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मौसम ने ली अंगड़ाई

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आज दोपहर में बाज़ार निकला, आदतन अच्छा खासा स्वेटर डाल कर और सच मानिये धूप ने पसीने छुड़ा दिए। वापस घर आ कर चैन की सांस ली और थोड़े वक़्त में फिर से नार्मल हुआ। गर्मी के मौसम की दस्तक होने लगी है। दिन में धुप सताने लगी है और रात में सर्दी का आलम बरक़रार रहता है। गर्मी की आहट  हर ओर से सुनाई दे रही है। सूर्य देव के तेवर थोड़े रूद्र हुए हैं, दिन में प्यास अब ज्यादा लगने लगी है, सरसों पर पीले फूलों की कोंपले फूटने लगी हैं, पेड़ पौधे अपना कलेवर बदलने की तैयारी कर रहे हैं। पेड़ों की शाख से पत्ते गिरने लगे हैं जो पतझड़ के आने का संकेत है। प्रकृति अपनी ओर  से  हर संभव सन्देश देने का प्रयास कर रही है के – उठो जागो एक नया सवेरा हुआ है नए मौसम के रूप में।

अभी पूरी तरह से निश्चिन्त होने की आवश्यकता नहीं है, अभी लापरवाही ठीक नहीं। अभी सिर्फ शुरुआती दौर है मौसम के बदलने का, अभी थोडा इंतज़ार और कीजिये और फिर बेफिक्र हो कर घर से बहार निकलिए। अगर अभी बाहर आना जाना होता है तब भी गर्म कपड़ों को अलग मत रखिये। यह बीमार करने वाले हालात हैं। रोज़ समाचारों में आ रहा है स्वाइन फ्लू फिर से सक्रिय हो रहा है। आज भी समाचार पत्र में पढ़ा दो और स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज़ अस्पताल में दाखिल हुए हैं। सजगता, सतर्कता और सक्रियता अभी बेहद ज़रूरी है। जहाँ एक ओर मौसम करवट बदल रहा है वहीँ दूसरी ओर बीमारियाँ अपने पैर पसार रही हैं इसलिए अब पहले से ज्यादा सावधान रहिये।

नए मौसम के आने पर हमारी दिनचर्या पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। जहाँ सर्दी के मारे जो काम दूभर थे वो अब हम सहज ही कर सकते हैं मसलन सुबह की सैर। पतझड़ के आने से लोगो की व्यस्तता और बढ़ेगी जिनके घर में पेड़ पौधों की बहुतायत है। रोज़ ढेरो पत्तियों का अम्बार लग जायेगा जिसे रोज़ साफ़ करना अपने आप में बहुत बड़ा काम होगा। इस समय बड़े पेड़ों की छटनी की जा सकती है। बरसात के मौसम में वे स्वत: ही अपने पुराने रूप में दिखने लगेंगे साथ ही रोज़ रोज़ की साफ़ सफाई से भी थोड़ी रहात मिलेगी।

दुपहिया वाहन चालकों के लिए परेशानी शुरू हो गयी है। नहीं समझे? अरे भाई सरसों के फूलों के साथ साथ चेंपा भी तो आने लगता है। और दुपहिया वाहन चालकों को उसने परेशान करना शुरू कर दिया है। हाँ अभी थोडा कम है मगर अब धीरे धीरे यह भी बढ़ेगा। प्रकृति का जीवन चक्र तो यूहीं चलता रहेगा और इसके साथ साथ हम भी। जब चेंपा अलविदा कहेगा तब मच्छर मक्खियाँ लौट आयेंगे। हिट, आल आउट इनका मार्किट भी तो है। इधर कीड़े मकोड़े शुरू और उधर इन्हें मार भगाने की कवायद शुरू। अभी फिलहाल पंखे, कूलर साफ़ कर लीजिये अपने ए सी को दुरुस्त करवा लीजिये। ना ना अभी चलाइयेगा बिलकुल नहीं, वर्ना लेने के देने पड़ सकते हैं।लीजिये ए सी के नाम से याद आया, इधर पंखे, कूलर  ए सी  शुरू हुए नहीं की बिजली की खपत बढ़ेगी और लौट आयेंगे दिन कमबख्त बिजली कटौती के। आप सोच रहे होंगे की किस क़यामत को याद कर लिया। दोस्तों सही कहूं तो मुझे भी अभी से से सोच कर बहुत बुरा लग रहा है की बिन बिजली कैसी हालत होती है। सब काम रुकते हैं सो अलग गर्मी में बेहाल होना पड़ता है और सहन करना तो बाप रे बाप! इस पंखे कूलर की बात से बात याद आ गयी वर्ना बिजली कटौती तो मैं भूल ही गया था।

खैर दोस्तों जो होना है सो होगा। परिवर्तन आते हैं और आते रहेंगे। ये हमारी ज़िम्मेदारी है की इस परिवर्तन को हम किस प्रकार से अपनाते हैं। सहज रहें और समय रहते अपने सभी काम पूरे करें। खान पान,पहनावा, साफ़ सफाई बस इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें और प्रकृति के इस अनमोल उपहार को सहर्ष स्वीकार करें। जिस प्रकार परिवर्तन हमारे जीवन में ज़रूरी है ठीक उसी प्रकार से धरती पर मौजूद हर तत्व के लिए भी ये नितांत आवश्यक है। आइये इस परिवर्तन का तहे दिल से स्वागत करें।

Image Credits: indian-escape.in

By Ashwini Bagga

An art lover, guitarist and a writer from Jaipur serving as active Writer to UdaipurBlog.com. You can find more of my articles by : Clicking Here

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