सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः ।
सत्येन वायवो वान्ति सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम् ॥
सत्य को छुपा सकते है ये लोग, मिटा नहीं सकते। इसका यही स्वेग है कि देर से ही सही सत्य सामने ज़रूर आता हैं।
भारतीय होने के नाते आपको यह पता होना चाहिए की आपसे, आपके पूर्वजो से वो कोन–कोन से सत्य छुपाये गए हैं जो आपकी आनेवाली पीढ़ि,आपके बच्चों को भी पता नही चलेंगे अगर आज आप कोशिश नहीं करोगे तो..
तो ऐसी ढेरो बातें हैं जो एक स्वतंत्र भारत के नागरिक को पता होनी चाहिए, लेकिन अफसोस …इनके बारे मे कम ही लोग बात करते है ।
।। ऐसा ही एक सत्य है हल्दीघाटी का ।
“डॉ चंद्रशेखर शर्मा “ आप मेवाड़ के वो रत्न है जिन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष महाराणा प्रताप और हल्दी घाटी के युध्द पर शोध में लगा दिए । इन्होंने इस विषय पर अपनी PHD. की , और अपनी गहन शोध के द्वारा इस सत्य से पर्दा उठाया।
मीरा कन्या महाविद्यालय उदयपुर (राज.) के प्रोफेसर.डॉ चंद्रशेखर शर्मा ने अपनी इस शोध को एक किताब में संकलित किया है जिसका नाम “राष्ट्ररत्न महाराणा प्रताप” है। डॉ शर्मा ने महाराणा प्रताप,हल्दीघाटी युद्ध और मेवाड़ पर कुल 4 किताबे लिखी है जिसमे से यह एक है
आप ने अपनी शोध मे खुदाई से प्राप्त ताम्र पत्रो ,भूमि के पट्टो ,मंदिर के अभिलेखों एव प्रताप कालीन ऐतिहासिक स्त्रोत आईने–अकबरी , अकबर नाम जोकि क्रमशः अबुल फजल व बदायू द्वारा लिखे गए है पर आधारित तर्कों के आधार पर यह प्रमाणित किया कि “हल्दीघाटी के युद्ध मे महान महाराणा प्रताप ही विजय हुए थे“ !
समस्त विश्व शर्मा जी का आभारी रहेगा, क्योकि गलत इतिहास पढ़ कर हम कभी सही भविष्य की तरफ नही जा सकते।
शर्मा जी की पुस्तक “राष्ट्ररत्न महाराणा प्रताप” आजकल राजस्थान विश्वविद्यालय में MA, स्नातकोत्तर पढ़ी जाती है।
“इतिहास को कोई व्यक्ति नही तथ्य बदलते है, इतिहास सत्य एवं तथ्यो का आग्रह है। इतिहास क्या है, इसकी समीक्षा राजनेताओं को नही करनी चाहिए, ये काम सत्य, तथ्य, एवं विद्वानो तथा निष्पक्ष लोगो व जनता पर छोड़ देना चाहिए ।
ये शब्द शर्मा जी ने एक साक्षात्कार में कहे थे ।
★ इस पुरे प्रकरण में सोचने वाली बात ये है कि सत्य और इतिहास में फेरबदल करने कि कोशिश कौन करता है ?
★ सही इतिहास जनता तक ना पँहुचे इसमे किसका फायदा है ??
– स्व. श्री राजीव दीक्षित जी ने अपने एक शोध व्याख्यान में समझाया था कि किस प्रकार मुग़लो, एवं अरबो ने हमारे इतिहास ,ग्रंथों, मंदिरो को नष्ट किया, उनके बाद अंग्रेजो ने किस प्रकार मैक्समूलर (जर्मन विद्वान) एवं विलियम हंटर कमीशन की सहायता से हमारे इतिहास और धर्म ग्रंथो में विकृतिया डाली, जो कि अतार्किक है एवं घटिया है, जैसे आर्य बाहर से आये थे, जैसे उन्होंने मनुस्मृति में विकृति डाली आदि ऐसी कई है ।आपको असली मनुस्मृति पढ़नी चाहिए वो पुस्तक महान है, अंग्रेजी संसद को हंटिंग कमीशन ने हजारों पत्तों की रिपोर्ट सोपि थी, जिसमें लिखा था कि उन्होंने किन किन भारतीय ग्रन्थों में क्या क्या विकृतिया डाली ।
अंग्रेज विकृत इतिहास हमे पढ़ना चाहते थे , ताकि हम गुलाम ही बने रहे ,सीधी सी बात है वो हमसे ये बात छुपाना चाहते थे कि हमारे पूर्वज महान थे। इस अंधकार भरे क्षेत्र में मेवाड़ के “श्री चंद्रशेखर शर्मा“ जी एक जोकि एक खोजी विद्वान है एक स्वर्णिम सूरज की तरह उभरे है, मुझे गर्व है उनपर साथ ही उनके आगामी खोजी कार्यो के लिए शुभकामनाएं।
आज अंग्रेज नही है, ना ही मुग़लो, अफगानों की सत्ता है ,तो फिर इस विकृत इतिहास से किसको लाभ है ? आजभी अंग्रेजो द्वारा निर्मित इतिहास का कोंन समर्थक है? क्या कोई ऐसा भी है जो आज भी इतिहास मे विकृतिया डालने का इतिहास दोहरा रहा है? इन प्रश्नों के उत्तर में आप पर छोड़ता हूँ।
मित्रो ये 21वी सदी है, भारत की सदी, हमारा फ़ोन हमारा हथियार है, इंटरनेट सहायक है, और सत्य लक्ष्य है ।
अकबर सुतों आँगणे , जांण सिराने सांप ।
मांयण एडा पूत जण, जैड़ा राणा–प्रताप ।।
।।जय मेवाड़ ।।
।।वंदेमातरम।।
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