स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में राजस्थान के एक से 10 लाख आबादी श्रेणी के टॉपर उदयपुर का देश में 41 रैंक पिछड़कर 95वें स्थान पर । पिछले साल उदयपुर 54वें नंबर पर था। रैंकिंग गिरने से अधिकारीयों पर सवाल उठ रहे है, क्योंकि शहर की स्वच्छता पर नगर निगम हर साल करीब 71 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। पड़ताल में सामने आया है कि निगम के पास 70 वार्ड के 85 हजार घरों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए सिर्फ 77 वाहन है जिसमे से 75 टिपर और 2 ई-रिक्शा हैं। जबकि हर वार्ड के लिए कम से कम दो वाहन चाहिए। ये वहां भी सिर्फ सुबह के टाइम पर कचरा संग्रहण करते हैं। शाम को ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। उदयपुर में अगर कोई शहरवासी सुबह कचरा न दाल पाए तो कचरा डालने के लिए अगले दिन के लिए इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
देश का सबसे साफ़ शहर है इंदौर और वहां कचरा संग्रहण का काम सुबह-शाम होता है। अब उदयपुर में ऐसी सुविधा ना होने के कारण कई लोग खुले में कचरा डाल देते हैं जो हफ़्तों तक यूँही पड़ा रहता है, जबकि निगम ने खुले में डला कचरा उठाने के लिए भी कई एजेंसिओं को ठेका दे रखा है। अब मेयर जी.एस. टांक और डिप्टी मेयर पारस सिंघवी का कहना है कि शहर को स्वच्छता में सिरमौर बनाने के लिए नए सिरे से प्लान तैयार कर रहे हैं।
इस सब को देखते हुए उदयपुर के मेयर जी.एस. टांक ने यह भी बताया की उदयपुर निगम भी इंदौर की तरह सुबह-शाम कचरा संग्रहण पर काम करेगा। इसके लिए टिपर की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी। खुले में कचरा डालने पर तुरंत उठाया जाएगा। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। इस बार हमारे गार्बेज फ्री सिटी के नंबर नहीं जोड़े गए। अगली बार तकनीकी पहलूओं को भी दुरुस्त कराएँगे ताकि राजस्थान के बाहर भी उदयपुर स्वच्छता में अव्वल रह सके।
निगम के साथ शहर वासियों की भी इसमें ज़िम्मेदारी बनती है की हम अपने शहर को साफ़ रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाए और कचरा इधर-उधर खुले में ना फेके। तब जा के हम और आप उदयपुर को सबसे स्वच्छ शहर के रूप में देख पाएंगे।