो कुछ बातों से आँखें नम होंगी.
आज मेरा जन्म होने वाला है, सब खुश है, पर थोड़ी घबराहट भी है सभी के दिल में, माँ अंदर है, तभी मेरे रोने की आवाज आती है, इसी के साथ एक चेहरा जो सबसे ज्यादा डरा हुआ था वो सबसे ज्यादा खुश है, चरम सीमा की खुशी, पूरा जहाँ जीत लेने वाली खुशी. क्योंकि मेरे इसी रोने के साथ उनका और मेरा एक रिश्ता जुड़ा है, वो आज एक पिता बने है.
सुबह से शाम तक ऑफिस में खूब काम करके वो लौटे है, थके हुए है, पर आपकी बिना दाँतों वाली मुस्कराहट ने उनकी सारी थकान खत्म कर दी . छोटे से हैं आप, आपका कोमल शरीर और पापा के मजबूत कंधे, सवारी वाला घोडा भी बन जायेंगे वो आपके लिए, रोज सुबह ऑफिस जाने से पहले अपनी गाड़ी पर कॉलोनी में आपको घुमाना कभी नहीं भूले वो.
आपको सुबह रोज़ स्कूल तक छोड़ना, अपनी कॉपी पर उनसे अच्छे वाले पेन से अपना नाम लिखवाना, उनके साथ बाज़ार जा कर शक्तिमान और बार्बी वाले बैग खरीदना, हर सन्डे उनसे ज़िद करना की वो हमें घुमा कर लाएं, माँ की सब शिकायतें उनसे करना, ११ क्लास में जब विषय चुनने की बारी आई, तो हमने उन्हीं के पास जा कर सब राय मशवरा किया, कॉलेज में दाखिले की बात आई तो पापा ने ही सब भाग दौड़ की.
उन्हीं के हर नरम और सख्त निर्णय ने हमें आज यहाँ तक ला खड़ा किया. इस चीज़ के लिए हमें हर पल हमारे पिता का धन्यवाद करना चाहिए. जीवन के कठिन पथ पर चलने की शक्ति दी उन्होंने, समझाया उन्होंने, प्यार किया, जरुरत पड़ने पर डांट भी खायी हमने.
ईश्वर ने एक पिता पर भरोसा जताया है की वही घर के मुखिया हो सकते है, मुखिया यानि की जो हर एक बात के लिए जिम्मेदार रहेगा.
हमें पिता से मिलता है एक सुरक्षा का वादा, वो कहीं और से कभी मिल ही नहीं सकता. एक प्यार का एहसास, जो बिना किसी शर्त से बंधा है, वो हमें कभी नहीं नकारेंगे, हमारे सबसे बुरे वक्त में हमारे साथ खड़े रहेंगे, हमारा संबल बन. एक आश्वासन की वो हमें बिना किसी शर्त के प्यार देंगे, हमारी हर खुशी, हर जीत में और हर गम हर दर्द में हमारे साथ हमारे संबल बन खड़े रहेंगे, जिनसे हम अपने दिल ही हर छोटी बात भी बिना किसी हिचकिचाहट के साथ बाँट सकते हैं. जिनके लिए हमारी और परिवार की खुशी सर्वोपरी है, उनकी खुद की खुशी से भी ज्यादा. कोई भी पिता अपने बच्चों से क्या तोफ्हा चाहता है, प्यार का सच्चा इज़हार, एक पूरा दिन उनके साथ, एक बार गले मिलना, उनके आँखों में आंखें ड़ाल कर कहो की में आपसे बहुत प्यार करती हूँ . और मेरे एक दोस्त के लिए, आज तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ नहीं है, तो जो सबसे अच्छा तोहफा तुम उन्हें दे सकते हो, वो यह है की तुम्हारे पिता हमेशा जाने जाये उनके आदर्शो के लिए, जो तुम आज भी जिंदा रख सकते हो, उनके सम्मान और प्यार के साथ, जो हमेशा तुम्हारे साथ है, उनके आशीर्वाद के रूप में. हर वो काम करना अपनी जिंदगी में जिसका सपना उन्होंने अपनी आँखों में पाला था.
तो चलिए हम सब आज का ये दिन हमारे पापा के लिए यादगार पलों से भर दें. आप किस तरह से मुस्कराहट लायेंगे उनके चेहरे पे? उदयपुर ब्लॉग को भी शामिल कीजिये अपनी इन खुशियों में, हम सबके साथ बाटें अपने ये खुशी के पल. बताइए हमें की कैसा रहा आपका आज का ये दिन.
और अब अंत में, आलोक श्रीवास्तव जी की दो पंक्तियाँ….
थके पिता का उदास चेहरा, उभर रहा है यूँ मेरे दिल में,
की प्यासे बादल का अक्स जैसे, किसी सरोवर से झांकता है.
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