sagas ji udaipur

सगस जी के 402वें जन्मदिन पर आइये उनके चमत्कारों पर कुछ बातें करे

हर वर्ष श्रावण के शुक्ल पक्ष में सगस जी बावजी का जन्मदिन पूरे मेवाड़ में काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। उदयपुर में सभी सगस जी के मंदिरों के बाहर इस दिन काफी भीड़ रहती है। आखिरकार सभी भक्त सगस जी के दर्शन के एक पल के लिए पूरा दिन इंतज़ार करने के लिए तैयार जो रहते है। इसी अवसर पर हमने सगस जी के बारे में कुछ और बातें जानने के लिए महंत मिट्ठालाल चित्तौड़ा से बात की।

86 वर्षीय महंत मिट्ठालाल चित्तौड़ा वह युवक है जिन्होंने सगस जी की मूर्ती को अपने घर में ही एक छोटे से मंदिर के रूप में आश्रय दे रखा है। 40 साल पुराने इस मंदिर से भी काफी रोचक कहानी जुड़ी हुई है। दरअसल इस मंदिर की शुरुआत सिटी पैलेस में महज़ एक तस्वीर के रूप में हुई थी। उस समय हर एक व्यक्ति का पैलेस में आकर सगस जी के दर्शन करना संभव नहीं था। इस कारण मिट्ठालाल जी के पिताजी को ये सुझाव पहली बार सूझा और तब ही उन्होंने बावजी की तस्वीर को अपने घर में विराजमान किया।

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उस दिन को आज 40 साल हो चुके है और दिन-ब-दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही चली आ रही है। श्रद्धालुओं की बात करें तो सगस जी ने अपने दर्शन के लिए ना केवल उदयपुरवासियों को बल्कि कई विदेशियों को भी बुलाया है। इसी वजह से मंदिर का उल्लेख कई विदेशी पुस्तकों में भी है। यह मंदिर अब इतना प्रसिद्द हो चुका है की कई राजनेताओं जैसे गुलाबचंद जी कटारिया, किरण महेश्वरी, गिरिजा व्यास, आदि का पधारना भी हुआ है यहाँ। हर रविवार को यहाँ प्रशादी होती है जो करवाने लिए लोग स्वेच्छा से बुकिंग करवा देते है। चौंकाने वाली बात यह है की वर्ष 2020 तक की बुकिंग लोगों ने अभी से ही करवा रखी है।

सगस जी का हर रविवार काफी सुन्दर श्रृंगार होता है जिसमें अलग अलग वस्तुओं का इस्तेमाल होता है जैसे सोना, बादले, केसर, चाँदी, हल्दी आदि। इतना ही नहीं बल्कि अलग अलग त्योहारों पर भी उत्सव सम्बन्धी श्रृंगार होता है जैसे हरियाली अमावस्या पर हरे रंग का श्रृंगार तो प्रताप जयंती पर युद्ध के मैदान जैसा श्रृंगार।

सगस जी के कुछ चमत्कारों की कहानी भक्तों की ज़बानी

  • सुशील चित्तौड़ा, जो की मिट्ठालाल जी के पुत्र है, उन्होंने अपनी कहानी हमारे साथ साँझा की। उन्होंने बताया की बहुत 17-18 साल तक कोशिश करने के बाद भी उन्हें पुत्र का सुख नही मिल पा रहा था। करीब 80 डॉक्टरों और दिल्ली, अहमदाबाद जैसे शहरों के होस्पिटलों का दरवाज़ा खटखटाने के बाद भी उन्हें कोई परिणाम नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने अपना दुःख सगस जी के सामने रखा और 1 ही साल में उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हो गई।
  • अमित कोठारी, जो की सगस जी के एक भक्त हैं, ने अपनी कहानी बताई। वे कुछ समय पहले कार में कहीं जा रहे थे। उनकी कार की रफ़्तार थोड़ी तेज़ ही थी। अचानक उन्हें सगस जी, जो की नाग योनी में दिखाई देते है, दिखाई दिए और उन्होंने अपनी कार की रफ़्तार कम कर दी। एक और कार उन्हें ओवरटेक करते हुए आगे निकली और कुछ ही दूरी पर उस कार का एक्सीडेंट हो गया। अमित जी कहते है की ये बावजी ही थे जिन्होनें उनकी जान बचाई।
  • वही विभूति भटनागर ने कहा की शादी की बाद उनके पति की कम इनकम के बावजूद उन्होंने एक घर खरीदा लेकिन घर में काफी परेशानी होने के कारण उन्हें वह कम पैसों में बेचना पड़ा। अब इसके बाद उन्हें रेंट पर रहना पड़ रहा था और पैसों की कमी के कारण घर चलाने में भी काफी दिक्कत हो रही थी। बावजी से अपनी परेशानी बताने पर उनकी एक चौकी में उन्होंने कहा की आने वाले 3 महीनों में तुम्हारे पास अपना एक घर होगा। 3 महीनें पूरे होने में केवल 4 ही दिन बाकी थे और विभूति की काफी समय से अटकी हुई लोन की अर्जी सेंक्शन हो गई और उनकें घर का काम चल पड़ा।

और भी ऐसी कई कहानियां हमें चित्तौड़ा परिवार से और सगस जी के भक्तों से सुनने को मिली और यकीन मानिए जितना ताज्जुब आपको हो रहा है इन कहानियों को सुन के उतना ही हमें भी हुआ लेकिन कहते है की श्रद्धा और सच्चे मन से मांगी हुई हर इच्छा पूरी हो ही जाती है।

सगस जी के इस जन्मोत्सव पर आप भी जाये और उनके दर्शन के लाभ लें। यूं तो सगस जी के मंदिर उदयपुर के कई कोनों में आपको देखने को मिल जाएँगे लेकिन प्रमुख मंदिर इन स्थानों में है – सर्वऋतू विलास, गुलाबबाग, मंडी की नाल, पिछोली, कंवरपदा, मदन पोल, और कुम्हारों का भट्टा।


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