जहाँ हमारा शहर एक तरह से धरोहरों का शहर कहलाता है वहीँ हमारी लापरवाही कहें या प्रशासन की पर आज वही दारोहरें खतरे में है। रोज़ हज़ारों वाहनों का भार लेने वाली 200 साल पुरानी चांदपोल पुलिया की उम्र अब आधी होने का खतरा बना हुआ है।
दरअसल, पुलिया पर पीपल और बरगद के कई पेड़ उगे हुए हैं, जिनकी जड़े अब फेल रही है और अब ये पेड़ पुलिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अब इस मामले में ज़िम्मेदारों से पूछा गया की आखिर क्या वजह है की इस ऐतिहासिक पुलिया पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, तो कुछ देर जवाब देने से बचते रहने के बाद उनका कहना था की स्मार्ट-सिटी के प्रोजेक्ट में पुलिया के रेनोवेशन का काम नहीं है, सिर्फ दरवाजे को सुधारना और रंगरोगन करना था, जो किया गया है।
अब हम सब जानते है की ओल्ड सिटी में पिछले 5 सालों से स्मार्ट सिटी का कार्य चल रहा है, तब भी किसी का भी ध्यान इस पुलिया पर नहीं गया जो ओल्ड सिटी के दो हिस्सों को जोड़ती है। इसी पर एक्सपर्ट्स का कहना है की अगर पीपल का पेड़ उगा है और उसकी जड़े फैलने लगी है तो पुलिया की उम्र अाधी रह जाएगी, क्योंकि पीपल का पेड़ कभी सूखता नहीं है और इसकी जड़े लगातार बढ़ती रहती है। ऐसे में कह नहीं सकते कि पुल काे कितना नुकसान पहुंचा है। पुल पुराना है और पत्थरों से बना है।
इसका एक इलाज यह हो सकता है की पुल की जल्द से जल्द मरम्मत की जाए। ऐसे में स्पेशल टीम लगाकर ड्रिल करके पेड़ और जड़ों की सफाई करनी होगी और साथ ही इस पर निगरानी भी रखनी होगी।
आज आई खबर के अनुसार निगम आयुक्त ने शहर की सभी हेरिटेज पुलियाओं और हेरिटेज भवनों की मरम्मत के आदेश दिए है। जिसमे अब मीडिया द्वारा यह मुद्दा उठाने के बाद चांदपोल पुलिया की जांच होगी।
रोज़ाना यहाँ रहने वाले लोग, व्यापारी और पर्यटक यहाँ से गुज़रते है। ऐसे में यह पुलिया कब तक सबका भार सह पायेगी, कुछ नहीं कहा जा सकता। इसीलिए इस पर जल्द से जल्द कार्यवाई होनी चाहिए।