Categories
Social

पोलियों, सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित लोगों की पिछले 30 साल से मदद करता नारायण सेवा संस्थान

उदयपुर में शायद ही कोई ऐसा हो जिसनें, नारायण सेवा संस्थान का नाम न सुना हो। अब तो न सिर्फ् उदयपुर और राजस्थान ही नहीं देस-परदेस के लोगो के लिए भी यह एक जाना-पहचाना नाम बन चूका है। इसका उदहारण, हमें भी वहीं जाकर मिला जब हमनें देखा कि राजस्थान के अलावा उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ साथ गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों से लोग अपना या अपने बच्चों का इलाज करवाने के लिए यहाँ आए हुए हैं।narayan seva sansthan udaipur

यह वो लोग थे जो उम्मीद खो चुके थे कि अब कुछ नहीं हो सकता या वो भी जो पोलियो-सेरेब्रल पाल्सी के इलाज में लगने वाले खर्च का वहन नहीं कर सकते थे। टीवी, विज्ञापन और माउथ पब्लिसिटी (जो यहाँ इलाज करवा चुके हैं, उनके द्वारा बताएं जाने पर) ही इन सभी को पता लगा था कि यहाँ पर निःशुल्क इलाज किया जाता हैं। दिलचस्प बात ये भी हैं कि दूर-दराज से आने वाले लोगों को NSS(नारायण सेवा संस्थान) वाले रेलवे स्टेशन/बस स्टेशन तक लेने और छोड़ने भी जाते हैं ताकि उन्हें किसी तरह की तकलीफ़ ना हो और ये सबकुछ निःशुल्क सेवा-भाव से किया गया कार्य होता है।narayan seva sansthan udaipur

नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर में करीब 730 के आसपास एम्प्लोयी हैं जो खुद को एम्प्लोयी मानने से मना करते हैं। इन्हें ‘साधक’ की उपाधि दी हुई है और इलाज करवाने आए सभी लोग भी साधक कह कर ही पुकारते हैं।

वहां के एक साधक से बात करने पर एक अचंभित करने वाले आंकड़ा पता चला। यहाँ आने वाले मरीजों की अपडेटेड वेटिंग लिस्ट 14,000 है जो कभी 30,000 के करीब हुआ करती थी। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने और ज़रूरतमंद अपने नंबर का इन्तजार कर रहे हैं।

narayan seva sansthan udaipur
Sewing Machines for people

प्रशांत अग्रवाल जो कि नारायण सेवा संस्थान के जनक कैलाश ‘मानव’ अग्रवाल के बेटे हैं, उनसे हुई बातचीत में उन्होंने नारायण सेवा संस्थान के बनने से लेकर अब तक के कई किस्से साझा किए। उनमें से कुछ हम यहाँ आपके साथ शेयर कर रहे है:-

  • जब पिताजी ने इसकी शुरुआत की थी तब इसका कोई नामकरण नहीं हुआ था। वो बस मदद करना चाहते थे। लेकिन कुछ साल बाद किसी के सुझाव पर नाम रखने की सोची। तब इसका नाम ‘दरिद्र नारायण सेवा’ रखा गया। लेकिन माँ के कहने पर नाम से ‘दरिद्र’ शब्द हटा दिया गया।
  • एक और किस्सा वो ये बताते हैं कि शुरू में किसी ने पिताजी के इस काम को तवज्जो नहीं दी, उल्टा सभी इनका विरोध ही करते रहे। जिस कॉलोनी हम रहा करते थे तब सामान से लदा ट्रक आया जिसकी वजह से कॉलोनी में लगा एक पत्थर टूट गया। इस पर कॉलोनीवासियों ने विरोध करना शुरू कर दिया और इस काम को बंद करने को कहा। बाद में पिताजी के ये कहने पर कि ये एक नेक काम है और वो पत्थर में फिर से लगवा दूंगा तब जाकर वो लोग शांत हुए।
    narayan seva sansthan udaipur
    Mobile Workshop for patients and their relatives 

     

narayan seva sansthan udaipur

narayan seva sansthan udaipur
Computer Lab for learning Computer
narayan seva sansthan udaipur
Art and Craft by Children
narayan seva sansthan udaipur
Lab for testing and medicines
narayan seva sansthan udaipur
Physiotherapy Room