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Udaipur Loksabha General Election 2019 Nomination Insights

On Tuesday five nominations were filed by candidates of different political parties. 9th April 2019 was the last day for filing names for the Udaipur Lok Sabha constituency Loksabha General elections 2019. Election observer Rajesh Singh Rana (IAS) appointed by the Election Commission of India was also present on this occasion.

Candidates filing nominations on the last day of nomination process
Candidates filing nominations on the last day of the nomination process

During the process, last day nomination was filed by Communist Party of India (Marxist-Leninist) Red Star’s Keka Meena, Prabhulal Meena of Bahujan Mukti Party, Bidilal Chhanwal of Indian Tribal Party, Shankarlal of Satya Bahumat Party and Harji Lal Meena of Ambedkarite Party of India. These all were the last moment nominations.

Candidates filing nominations on the last day
Candidates filing nominations on the last day

Earlier, this week for the Udaipur Lok Sabha constituency, Raghuveer Singh Meena of the Indian National Congress, Arjunlal Meena of Bharatiya Janata Party, Kesulal Meena of Bahujan Samaj Party and Ghanshyam Tawad of Communist Party of India had presented the nomination papers. Presently, Udaipur Lok Sabha constituency comprises eight Vidhan Sabha (legislative assembly) segments.

According to the schedule set by the Election Commission of India, the nomination will be scrutinized on April 10. The last date for withdrawal of nomination by candidates will be April 12. It’s a democratic right of every citizen to know their candidates before voting. Udaipur Lok Sabha constituency one of the 25 Lok Sabha constituencies in Rajasthan.

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रेस्पेक्टेड भावी नेता, चुनाव से पहले उदयपुर की इन समस्याओं को भी सुन लेना, प्लीज़।

7 दिसम्बर, 2018 की सुबह होने में मात्र 6 दिन बचे है। वैसे दिसम्बर, 2018 की इस तारीख़ के बारे में बताने की ज़रूरत तो है नहीं, वो भी राजस्थान के लोगो को। वैसे ही काफ़ी शोरगुल हो ही रहा है। सोशल मीडिया पर भी और गली-कूंचो में भी। लेकिन फिर भी हम बताए देतें हैं, 7 दिसम्बर को राजस्थान विधानसभा चुनाव है। सभी पार्टियाँ और उम्मीदवार तन, मन और धन के साथ लगे हुए हैं। ऐसा जुनून हर पाँच साल बाद ही देखने को मिलता है।

rajasthan legislative assembly election 2018
photo courtesy: udaipurtimes

नुक्कड़ों पर सुबह शुरू होती है चाय और चक्कलस के साथ। एक हाथ गरमा-गरम चाय संभालता है तो दूसरा हाथ अख़बारों को फ्रंट पेज से टटोलना शुरू करता है और फिर शुरू होती है गुफ़्तगू जिसका कोई अंत नज़र नहीं आता।

chai aur akhbaar
photo courtesy: The Hindu

इस बार कौनसी सरकार आएगी? पिछली वाली ने कितना काम किया? क्या-क्या वादे पुरे किए, कितने अधूरे रह गए? विपक्ष का मैनिफेस्टो क्या है? जैसे प्रश्नों पर बहस होती है जो कि बताता है कि हमारे शहर का मतदाता जागरूक है। लेकिन हम इन प्रश्नों को मतदान केंद्र तक लेकर नहीं ले जाते हैं। अखबार के पन्ने पलटते-पलटते जब तक खेल-पृष्ठ आता है तब तक हम वो सभी बातें भूल चुके होते हैं और चाय के कप के साथ उन मुद्दो को भी दुकान पर ही छोड़ कर लौट आते हैं।

ऐसे ही कुछ प्रश्न है जो हम आपके सामने रखने जा रहे हैं। जिनका उत्तर आप ही को सोचना होगा। ये सभी वही प्रश्न है जो आप और हम हर दिन सोचते रहते हैं। हर दिन इन्ही मुद्दों को लेकर डाइनिंग टेबल पर बात होती है। उदयपुर का हर नागरिक यही सब बातें करता मिल जाएगा….

  1. शहर की सड़कें – इन दिनों अगर सबसे बड़ी समस्याओं में से कोई एक है तो वो है उदयपुर की सड़कों की हालत। आजकल सड़कें ऐसी लगती है जैसे फटे कपड़े को पैबंद लगा कर दुरुस्त कर दिया हो। पड़ोसी राज्य में अभी चुनाव हुए ही हैं। वहाँ के मुख्यमंत्री श्रीमान् शिवराज सिंह चौहान ने कहते हैं कि मध्यप्रदेश की सड़कें अमरीका से भी बेहतर है। अब उदयपुर वाले इतना भी नहीं मांग रहे वो तो बस इतना चाहते हैं कि इन सड़कों को फिर से पहली जैसी बना दिया जाए, जब बाहर का टूरिस्ट आकर कहता था कि सड़कें हो तो उदयपुर जैसी।
  2. उड़ती धूल-चिपकती मिट्टी – इसका सीधा कनेक्शन ऊपर वाली समस्या से है। उसमें सुधार आएगा तो इस से भी अपने आप निजात मिल ही जाएगी।
  3. बढ़ता ट्रैफिक जाम – इसमें हम जल्दी ही देशभर में नाम रोशन करने वाले है। दुर्गा-नर्सरी रोड, ओल्ड सिटी, फ़तेहसागर और लगभग सभी बड़े चौराहों का यही हाल है। सड़कें वैसी की वैसी, लोग बढ़ते गए और व्यवस्थाएं बिगड़ती चली गयी।
  4. गंदी होती झीलें – जिनकी बदौलत उदयपुर का नाम विश्वभर में हुआ है हम उसी को गन्दा करने में लगे हुए हैं। जिसकी वजह से उदयपुर टॉप-10 शहरों में आया उसी की हत्या करने में मज़ा आ रहा है। सोचकर देखिए, आने वाले कुछ सालों में थोड़ी बहुत साफ़ बची झीलों में तैरता कचरा ही नज़र आने लगा, तब? झीलों में गिरते सीवरेज के पानी से झीलों में बदबू आने लगेगी, तब? ना गणगौर घाट पर लोग आएँगे, ना ही फतेहसागर किनारे शामें बीता करेगीं, ना कोई टूरिस्ट आएगा ना ही आसपास की दुकानों पर लगता मेला देखने को मिलेगा… 2 मिनट का टाइम लेकर सोचिएगा ज़रूर, क्या ऐसे भविष्य की कल्पना हम कर सकते हैं?
  5. शहर में घूमते आवारा पशु – ये आज की समस्या नहीं है। बावजूद इसके, अब तक किसी भी सरकार ने, मंत्रियों ने, उदयपुर के नागरिकों द्वारा चुने हुए प्रत्याशियों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। हर बार यही कहा जाता है काईन हाउस बनाये जायेंगे। इन्हें वहाँ शिफ्ट किया जायेगा। लेकिन ये समझ नहीं आता अगर ये शिफ्ट कर दिए गए हैं तो वापस शहर में कैसे आ जाते हैं? आए दिन ऐसी खबरें आती रहती है, फलाना टूरिस्ट को सांड ने मारा लेकिन हम ‘ओ हो’ कर भूल जाते है। किसी दिन हम में से कोई टारगेट बन गया तब कोई और ‘ओ हो’ कर रहा होगा। मुद्दा गंभीर है, हॉस्पिटल पहुँचाने वाला है, हल्के में मत लीजिएगा।

ये तो हो गए वो मुद्दे जिससे शहर की जनता बहुत परेशान है और बात करनी ज़रूरी थी, लेकिन लिस्ट लम्बी है –

  1. सफ़ाई के मामले में कई हद तक सुधार आया है लेकिन गुंजाइश हमेशा रहती है।अब भी कचरे के ढेर नज़र आ ही जाते हैं।
  2. कई जगह दिन में रोड लाइट्स जलती है लेकिन रात में वही बंद हो जाती है।
  3. चेतक सर्किल जैसे बड़े चौराहों की ट्रैफिक लाइट्स कई महीनो से बंद पड़ी है।
  4. झीलें सूखने लगी है। ऐसा वादा किया था कि अब कभी झीलें नहीं सूखेगी। वो पूरा होता नज़र नहीं आ रहा।
  5. पार्किंग एक बहुत बड़ी समस्या है। ट्रैफिक और टूरिस्म के बढ़ने की वजह से अब ना सिर्फ लोकल बल्कि टूरिस्ट भी पार्किंग की समस्या से परेशान है।
  6. चौराहों और पार्कों में लगे फाउंटेन में अब पानी नहीं गिरता। इस वजह से उन जगहों पर सेल्फी लेने की दर में गिरावट आई है।

ये कुछ गंभीर समस्याएं हैं जिनकी वजह से आप और हम परेशान हैं। चुनाव में अब सिर्फ़ 7 दिन बचे हैं। ये हमारी लिस्ट थी आप इनमें अपनी कुछ और समस्याएं/मुद्दे/प्रश्न जोड़ या घटा सकते हैं।

after voting
photo courtesy: redcarpetvoter

याद रखिए – इस चुनावी शोर के बीच अपनी आवाज़ बुलंद रखना। क्योंकि मेरे और आपके मत पर ही निर्भर करेगा कि विजयी नेता हमारी आवाज़ को लोकतंत्र के उस मंदिर तक पहुँचाता है या नहीं?

rajasthan chunaav - vote
म्हारो कहनो, वोट देनो photo courtesy: newsd

जय लोकत्रंत जय भारत।