नवरात्री के त्यौहार पर उदयपुर के लगभग हर कोने में माता रानी के पंडाल सजाये जाते है और गरबे की धुन में सभी उदयपुरवासी झूम उठते है। लेकिन इसी शहर की एक जगह ऐसी है जहाँ पिछले 25 सालों से उदयपुर का सबसे बड़ा पंडाल सजाया जाता है। आइये जानते है की ये कौन सी जगह है।
उदयपुर का सबसे बड़ा पंडाल
25 सालों से सजते आ रहे इस पंडाल की शुरुआत एक सामान्य रूप में हुई थी। समय और दर्शनार्थियों की श्रद्धा के साथ इसकी लम्बाई बढ़ते बढ़ते आज तकरीबन 55 फीट है। इसके स्थापन के लिए बंगाली टीम को बुलाया जाता है। दिलचस्प बात ये है की ये पूरी बंगाली टीम मुस्लिम समुदाय की है। माता रानी के दरबार में सभी समाजों के लोग आमंत्रित रहते है। इसी वजह से हिन्दू, मुस्लिम, बोहरा आदि समाजों के लोग आप को वहां देखने को मिल जाएंगे। वहीं सजावट का काम स्थानीय लोगों के जिम्मे रहता है।
पंडाल के निर्माण की शुरुआत नवरात्री के 10 दिन पहले से हो जाती है क्योंकि इसे पूरा होने में लगभग 10 दिन लग जाते है। लोगों को माता के दर्शन में कोई तकलीफ ना आए इसके लिए मूर्ती के दोनों तरफ 55 फीट की सीढियां लगवाई जाती है जहाँ नवरात्री के पूरे 9 दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। हर साल दर्शन के लिए लगभग तीन हज़ार से ज़्यादा लोग आते है।
माता का श्रृंगार
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नवरात्री में हर तीन दिन में माता रानी का श्रृंगार कर उन्हें एक नया रूप दिया जाता है। हर साल एक थीम को चुना जाता है और उसी के हिसाब से श्रृंगार होते है। थीम कुछ इस प्रकार होती है – मोर, राधाकृष्ण, श्रीनाथजी आदि। इस साल श्रृंगार की थीम मोर की रखी गई है। साल 2011 में नवरात्रि के आखिरी दिन माता का श्रृंगार आभूषण और फूलों के साथ नोटों की माला से हुआ था जिनका मूल्य लगभग 7 लाख था।
नवरात्री के कार्यक्रम
सुथारवाडा में नवरात्री के कार्यक्रम की शुरुआत आमतौर पर 21 तोपों की सलामी, ढोल नगाड़े, पटाखे और आतिशबाज़ी के साथ नवरात्री के पहले दिन होती है जिस दिन माता की मूर्ती की स्थापना होती है। रोज़ शाम 7:30 बजे और 10:30 बजे आरती होती है। इसके बीच डांडियों के कई राउंड होते है जहाँ शहर के अलग अलग हिस्सों से लोग काफी उत्साह के साथ माता के सामने नवरात्रि का जश्न मनाते है।
इन नौं दिनों में यहाँ कई तरह के कार्यक्रम होते है जिसमें डांस, डांडिये, ड्रामा शामिल है। अष्टमी के दिन यहाँ महाआरती का आयोजन होता है जिसके तुरंत बाद ही महाहोली मनाई जाती है। आम होली की तरह इसमें गुलाल का नहीं बल्कि फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सभी लोग माँ अम्बे के अवतार में सजी एक बालिका पर फूलों की वर्षा करते है।
9वें दिन विसर्जन का कार्यक्रम रहता है जिसमें कई मशहूर लोग अपनी कला का प्रदर्शन करने आते है। इंडियाज़ गोट टैलेंट का निशान-ए-ग्रुप, दिल्ली के मनोज डांस ग्रुप जैसे जाने माने लोगों ने भी यहाँ कई बार डांस किया है।
इन सभी कार्यक्रमों के बीच इस बात का ध्यान रखा जाता है की आने जाने वाली गाड़ियों, लोगों और दुकानदारों को कोई तकलीफ ना हो। इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन सुथारवाडा मित्र मंडल करीब 150 वालंटियर के सहयोग से करवाते है जिनके आयोजक श्री तुलसी राम माली और सह आयोजक लक्ष्मी लाल जी माली है।
अगर आप वहां जाएंगे तो आप पाएंगे की पंडाल की आस पास की सभी बिल्डिंग और घर भी बत्तियों से जगमगा रहे होते है। इसके साथ साथ पूरे प्रांगण में CCTV कैमरों की सुविधा है जिससे कोई भी अनचाही घटना ना हो।
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