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Kargil Vijay Divas: India celebrating 20th Anniversary of War Victory

Once said by the former Indian President Dr A.P.J Abdul Kalam “A war is never a lasting solution for any problem”, and as such India is still dealing with the Kashmir Issue. The Kargil war was one of the few conventional wars between the two nuclear states. The war ended on 26th July 1999, with the success of Operation Vijay and this year marks the 20th anniversary of Kargil’s victory.

kargil war 1999

On this day, India successfully took command of the high outposts which had been lost to Pakistani intruders. The war lasted for 60 days, causing loss of so many lives on both the sides. Since then, 26 July is observed as the “Kargil Vijay Diwas”, named after the victory of Operation Vijay, in honor of the Kargil War’s Heroes. This day is commended in the Kargil – Dras division and the national capital New Delhi, where the Prime Minister of India, pays homage to the troopers at Amar Jawan Jyoti at India Gate every year. Celebrations are also conducted everywhere throughout the nation to commemorate the contribution of the Armed forces.

History of Kashmir

1747 kashmir war

During independence, in 1947, Kashmir was a princely state under the rulership of Maharaja Hari Singh. However, Kashmir always wanted to establish its independent identity. After independence, India has fought three wars against Pakistan over the same issue. The attack of October 1947 completely changed the scenario. The war of 1947 ended with the partition of Jammu and Kashmir between India and Pakistan under a 1949 United Nations-brokered ceasefire.

The two other subsequent wars occurred in 1965 and 1971. During 1990s, tensions and conflict escalated due to separatist activities in Kashmir, some of which were supported by Pakistan. This further was followed by infiltrations by mujahideen’s (separatists), into territory on the Indian side of the line of control (LOC). In response to this the Government of India initiated Operation Vijay, with a mobilization of 200,000 Indian troops. Finally, the war came to an official end on July 26, 1999, thus marking it as Kargil Vijay Diwas. However, 527 soldiers from Indian Armed Forces sacrificed their lives during the Kargil war.

Kargil Vijay Divas 2019

 

The 20th anniversary of the victory of Operation Vijay will be celebrated with a theme “Remember, Rejoice and Renew”.  The Army Official said that – “We remember our heroes by revisiting their sacrifices which instills pride and respect. We rejoice by celebrating the victory in Kargil and renew our resolution to safeguard the honor of the tricolor”.

kargil war memorial

National Capital, Delhi Union Defence Minister Rajnath Singh lights the “Triumph Flame” from the National War Memorial which crosses through the 11 urban areas and towns and lastly ends at Dras where the fire will converge with the “Endless Flame” at Kargil War Memorial”.

kargil war memorial

President Ram Nath Kovind, Army Chief General Bipin Rawat as well as the head of Indian Navy and Indian Air Force will be available in the Kargil-Dras division to recieve the triumph fire and for the wreath laying function. A fly-past by the Indian Air Force is likewise will be held during the service.

Not every Indian can fight war, it is only some heroes who can go any limits to protect the Nation and its pride. Lets remember the sacrifice of Indian Soldiers and contribute in our own way for the maintain the integrity of our Nation.

 

 

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आज कारगिल विजय दिवस है

आज 26 जुलाई है. कारगिल विजय दिवस. जब बर्फ और सर्दी की आड़ में भारत के अभिन्न अंग कश्मीर के बड़े हिस्से में पाकिस्तानी सेना ने अपना अवैध कब्ज़ा जमा लिया, आज ही के दिन भारतीय सेना के जाबांज जवानो ने उसे मुक्त करवाया.

अपनी घुमक्कड प्रवृति के चलते अब तक दो बार लद्दाख हो आया हूँ. जब भी वहाँ जाता हूँ तो द्रास-कारगिल से गुज़रना होता है. हर बार वहाँ सिर पहले झुकता है, उन शहीदों की याद में, जिन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबवा दिए…. और फिर तत्काल सिर गर्व से उठ जाता है, सीना चौड़ा हो जाता है, एक भारतीय होने के फख्र से.. अपनी सेना की बहादुरी पर…

चलिए आज आपको कारगिल विजय दिवस पर ले चलता हूँ.. धरती के स्वर्ग कश्मीर की गोद में बसे द्रास शहर और वहाँ स्थित कारगिल वार मेमोरियल के दर्शन करने…

kargil 1
द्रास शहर. श्रीनगर और कारगिल के बीच बसा कस्बा. इसे दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा रिहाइशी इलाका होने का गर्व प्राप्त है. श्रीनगर से बालटाल, सोनमर्ग होते हुए जोजिला दर्रा पार करके यहाँ पहुंचा जा सकता है. जब आप यहाँ से गुजर रहे होते है तो नियंत्रण रेखा के सबसे करीब होते है. (जी हाँ, बिलकुल सही समझा आपने, आप यहाँ पाकिस्तानी तोपों की रेंज में होते है.)

फोटो में लेखक आर्य मनु (दायें) अपने मित्र आशीष विरमानी (दिल्ली) के साथ.

कारगिल वार मेमोरियल का मुख्य द्वार. वैसे यह युद्ध मूलतः द्रास में लड़ा गया,किन्तु इसे नाम मिला कारगिल युद्ध. द्रास कस्बा कारगिल जिले में आता है. यह स्थान द्रास कस्बे से लगभग सात किमी दूर  NH 01A पर स्थित है. वार मेमोरियल स्थल तोलोलिंग की पहाड़ियों की तलहटी में बना है, जहाँ युद्ध के समय जवानो का बेस केम्प हुआ करता था. यहाँ से टाइगर हिल्स की कुल घुमावदार सड़क दुरी 28 kms है.

अमर जवान ज्योति. शहीदों को नमन. इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था. राष्ट्रीय ध्वज के साथ यहाँ युद्ध में शरीक होने वाली सेना की टुकडियों के ध्वज लहरा रहे है. यहाँ एक जवान हमेशा शहीदों के सम्मान में सावधान की मुद्रा में खड़ा रहता है.

युद्ध शहीदों के नाम यहाँ सुनहरे अक्षरों में लिखे है. जाट रेजिमेंट, राजपुताना राइफल्स का नाम सबसे पहले देखकर हर किसी राजस्थानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. पंजाब रेजिमेंट, गोरखा राइफल्स, बिहार, सिख, लद्दाख की रेजिमेंटो ने भी अपने सपूत खोये. अमर वाक्य लिखा है यहाँ…
“शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले,

वतन पर मिटने वालो का, यही बाकी निशाँ होगा…”

म्यूजियम में रखे शहीदों के अस्थि कलश. ये उन शहीदों की अस्थियां है, जिन्हें पहचाना नहीं जा सका. पर ये वे है जो हमेशा के लिए अमर हो गए….सिर्फ हमारे लिए, ताकि हम आराम से यहाँ त्यौहार मना सके…. अगली बार जब इस दिवाली आप अपने घर सजा रहे हो, तो एक दीपक इन अनाम शहीदों के लिए ज़रूर लगाएं…

ये है, पाकिस्तानी सेना द्वारा बरसाए गए मोर्टारों और टॉप गोलों के अवशेष. ये सिर्फ मोर्टारों के पिछले हिस्से (टेल) है. आप सोचिये, ये मोर्टार कितने बड़े और तबाही मचाने वाले होंगे..!! उस पर हालात ये कि पाकिस्तानी सेना पहाड़ की छोटी से हमला कर रही थी, जबकि भारतीय जवान तलहटी से उन पर जवाबी कार्रवाही कर रहे थे.

फिर भी है किसी पाकिस्तानी गोले में इतना दम, जो भारत का बाल भी बांका कर पाए ?

युद्ध में तडातड चलती गोलियों और तनाव के माहौल में सैनिक ठिठोली के क्षण खोज ही लेते थे.मिसाइल को दागने से पहले कुछ इस तरह बयान किये अपने ख्याल, एक सैनिक ने…

आज हम यहाँ बैठ दिन भर टीवी पर उन दिनों की कवरेज देखेंगे, कल हुए नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह को देखेंगे… सोचिये उन दिनों हाड कंपा देने वाली सर्दी में किस तरह उन जाबांजो ने देश की रक्षा करते हुए कैसे तनाव के क्षणों में समय बिताया होगा..!!!

उन दिनों महान कवि (स्वर्गीय )श्री हरिवंश राय बच्चन ने अपनी अमर कविता “अग्निपथ” की चंद पंक्तियाँ स्वयं लिखकर भारतीय सेना की हौंसला अफजाई की थी. उसी हस्तलिखित कविता को म्यूजियम में फ्रेम करवा के रखा गया है… ये पंक्तियाँ हमें आज भी लगातार आगे बढते रहने की प्रेरणा देती है.

 

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