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Dinesh Nandini Dalmia | People from Udaipur You Should Know About

Our city – Udaipur is completely filled with beauty in and out. And this beauty is not reflected in just its history, culture and its places, but also in its people. There are some gem of the people belonging from Udaipur who, with their hard work and success, have not just made the city but the entire nation proud.

But sadly, with time we tend to forget the accomplishment of such people of the city. The series ‘People from Udaipur you should know about’ tends to glorify the journey of these famous and triumphant people from Udaipur who have become an epitome of success in their lives.

Dinesh Nandini Dalmia

Dinesh Nandini Dalmia, originally known as Dinesh Nandini Chordia, was born on 16th February 1928 in Udaipur. She was a renowned poet, story writer, and novelist of Hindi literature.

Life of Dinesh Nandini Dalmia

Dinesh started her literary activities at a mere age of 13 years. In the year 1946, at the age of 18 years, she got married to Ramkrishna Dalmia.

Source: सम्पूर्ण क्रांति

Ramkrishan Dalmia was the founder of the Dalmia group and after Jamshed Ji Tata and Ghanshyam Das Birla, he was the third biggest industrialist and third richest person in the country. He had a very close relationship with Mohammad Ali Jinnah and other popular politicians back then. During that time, when people couldn’t even imagine having a second marriage, he had six marriages where Dinesh Dalmia was his sixth wife. His life had been full of marital affairs but Dinesh agreed to marry him only on one condition that this would be his last marriage and it turned out to be true. But he still had many affairs with other ladies including the sister of Mohd. Ali Jinnah, Fatima Jinnah (as per the rumor).

Ramkrishna Dalmia | Source: News18

Even after her marriage Dinesh Nandini continued her education to secure a post-graduate degree and became the first woman to hold a master’s degree in the entire state of Rajasthan.

Dinesh was known to be a feminist because of her views as well as her literary works. She protested against the purdah system and discrimination against women. She was an active member of Indo-China Friendship Society, Lekhika Sangh and the Institute of Comparative Religion and Literature (ICRL) and even served as the president of ICRL.

Her work has compelled stalwarts like Harivansh Rai Bachchan to praise her in his autobiography. Pandit Nehru wrote several letters in appreciation of her works.

 

Notable works

  • Amongst her many bestsellers books, some popular ones are Shabnam, Niraash Aasha, Mujhe Maaf Kama and Yeh Bhi Jhooth Hai. Her daughter ‘Neelima Dalmia Adhar’ also wrote the famous biography of her father named as Father Dearest: The Life and Times of R. K. Dalmia in 2003.
Neelima Adhar Dalmia | Source: Times of India
  • Subsequently, she also wrote short stories and novels, out of which 35 were published.
  • ‘Phool Ka Dard’ is a documentary film which is made by her work of the same name.
  • She was one of the founder of the literary magazine, Richa and was its chief editor.

Awards and Achievements

  • Dinesh has been awarded various awards during her lifetime. Indian government awarded her with the third highest civilian award ‘Padma Bhushan’ in 2006 for her contribution to literature.
  • ‘Shabnam’, her first published book earned her the Sakseria Award. She was also a recipient of Prem Chand Award.
  • She received Mahila Sasakthikaran Puraskar of the Hindi Sahitya Akademi in 2001 and Rani Durgavati University conferred a doctorate on her in 2005.
  • Delhi administration named a market at W-point, Tilak Marg as Dineshnandini Dalmia Chowk in her honor.
  • India Posts issued a commemorative stamp on her in 2009.
Stamp of Dinesh | Source: The Hindu

Dinesh Nandini Dalmia died on 25 October 2007, at the age of 79 in Delhi leaving behind her strong thoughts of wisdom through her literary works.

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हिंदी दिवस विशेष – उदयपुर के कवि और हिंदी भाषा से जुड़े कुछ तथ्य

 

“जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वो उन्नत राष्ट्र नहीं हो सकता“ – डॉ राजेंद्र प्रसाद

 

14 सितम्बर यानी आज का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है । 14 सितम्बर, 1949 के दिन ही यूनियन ने हिंदी को अपनी अधिकारिक भाषा घोषित किया था । इस महत्वपूर्ण अवसर पर हम आप लोगो के सामने उदयपुर के ख्यातनाम कवि श्री नंद चतुर्वेदी और रति सक्सेना द्वारा लिखित दो कविता लेकर आये है ।

ये तो हम सभी जानते ही है कि मेवाड़ की धरती ने अनेक कवियों और लेखकों को जन्म दिया है पर नंद चतुर्वेदी एवं रति सक्सेना की कवितायें न केवल आपको अपना संसार बनाने की छूट देंगी लेकिन साथ ही साथ उनकी ये कविता अंत में एक संदेश भी ज़रूर दे जाती है ।

आप खुद पढ़ कर मज़ा लीजिये ।

  1. नन्द चतुर्वेदीNand_Chaturvedi

प्रेम के बारे में

हवा से मैंने प्रेम के बारे में पूछा

वह उदास वृक्षों के पास चली गयी

सूरज से पूछा

वो निश्चिन्त चट्टानों पर सोया रहा

चन्द्रमा से मैंने पूछा प्रेम के बारे में

वो इंतज़ार करता रहा लहरों और लौटती हुई पूर्णिमा का

पृथ्वी ही बची थी

प्रेम के बारे में बताने के लिए

जहाँ मृत्यु थी और ज़िन्दगी

सन्नाटा था और संगीत

लड़कियाँ थी और लड़के

हजारों बार वे मिले थे और कभी नहीं

समुद्र था और तैरते हुए जहाज

एकांत था और सभाएं

प्रेम के दिन थे अनंत

और एक दिन था

यहाँ एक शहर था सुनसान

और प्रतीक्षा थी यहाँ जो रह रहे थे

वो कहीं चले गये थे

थके और बोझा ढोते

जो थक गये थे लौट आये थे

यहाँ राख थी और लाल कनेर

प्रेम था और हाहाकार ।

  1. रति सक्सेनाrati saxena

भले घर की लडकियाँ

 

भले घर की लडकियाँ

पतंगें नहीं उडाया करतीं

पतंगों में रंग होते हैं

रंगों में इच्छाएँ होती है

इच्छाएँ डँस जाती है

 

पतंगे कागजी होती है

कागज फट जाते है

देह अपवित्र बन जाती है

पतंगों में डोर होती है

डोर छुट जाती है

राह भटका देती है

 

पतंगों मे उडान होती है

बादलों से टकराहट होती है

नसें तडका देती हैं

तभी तो

भले घर की लड़कियाँ

पतंगे नहीं उड़ाया करतीं ।

 

 

अब हम आपको हिंदी भाषा से जुड़ी कुछ मजेदार बातों के साथ छोड़ जाते हैं :-

  • हिंदी को अपना नाम पर्शियन शब्द ‘हिन्द’ से मिला ।
  • हिंदी में छपी पहली किताब ‘प्रेम सागर’ मानी जाती है । इसे लल्लू लाल ने 1805 में लिखा था । ये किताब भगवान् श्री कृष्णा के दिए संदेशों पर आधारित थी ।
  • 1881 में बिहार ने उर्दू की जगह हिंदी को अपनी अधिकारिक राज्यीय भाषा का दर्जा दिया । हिंदी भाषा को अपनाने वाला वो भारत का पहला राज्य बना ।
  • ‘समाचार सुधावर्षण’ पहली हिंदी दैनिक पत्रिका थी, जो 1854 में कलकत्ता से शुरू हुई ।
  • हिंदी भारत के आलावा मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एंड टोबेगो और नेपाल में भी बोली जाती है ।
  • आज की तारीख में करीब 500 मिलियन लोग हिंदी बोलते है या जानते है ।
  • पहला हिंदी टाइपराइटर 1930 में आया ।
  • हिंदी उन सात भाषाओँ में शामिल है जो वेब एड्रेस बनाने के काम आती है ।
  • हिंदी और उर्दू को समानताओं के कारण एक दुसरे की बहन माना जाता है ।

 

तो है न हिंदी मजेदार भाषा!!! भाई अंग्रेजी अपनी जगह है । पर जो मज़ा हिंदी बोलने और सुनने में आता है वो किसी और भाषा में कहाँ ?

खैर कवितायें और भी थी आपके साथ साझा करने को पर फिर हमने सोचा कि आज आप लोग आपकी अपनी पसंद की हिंदी कविता या कहानी कमेंट कर उदयपुर के लोगो तक पहुचायें । इसी बहाने शहर के लोगो को हिंदी को और करीब से जानने का मौका मिल जायेगा और साथ ही साथ नई-नई कवितायें पढने को भी मिल जाएगी ।

 

आज हिंदी दिवस को इसी तरह कुछ ख़ास बनाते है । हमने तो दो कवितायें लिख भेजी है, अब आप लोगों की बारी है …