मौसम के बदलते ही स्वाइन फ्लू का डर बढ़ जाता है। लेकिन अब एक नए ‘जानलेवा बुखार’ ने राजस्थान में दस्तक दे दी है।
कई दिनों से ‘कांगो फीवर’ (Congo Fever) नाम ने अखबार-टीवी की हेडलाइंस में अपनी जगह बना रखी हैै। इसका कारण अहमदाबाद और जोधपुर में हुई कुुुछ मौतों का सामने आना है। इस बीमारी का अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं निकाला जा सका है। मरने वालों की दर भी इस बुखार में बहुत ज़्यादा है। स्वाइन फ्लू से लोगों के मरने का एक बहुत बड़ा कारण जागरूकता की कमी रहा है। सरकारी स्तर पर भी और उसके बाद चलाए गए जागरूकता-अभियान को हल्के में लेना भी इसकी एक वजह है।
![world map of congo fever](https://www.jaipurcityblog.com/wp-content/uploads/2019/09/worod-map-of-congo-fever.jpeg)
चूंकि भारत में अभी कांगो फीवर अपने शुरुआती दौर में ही है। इसलिए, यदि हम इसके बारे में जान लें, इसके लक्षण और उपचार को समझ लें तो इसे बड़े स्तर पर फैलने से रोका जा सकता है।
कांगों फीवर:
![Crimean Congo](https://www.jaipurcityblog.com/wp-content/uploads/2019/09/Crimean-Congo-310px.jpg)
इस बुखार के मरीज सबसे पहले यूरोपियन और अफ्रीकन देशों में मिले। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक सन् 1944 में क्रीमिया में इसकी पहचान की गई। इसके बाद 1969 में कांगों में भी इस वायरस के होने के सबूत मिले और पता लगा कि 1956 में कांगों में हुई एक साथ कई मौतों के पीछे इसी वायरस का हाथ था। तभी से इसका नाम ‘क्रीमियन कांगों’ रख दिया। साल 2001 में इस वायरस ने अफ्रीकी देशों के साथ-साथ ईरान और पाकिस्तान में भी जड़े जमाई।
आमतौर पर जानवर ही इसके शिकार होते हैं। अब तक कि स्टडी बताती है कि जानवरों के ऊपर बैठने वाली पिस्सू से यह वायरस जानवरों को संक्रमित कर देता है लेकिन यह इंसानों को भी संक्रमित कर देता है। अक्सर गांवों में पशुपालन करने वाले इसकी चपेट में आ जाते हैं और बाद में उनके आसपास के लोगों को भी ये अपनी चपेट में ले लेता है।
बीमारी के लक्षण:
![Congo fever affected patient](https://www.jaipurcityblog.com/wp-content/uploads/2019/09/images-1.jpeg)
- अचानक से बुखार आ जाना
- गर्दन में दर्द
- सिरदर्द
- आंखों में जलन
- फोटोफोमिया
- पीठ में दर्द
- गले का बुरी तरह से बैठ जाना
- किसी अंग का काम करना बंद हो जाना
- मूड स्विंग
- तनाव
- दिल की धड़कन का बढ़ना
- स्किन पर रैशेज़ पड़ जाना
उपचार:
इस बीमारी से ग्रसित लोगों को एक एंटीवायरल दवा रीबाविरिन दी जाती है। लेकिन फाइनल स्टेज तक पहुंच चुके मरीज को बचा पाना मुश्किल हो जाता है। इस बुखार से मरने वालों की दर काफी ज़्यादा है। इसलिए यदि आपमें से भी किसी को ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। पालतू जानवरों का समय-समय पर चेकअप करवाते रहें।
इस बुखार से अब तक गुजरात-राजस्थान में क्रमशः तीन और दो लोगों की मौत हो चुकी है।
Facts and Information: World Health Organization