प्यारी सुशीला कोठारी जी,
पहले मैं आपको अपना इंट्रोडक्शन दे दूँ. मेरा नाम रिषित है. मैं 6 साल का हूँ, सनबीम स्कूल में पढता हूँ और उदयपुर में रहता हूँ. ये चिट्ठी मैं आपको छिप कर लिख रहा हूँ और पता नहीं कि आपतक मेरे ये छोटे छोटे अक्षर पहुंचेगे भी कि नहीं. पर मैं लिख रहा हूँ क्योंकि मैंने मेरे डैडी को पहली बार रोते हुए देखा है. वो मम्मा से कुछ कह रहे थे और बार बार आपका नाम ले रहे थे.
मैं आपको नहीं जानता. पर डैडी के मुँह से आपका नाम सुनकर आपमें मेरी जिज्ञासा बढ़ना कोई नयी बात नहीं थी. पिछले तीन दिनों की मेरी मेहनत रंग लायी और मेरी फ्रेंड दिशा के पापा, जो मेरे डैडी के स्कूल टाइम से फ्रेंड भी है, ने मुझे आपके बारे में बताया.
अब, आपके बारे में सब कुछ जानने के बाद मैं आपसे मिलना चाहता हूँ. मैंने आपको नहीं देखा, फिर भी दिशा के पापा के मुँह से आपके बारे में सुनने के बाद आपका पिक्चर मेरी आँखों में है. मैंने आपका चेहरा बना लिया है,जिसमे चश्मे के भीतर से झांकती आपकी आँखे मुझे रोजी मिस जैसी लग रही है. रोजी मिस मेरी क्लास टीचर है,जो मुझे बहुत प्यार करती है. पर जानना चाहता हूँ कि आपने डैडी की इतनी हेल्प क्यों की?
दादी ने बताया कि जब डैडी मेरी एज के थे, तब उनके डैडी यानी मेरे दादू भगवान के पास चले गए. जितने टॉय मेरे पास है, उतने टॉय से डैडी कभी नहीं खेले. उन्होंने इतनी चोकलेट्स भी नहीं खायी. और मेरी फेवरेट आइसक्रीम तो टेस्ट भी नहीं की. दादू नहीं थे तो उनको ये सब कौन लाकर देता ? मैं समझता हूँ. पर फिर से आपसे पूछ रहा हूँ, आपने डैडी की इतनी हेल्प क्यों की? मेरी रोज़ी मिस तो मुझे सिर्फ टॉफी देती है पर आपने डैडी को खूब सारी प्यारी प्यारी टेक्स्ट बुक्स दी थी. क्या उसमे छोटा भीम और डोरेमोन के फोटो भी थे ?
आपने डैडी के साथ रहकर उन्हें पोएम्स लिखना भी सिखाया. सच कहूँ, तो इस बात से मैं आपसे खफा हूँ. मुझे उनकी पोएम्स समझ में ही नहीं आती. वो बहुत बड़ी जो होती है. पर दिशा के पापा बता रहे थे कि आप मेरे डैडी को खूब सारे कम्पीटिशन में ले कर जाती थी और उस से डैडी बड़े बड़े प्राइज जीतकर लाते थे. मेरे ड्राइंग रूम में वो सारी ट्रोफी’ज अभी भी शोकेस में पड़ी हुई है. डैडी को जब इंग्लिश में ट्यूशन की ज़रूरत हुई तो आपने किसी अरोड़ा सर को बोलकर उनसे डैडी को फ्री में ट्यूशन पढाने को भी बोला. ओह गोड! मैं तो स्कूल में ही पढ़-पढ़ कर थक जाता हूँ. डैडी तो उसके बाद भी ट्यूशन पढ़ने जाते थे !
दिशा के पापा ने मुझे बताया कि आप डैडी का स्कूल में बहुत खयाल रखती थी, बिलकुल रोज़ी मिस के जैसे या शायद उस से भी ज्यादा. आपके कारण ही डैडी ने केमिस्ट्री नाम के किसी सब्जेक्ट में सबसे ज्यादा नम्बर पाए. ये सब्जेक्ट मेरे कोर्स में नही है और आप भी मेरे पास नहीं. अगर मेरे भी ये सब्जेक्ट होता तो आपके बिना मैं उसमे पास कैसे होता ? एक बार जब स्कूल प्रिंसिपल ने डैडी को क्लास से बाहर निकाल दिया था तो आप उनसे लड़ पड़ी थी आपने तब तक लंच नही लिया था,जब तक कि प्रिंसिपल ने डैडी को माफ नहीं किया था.
क्यों लड़ती थी आप सब से डैडी के लिए? क्यों आप उनके लिए नई नई बुक्स लेकर आती थी? क्यों आपने उनको इतना आगे बढ़ने के अवसर दिए? क्यों आपने उनको इतने प्राइज दिलवाए? प्रिंसिपल से लड़ दी ? इसका उत्तर दिशा के पापा ने नहीं दिया, बोले कि मैं बहुत छोटा हूँ, नहीं समझूंगा.
कल मैंने आपके लिए एक प्यारा सा टॉय गिफ्ट लिया है. वो मैं आपको देना चाहता हूँ. मुझे आपका अड्रेस नहीं पता, दिशा के पापा को भी नहीं पता, बस उन्होंने इतना बताया कि आप सेक्टर पांच में कहीं रहती है ! मेरे डैडी से मैं नहीं पूछना चाहता. वो फिर से रोने लगेंगे. आपको ये चिट्ठी मिले तो प्लीज़ मुझसे मेरे स्कूल में आकर मिलना. मुझे आपसे खूब बातें करनी है और आपको रोज़ी मिस से भी मिलवाना है. आप आएँगी ना !!
आपका,
रिषित
(पत्र काल्पनिक है)