उस उदयपुरवासी की कहानी जिसनें 1971 के पाकिस्तानी हवाई हमले में लिया था हिस्सा

उस उदयपुरवासी की कहानी जिसनें 1971 के पाकिस्तानी हवाई हमले में लिया था हिस्सा

पाकिस्तानी आतंक की खबर सुनकर आज भी इस उदयपुरवासी का खून खौल जाता है. वीर चक्र विजेता 83 वर्षीय दुर्गाशंकर पालीवाल भारतीय रेलवे के वही पायलट है जिन्होंने 1971 के पाकिस्तानी हवाई हमले में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दुर्गाशंकर ने भारतीय सेना को  सीमा के उस पार जाकर असलहा और बारूद पहुचानें का काम किया था. उस समय भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा में करीब 30 किलोमीटर तक कब्ज़ा कर लिया था और जब सेना का असलहा ख़त्म होने को आया था तब और असलहा उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी दुर्गाशंकर पालीवाल को दी गई थी.

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इस दौरान दुर्गाशंकर को 25 बोगियों वाली ट्रेन लेकर पाकिस्तानी सीमा में दाख़िल करना था. वे बाड़मेर के पास मुनाबाव रेलवे स्टेशन और पाकिस्तान के खोखरापर से होते हुए, परचे की बेरी रेलवे स्टेशन तक पहुँचे. उस समय रेलवे ट्रैक टूटा हुआ था तो करीब 10 किलोमीटर का ट्रैक रातों रात बनाया गया. दिनांक 11 दिसम्बर 1971 को दुर्गाशंकर बारूद से भरी हुई ट्रेन लेकर पाकिस्तान की सीमा में दाखिल कर गए.

पाकिस्तानी सीमा में खोखरापर से कुछ ही दूरी पर दुर्गाशंकर को एक विमान दिखा जो की उनकी ट्रेन पर नज़र रख रहा था. ज़रा सी देरी में वो विमान फिर से पाकिस्तान की ओर लौट गया. लेकिन वह विमान खतरा भांप चुका था और सुबह 6 बजे छह मिराज विमान मौके पर पहुंच कर बमबारी करने लगे. इन विमानों ने दुर्गाशंकर की ट्रेन को घेर लिया था लेकिन वे एक पल के लिए भी नहीं घबराए. उन्होंने अपनी ट्रेन की रफ़्तार बढ़ा दी और सिंध हैदराबाद की ओर जाने लगे. पाकिस्तानी विमानों ने कई बम गिराए लेकिन ट्रेन को नुक्सान ना पंहुचा पाए.

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इसी तरह से विमानों में भी बम ख़त्म हो गए और रीलोड करने के लिए वे सिंध हैदराबाद की ओर उड़ान भरते हुए निकल गए. इस समय दुर्गाशंकर ने काफी अक्लमंदी और फूर्ति का इस्तेमाल करते हुए वे रिवर्स में ट्रेन को 25 किलोमीटर तब खींच ले गए. उन्होंने पर्चे की बेरी में अपने बटालियन को भी इस घटना की सूचना दे दी. पूरे बटालियन ने करीब 15 मिनट में पूरी ट्रेन का माल खाली कर दिया और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल रिलोड कर दी.

वहां से लौटते हुए फिर से पाकिस्तानी विमानों ने ट्रेन का पीछा किया और खोखरापर से 5 किलोमीटर से पहले रेल लाइन पर एक हज़ार पौंड का बेम फेंका. बम से निकलती हुई चिंगारियों से दुर्गाशंकर का हाथ और मुँह भी जल गया था लेकिन उसकी परवाह किये बिना उन्होंने अपनी कोहनियों से ट्रेन चलाना जारी रखा. बमबारी के कारण रेल ट्रैक टूट चुका था जिसके बाद दुर्गाशंकर हाथ में बन्दूक लेकर ट्रेन से निकल गए और करीब 2 किलोमीटर आगे उन्होंने भारतीय वायुसेना का हेलीकॉप्टर को इशारा कर उतरवाया और अधिकारी को सूचना दे दी.

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दुर्गाशंकर को अपनी वीरता और अदम्य साहस का परिचय देने के लिए, तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

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पुलवामा हमले के बारे में दुर्गाशंकर का कहना है की भारत ने पाकिस्तान को अभी भी पूरी तरह से जवाब नहीं दिया है. वे कहते है उनमे अब भी इतना जोश है की वे बॉर्डर पर जाने को तैयार है और सरकार के हुक्म पर देश के लिए कुछ भी करने को तैयार है.

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