आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर शुक्रवार को उदयपुर आएंगे। गुरु के आगमन पर बड़ी संख्या में शिष्य और अनुयायी अगवानी करेंगे। उनके सान्निध्य में 10 मार्च को शाम 06:30 बजे से B.N. College Ground में महासत्संग होगा। महासत्संग में 80 हजार से ज्यादा लोग शामिल होंगे। आर्ट ऑफ लिविंग बैंगलुरु से आई प्रशिक्षिका ममता ने बताया कि सत्संग के साथ श्री श्री रविशंकर जिज्ञासुओं के प्रश्नों के उत्तर भी देंगे।
श्री श्री रवि शंकर कहते हैं कि सांस शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है जो दोनों को जोड़ती है। इसे मन को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि ध्यान के अलावा दूसरे लोगों की सेवा भी इंसान का करनी चाहिए। वे विज्ञान और आध्यात्म को एक-दूसरे का विरोधी नहीं, बल्कि पूरक मानते हैं। वे एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं जिसमें रहने वाले लोग ज्ञान से परिपूर्ण हो ताकि वे तनाव और हिंसा से दूर रह सकें।
श्रीश्री के आगमन के पूर्व शहर में सत्व की जागृति के लिए नियमित रूप से अलग-अलग स्थानों पर सत्संग संध्याओं का आयोजन किया जा रहा है ।
The two day fest of Techno India NJR, Udaipur – ‘NJineeRs’ concluded on Feb 29, 2012. The fest was organized by the IEEE. It included various Technical, Fun and Cultural events. It ended with a Performance by Student Rock Band Group ‘Devine Legacy‘ and a Cultural Night which were followed up by Prize Distribution Ceremony.
Today The Maharana Mewar Foundation 31st Annual Award Distribution Ceremony was held at The Manek Chowk, The City Palace Complex, Udaipur.
On this occasion, the Maharana of Mewar Charitable Foundation honoured not only eminent
personalities but also citizens from all over the country. The ceremony started with the presentation of
certificates to students from schools and universities in Udaipur and across the State of Rajasthan. This was followed by the main Ceremony when the awardees gathered on the dais to receive their awards from Shriji
Arvind Singh Mewar of Udaipur, Chairman and Managing Trustee of Maharana of Mewar Charitable
Foundation, Udaipur.
While everyone was expressing their Love and Affection on the Valentine’s Day. I got a move around the Udaipur City to know how actually is the Love Day being celebrated. Deen Dayal Park, Rajeev Gandhi Park, Lake Pichola, Fatehsagar lakeside emerged as the favourite hotspot for the Couples to celebrate their Love. While the Gifts and Flowers shop were full of Buyers, Udaipur as usual faced the protest by various Social Groups. Anyways here are the pictures of the Valentine’s Day that I Clicked 🙂
On Behalf of Team UdaipurBlog.com I wish you a very Happy Valentine’s Day. I hope you guys enjoyed your day and had a good time with your loved ones.
विश्व का सबसे खुबसूरत और “रोमांटिक” शहर नए साल की आगवानी हेतु सज-धज के तैयार हो गया है. विभिन्न होटल अपनी ओर से भी नए नए पैकेज ऑफर करके सैलानियों को आकर्षित कर रहे है. कई रेस्टोरेंट्स और प्राइवेट फार्म हाउसेस में थीम पार्टियां आयोजित की जा रही है. शहर के अधिकांश होटल्स लगभग फुल हो चुके हैं. क्रिसमस और सर्दी की छुट्टियों का पूरा लाभ लेते हुए देशी सैलानी भी उदयपुर का रुख कर रहे हैं. अंदुरनी शहर की गलियाँ विदेशी मेहमानों कि कदम ताल से जीवंत हो उठी हैं.विभिन्न होटल्स ने भी नए साल का स्वागत करने के लिए नया इंटीरियर करवाया है, रौशनी से इमारतों को सजाया गया है.. उल्लेखनीय है कि झीलों के लबालब होने से पर्यटक उदयपुर का रुख कर रहे है. इस वर्ष कई फेमस हस्तियों ने भी उदयपुर आकर और बाद में अपने अनुभवों को सोशल साइट्स पर बांटकर पर्यटन को और समृद्ध किया है.
देशी सैलानियों में इस वक़्त गुजरात, दिल्ली और बंगाल के सर्वाधिक पर्यटक आ रहे हैं. अंदरूनी शहर में लगभग जाम की स्थिति बनी हुई है. ट्राफिक पुलिस ने सिटी पेलेस मार्ग को चौपहिया वाहनों के लिए एक तरफ़ा कर दिया है. पेलेस मुजियम को देखने आने वालो को भी लाइन में इंतज़ार करना पड़ रहा है. दूध तलाई, रोप वे, जगदीश मंदिर, मोती मगरी, लोक कला मंडल, बाघोर की हवेली इस वक़्त मेहमानों से रोशन है. गुलाबी सर्दी में पिछोला के पानी को निहारते सैकड़ों विदेशी और देशी सैलानी इन दिनों नज़र आ जायेंगे. पर्यटक यहाँ शिल्पग्राम में चल रहे मेले का भी भरपूर आनंद ले रहे हैं. वहां मेवाड़ के देसी व्यंजन उन्हें खूब भा रहे हैं. देश के हर कोने कोने से आये हस्त-शिल्प उन्हें यहाँ शिल्पग्राम में लघु-भारत का आभास दे रहे हैं. शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी खूब मन मोह रहे हैं.
मेट्रो शहरों की उबाऊ पार्टियों से दूर अब सैलानी प्रकृति से भरपूर और शांत शहरों की ओर रुख करने लगे हैं. udaipurblog.com टीम ने जब शहर में भ्रमण कर रहे सैलानियों से उनके अनुभव जानने चाहे तो एक ही बात सामने आई कि उन्हें उदयपुर की झीलें और यहाँ के शांत लोग सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं. वे यहाँ यहाँ बार बार आने से खुद को रोक नहीं प़ा रहे. फरीदाबाद से अपने पूरे परिवार के साथ शहर घूमने आये श्री विनोद जैन को शहर का रेलवे स्टेशन भी अलग लगा. वे प्राकृतिक सौन्दर्य से बहुत प्रभावित नज़र आये. मुंबई से आये एक युवा समूह ने झील के किनारे एक होटल में पार्टी की लिए पूरी तैयारी कर ली हैं. वे शहर भ्रमण के साथ साथ आस-पास के पर्यटन स्थलों की तरफ भी रुख कर रहे हैं. सूरत से आये एक गुजरती परिवार की डेल्ही गेट से कर को ट्राफिक पुलिस उठा कर ले गयी, क्योकि शौपिंग करते हुए वे अपनी कर को गलत जगह पार्क कर गए थे. 24 परगना (पश्चिम बंग)जिले से आये चक्रवर्ती परिवार लगातार तीसरी बार उदयपुर आया है.. परिवार की एक बुज़ुर्ग सदस्य हँसते हँसते कहती है… पधारो म्हारे देस की धुन उन्हें बार बार यहाँ आने का न्योता दे रही है. कोई “नटराज” के खाने से मोहित नज़र आया तो किसी को लोक कला मंडल की कठपुतली शो ने चमकृत कर दिया. पिछोला में पड़ रही लेक पेलेस और जग मंदिर कि रौशनी से कोई अपनी नज़र नहीं हटा प़ा रहा तो करणी माता, माछला मगर से शहर को निहारने की भी ललक किन्ही आँखों में दिखाई दे रही है…. बहरहाल आगामी पांच-सात दिनों तक शहर पर्यटकों से यू ही आबाद रहने वाला हैं.
चलते चलते– udaipurblog.com द्वारा शहर में पधारे पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे अनधिकृत गाइडों और लपकों के बहकावे में न आयें. अपने वाहन निर्धारित स्थानों पर ही पार्क करें. किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर वहां उपस्थित पुलिस अथवा आमजन की मदद ली जा सकती है. उदयपुर आने की प्लानिंग करने वाले दोस्तों से निवेदन है कि कृपया पहले एडवांस बुकिंग करवा कर ही शहर में पधारे, ताकि अनावश्यक असुविधा से बचा जा सके.
आचार्य चरण, प्रभुचरण सहित सप्त आचार्य वर्णन- श्रीमद्वल्लभविट्ठलौ गिरिधरं गोविंदरायाभिधम्, श्रीमद् बालकृष्ण गोकुलपतिनाथ रघूणां तथा एवं श्रीयदुनायकं किल घनश्यामं च तद्वंशजान्, कालिन्दीं स्वगुरुं गिरिं गुरुविभूं स्वीयंप्रभुंश्च स्मरेत् ॥
अखिल भारतीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री नाथद्वारा में आगामी तीन दिनों तक विशेष मनोरथ का आगाज़ आज से होगा. तिलकायत महाराज श्री विशाल बावा के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में ये मनोरथ आयोजित किया जा रहा है| श्रीनाथ मंदिर मंडल से udaipurblog.com को मिली जानकारी के अनुसार पहले दिन आज श्रीजी को छप्पन भोग धराया जायेगा | छप्पन भोग पर श्रीजी को विशेष श्रृंगार और राजभोग दर्शन में अनूठा वागा (वस्त्र) धारण करवा कर लाड लड़ाए जायेंगे. श्रीनाथजी के सभी दर्शन पूर्व नियोजित कार्यक्रम अनुसार ही होंगे. छप्पन भोग के लिए श्रीनाथजी की रसोई में विशेष तैयारियों के साथ पकवान बनाये जा रहे हैं किन्तु उसकी जानकारी गोपनीय रखी गयी है. तर्क दिया जाता है कि श्रीजी का स्वरुप बाल कृष्ण स्वरुप है और किसी बालक को खिलाये जाने वाले भोजन की जानकारी यदि माता किसी को दे तो बालक को “नज़र” लगने का भय होता है.
मनोरथ के दुसरे दिन लालन नवनीतप्रिया जी मंदिरजी से टाटोल गौशाला विहार हेतु पधारेंगे. तीसरे दिन वहीँ लालन को सोने के बंगले की झांकी का मनोरथ होगा. लालन को सोने के बंगले में विराजित करवाया जायेगा. दो दिवस तक लालन श्रीजी के गौओं के बीच विहार करेंगे. टाटोल गौशाला आने जाने के लिए मंदिर मंडल की ओर से बस स्टेंड, नाथद्वारा से सीधी निशुल्क बस सेवा उपलब्ध होगी.
मंदिरजी पर तिलकायत के जन्मोत्सव पर विशेष पंचरंगी ध्वजा चढ़ाई जाएगी. अनूठे श्रृंगार के बीच पुष्प चढ़कर लड़ लड़ाए जायेंगे. लालन को झुला झुलाया जायेगा. तीन दिवस तक श्रीजी के भी विशेष दर्शन होंगे. सप्त दर्शन समय यथावत रहेंगे. मंगला प्रातः 5 – 5.15AM बजे, श्रृंगार 7 – 7.15AM बजे, ग्वाल 8.30 – 8.40AM , राजभोग 11.40-12.15 PM, उत्थापन दर्शन सायं 3.45- 4.00PM बजे, भोग 5- 5.05PM , आरती 6.00-6.15 PM शयन (गुप्त) दर्शनों का समय रहेगा.
आगामी तीन दिनों तक वैष्णव नगरी पूर्ण रूप से श्रीजी के मनोरथ रंग में रंगी नज़र आएगी.
उल्लेखनीय है कि पुष्टि मार्ग में भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की आराधना की जाती है जिसमें उन्होंने बाएँ हाथ से गोवर्धन पर्वत उठा रखा है और उनका दायाँ हाथ कमर पर है।
श्रीनाथ जी का बायाँ हाथ 1410 में गोवर्धन पर्वत पर प्रकट हुआ। उनका मुख तब प्रकट हुआ जब श्री वल्लभाचार्यजी का जन्म 1479 में हुआ। अर्थात् कमल के समान मुख का प्राकट्य हुआ।
1493 में श्रीवल्लभाचार्य को अर्धरात्रि में भगवान श्रीनाथ जी के दर्शन हुए।साधू पांडे जो गोवर्धन पर्वत की तलहटी में रहते थे उनकी एक गाय थी। एक दिन गाय ने श्रीनाथ जी को दूध चढ़ाया। शाम को दुहने पर दूध न मिला तो दूसरे दिन साधू पांडे गाय के पीछे गया और पर्वत पर श्रीनाथजी के दर्शन पाकर धन्य हो गया। दूसरी सुबह सब लोग पर्वत पर गए तो देखा कि वहाँ दैवीय बालक भाग रहा था। वल्लभाचार्य को उन्होंने आदेश दिया कि मुझे एक स्थल पर विराजित कर नित्य प्रति मेरी सेवा करो। तभी से श्रीनाथ जी की सेवा मानव दिनचर्या के अनुरूप की जाती है। इसलिए इनके मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, आरती, भोग, शयन के दर्शन होते हैं। कालांतर में मुस्लिम आतातियों के निरंतर आक्रमणों और मीरा बाई को दिए वचन के चलते श्रीजी मेवाड़ पधारे और पहले घसियार और बाद में श्रीनाथद्वारा में पधारे. तभी से श्रीनाथद्वारा वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है.
उदयपुर शहर से 60 कि.मी. दूर कुराबड- बम्बोरा मार्ग पर अरावली की विस्तृत पहाड़ियों के बीच स्थित है मेवाड़ का प्रमुख शक्ति-पीठ इडाना माता जी. राजपूत समुदाय, भील आदिवासी समुदाय सहित संपूर्ण मेवाड़ की आराध्य माँ.
स्थानीय लोगों में ऐसा विश्वास है कि लकवा से ग्रसित रोगी यहाँ माँ के दरबार में आकर ठीक होकर जाते हैं. माँ का दरबार बिलकुल खुले एक चौक में स्थित है. ज्ञात हुआ कि यहाँ देवी की प्रतिमा माह में दो से तीन बार स्वतः जागृत अग्नि से स्नान करती है. इस अग्नि स्नान से माँ की सम्पूर्ण चढ़ाई गयी चुनरियाँ, धागे आदि भस्म हो जाते हैं. इसी अग्नि स्नान के कारन यहाँ माँ का मंदिर नहीं बन पाया. माँ की प्रतिमा के पीछे अगणित त्रिशूल लगे हुए है. यहाँ भक्त अपनी मिन्नत पूर्ण होने पर त्रिशूल चढाने आते है. साथ ही संतान की मिन्नत रखने वाले दम्पत्तियों द्वारा पुत्र रत्न प्राप्ति पर यहाँ झुला चढाने की भी परम्परा है. इसके अतिरिक्त लकवा ग्रस्त शरीर के अंग विशेष के ठीक होने पर रोगियों के परिजनों द्वारा यहाँ चांदी या काष्ठ के अंग बनाकर चढ़ाये जाते हैं.
प्रतिमा स्थापना का कोई इतिहास यहाँ के पुजारियों को ज्ञात नहीं है. बस इतना बताया जाता है कि वर्षो पूर्व यहाँ कोई तपस्वी बाबा तपस्या किया करते थे. बाद में धीरे धीरे स्थानीय पडोसी गाँव के लोग यहाँ आने लगे.
कभी बिलकुल बीहड़ में स्थित इस शक्ति-पीठ में इन दिनों काफी विकास कार्य हुए हैं. ” श्री इडाना माँ मंदिर ट्रस्ट के सरंक्षक श्री लवकुमार सिंह कृष्णावत (कुराबड) ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में भामाशाहों के सहयोग एवं मंदिर के चढ़ावे से यहाँ धर्मशाला निर्माण, गौशाला निर्माण, रोगियों को मुफ्त भोजन एवं आवास सहित और कई जनोपयोगी कार्य करवाए गए हैं.
प्रमुख स्थल- माँ का दरबार, अखंड ज्योति दर्शन, धुनी दर्शन, गौशाला, विस्तृत भोजनशाला, रामदेव मंदिर आदि. प्रमुख दर्शन – प्रातः साढ़े पांच बजे प्रातः आरती, सात बजे श्रृंगार दर्शन, सायं सात बजे सायं आरती दर्शन यहाँ प्रमुख दर्शन हैं. इस शक्ति पीठ की विशेष बात यह है कि यहाँ माँ के दर्शन चौबीस घंटें खुले रहते है. सभी लकवा ग्रस्त रोगी रात्रि में माँ की प्रतिमा के सामने स्थित चौक में आकर सोते है. दोनों नवरात्री यहाँ भक्तों की काफी भीड़ रहती है. इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख त्यौहार यहाँ धूमधाम से मनाये जाते है.
कैसे पहुचें- सूरजपोल से प्रातः उपनगरीय बस सेवा उपलब्ध. इसके अतिरिक्त कुराबड-बम्बोरा मार्ग पर जाने वाले वाहनों से बम्बोरा पहुचकर वहा से जीप द्वारा शक्तिपीठ पंहुचा जा सकता है. स्वयं के वाहनों से जाने पर देबारी- साकरोदा- कुराबड- बम्बोरा होते हुए शक्ति पीठ पंहुचा जा सकता है. (दुरी- 60 किलोमीटर)
Supporting the National Bandh; BJP and Chamber of Commerce held a Udaipur Bandh against FDI. This was against the decision of 50% Foreign Direct Investment(FDI) in retail sector allows the Big companies like Walmart, TESCO to directly enter India. This Bandh was supported by nearly all the Banks, Schools, Colleges, Petrol Pumps, Shops. Here are a series of pictures clicked by me for UdaipurBlog 🙂 .
After the Overflow of Lake FatehSagar and Lake Pichola it was now turn of Lake UdaiSagar which is 13 kms in the east of Udaipur to overflow having capacity of 23Ft. and it finally overflowed. Continuing the series of Pictures here we have Pictures of Lake UdaiSagar Overflow 🙂 We hope you all like it.
The Dahi Handi event at jagdish chowk has become a prolonged custom; the janmashtami celebration is accompanied with colorful cultural activities where many localities and foreign tourists take active participation. These activities include cultural dance, singing performances which ends with the Dadhika Matki Phod. The special attaraction here at the jagdish chowk is the performances by the tourists across the globe who sing and perform on Rajasthani Songs.
The Event was organized by : Dharmotsav Samiti
This year there were more than 5000 Devotees, Anna Hazare was among the hot topic of people’s interest. They cheered the spirit of Anna with the Slogans like “Anna Tum Sangarsh Karo, Hum Tumhare Saath Hei” 😀
The Chief guests of the Event were The Royal Price of Mewar – Huzoor Lakshyaraj Singh ji Mewar, Rahul Agarwal (Director, Pacific University who awarded Rs. 15,000 to the winner of Dahi Handi Competition), Harish Rajani (Sunrise Group of Institutions), Prashant Agarwal (Narayan Seva Sansthan), Beena Verdia (Mother – Late. Lt. Archit Verdia).
Fame of X-Factor “Deewana Group” Mr. Shahnawaz Khan (Udaipur ke ‘Bunty Bhaiya’) and Mr. Asif Khan who performed on various songs like ‘Zindagi Maut na ban jaye Sambhalo Yaaron’ with a special message – “Chand Sikko k liye tum na karo kaam bura, har burayi ka sada hota hai anjaam bura”, Vande Maatram (‘Apne Bunty Bhaiya ka trademark Song’ 😛 Sings it every year!!) and many patriotic songs to cheer Govidaas present there.
Janmashtmi Celebration at Sector 11 machla magra Udaipur at Triyambakeshar Mahadev Temple included Amazing Shringar and beautiful tableau(jhanki) of Lord Krishna; Bhajan mandli continued till midnight and celebrated Birthday of Lord Krishna.