हमनें एक कड़ी शुरू की थी जिसमें हमनें हमारे शहर के उन लोगों के बारे में लिखना शुरू किया था जिन्होंने हमारे शहर का खूब नाम किया है, लेकिन अब हम उन्हें भुला चुकें हैं या फिर कुछ ही लोग हैं जो उन हस्त्तियों को जानते हैं, जैसे वैज्ञानिक दौलत सिंह कोठारी, राहुल सिंह और ऐन्द्रिता रे.
अब इसी कड़ी में आज हम उदयपुर की एक ऐसी हस्ती के बारे में आपको बताने जा रहे है जिनके इशारों पर यूरोप नाचा करता था. उसकी धाक ऐसी थी कि रूस के कलाकार उनके साथ काम करना चाहते थे. जो बाद में इंडियन फिल्म इंडस्ट्री यानि के बॉलीवुड का पहला कोरियोग्राफर बना. उनका नाम है, उदय शंकर. ये वही उदय शंकर हैं जिनके स्टूडेंट्स गुरुदत्त साहब, ज़ोहरा सहगल, शांति बर्धन आदि रह चुकें हैं. उम्मीद करता हूँ कुछ लोगों की यादों में यह पढ़ते ही एक धुंधला चेहरा उभरने लगेगा और वो जो अब तक इन्हें नहीं जानते थे आर्टिकल पढ़ने के बाद उनका नाम गूगल कर रहे होंगे.
आइये देखें कैसे उदयपुर की गलियों में दौड़ते ‘उदय’ एक दिन ‘द ग्रेट उदय शंकर’ बन गए :-
बचपन :-
उदयपुर शहर और दिसम्बर की ठण्ड वैसे भी फेमस है. लेकिन सन् 1900 की दिसम्बर ऐतेहासिक होने वाली थी. 8 दिसम्बर, 1900 के दिन शहर के ही एक बंगाली परिवार श्री श्याम शंकर चौधरी के घर एक बच्चे का जन्म हुआ. नाम रखा गया ‘उदय’. कोई नहीं जनता था कि इस बच्चे के जन्म के साथ ही चौधरी परिवार का भी उदय होने वाला था. श्याम शंकर चौधरी, झालावाड़ रियासत में बैरिस्टर थे. लेकिन परिवार उदयपुर रहता था.
चौधरी परिवार मूलतः नरेली से था, जो कि विभाजन के बाद अब बांग्लादेश का हिस्सा हैं. इन्हें नवाबों ने ‘हरचौधरी’ की उपाधि दी हुई थी लेकिन ये सिर्फ़ ‘चौधरी’ ही लगते थे.
पढ़ाई-लिखाई :-
पिता श्याम शंकर चौधरी की नौकरी की वजह से परिवार को कई जगह रहना पड़ा. इस वजह से उदय शंकर की तालीम भी एक जगह न होकर अलग-अलग शहरों में हुई जैसे नस्रातपुर, गाज़ीपुर, बनारस और झालावाड़ आदि. इस दौरान गाज़ीपुर में उन्होंने अपनी ड्राइंग एंड क्राफ्ट टीचर, अम्बिका चरण मुखोपाध्याय से म्यूजिक और फोटोग्राफी सीखी. स्कूल खत्मः हो जाने के बाद 18 बरस की उम्र में फाइन आर्ट्स पढनें के लिए बम्बई (अब मुंबई) के जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में दाख़िला ले लिया. 2 साल बाद वे लन्दन चले गए और रॉयल कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में एडमिशन ले लिया. वहां उन्होंने सर विलियम रोथेंस्टें के मार्गदर्शन में पेंटिंग की बारीकियां सीखीं. फ्रेंच गवर्मेंट द्वारा स्कॉलरशिप मिलने बाद वे आर्ट की एडवांस फॉर्म पढनें के लिए रोम चले गए.
उदय शंकर के ‘उदय’ होने की शुरुआत :-
इसकी शुरुआत लन्दन से ही हुई. जब उदय शंकर की मुलाक़ात दुनिया की सबसे बड़ी बैले डांसर (ballet dancer) ‘एना पव्लोवा’ से हुई. ये तब की बात है जब उदय शंकर रॉयल कॉलेज को आर्ट्स में पढ़ ही रहे थे. रशियन सेलेब्रिटी उन दिनों आर.सी.ए. में अपने ग्रुप में कुछ इंडियन लड़कों-लड़कियों की खोज में आई हुई थी. वहां किसी ने उनको उदय शंकर के बारे में बताया. हालाँकि उदय शंकर तब तक डांस और डांस फॉर्म्स से कोई लेना-देना नहीं था. लेकिन वे जिनिअस माने जाते थे. उन्हें समझ ज़रूर थी. उसकी वजह ये थी उनका भारत के लोक न्र्त्यों और नाटकों को करीब से देखना. इस वजह से एना पव्लोवा भी उनकी फेन हो गयी और उदय शंकर को अपने ग्रुप में शामिल कर लिया. दो क्रिएटिव माइंड और दो बिलकुल अलग कल्चर/फॉर्म्स जब एक साथ स्टेज पर उतरी तो लन्दन और अमेरिका जैसे देशों में तहलका मचना शुरू हो गया. लम्बे समय तक चला ये कोलैबोरेशन बहुत फेमस हुआ. इसके बाद उदय शंकर ने पेरिस में अपना एक अलग ग्रुप खोल लिया.
उदय शंकर का भारत लौटना :-
सन् 1929 में उन्होंने भारत आने का निश्चय किया और अपना खुद का एक ग्रुप खोलने की सोची. सन् 1938 में अल्मोड़ा, उत्तर प्रदेश में उन्होंने स्कूल खोला. जो आगे चलकर उदय शंकर इंडियन कल्चर सेंटर के नाम से फेमस हुआ. इस दौरान उन्होंने अपने ग्रुप के साथ कई परफॉरमेंस दीं जो न सिर्फ़ इंडिया में बल्कि वेस्टर्न कन्ट्रीज में भी पोपुलर हुई. वो अपने स्कूल में कई फेमस गेस्ट फेकल्टीज़ भी बुलाते थे. इसी स्कूल के नोटेबल अलुमिनी की बात करें तो उनमें शामिल है, हिंदी सिनेमा के महान डायरेक्टर/एक्टर ‘गुरुदत्त साहब’ और महान अदाकारा ‘ज़ोहरा सहगल’.
रबिन्द्रनाथ टैगोर और उदय शंकर :-
नोबल प्राइज़ विनर ‘श्री रबिन्द्रनाथ टैगोर’ उदय शंकर के बहुत बड़े फेन रहे हैं. वो उनकी इतनी इज्ज़त करते थे कि जब उदय शंकर भारत लौट रहे थे तो उनके स्वागत के लिए टैगोर खुद पहुँच गए. एक और बात रबिन्द्रनाथ टैगोर ने ही उदय शंकर को भारत में स्कूल खोलने के लिए कहा ताकि यहाँ के लोग उनसे सीख सकें.
कुछ और बातें :-
- सन् 1931 में उदय शंकर की ऐलिस बोनेर से मुलाकात हुई, ऐलिस बोनेर स्विस पेंटर और स्कलप्चर आर्टिस्ट थे जिन्हें उदय शंकर के साथ पुरे यूरोप में इंडियन डांस अकादमी खोलने का श्रेय जाता है.
- महान सितार वादक पंडित रवि शंकर, उदय शंकर के सबसे छोटे भाई हैं.
- उदय शंकर ने भारत की पहली हिंदी फिल्म ‘कल्पना’ बनाई जिसमें क्लासिकल डांसर्स लीड एक्ट्रेस थी.
- सत्यजीत रे और उदय शंकर ने साथ मिलकर डॉक्युमेंट्री भी बनाई है.
- उदय शंकर को पद्म विभूषण के अलावा संगीत नाटक अकादमी और संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप जैसे ढेर सारे अवार्ड्स और सम्मान मिले हैं.
- उदय शंकर की बेटी ममता शंकर भी बहुत अच्छी डांसर के साथ-साथ एक्ट्रेस भी है, वो खुद एक डांस टीचर है और अपने पिता की लिगेसी को ज़ारी रखे है.