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अब झीलों में सीवरेज के पानी के आलावा प्लेन भी उतरेंगे?

अब तक उदयपुर की झीलों में आपने नावों को चलते देखा होगा, लोगो को तैरते देखा होगा उन्हें कपड़े धोते देखा होगा… और तो और आपने झीलों में सीवरेज के पानी को गिरते भी देखा होगा, लेकिन अब इन सबके आलावा एक और कमाल होने की सम्भावना है वो भी उदयपुर की झीलों में। अगर ये बात मंत्री-महोदयों को जम गई तो जल्दी ही अपने शहर की झीलों में सी-प्लेन(seaplanes) भी उतरेंगे। मजेदार बात तो ये है कि इस योजना में जापान दिलचस्पी दिखा रहा है, वैसे ही जैसे उसने बुलेट ट्रेन में दिखाई थी। हम आपको बता दे कि जापान की दिलचस्पी पहले ही भारत को 1,10,000 करोड़ की पड़ी है, अब देखते है ये कितने की पड़ती है? वैसे अभी तो बात ही निकली है, और बात निकलने का मतलब ये तो नहीं हो जाता की शादी पक्की मान ही ले, तो अभी ज्यादा बवाल मचाने वाली बात नहीं है।

तो बात ये है कि स्पाइस जेट जापान की एक कंपनी “setouch holdings” से 100 कोडिआक प्लेंस खरीदने की सोच रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी साहब कहते है कि रूस और जापान ने डील में इंटरेस्ट दिखाया है जिनमे 50 सीटर वाले प्लेंस भी शामिल है।

नितिन गडकरी ये भी कहते है : ” भारत में एअरपोर्ट की कमी है। ज्यादातर कारोबार उन जगहों से होता है जहाँ ढंग से कनेक्टिविटी नहीं मिल पाती। हम उसी के समाधान के रूप में  इसे देख रहे है। हम चाहते है भारत का आखिरी कोना तक बाकि जगहों से कनेक्ट हो, ये प्रोजेक्ट से हमें लाभ मिलने की उम्मीद है। उदयपुर के टूरिज्म को भी इससे फायदा मिलेगा।”

amphibious plane

अम्फिबिअस एयरक्राफ्ट ज़मीन और पानी दोनों पर उड़ान भर सकते है ये भारी और धीमे ज़रूर होते है पर ज्यादा वर्सटाइल भी होते है।  जिसकी वजह से इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। हमारे प्रधानमंत्री का कहना है कि ऐसे एयरक्राफ्ट दूरियाँ कम करने में साथ देंगे। नदियों और दुसरे बड़े जल स्त्रोतों का उपयोग करके इस काम को आसन किया जा सकता है।

amphibious plane

लेकिन ये सब में बहुत टाइम लगेगा अभी ये सब पर सिर्फ बात की जा रही है, लागू करने में वक़्त लगेगा। क्या पता उदयपुर का नाम आएगा भी या नहीं आएगा..

पर ये सब बात उठने पर हमारी भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है की इस पर चर्चा की जाए। आप अपने व्यूज़ रखे कि क्या वाकई देश की नदियाँ, झीले अभी इन एयरक्राफ्ट के लिए तैयार है? इतने करोड़ो खर्च करने के बाद गंगा, यमुना जैसी बड़ी नदियाँ अब भी प्रदूषित है। ऐसे में क्या ये प्रोजेक्ट लागू करना सही है?

अगर लागू होता है तो क्या उदयपुर इस प्रोजेक्ट के लिए तैयार है? जब इतनी मेहनत से शहर के कुछ लोग झीलों को साफ़ करने में लगे हुए है। बावजूद इसके अब तक होटल्स और आसपास के घरो का गिरता सीवरेज पानी इन झीलों में जाने से नहीं रोक पाए है, आयड़ को अब जाकर साफ़ कराया जा रहा है तब क्या ये प्लेंस उदयपुर के लिए सच में ज़रूरी होंगे?

लेकिन ये सब अपने-अपने विचार है, आप भी अपने थॉट्स कमेंट बॉक्स में लिख सकते…. आप कैसे देखते है इस तरक्की को?

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Ganga Jamuna Saraswati: Udaipur Couple gets Triplet Test Tube Girls

A couple from Lakhawali village,Udaipur, Kesar Singh and his wife Leela Devi have been missing cries of a child in their small family of two,married for the last 18 years. After trying all available options, be it medical or religious, finally, the In Vitro Fertilization (IVF) technique came as a blessing for the couple. And for the first time, the family heard the cries of its own child. To a surprise, there wasn’t a single baby, nor two. There were three babies, all girls.

This incident happened on 3rd March when Mrs Leela Devi gave birth to three lovely and healthy children at the R.K. Hospital in Madhuban, Udaipur. Dr. Shewta Agarwal of R.K Hospital, counseled the couple and suggested them to go for IVF or the In Vitro Fertilization process for Test Tube Baby in which egg cells are fertilized by sperm outside the body.

In a press conference, Dr. Shweta Agarawal, test tube baby specialist of R. K. Hospital told that this achievement is nowhere less than achieving a noble prize for herself. She is more happy than even the couple. Dr. Tarun Agarwal was also present at the moment.

Father of the triplet, Mr. Kesar Singh says, that after 18 years, the happiness brought in the family by the R.K. Hospital is above all and they are highly indebted for the same. He adds, the triplet have filled the empty spaces in their life, and now they have no more demands for their life.

(L to R) Dr. Shweta Agarwal, Leela Devi, and Kesar Singh with the triplet