Categories
Events

Kailash Kher to Make a Comeback in Udaipur Along with Raju Shrivastava. Know Where!

After World Music Festival 2017, Kailasha Kher will make our feet groove and heart sing again with his musical rendition at this year’s Diwali-Dushehra Mela which will be conducted at town hall Nagar Nigam campus. The music artist will be accompanied by the great Indian comedian Raju Shrivastava in the fair. The fair will begin from 28th October stretching all the way for 14 days and coming to an end on 11 November 2018.

Udaipur Municipal Corporation has announced a week-long schedule which will include lots of entertaining elements for people of all ages.

On 28th and 29th October, the stage of the fair will serve all the local talent of the city that will involve singers, dancers and other performers. People interested to participate in the activity can register their names at Nagar Nigam by 11th October.

The next day i.e. on 30th October Kailash Kher will melt the hearts of all Udaipurites with his sweet melody. On 31st October, a Raas Leela would be performed on Shree Krishna’s life followed by Raju Shrivastava’s performance the next day i.e. 1 November 2018. The schedule for the rest of the days would be as such – 2nd November: Ghazal and Bhajan, 3rd November: Kavi sammelan where artists like Surendra Sharma, Suman Dubey, Vineet Chauhan, Kumar Sambhav, Ashok Charan, Dinesh Banti, Sunil Jogi, Abdul Gaffar, Gaurav Golcha, etc. will perform. On 4th November, Performance by Prince Gupta and dance group will be held.

Do you have any feedback regarding the article? Or have an interesting story to share with us? Write to me at juhee@udaipurblog.com.

Categories
Festivals

कभी सोचा है मेवाड़ में हरियाली अमावस्या का मेला क्यों भरता है ?

आज हरियाली अमावस्या के इस मौके पर कई लोगों को रंग बिरंगे कपड़ों में अपने अपने घरों से निकलते हुए देखा होगा। स्कूल और कॉलेज में भी बच्चों को हरे रंग के कपड़े पहनने को कहा जाता है। लेकिन आज भी कई ऐसे लोग होंगे, ख़ास तौर पर बच्चे और जवान लोग, जो की इसका मतलब नहीं जानते होगे। तो इससे पहले हम इस त्यौहार के हर्षोल्लास में मन्न्मुग्ध हो जाये, आइये जानते है हरियाली अमावस्या के बारे में कुछ बातें।

क्यों मनाते है हरियाली अमावस्या?

हरियाली अमावस्या वह त्यौहार है जिसे हिन्दू सभ्यता के लोग ‘सावन’ की शुरुआत के तौर पर मनाते है। इसे अमावस्या के दिन मनाया जाता है जिसकी वजह से इसका नाम हरियाली अमावस्या पड़ा। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से इसे श्रावण महीने के ‘कृष्णा पक्ष’ में मनाया जाता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से यह दिन जुलाई-अगस्त तक में आता है। इस दिन शिव जी की बहुत ही श्रद्धा से पूजा होती है। इसके साथ इस मौके पर बारिश और हरियाली की भी पूजा होती है। बारिश फसल के लिए काफी ज़रूरी है। कई क्षेत्रों में पीपल के पेड़ की भी पूजा होती है।

हरियाली अमावस्या सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि और भी कई जगहों पर मनाया जाता है। महाराष्ट्र में ‘गटरी अमावस्या’, आंध्र प्रदेश में ‘चुक्कला अमावस्या’, और ओडिशा में ‘चितालागी अमावस्या’ के नाम से इसे मनाया जाता है। इसके नाम ही की तरह, इसे मनाने के तरीके भी बदलते है लेकिन त्यौहार का मकसद वही रहता है – सावन और उससे मिलने वाली ख़ुशी।

उदयपुर में हरियाली अमावस्या का मेला

सहेलियों की बाड़ी से शुरू होता हुआ यह मेला फतहसागर तक भरता है। उदयपुर के कई लोग तो हरियाली अमावस्या को उसके मेले की वजह से ही जानते है। यह मेला दो दिन तक चलता है। खाना, मस्ती, कपडे, जेवर, झूले और दोस्तों के साथ ख़ुशी के कुछ पल, अगर सब कुछ एक जगह पर मिल जाए तो ना जाने की तो कोई वजह ही नहीं है।

इस मेले में ना केवल उदयपुर के लोग आते है बल्कि उदयपुर के आस पास के क्षेत्रों के जन जातीय लोगों का भी आना होता है। मेले की रबड़ी और मालपुए ही आधे लोगों को अपनी तरफ खींच लाते है। अलग अलग दुकान वालों का शोर-गुल, बच्चों का बाजे बजाते हुए चलना, जलेबी और कचोरी की सुगंध हर कोने से आती हुई, और झूलों पर सवार हस्ते खिलखिलाते हुए बच्चे इस मेले में जान डाल देते है।

 

मेवाड़ में इस मेले की शुरुआत कैसे हुई?

ऐसा माना जाता है की मेवाड़ में इस मेले की शुरुआत महाराणा फतेह सिंह जी ने की थी। उन्होंने देखा की देवाली के तालाब में बहुत सारा पानी बर्बाद हो रहा है। तो उन्होंने वहाँ एक जलाशय बनाने का सोचा जिससे लोगों की पानी की ज़रूरते पूरी हो सके। इस जलाशय के निर्माण के पूरे होने पर उन्होंने यहाँ अमावस्या के दिन एक मेला भरवाया। धीरे धीरे यह मेला आम लोगों के लिए भी खुला और तब से आज तक इस मेले का लुत्फ़ लोग उठाते आ रहे है।

हरियाली अमावस्या का यह मेला सावन की सबसे पसंदीदा जगह रहती है और इस मेले में जाकर सावन का आनंद हर एक उदयपुरवासी को लेना चाहिए।

क्या आपके पास भी कोई रोचक और दिलचस्प कहानी है जो आप लोगों के साथ बांटना चाहते है? तो वह कहानी मुझे भेजे juhee@udaipurblog.com पर।

Categories
Photos Places to Visit

Gandhi Shilp Mela: Art and Craft Fair in Udaipur

Gandhi Shilp Mela

The National Crafts Fair, also known as the GANDHI SHILP MELA started in Udaipur from 4th March and will continue till 13th March 2011 at Town Hall. The craftsmen and artisans from all over India have gathered in our city to show their extraordinary masterpieces as well as talent. This event is organised by Rural Non Farm Development Agency (RUDA). According to an estimate, this year the trade till date has exceeded Rs. 10.5 Lakhs. A huge overwhelming crowd is seen enjoying the fair.many items such as furniture, wooden items, show pieces, garments, accessories, etc can be seen at display and for sale.

Here are few glimpses of the Gandhi Shilp Mela.

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela

Gandhi Shilp Mela