उदयपुर के घाट
“ हमनें आपसे वादा किया था कि पिछले आर्टिकल “कुछ ख़ास है ये इमारत – Ghanta Ghar” से हम उदयपुर से जुड़ी जानी-अनजानी जगहों, किस्से-कहानियों की एक सीरिज़ शुरू कर रहे है जो आप लोगो को अपने शहर से जोड़ने का प्रयास करेगी । ताकि आप अपने ही शहर को और अच्छे से जाने, उन जगहों की बात करें, वहाँ जायें, जो अब तक आपकी पहुँच से दूर थी । उन कहानियों और किस्सों को जीयें जो आपके दादा-परदादा, पापा-मम्मी सुनते और सुनाते आये है । “
उसी सीरीज़ में इस बार हम आपके सामने “उदयपुर के घाट – Ghats of Udaipur” के बारें में कुछ जानकारियाँ और तथ्यों को लेकर आये है । उम्मीद करते है कि आप इससे अपना जुड़ाव महसूस करेंगे।
घाट की परिभाषा – घाट उन सीढियों के समूह को कहते है, जो किसी छोटे तालाब, झील या फिर किसी नदी के किनारे बना हुआ हो, घाट कहलाता है ।
उदयपुर में घाट की कमी नहीं है, यहाँ इतने घाट है कि अगर इसे ‘राजस्थान का बनारस’ बोला जाए तो कोई गलत बात नहीं होगी । पर देखा जाए तो कुछ दो या तीन घाट को छोड़कर बाकियों पर कभी बात हुई नहीं । शहरकोट के घरों में होती है, पर कहीं ये उन घरों तक ही सिमट के न रह जाए, इस बात का डर लगता है । उन दो या तीन घाट को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी बचे हुए घाट को बहुत कम लोग जानते है । आसपास बसे लोगो के अलावा शायद ही कोई जाता होगा । इसी वजह से कईयों की हालत ख़राब भी पड़ी हुई है । सिटी वाल के बाहर एक नया उदयपुर बस रहा है । ये उदयपुर शहर के, बाहर तो है, पर शहरकोट के लोगो से ज्यादा शहरी है । ये लोग उदयपुर घूमते है पर इन्हें उदयपुर के किस्से-कहानियों की ख़बर ज़रा कम है । इस सिरीज़ में फोकस इन्ही बातों पर रहेगा । ये सब रिसर्च करने के दौरान अच्छी बात ये जानने को मिली कि यंगस्टर्स इन सबके बारे में क्यूरियस है और बहुत कुछ जानना चाहते है पर उन्हें ये सब जानने और पढ़ने का प्लेटफार्म नहीं मिल रहा है । हमारी यहीं कोशिश रहेगी, आप लोगो की ये खोज हम तक आकर रुक जाए ।
हम आर्टिकल को उन घाट से शुरू करेंगे जो अब तक लिखे ना गए । अब आप सीधा घाट का रुख़ करिए और इमेजिनरी दुनिया में तशरीफ़ ले आइये ।
- धोबी घाट : सबसे पहले बता दे कि इस घाट का आमिर खान से कोई लेना देना नहीं है । ये उदयविलास के पीछे की और पिछोला का आख़िरी घाट है । इसके बाद आपको और कोई घाट नहीं मिलेगा । यहाँ चूँकि धोबी कपड़े धोने आते है इसलिए इसका नाम धोबी घाट पड़ गया । यहाँ पास ही श्मशान घाट भी है, जहाँ आसपास बसे लोग अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए आते है ।
- नाथी घाट : इस घाट की हमें एक शानदार स्टोरी पता चली । नाथी बाई नाम से एक औरत हुआ करती थी, 19वी सदी की शुरुआत में । ये घाट उन्ही के द्वारा बनाया गया । उनके कोई बेटा या बेटी नहीं होने से उन्होंने अपने पास रखे 10-20 रुपयों से ये घाट बनाया । एक आंटी हमें बताती है मेवाड़ी में, ‘नाथी बाई कहती ही कि अणा रिपया रा म्हूं कई करूँगा, म्हारो धाम तो अटे ही वणाऊंगा ।‘ और इस तरह उन्होंने अपने पास रखे कुछ रुपयों से ये घाट बनाया ।
- महाराजा घाट : ‘महाराजा घाट’ को खोजने में हमें भी पसीना आ गया । ये घाट बहुत छोटा है और बहुत ही छुपा हुआ भी है । यहीं पास में वाळी बाई रहती है, उन्होंने ही इसके बारे में बताया । इस घाट पर पहले महाराजा/बाबा/योगी लोग आकर बैठा करते थे और नहाते थे । इसलिए ये महाराजा घाट कहलाया ।
- पंचदेवरिया घाट : गणगौर घाट के ठीक सामने आपको एक छोटा सा घाट दिखेगा जहाँ एक मंदिर भी बना हुआ है, दरअसल ये मंदिर नहीं बल्कि पांच छोटी छोटी देवरिया है, जिन्हें पंचदेवरियां कहा जाता है । उन्ही की वजह से इसे पंचदेवरिया घाट बोलते है । कुछ लोग इसे ‘फिरंगी घाट’ भी कहते है । यहाँ से आपको वाकई लगेगा की क्यूँ उदयपुर को हमने ‘राजस्थान का बनारस’ बोला ।
- हनुमान घाट : ये घाट तो आप सभी जानते ही होंगे । फ़िल्मी दुनिया की ‘रामलीला’ यहीं हुई थी । हिंदी फिल्म ‘रामलीला’ की शूटिंग इसी घाट पर हुई थी । हनुमान टेम्पल की वजह से इसका नाम हनुमान घाट पड़ गया । इसके ठीक सामने आपको गणगौर घाट दिख जायेगा ।
- हामला हारो/रोव्णिया घाट(1) : अब आपको ले चलते है ‘हामला हारो/रोव्णिये/रोवनिये घाट’ पर । इसका नाम इसके काम को बयाँ कर रहा है । ‘रोव्णिया’ मेवाड़ी शब्द है जिसका मतलब होता है ‘रोने वाला’, और चूँकि ये पैदल पुलिया के सटा हुआ है और सामने की तरफ होने की वजह से इसे ‘हामला हारो’ यानि ‘सामने वाला’ घाट भी बोला जाता है । इस घाट पर डेथ के बाद औरतें रोती हुई आती है और फिर नहाती है, इस वजह से इसका नाम ऐसा पड़ा । इस घाट को हत्थापोल घाट से जोड़ने वाली पुलिया ‘दाइजी-पुल’ नाम से जानी जाती है, जिसे फूट-ओवरब्रिज भी कहते है । यहीं पर महादेव का मंदिर, एक स्कूल और कई होटल्स भी मिल जाएगी ।
- हत्थापोल(सत्यापोल) घाट : जगदीश मंदिर वाले छोर पर ‘दाइजी-पुल’ जहाँ बना है, उसे हत्थापोल घाट कहते है, पहले यहाँ घाट हुआ करता था जिस पर बाद में फुट-ओवरब्रिज बना दिया गया । ‘दाइजी-पुल’ और चांदपोल पुलिया के बीच के हिस्से को ‘अमर-कुंड’ बोला जाता है ।
- रोव्णिया घाट(2) : पिछोला किनारे दो घाट ‘रोव्णिया घाट’ नाम से जाने जाते है । इस बात ने हमें भी पहले कंफ्यूज कर दिया । फिर बाद में पता चला दाइजी पुलिया के जगदीश मंदिर छोर वालों के लिए ये घाट रोव्णिया घाट है । और उस छोर वालों के लिए ‘हामला हारो’ घाट ‘रोव्णिया घाट’ है ।
- मांजी का घाट : ‘मांजी का घाट’ ही अमराई घाट है, अमराई होटल होने की वजह से आज के लोग इसे अमराई घाट से ज्यादा जानते है जबकि इसका असली नाम ‘मांजी का घाट’ है । यहाँ एक मंदिर भी है जिसे ‘मांजी का मंदिर’ बोला जाता है । अंतिम संस्कार के बाद जिस तरह औरतें ‘रोव्णिया घाट’ पर जाती है वही आदमी ‘मांजी का घाट’ पर नहाने आते है । यहीं पर पूजा का कार्यक्रम और सर मुंडन का काम होता है । यहाँ से पिछोला का 270 डिग्री व्यू आता है । यहाँ से गणगौर घाट, गणगौर बोट, सिटी पैलेस, लेक पैलेस और होटल लीला पैलेस को देख सकते हो । इसे ‘एक्शन उदयपुर’ के अंतर्गत डेवेलप किया गया उसके बाद से यहाँ काफी लोग आने लग गए । यहाँ यंगस्टर्स गिटार बजाते और गाना गाते हुए मिल जायेंगे ।
- नाव घाट : कुछ सालों पहले तक नाव घाट से ही नावें चलाई जाती थी जो टूरिस्ट्स को पिछोला में दर्शन करवाती थी । बाद में इस घाट को प्राइवेट कर दिया । आज की तारीख में ये दरबार का पर्सनल घाट है । अब नावों का संचालन लाल घाट से होता है ।
- पिपली घाट : ये घाट आम लोगो के लिए खुला हुआ नहीं है । यहाँ सिर्फ सुरक्षा गार्ड्स को ही जाने की इजाज़त है । इसको ‘पिपली घाट’ यहाँ लगे हुए पीपल के पेड़ों की वजह से बुलाते है । इसके बाद से महल की दीवारें शुरू हो जाती है ।
- बंसी घाट : बंसी घाट भी दरबार का पर्सनल घाट है जो दरबार के काम के लिए ही यूज़ होता है, यहाँ से लेक पैलेस के लिए नावें चलती है । इस घाट का नाम दरबार के ही बंसी जी के नाम पर पड़ा । ये घाट ‘गोल महल’ के नीचे बना हुआ है । यहाँ पर सुनील दत्त स्टारर ’मेरा साया’ की शूटिंग हुई थी ।
- लाल घाट : आज की तारीख़ में नावों का संचालन यहीं से किया जाता है । ये गणगौर घाट के पास ही बना हुआ है । यहाँ आसपास होटल्स और गेस्ट-हाउसेस होने की वजह से टूरिस्ट्स बड़ी मात्रा में आते है । एक वजह यहाँ मिलने वाली शांति भी है ।
- गणगौर घाट : इसके बारे में अब क्या ही बताया जाए आपको । ये उदयपुर की पहचान है । यहाँ न जाने कितनी ही मूवीज़, सिरिअल्स, वेडिंग शूट्स हो चुके है । यहाँ एंट्री के तीन गेट्स है जिन्हें त्रिपोलिया बोला जाता है । यहाँ पर फेमस मेवाड़ उत्सव, गणगौर पूजा होती है, जो की देखने लायक है । कोई उदयपुर घुमने आता है तो एक बार गणगौर घाट ज़रूर जाता है । यहाँ बच्चो से लेकर बड़ो, देसी से लेकर विदेसी सब तरह के लोग मिल जायेंगे । गणगौर घाट की एक बात पता चली, 1973 से पहले गणगौर घाट इतना बड़ा नहीं था जितना आज दिखाई देता है । 1973 से पहले तक गणगौर घाट त्रिपोलिया तक ही फैला हुआ था, उसके बाद उसे आगे बढाया गया ।
- बोरस्ली घाट : गणगौर घाट से सटा हुआ घाट ‘बोरस्ली घाट’ के नाम से जाना जाता है । चूँकि यहाँ बोरस्ली के पेड़ बहुत है इसलिए इसका नाम ये पड़ा । ये गणगौर घाट से एक छोटी सी गुफ़ानुमा गली से जुड़ा हुआ है । इस घाट पर मंदिर बहुत ज्यादा है और हर शाम यहाँ आरती होती है । सुबह के वक़्त आसपास के बुज़ुर्ग लोग यहाँ आकर बैठते है और फिर बातों का दौर शुरू होता है । ( ये जानकारी हमें फेसबुक कमेंट्स से प्राप्त हुई, गोविन्द जी माथुर का हम शुक्रिया अदा करते है ।
ये सब लिखना तब ही आसान हो पाता है जब हमें वाळी बाई, राधावल्लभ जी व्यास, भरत जी जैसे लोग मिले । हम इन जैसे उन सभी लोगो का विशेष शुक्रिया अदा करते है जिन्होंने हमें अपना कीमती वक़्त दिया और हमारी भूख शांत की ।
ये कुछ घाट थे जिन पर हमने कुछ जानकारियाँ जुटाई और आपके सामने लेकर आये । कुछ और घाट भी है जैसे इमली घाट, बाड़ी घाट, पशु घाट उन पर हमें कुछ ज्यादा मिल नहीं पाया । अगर आप लोग उदयपुर के और भी घाट जानते है और उनसे जुड़ी कोई बात बताना चाहते है तो हमें कमेंट में ज़रूर लिख भेजिए । आपकी भेजी हुई इनफार्मेशन हमारे ही शहर के काम आयेगी ।