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FORTIS JK HOSPITAL starts Udaipur’s first bike ambulance service

Fortis JK hospital has introduced the first bike ambulance service in the southern Rajasthan. The idea to introduce such a service is to decrease the response time post-mishaps. The decrease in quick response time will play a significant role in saving a person’s life.

The service was inaugurated by SSP Gopal Mewara, Parbat Singh, DYSP, Traffic Department, Udaipur, Facility Director Retd. Col. H.S. Bhagat, Senior Cardiologist Dr. CP Purohit, Medical Director Dr. Tarun Vyas, Dr. Sandeep Bhatnagar, Dr. Mani Bhatnagar, Director Aman Chhabra, and Marketing Head Kalpesh Chand Rajvar.

The bike service was started keeping in mind the geography of Udaipur. Localities like Ghanta Ghar, Hathipole, Maldas street and other areas of the old city are too crowded and have narrow lanes. This makes it difficult for a 4-wheeler ambulance to reach the spot in time. Bike ambulance service will make the first aid quicker as compared to the other services.

The bike service will be available 24 hours on call at the emergency call number 0294-6669911. The service will cater to the medical emergencies within 10 minutes of the call received. The bike ambulance is equipped with an emergency kit, medicines, and a trained doctor. The service will provide immediate first aid to the patient before transferring him to the hospital. A rally was carried out to make the people aware of this special service which included 100 bikers spreading the message. The bike ambulance facility will be available up to a radius of 25 to 30 km in and around Udaipur.

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इनको कई फिल्मों में देखा होगा अब ये भी जान लो कि ये हमारे शहर से ही हैं। जानिए इनके बारे में…

भारत के छोटे शहरों में बड़े सपने पलते है। इस बात को साबित करने के लिए आपको कई उदहारण मिल जाएँगे। इन्हीं उदाहरणों में से एक उदहारण हमारे अपने शहर उदयपुर का भी है। उदयपुर का युवा आज अपने सपनों को जीना चाहता है उसे पूरा करने के लिए अपनी जी-जान लगा देना चाहता है।

आज ऐसे ही एक लड़के की कहानी आपके सामने लेकर आ रहे है जो उदयपुर में पैदा हुआ लेकिन उसकी कर्म-भूमि बनी मायानगरी ‘मुंबई’। आज वो वहां अपने एक्टिंग के झंडे गाड़ रहा है। हम बात कर रहे है राहुल सिंह की। वही राहुल सिंह जिन्हें आपने ‘ज़ुबैदा’ में देखा होगा या फिर ‘देल्ही-बेल्ली’ में या फिर ‘खिलाड़ी 786’ में…शायद अब तक तो आपके दिमाग में तस्वीर साफ़ हो चुकी होगी। rahul singh

राहुल सिंह का जन्म उदयपुर के एक ठाकुर घराने में हुआ था। जो जागीरदारी से ताल्लुक रखता था। जब राहुल का जन्म हुआ तब उनके पिताजी किसानी के साथ-साथ पढ़ाई कर रहे थे। इनकी माताजी डॉ. प्रभा ठाकुर एक बहुत अच्छी कवयित्री और राज्यसभा सदस्य भी है। डॉ. प्रभा ठाकुर आल इंडिया वीमेन कांग्रेस की अध्यक्ष भी है। ये तीन बार की सांसद चुनी गई है और कांग्रेस पार्टी में अपना एक बड़ा स्थान रखती है।

एक ठाकुर फॅमिली में पैदा होना और फिर बॉलीवुड में जाना एक अजीब संयोग है वो भी तब जब आप उदयपुर जैसे शहरों से निकलते हो और इस फील्ड में अपना करियर बनाने की सोचते हो। लेकिन चूँकि राहुल की माँ खुद एक कवयित्री रह चुकी है शायद इसी वजह से उनका रूझान भी आर्ट की तरफ हुआ हो।rahul singh

राहुल सिंह अब तक 24 फिल्मों में काम कर चुके है जिनमें से कुछ ये रही :-

  1. ज़ुबैदा
  2. बादशाह
  3. देल्ही-बेल्ली
  4. स्टेनले का डिब्बा
  5. तेरे बिन लादेन
  6. खिलाड़ी 786
  7. द गाज़ी अटैक आदि

फेहरिस्त लम्बी है लेकिन सभी का ज़िक्र यहाँ मुमकिन नहीं है। ऐसा नहीं था कि राहुल ने सीधा मुंबई का रुख़ किया हो और फिल्मों से एनकाउंटर हो गया। राहुल जब 1st क्लास में थे तब उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था इसकी वजह डॉ. प्रभा ठाकुर यानि राहुल की माँ को अपनी कविताओं के लिए उदयपुर में अपोर्च्यूनिटी का नहीं मिलना था। वहां उनकी पढ़ाई स्लिवर बिच स्कुल में शुरू हुई। लेकिन पढ़ाई में अच्छे नहीं होने के कारण और लव लेटर्स लिखने की वजह से उनके माता-पिता ने उन्हें फिर से राजस्थान भेजने का निश्चय किया। जहां उनका दाखिला अजमेर के मेयो कॉलेज में हुआ और फिर ग्रेजुएशन सेंट. ज़ेवियर कॉलेज से थिएटर विषय में किया। इस दौरान राहुल के माथा-पिता फिर से उदयपुर में आ गए जहां इनके पिता होटल इंडस्ट्रीज़ से जुड़ गए और माँ राजनीति में आ गई।rahul singh

ग्रेजुएशन के बाद राहुल तीन साल के कोर्स लिए रॉयल अकादमी ऑफ़ आर्ट्स, इंग्लैंड चले गए। वहां उन्होंने अभिनय की बारीकियां सीखी। लिखना उन्हें शुरू से अच्छा लगता था।

जब वे भारत लौटे तो मॉडलिंग में हाथ अजमाना शुरू कर दिया। इंडस्ट्री में पहला काम एक एड शो मिला जिसका सिलसिला बढ़ते-बढ़ते एक अलग उचाई पर है। पहला ब्रेक श्याम बेनेगल की मूवी ‘ज़ुबैदा’ से मिला। उसके बाद कुछ अच्छी मूवीज़ मिलती रही। एक ख़ास बात इनकी ये है कि हर बार एक नया किरदार किसी यूनिक स्टाइल से अदा करते है इसलिए कभी मुंबई जाती भीड़ में उनका नाम नहीं आया। थिएटर करना और थिएटर की समझ रखना भी इसका एक बहुत बड़ा कारण रहा है। राहुल सिंह ने न सिर्फ अभिनय में अपना हाथ आजमाया उन्होनें कई फिल्मों के स्क्रीनप्ले और डायलॉग तक लिखे है। कुछ उदहारण ये रहे :- रानी(डायलॉग), कांटे(डायलॉग), कच्ची सड़क(स्क्रीनप्ले), तिग्मांशु धुलिया किआने वाली एक फिल्म(स्क्रीनप्ले)।Rahul Singh

राहुल ने फिल्मों के साथ-साथ टीवी सिरेअल्स और थिएटर प्लेज़ भी किए है जैसे :-

टीवी :-

  • संविधान (आचार्य कृपलानी)
  • 24 (विक्रांत मौर्या)
  • पेशवा बाजीराव (औरंगज़ेब) आदि

प्लेज़ :-

  • द शाल बाय डेविड ममेट
  • हैमलेट एंड द मर्चेंट ऑफ़ वेनिस बाय शेक्सपियर
  • द ब्लैक कैट बाय एडगर अलान पोए आदि

उम्मीद है आपको इनके बारे में पढ़कर और जानकर अच्छा लगा होगा। इससे पिछले अंक में हमनें आपको दौलत सिंह कोठारी जी से परिचय करवाया था इस बार राहुल सिंह से करवा रहे है। अगले अंक में किसी नए हस्ती के साथ आपसे मिलेंगे जिन्हें देश-विदेश तो जानता है पर हमसे कहीं चुक हो गई। तब तक के लिए अलविदा।