“तारा विना ‘श्याम’ मने एकलो लागे … रास रामवा ने व्हेलो आवजे …!!!”
अब आने वाले नौ दिनो तक शहर की ‘गोपियाँ’ ऐसे ही अपने-अपने ‘श्याम’ के लिए सज-धज कर ये गीत गाती और इंतज़ार करती दिखेंगी। वैसे श्याम भी कम नहीं है अपने शहर के… उनका भी क्रेज देखने लायक होता है। वो भी अलग ही टशन में दिखते है। वैसे उनका ध्यान नाचने में ज़रा कम ही होता है। न जाने कितने दिलों को मिलाया है इस नवरात्री ने। कब गरबा खेलते-खेलते..डांडिया रास करते-करते कोई रास आ जाए कुछ कह नहीं सकते। मन बावला जो होता है।
अच्छा ये लिखते-लिखते ख्याल आया कि गरबा और डांडिया रास कितने अलग है ये एक दुसरे से? लिखना कुछ था पर मन इसी बात पर अटक गया..बताया तो था, मन बावला जो होता है। कब किस पर अटक जाए कौन कब रास आ जाए किसे पता?
खैर हमनें भी सोचा कि अब इसी पर खोजबीन शुरू की जाए…खोजते हुए कई पॉइंट्स, फैक्ट्स निकल आए। वही सब आप को बता दे रहे है-
गरबा क्या है? –
गरबा एक गुजराती फ़ोक डांस है जो यहीं से फेमस होता हुआ पुरे उत्तर भारत और महाराष्ट्र में पहुँच गया। ‘गरबा’ संस्कृत शब्द ‘गर्भ’ और ‘दीप’ से निकला है।
दरअसल एक मिट्टी के बर्तन में ‘जौ’ और ‘तिल’ की घास उगाई जाती है, इसे एक पटिये पर रख एक जगह स्थापित करते है, उसी बर्तन को गरबा कहा गया है। इसे किसी खुले स्थान में रखा जाता है साथ ही इसके साथ एक दीपक भी जलाया जाता है। इसके इर्द-गिर्द एक गोला बनाकर डांस किया जाता है। उसे गरबा डांस कहते है। हालाँकि ‘गरबा बर्तन’ बनाना गुजरात में ही देखने को मिलेगा। अन्य दूसरी जगह जहाँ गरबे किए जाते है वहाँ बीच में अम्बा माँ की तस्वीर या मूर्ति रख और दीपक जलाकर गरबा किया जाता है। स्थापित करने के दसवें दिन गरबा का विसर्जन किया जाता है।
गरबा डांस –
कभी सोचा है कि गरबा केवल सर्किल में ही क्यूँ किया जाता है?
इसके पीछे एक ज्ञान छिपा है वो ये है कि “ मनुष्य जीवन भी एक वृत्त(साइक्लिक स्ट्रक्चर) के समान है, इंसान जन्म लेता है …अपना जीवन जीता है… मर जाता है…फिर जन्म लेता है…। मतलब वो जहाँ से शुरू करता है वहीँ वापस आ जाता है। बीच में रखा ‘गर्भ दीप’ ये बताता है कि हर इंसान के मन में एक देव तत्व छुपा हुआ रहता है। हम सभी के मन में देवी का निवास होता है, बस ज़रुरत है तो उसे खोजने की। इसी वजह से इसके चारो और डांस किया जाता है। बीच में रखा गरबा एक जगह रहता है जो बताता है, देवी शास्वत सत्य है और हम सब यहाँ अनिश्चित(टेम्पररी) रूप से रह रहे है।
तो फिर ‘डांडिया रास’ क्या है? –
ये भी गुजराती फ़ोक डांस ही है, पर गरबे से थोडा अलग है। ‘डांडिया रास’ भगवान् श्री कृष्ण से जुड़ा है। रास शब्द संस्कृत के ‘रसा’ से आया है। ये डांस गुजरात और राजस्थान में किया जाता है, ख़ासकर दक्षिण राजस्थान और पश्चिम मध्य-प्रदेश और पुरे गुजरात में। इसमें गरबा डांस के उलट पुरुष और स्त्री साथ मिलकर एक या दो सजे हुए डांडियों से डांस करते है।
डांडिया रास को एक और कहानी से जोड़ा जाता है जो कि माँ दुर्गा की है। इस कहानी के अनुसार माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था। ये नौ दिनों तक चला। इस वजह से इसमें यूज़ होने वाले डांडिये को ‘तलवार’ से भी जोड़कर देखा जाता है।
ऐसा बताते है… जब अफ्रीकन गुलाम(स्लेव्ज़) सौराष्ट्र बंदरगाह पर आये थे तब उन्होंने ये डांस देखा। इन अफ्रीकन गुलामो ने इसे अफ्रीकन ड्रम(जेम्बे) पर करना शुरू किया। चूँकि ये लोग मुस्लिम थे तो इन्होने इस ट्रेडिशन सौराष्ट्र में मुस्लिम तरीके से अपनाया।
कितने अलग है डांडिया और गरबा एक दुसरे से? –
- गरबा डांस ‘डांडिया आरती’ से पहले किया जाता है, डांडिया आरती के बाद डांडिया रास खेला जाता है।
- गरबा केवल महिलाओं द्वारा किया जाता था(हालाँकि अब ऐसा नहीं है) जबकि डांडिया संयुक्त रूप से किया जाता है।
- डांडिया रास डांडिया आरती के बाद शुरू होता है, उससे पहले तक गरबा ही खेला है।
- गरबा तीन तरह से खेला जाता है, एक ताली गरबा, २ ताली गरबा और तीन तली गरबा। आज से 10-15 साल पहले तक तीन ताली गरबा ही किया जाता था, ये थोडा कॉम्प्लेक्स था। वेस्टर्न गरबा दो ताली/एक ताली गरबा और डांडिया रास से मिलकर बना है जो आजकल काफी पोपुलर है।
- डांडिया रास में बजने वाले गीत मुख्यतया श्री कृष्ण और राधा के ऊपर होते है जबकि गरबा में बजने वाले गीत अम्बा माँ के ऊपर बने होते है।
- गरबा गुजरात और महाराष्ट्र में ज्यादा खेला जाता है जबकि डांडिया राजस्थान और मध्यप्रदेश में ज्यादा खेला जाता है।
- दोनों ही डांस फॉर्म्स में औरतें रंगबिरंगी पौशाके पहनती है, जिनमे चनिया चोली, ब्राइट कलर से बने घाघरे, कमरबंध, बाजुबंध, मांग टिक्का आदि होते है।
- गरबा और डांडिया खेलने वाले आदमी गोल छोटा कुर्ता, कफनी पायजामा, पगड़ी और मोजरी पहनते है।
- डांडिया के मुकाबले गरबा भारत के बहार ज्यादा फेमस है। ये फोक डांस अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन सहित दुनिया की 20 से भी ज्यादा युनिवरर्सिटीज़ में खेला जाता है।
- ब्रम्हा ने महिषासुर को वरदान दिया था कि उसे कोई आदमी नहीं मार पाएगा, जब उसका धरती पर अत्याचार बढ़ गया तब उसका संहार माँ दुर्गा ने किया।
- साउथ इंडिया में नवरात्री के त्यौहार को ‘गोलू’ बोला जाता है।
गरबा और डांडिया रास भले ही हिन्दू मान्यता से जुड़ा हुआ है पर इस त्यौहार को मानाने के लिए आपका हिन्दू होना ज़रूरी नहीं है। इस डांस को किसी भी धर्म के लोग कर सकते है। इसकी ख़ासियत यही है कि ये अलग-अलग जगहों और धर्मो के लोगो को एक साथ लेकर आता है और नृत्य की भावना से सोहाद्र और प्रेम-भाव जगाता है।
ऊपर दिए गए फैक्ट्स और पॉइंट्स सिर्फ इनके बारे में बताने के लिए थे, आसान भाषा में ये थ्योरी थी पढ़ लो और जान लो। नाचना तो कल से है ही, प्रैक्टिकल में तो माहिर ही अपन। अंत में माँ दुर्गा और श्री कृष्ण को याद करते हुए उदयपुर ब्लॉग की तरफ़ से आप सबको नवरात्री की ढेर सारी बधाइयाँ। ये पर्व आपके और आपके परिवार में खुशियाँ लाये। भारतवर्ष को आगे बढ़ाये।